Friday, April 24, 2015

सरकार सभी अच्छे सुझावों को स्वीकार करने को तैयार

राजधानी में रैली के दौरान एक किसान की मौत होने के एक दिन बाद गुरुवार को विपक्ष ने भूमि अधिग्रहण बिल में प्रस्तावित बदलावों को लेकर संसद में मोदी सरकार पर चौतरफा हमले किए। इसे देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने रणनीतिक रूप से नरम तेवर अपना लिया। पीएम ने मौत की घटना और किसानों की हालत पर दुख जताया। साथ ही, अस्वाभाविक रूप से बैकफुट पर जाते हुए आत्मनिरीक्षण करने की बात भी की।
मोदी ने कहा, 'किसान की जिंदगी, आदमी की जिंदगी से बड़ा कुछ भी नहीं है। यह समस्या पुरानी है, गहरी है। हम सभी को सोचना होगा कि कहां चूक हुई। कहां हमने गलत रास्ते पकड़े। पिछले वर्षों में और पिछले 10 महीनों में क्या कमियां रह गईं। यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।'  किसानों का मुद्दा गरमाने के साथ सरकार ने जहां उनके साथ एकजुटता दिखाने की कोशिश की, वहीं दिल्ली में मौत से पैदा हुए गुस्से के निशाने पर आम आदमी पार्टी को रखने का प्रयास भी किया। मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह लैंड बिल में प्रस्तावित बदलावों और किसानों की खुदकुशी की घटनाओं को अलग-अलग रखने की कोशिश की, जबकि विपक्ष ने दोनों मुद्दों को जोड़ते हुए लैंड बिल में बदलावों को रद्द करने पर जोर दिया।
मोदी ने कहा, 'सरकार सभी अच्छे सुझावों को स्वीकार करने को तैयार है। मैं खुली सोच रखता हूं। आप अपने सुझाव दें। हम समाधान देने की कोशिश करेंगे। हमें दुख की इस घड़ी में और भविष्य में भी किसानों के साथ खड़े रहना है।'
संसद में बहस के अंत में हस्तक्षेप करते हुए पीएम ने विपक्ष पर हमले करने की आदत से परहेज किया। राजनाथ सिंह की तरह मोदी ने भी कहा कि किसानों की दुर्दशा और उनकी खुदकुशी के मामले पिछले 50 वर्षों से सामने आ रहे हैं।
विपक्ष आरोप लगा रहा था कि दिल्ली में किसान की मौत के पीछे दिल्ली पुलिस की नाकामी है, लेकिन सिंह ने ठीकरा आम आदमी पार्टी पर फोड़ा। सिंह ने मोदी सरकार को किसान विरोधी करार देने के कदम का भी विरोध किया। सिंह ने कहा कि देश के किसान 1950-51 से समस्याओं का सामना कर रहे हैं और मोदी सरकार तो 10 महीने ही पुरानी है।
कांग्रेस को परोक्ष रूप से दोषी ठहराते हुए सिंह ने कहा, 'इन वर्षों में जीडीपी में खेती-बाड़ी का योगदान 1950-51 के 55% से घटकर अब 14% रह गया है।' विपक्ष ने विरोध करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे पर राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्ष ने सिंह को चुनौती दी कि वह या किसान कर्ज माफी की घोषणा करें या फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाएं। ये दोनों काम यूपीए सरकार ने किए थे।

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