Thursday, April 2, 2015

ऐडमिरल एल रामदास को मनमाने तरीके से हटाकर उनकी जगह नए लोकपाल को नियुक्ति कर दिया

पिछले संडे को राष्ट्रीय लोकपाल पूर्व ऐडमिरल एल रामदास को मनमाने तरीके से हटाकर उनकी जगह नए लोकपाल को नियुक्ति कर दिया गया था। अब आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के फैसले को खुद रामदास ने ही चुनौती दे डाली है । बुधवार को उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पंकज गुप्ता को चिट्ठी लिखकर पूछा कि आखिर उनका कार्यकाल कब खत्म हुआ था, जो पार्टी ने नए लोकपाल पैनल की नियुक्ति कर दी।
रामदास ने कहा है कि क्या इस बारे में उन्हें बताना भी जरूरी नहीं समझा गया? रामदास के मुताबिक उनका कार्यकाल नवंबर 2016 तक चलना था, फिर बिना किसी चर्चा के अचानक उन्हें हटाने का फैसला किस आधार पर लिया गया।

अपनी चिट्ठी में रामदास ने गुप्ता से 6 सवाल पूछे हैं। उन्होंने पूछा है, 'मेरा कार्यकाल कब खत्म हुआ, यह जानना सबके लिए जरूरी है। पार्टी के लोकपाल के नाते पिछले साल लोकसभा चुनाव के वक्त हरियाणा और यूपी के कुछ प्रत्याशियों की मिली शिकायतों की जांच के लिए मुझसे अनुरोध किया गया था। तो क्या वह कानूनन सही था?'
रामदास ने पार्टी को यह भी याद दिलाया है कि उसके बाद इसी साल जनवरी में भी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव ने उनसे विधानसभा चुनाव लड़ रहे 12 प्रत्याशियों के बारे में जांच करने के लिए कहा था। चिट्ठी से यह भी खुलासा हुआ है कि जांच के दौरान उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, आशीष खेतान, आनंद कुमार के साथ-साथ शिकायतकर्ता प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव और अरविंद केजरीवाल से भी बातचीत की थी। ऐसे में अब दो महीने बाद अचानक उन्हें हटा दिए जाने से वह हैरान और खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
रामदास ने आप नेताओं को उन बयानों की भी याद दिलाई है, जिसमें पार्टी के लोकपाल के द्वारा उम्मीदवारों की जांच करवाने के संदर्भ में बाकायदा उनका नाम लिया गया था। साथ ही यह भी याद दिलाया है कि 2 दिन पहले तक उनका और डॉ. एलीना सेन का नाम पार्टी की वेबसाइट पर बतौर लोकपाल लिखा हुआ था।
रामदास के मुताबिक उनके लिए प्रूफ की तरह था कि अभी उनका कार्यकाल जारी है। पार्टी के संविधान के अनुसार नवंबर 2013 से अगले तीन साल तक उनकी नियुक्ति को वैध माना जाएगा। उन्हें यह बताया गया ही नहीं कि उनका कार्यकाल खत्म हो गया है। अगर ऐसा होता तो फिर वह उन कामों का बीड़ा क्यों उठाते, जो इस दौरान पार्टी ने उन्हें दिए।
पार्टी के संविधान के मुताबिक अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले उन्हें नए लोकपाल के कुछ नामों का सुझाव देना था और यह काम उन्हें नवंबर 2016 से पहले करना है। लोकपाल पैनल की पूर्व सदस्य डॉ एलिना सेन भी इसी मामले में पार्टी से सफाई मांग रही हैं। उन्होंने यह भी लिखा है कि अगर नए लोकपाल की नियुक्ति के बारे में न्यूज चैनलों से खबर मिलने के बजाय पार्टी की तरफ से उन्हें बताया जाता, तो यह ज्यादा सभ्य तरीका होता।
गौरतलब है कि पार्टी नेताओं ने सफाई देते हुए कहा था कि रामदास का कार्यकाल नवंबर 2013 में ही खत्म हो गया था और उनका कार्यकाल बढ़ाए जाने के संबंध में कहीं कोई लिखित प्रमाण नहीं है और इसी आधार पर नैशनल ऐग्जिक्युटिव ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए नए लोकपाल का चयन कर लिया।

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