उत्तर प्रदेश के रामपुर में 80 वाल्मीकि परिवारों
ने अपना आशियाना बचाने के लिए इस्लाम धर्म अपनाने का ऐलान किया है। इनमें से पांच
लोगों ने तोपखाना इलाके में सड़क को चौड़ा करने की योजना के खिलाफ आमरण अनशन भी
शुरू कर दिया है। इस मामले में नगर पालिका का कहना है कि अतिक्रमण हटाने की कोशिश
हो रही है।
वाल्मीकि बस्ती से 'अतिक्रमण' हटाने के विरोध में शहरी विकास मंत्री आजम खान के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ सपाइयों ने भी धरना-प्रदर्शन किया। इसके बाद वाल्मीकि समुदाय के 86 लोगों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।
इस विवाद की शुरुआत 6 अप्रैल को हुई जब नगर पालिका अधिकारियों ने सड़क चौड़ी करने के लिए यहां बने घरों को गिराने का फैसला किया। तोपखाना में जिस सड़क को चौड़ा करने के लिए इन घरों को तोड़ने के लिए चुना गया है, उसी सड़क पर समाजवादी पार्टी का जिला इकाई का कार्यालय भी है। इसके अलावा इसी इलाके में बहुमंजिला 'गांधी मॉल' भी बनाया जा रहा है।
यहां रहने वाले एकलव्य वाल्मीकि ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, 'हमने इसका विरोध किया है। वाल्मीकि समाज यहां 60 सालों से रह रहा है। हमारे घर खतरे में हैं। वे नहीं चाहते कि हम इस खूबसूरत मॉल के पास रहें क्योंकि हमारे घर इसकी खूबसूरती को खराब कर रहे हैं।' पुलिस की एफआईआर मे एकलव्य का नाम भी शामिल है। एकलव्य वाल्मीकि बस्ती बचाओ संघर्ष समिति में पदाधिकारी भी हैं। यह समिति इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।
अन्य कोई विकल्प नहीं होने के कारण इन परिवारों ने 14 अप्रैल को भीमराव आंबेडकर के जन्मदिन पर इस्लाम कुबूल करने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि अगर धर्म परिवर्तन घर बचाने में मदद मिलेगी तो हम यह करने के लिए तैयार करेंगे। एकलव्य ने कहा, 'अगर इसकी गारंटी है कि ऐसा करने से हमारे घर बच जाएंगे तो हम मुसलमान बन जाएंगे। हमारे पास कोई और विकल्प नहीं बचा है। मुस्लिम इलाकों में सड़कें बहुत ज्यादा संकरी हैं, लेकिन इसे चौड़ा हमारे इलाके में किया जा रहा है।' इस मामले में वाल्मीकि संस्था ने मीडिया में बयान भी जारी किया है।
पुलिस अधिकारियों ने आजम खान के खिलाफ उठे इस आंदोलन को गंभीरता से लिया है और स्थानीय पुलिस स्टेशन के सात पुलिस वालों को रिज़र्व पुलिस लाइन में ट्रांसफर कर दिया है। उधर रामपुर नगर पालिका के चैयरमेन ने कहा, 'हम सिर्फ सरकार की जमीन से अतिक्रमण हटा रहे हैं। हम कानूनी ऐक्शन लेंगे। यह दबाव की रणनीति है। कोई मुसलमान दिल से बनता है। यह आरएसएस की चाल है।'
वाल्मीकि बस्ती से 'अतिक्रमण' हटाने के विरोध में शहरी विकास मंत्री आजम खान के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ सपाइयों ने भी धरना-प्रदर्शन किया। इसके बाद वाल्मीकि समुदाय के 86 लोगों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।
इस विवाद की शुरुआत 6 अप्रैल को हुई जब नगर पालिका अधिकारियों ने सड़क चौड़ी करने के लिए यहां बने घरों को गिराने का फैसला किया। तोपखाना में जिस सड़क को चौड़ा करने के लिए इन घरों को तोड़ने के लिए चुना गया है, उसी सड़क पर समाजवादी पार्टी का जिला इकाई का कार्यालय भी है। इसके अलावा इसी इलाके में बहुमंजिला 'गांधी मॉल' भी बनाया जा रहा है।
यहां रहने वाले एकलव्य वाल्मीकि ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, 'हमने इसका विरोध किया है। वाल्मीकि समाज यहां 60 सालों से रह रहा है। हमारे घर खतरे में हैं। वे नहीं चाहते कि हम इस खूबसूरत मॉल के पास रहें क्योंकि हमारे घर इसकी खूबसूरती को खराब कर रहे हैं।' पुलिस की एफआईआर मे एकलव्य का नाम भी शामिल है। एकलव्य वाल्मीकि बस्ती बचाओ संघर्ष समिति में पदाधिकारी भी हैं। यह समिति इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।
अन्य कोई विकल्प नहीं होने के कारण इन परिवारों ने 14 अप्रैल को भीमराव आंबेडकर के जन्मदिन पर इस्लाम कुबूल करने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि अगर धर्म परिवर्तन घर बचाने में मदद मिलेगी तो हम यह करने के लिए तैयार करेंगे। एकलव्य ने कहा, 'अगर इसकी गारंटी है कि ऐसा करने से हमारे घर बच जाएंगे तो हम मुसलमान बन जाएंगे। हमारे पास कोई और विकल्प नहीं बचा है। मुस्लिम इलाकों में सड़कें बहुत ज्यादा संकरी हैं, लेकिन इसे चौड़ा हमारे इलाके में किया जा रहा है।' इस मामले में वाल्मीकि संस्था ने मीडिया में बयान भी जारी किया है।
पुलिस अधिकारियों ने आजम खान के खिलाफ उठे इस आंदोलन को गंभीरता से लिया है और स्थानीय पुलिस स्टेशन के सात पुलिस वालों को रिज़र्व पुलिस लाइन में ट्रांसफर कर दिया है। उधर रामपुर नगर पालिका के चैयरमेन ने कहा, 'हम सिर्फ सरकार की जमीन से अतिक्रमण हटा रहे हैं। हम कानूनी ऐक्शन लेंगे। यह दबाव की रणनीति है। कोई मुसलमान दिल से बनता है। यह आरएसएस की चाल है।'
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