Thursday, April 30, 2015

दिल्ली के छह विधायकों पर मुकदमे दर्ज

दिल्ली के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी सरकार के शुरू के करीब ढाई माह के शासन में ही उसके छह विधायकों पर सरकारी कर्मचारियों से मारपीट, दंगा, पथराव और अन्य मामलों को लेकर मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। यह सब हुआ है दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के छह विधायकों पर। मुकदमे के बावजूद अभी तक किसी भी विधायक को गिरफ्तार नहीं किया गया है। पार्टी का आरोप है कि पुलिस ने उनके खिलाफ जानबूझ कर मुकदमे दर्ज किए हैं, जबकि वे तो जनहित में आवाज बुलंद कर रहे थे। 
'आप' ने राजधानी में गत 14 फरवरी को दिल्ली में शासन संभाला था। करीब ढाई माह के शासनकाल में उसके छह विधायकों पर पुलिस थानों में विभिन्न धाराओं में मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। परसों ही तिलक नगर के विधायक जरनैल सिंह के खिलाफ एमसीडी के एक जेई को मारने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने को लेकर मुकदमा दर्ज हुआ है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, बुराड़ी के विधायक संजीव झा और मॉडल टाउन के विधायक अखिलेश त्रिपाठी पर आरोप है कि उन्होंने 20 फरवरी को बुराड़ी थाने में अपहरण के आरेाप में बंद दो युवकों पर पुलिस द्वारा मारपीट करने के आरोप में सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ थाने में पथराव किया। पुलिस ने दोनों विधायकों के अलावा सैकड़ों अज्ञात लोगों के खिलाफ दंगा करने, मारपीट, तोड़फोड़, सरकारी प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर रखा है।

Tuesday, April 28, 2015

कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर का सर्टिफिकेट जाली

नई दिल्ली दिल्ली के कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर ने बिहार स्थित जिस यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री लिए जाने का दावा किया था, उसकी ओर से दिल्ली हाईकोर्ट को बताया गया है कि उनका प्रोविजनल सर्टिफिकेट जाली है और संस्थान में उससे जुड़ा कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। 
तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी ने इस संबंध में अपनी जांच रिपोर्ट अदालत के सामने रखते हुए कहा कि प्रोविजनल सर्टिफिकेट में जो सीरियल नंबर दर्ज है, उस पर किसी दूसरे व्यक्ति का नाम दिख रहा है, तोमर का नहीं । इसके मुताबिक तोमर को प्रोविजनल सर्टिफिकेट जाली है और वह यूनिवर्सिटी के रिकॉर्ड में मौजूद नहीं है। यूनिवर्सिटी की ओर से जस्टिस राजीव शखधर की बेंच के सामने दाखिल एफिडेविट में यह बात कही गई है। 
यूनिवर्सिटी की ओर से यह जवाब उस याचिका पर जारी नोटिस पर दिया गया जिसमें तोमर पर झूठी और नकली ग्रैजुएशन डिग्री के आधार पर एडवोकेट के तौर पर अपना नामांकन करवाने का आरोप लगाया गया था। अदालत ने इस मुद्दे पर डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी (यूपी) से भी जवाब मांगा था, जहां से कानून मंत्री ने साइंस से ग्रैजुएट होने का दावा किया है। दिल्ली बार के सदस्यों की ओर से अदालत को बताया गया कि उन्हें अवध यूनिवर्सिटी से जानकारी मिली है कि तोमर की वह डिग्री भी झूठी है।

अशोक वेमुरी की सैलरी 120 करोड

अशोक वेमुरी ने 2013 में इंफोसिस को छोड़कर आईगेट को जॉइन करने का फैसला किया था। तब कहा गया था कि इंफोसिस का सीईओ बनने में देरी के चलते उन्होंने नौकरी छोड़ी थी। आईगेट को जॉइन करने के 2 साल के अंदर उनकी देखरेख में आईटी सर्विसेज इंडस्ट्री की सबसे बड़ी डील्स में से एक हुई है। इससे वेमुरी की जेब में 1.97 करोड़ डॉलर यानी 120 करोड़ रुपये आएंगे। उनके पास कंपनी के 4 लाख शेयर थे, जिनकी कीमत इतनी है।
वेमुरी ने जब कैलिफॉर्निया बेस्ड आईगेट को जॉइन किया था, तब उनकी सैलरी 13 लाख डॉलर थी। इसमें 10 लाख डॉलर के एडिशनल बोनस का वादा भी किया गया था। 

वेमुरी ने सोमवार को फोन से दिए इंटरव्यू में बताया, 'मैं जहां भी काम किया है, वैल्यू एडिशन की कोशिश की है, चाहे यह एंप्लॉयीज या कंपनी के बिजनस मॉडल के लेवल पर हो। मैं इस बात से खुश हूं कि पिछले 16-20 महीनों में मैंने आईगेट के शेयरहोल्डर्स की वैल्यू बढ़ाई है। इस दौरान कंपनी का मार्केट कैप तीन गुना बढ़ा है।'
वेमुरी से अगर इंफोसिस के सीईओ विशाल सिक्का की सैलरी की तुलना करें तो उन्हें स्टॉक ऑप्शंस के साथ साल में 70 लाख डॉलर की सैलरी मिलती है। वहीं, कॉग्निजेंट के फ्रांसिस्को डिसूजा को सालाना 1.1 करोड़ डॉलर का पैकेज मिलता है।
वेमुरी ने बताया, 'जब मैंने आईगेट को जॉइन किया था, तब कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 अरब डॉलर थी। आज यह 4 अरब डॉलर है।' आईगेट के बिकने के बाद वेमुरी को अच्छे जॉब ऑफर भी मिल सकते हैं। इनवेस्टमेंट बैंक इक्विरस कैपिटल के अजित देशमुख ने बताया, 'वेमुरी को इसलिए याद रखा जाएगा कि आने के दो साल के अंदर उन्होंने आईगेट को बढ़िया वैल्यूएशन पर बेचने में मदद की। अगर वह कंपनी को छोड़ना चाहेंगे तो मुझे पूरा भरोसा है कि दूसरी मिड कैप आईटी कंपनियों से उन्हें अच्छे ऑफर मिलेंगे।'

Monday, April 27, 2015

इस हत्या को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया

GLS यूनिवर्सिटी के 23 वर्षीय एलएलबी स्टूडेंट के मर्डर की जांच कर रही पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। जितेंद्र ऑड के कत्ल के आरोप में नाबालिग सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। चारों को, शुक्रवार, शाम 7:30 बजे मकरबा रोड से उस वक्त पकड़ा गया जब वो एक वेरना कार में थे।
जांच के दौरान, पुलिस को मालूम हुआ कि 10वीं के छात्र राजा (परिवर्तित नाम), FD कॉलेज के स्टूडेंट शुभम मिस्त्री, 20 , GB शाह कॉलेज के स्टूडेंट मीत सोलंकी, 19 और एक प्राइवेट फर्म के कर्मचारी रवि राठौड़, 21, ने इस हत्या को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया।

पुलिस इंस्पेक्टर एजी गोहिल ने बताया कि वेजलपुर गाम के रहने वाले राजा को शक था कि जितेंद्र और उसकी मां के बीच अफेयर है। गुस्से में आकर उसने शुभम, रवि और मीत के साथ मिलकर एक योजना बनाई। जितेंद्र को फोन कर वेजलपुर में भवानी मंदिर के पीछे मिलने के लिए बुलाया गया और वहीं उसकी हत्या कर दी गई।
पुलिस के मुताबिक, राजा के पिता की दो साल पहले मृत्यु हो चुकी है। जितेंद्र का अक्सर राजा के घर आना-जाना बना रहता था। लगभग डेढ़ महीने पहले उसे जितेंद्र की गतिविधि संदिग्ध नजर आनी शुरू हुई। इसके बाद उसने जितेंद्र और अपनी मां पर नजर रखना शुरू किया। एक दिन, जब राजा की मां ने यह जानना चाहा कि वह कहां है तो उसने अपनी लोकेशन जानबूझकर दूर बताई। उसे शक था कि जितेंद्र उसके घर पर ही था। लोकेशन के बारे में उसने झूठ बोला और फिर अचानक घर पहुंच गया।
उसने जितेंद्र को घर में जाते देखा। यही बात बाद में मर्डर की वजह बनी। 20 अप्रैल को, चारों दोस्तों ने बीयर पार्टी रखी और फिर जितेंद्र को फोन कर स्पॉट पर बुलाया। अफेयर की बात से जितेंद्र के इनकार के बावजूद, चारों ने उसके शरीर में चाकू और पाइप घोंपकर उसे मार दिया। पुलिस ने आगे बताया कि बरामद की गई कार राजा के ही एक रिश्तेदार की है लेकिन वही अक्सर उसे इस्तेमाल करता था।

खुदकुशी को लेकर इतना हंगामा

भारत में किसान की आत्महत्या की खबरें आती रहती हैं लेकिन पिछले दिनों आम आदमी पार्टी की रैली के दौरान राजस्थान के एक किसान गजेंद्र सिंह की खुदकुशी के बाद इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। ऐसा नहीं है कि किसानों की खुदकुशी का मामला पहली बार चर्चा में आया है बल्कि करीब-करीब हमेशा इस पर चर्चा का माहौल रहता है लेकिन एनडीए सरकार के प्रस्तावित लैंड बिल के बाद इस पर बहस का बाजार और गर्म हो गया है।
सवाल यह उठता है कि जो लोग किसानों की खुदकुशी को लेकर इतना हंगामा कर रहे हैं क्या वे किसानों के हित को लेकर उतने ही गंभीर हैं? क्या उन्होंने गंभीरता से यह जानने की कोशिश की किसान क्यों खुदकुशी कर रहे हैं? कौन-सी वह मजबूरी है जो उनको इतना संगीन कदम उठाने पर गौर कर रही है।

अंग्रेजी वेबसाइट फर्स्ट पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 23.42 करोड़ लोग खेती-बाड़ी से जुड़े हुए हैं। अगर नैशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो के पास उपलब्ध आंकड़ों पर विश्वास किया जाए तो इन किसानों में से 13,754 जो उनकी जनसंख्या का 0.0058 फीसदी है, ने आत्महत्या की। दूसरी तरफ भारत में आम आत्महत्याओं की संख्या 1,87,000 है जो करीब 0.0181 फीसदी है। लेकिन, आम आत्महत्याओं को लेकर इतनी चर्चा नहीं होती और न हीं कोई राजनीतिक पार्टी इसे अपने अभियान का साधन बनाना पसंद करती है जितना किसानों के मुद्दे को लेकर सक्रिया है।
अगर इस की गहराई में जाए तो पता चलता है कि राजनीतिक पार्टियां खासकर इस मुद्दे को राजनीतिक हितों को लेकर ज्यादा उठाती हैं। अपने राजनीतिक भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए और कुछ सरकारें लोगों का असल मुद्दे से ध्यान भटकाने एवं किसानों के नाम पर बड़ा फंड हथियाने के लिए ऐसा करती हैं।
2008
में किसानों के कर्ज को माफ करने और कर्ज राहत स्कीम के नाम पर 6,530 करोड़ रुपये खर्च किए गए। लोन चुकाने के लिए महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में प्रत्येक किसान को 5-5 लाख रुपये दिए गए। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल के 31 उन जिलों में राहत पैकेज के नाम पर बड़ा फंड खर्च किया गया जहां से किसानों की खुदकुशी की खबरें आईं।
लेकिन, इस सबके बावजूद किसानों की हालत में कोई फर्क नहीं आई। इसे देखकर यही लगता है कि किसानों की समस्या पर जब तक गंभीरता से गौर नहीं किया जाएगा तब तक खुदकुशी को रोका नहीं जा सकता है।

Friday, April 24, 2015

किसान की फिक्र नहीं है, सब अपनी राजनीति कर रहे हैं

बुधवार को जंतर-मंतर पर खुदकुशी करने वाले किसान के मुद्दे को लेकर लोकसभा में हंगामा कर रहे विपक्षी सांसदों को स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कड़ी फटकार लगाई । उन्होंने कहा कि किसी को भी किसान की फिक्र नहीं है, सब अपनी राजनीति कर रहे हैं।
गुरुवार को विपक्ष ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रश्नकाल स्थगित करने की मांग करते हुए कहा कि इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है और इस पर स्पीकर को फैसला करना है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।

स्पीकर सुमित्रा महाजन ने चर्चा के लिए 12 बजे का वक्त तय किया। इसके बाद सदन में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा शुरू हो गई, मगर विपक्ष के सांसद लगातार नारेबाजी करते रहे। स्पीकर ने कहा कि सदस्य शांति बनाए रखें, मगर 'होश में आओ, होश में आओ' की नारेबाजी जारी रही।

हंगामा न थमता देखर स्पीकर ने सांसदों को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने कहा, 'कल बचाने गए थे (किसान को)? अब दिखा रहे हो....।' बावजूद इसके सांसदों पर कोई असर नहीं हुआ। इस पर उन्होंने कहा, 'किसी को भी गरीब किसान की कोई फिक्र नहीं है। सब अपनी राजनीति करने में लगे हुए हैं।

सरकार सभी अच्छे सुझावों को स्वीकार करने को तैयार

राजधानी में रैली के दौरान एक किसान की मौत होने के एक दिन बाद गुरुवार को विपक्ष ने भूमि अधिग्रहण बिल में प्रस्तावित बदलावों को लेकर संसद में मोदी सरकार पर चौतरफा हमले किए। इसे देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने रणनीतिक रूप से नरम तेवर अपना लिया। पीएम ने मौत की घटना और किसानों की हालत पर दुख जताया। साथ ही, अस्वाभाविक रूप से बैकफुट पर जाते हुए आत्मनिरीक्षण करने की बात भी की।
मोदी ने कहा, 'किसान की जिंदगी, आदमी की जिंदगी से बड़ा कुछ भी नहीं है। यह समस्या पुरानी है, गहरी है। हम सभी को सोचना होगा कि कहां चूक हुई। कहां हमने गलत रास्ते पकड़े। पिछले वर्षों में और पिछले 10 महीनों में क्या कमियां रह गईं। यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।'  किसानों का मुद्दा गरमाने के साथ सरकार ने जहां उनके साथ एकजुटता दिखाने की कोशिश की, वहीं दिल्ली में मौत से पैदा हुए गुस्से के निशाने पर आम आदमी पार्टी को रखने का प्रयास भी किया। मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह लैंड बिल में प्रस्तावित बदलावों और किसानों की खुदकुशी की घटनाओं को अलग-अलग रखने की कोशिश की, जबकि विपक्ष ने दोनों मुद्दों को जोड़ते हुए लैंड बिल में बदलावों को रद्द करने पर जोर दिया।
मोदी ने कहा, 'सरकार सभी अच्छे सुझावों को स्वीकार करने को तैयार है। मैं खुली सोच रखता हूं। आप अपने सुझाव दें। हम समाधान देने की कोशिश करेंगे। हमें दुख की इस घड़ी में और भविष्य में भी किसानों के साथ खड़े रहना है।'
संसद में बहस के अंत में हस्तक्षेप करते हुए पीएम ने विपक्ष पर हमले करने की आदत से परहेज किया। राजनाथ सिंह की तरह मोदी ने भी कहा कि किसानों की दुर्दशा और उनकी खुदकुशी के मामले पिछले 50 वर्षों से सामने आ रहे हैं।
विपक्ष आरोप लगा रहा था कि दिल्ली में किसान की मौत के पीछे दिल्ली पुलिस की नाकामी है, लेकिन सिंह ने ठीकरा आम आदमी पार्टी पर फोड़ा। सिंह ने मोदी सरकार को किसान विरोधी करार देने के कदम का भी विरोध किया। सिंह ने कहा कि देश के किसान 1950-51 से समस्याओं का सामना कर रहे हैं और मोदी सरकार तो 10 महीने ही पुरानी है।
कांग्रेस को परोक्ष रूप से दोषी ठहराते हुए सिंह ने कहा, 'इन वर्षों में जीडीपी में खेती-बाड़ी का योगदान 1950-51 के 55% से घटकर अब 14% रह गया है।' विपक्ष ने विरोध करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे पर राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्ष ने सिंह को चुनौती दी कि वह या किसान कर्ज माफी की घोषणा करें या फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाएं। ये दोनों काम यूपीए सरकार ने किए थे।

Thursday, April 16, 2015

'स्कैम इंडिया' से बदलकर 'स्किल इंडिया'

कनाडा की यात्रा पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को टोरंटो में भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में कहा कि हम भारत की इमेज 'स्कैम इंडिया' से बदलकर 'स्किल इंडिया' की बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में विश्वास का माहौल बना है और यहां की युवा शक्ति के दम पर हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं। मोदी ने अपने संबोधन के दौरान अपनी फ्रांस और कनाडा यात्रा की दो सबसे बड़ी उपलब्धियों के बारे में भी बताया।
मोदी ने कहा, 'मैंने अपनी इन यात्राओं के दौरान एक महत्वपूर्ण निर्णय फ्रांस और दूसरा कनाडा में किया। दो चीजें ऐसी हैं, जिसकी तरफ लोगों का ध्यान नहीं गया है। हम लोग न्यूक्लियर एनर्जी के लिए दुनियाभर से रिऐक्टर मांगते थे। हर देश हाथ खड़े कर देता था। लंबे अर्से यह पेडिंग था। कोई देने को तैयार नहीं था। उन्हें लगता था कि कहीं हम बम न बना दें। जो बनाते हैं, उन्हें कोई रोकता नहीं है। रोक पाते भी नहीं हैं। जो गांधी का देश है, जिसने कभी किसी पर हमला नहीं किया, उनको कई सालों से रिऐक्टर के लिए भटकना पड़ता है। इस बार फ्रांस की कंपनी से एमओयू साइन हुआ है। अब वह रिऐक्टर भारत में बनेगा। रिऐक्टर के लिए यूरेनियम चाहिए था। यूरेनियम आपका कनाडा देगा।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ओटावा में भव्य स्वागत किया गया। इसके बाद टोरंटो में भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में भी पीएम का गर्मजोशी से स्वागत हुआ। कनाडा के पीएम स्टीफन हार्पर भी उनके साथ थे।
भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए स्टीफन हार्पर ने कहा, 'भारत और कनाडा की दोस्ती की हम कद्र करते हैं।' उन्होंने कहा कि कनाडा में भारतीय कम्यूनिटी ने यहां की संस्कृति और इकॉनमी को समृद्ध किया है। उन्होंने कहा, 'पीएम मोदी की यात्रा ऐतिहासिक है। वह देश को विश्वगुरु बनाना चाहते हैं।'
इसी इवेंट में बात करते हुए पीएम मोदी ने कनाडा और पीएम हार्पर का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा, 'मैं गर्व से कह सकता हूं कि कनाडा ऐसा देश है, जो साल 2003 से गुजरात का पार्टनर है।' मोदी ने आश्वस्त किया कि उनके इस दौरे के दौरान लिए जाने वाले फैसले दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करेंगे।
पीएम ने अपने संबोधन में कहा, 'भारत में विश्वास का नया वातावरण बना है। राष्ट्रपति कलाम कहा करते थे कि अखबारों में पॉजिटिव कॉलम होना चाहिए और आखिरकार यह हो रहा है।' पीएम मोदी ने कहा कि भारत की समस्याओं का एक ही हल है- विकास । उन्होंने कहा कि भारत के अंदर क्षमता बहुत है, वह मौके चाहिए।
पीएम ने कहा कि देश की सबसे बड़ी संपत्ति इसके युवा हैं। उन्होंने कहा, '80 करोड़ युवा, करोड़ सपने और 160 सक्षम हाथ। हम क्या हासिल नहीं कर सकते?' पीएम ने कहा कि पहले भारत को 'स्कैम इंडिया' कहा जाता था, मगर हम चाहते हैं कि इसे 'स्किल इंडिया' कहकर बुलाया जाए।
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महीने पहले सरकार बदली थी। आज मैं 10 महीने के बाद कह सकता हूं कि जन-जन का मन भी बदला है। सरकार बदली है, इससे क्या होगा यह तो समय बताएगा। लेकिन जन-मन बदलने से क्या होता है यह मैं अच्छी तरह समझता हूं।
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हम लोग जब छोटे थे, एक फिल्मी गीत सुना करते थे- 'देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान। कितना बदल गया इंसान।' उस समय गीत में पीड़ा थी। आज मैं इस गीत को नए रूप में देख रहा हूं। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कितना अच्छा बन गया इंसान।
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एक अखबार के मालिक ने मुझे चिट्ठी लिखी कि हमने अखबार की एक नई नीति बनाई है। सफ्ताह में एक दिन हमारा अखबार सिर्फ पॉजिटिव न्यूज ही छापेगा। यह सुखद आश्चर्य है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति कलाम भी यह विचार दे चुके हैं।
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भारत में पिछले दस साल में प्रतिदिन 2 किलोमीटर सड़क बनती थी। पिछले 10 महीनों से हर दिन 11 किलोमीटर सड़क बन रही है।
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भारत के पास वह संपत्ति है, जो दुनिया में किसी के पास नहीं है। वह संपत्ति है नौजवान हिंदुस्तान। 80 करोड़ नौजवान जिस देश के पास हों, वह देश क्या नहीं कर सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की यात्रा के आखिरी चरण में हैं

Wednesday, April 15, 2015

हरकी पैड़ी (हरिद्वार में गंगा घाट) पर गैर-हिंदुओं की एंट्री पर रोक लगनी चाहिए

गोरक्षा पीठाधीश्वर और गोरखपुर के सांसद महंत आदित्यनाथ ने कहा कि हरकी पैड़ी (हरिद्वार में गंगा घाट) पर गैर-हिंदुओं की एंट्री पर रोक लगनी चाहिए । उन्होंने टिहरी झील में नौकायन के दौरान शराब और मांस परोसने के मसले पर भी मुख्यमंत्री हरीश रावत से बात करने का आश्वासन भी दिया। योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'टिहरी झील को पर्यटन स्थल नहीं बनाया जा सकता। यह झील वास्तव में गंगा है और यहां सनातन मूल्यों का पालन किया जाना चाहिए।'
महंत आदित्यनाथ ने पत्रकारों से कहा कि गंगा की पवित्रता और अविरलता के लिए हर संभव कार्य किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हरकी पैड़ी पर बायलॉज लागू करवाने के लिए वह मुख्यमंत्री से शीघ्र मुलाकात करेंगे ताकि गैर-हिंदुओं का यहां प्रवेश न हो। राम मंदिर मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अयोध्या की पहचान राम मंदिर से है और मंदिर बनकर रहेगा। उन्होंने साक्षी महाराज के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए कड़े नियम बनने चाहिए। उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खान की ओर से लगातार दिए जा रहे कथित हिंदू विरोधी बयानों की उन्होंने निंदा की। 
इससे पहले मंगलवार को योगी महासभा कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'गंगा में व्यापार की इजाजत नहीं दी जा सकती। टिहरी झील के किनारे मांस आदि परोसा जा रहा है। योगी महासभा इसका विरोध करेगी।' आदित्यनाथ ने कहा कि नासिक कुंभ के अवसर पर गुरु गोरखनाथ झंडी यात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा नागपंचमी से शुरू होकर शिवरात्रि तक (नासिक से मंगलौर, कर्नाटक तक) चलेगी।
आदित्यनाथ के बयान पर प्रतिक्रया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि जो सांसद नफरत फैलाने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें संसद में रहने का अधिकार नहीं। उन्होंने कहा कि आदित्यनाथ की संसद सदस्यता भी छीनी जानी चाहिए। किशोर उपाध्याय ने कहा कि नफरत के बयान देकर आदित्यनाथ ने देवभूमि का अपमान किया है। उन्होंने कहा, 'योगी आदित्यनाथ खुद उत्तराखंड के रहने वाले हैं। इसके बावजूद वे मातृभूमि का उपयोग जहर बोने के लिए कर रहे हैं।

रामपुर में 80 वाल्मीकि परिवारों ने अपना आशियाना बचाने के लिए इस्लाम धर्म अपनाने का ऐलान किया

उत्तर प्रदेश के रामपुर में 80 वाल्मीकि परिवारों ने अपना आशियाना बचाने के लिए इस्लाम धर्म अपनाने का ऐलान किया है। इनमें से पांच लोगों ने तोपखाना इलाके में सड़क को चौड़ा करने की योजना के खिलाफ आमरण अनशन भी शुरू कर दिया है। इस मामले में नगर पालिका का कहना है कि अतिक्रमण हटाने की कोशिश हो रही है।
वाल्मीकि बस्ती से 'अतिक्रमण' हटाने के विरोध में शहरी विकास मंत्री आजम खान के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ सपाइयों ने भी धरना-प्रदर्शन किया। इसके बाद वाल्मीकि समुदाय के 86 लोगों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।
इस विवाद की शुरुआत 6 अप्रैल को हुई जब नगर पालिका अधिकारियों ने सड़क चौड़ी करने के लिए यहां बने घरों को गिराने का फैसला किया। तोपखाना में जिस सड़क को चौड़ा करने के लिए इन घरों को तोड़ने के लिए चुना गया है, उसी सड़क पर समाजवादी पार्टी का जिला इकाई का कार्यालय भी है। इसके अलावा इसी इलाके में बहुमंजिला 'गांधी मॉल' भी बनाया जा रहा है।
यहां रहने वाले एकलव्य वाल्मीकि ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, 'हमने इसका विरोध किया है। वाल्मीकि समाज यहां 60 सालों से रह रहा है। हमारे घर खतरे में हैं। वे नहीं चाहते कि हम इस खूबसूरत मॉल के पास रहें क्योंकि हमारे घर इसकी खूबसूरती को खराब कर रहे हैं।' पुलिस की एफआईआर मे एकलव्य का नाम भी शामिल है। एकलव्य वाल्मीकि बस्ती बचाओ संघर्ष समिति में पदाधिकारी भी हैं। यह समिति इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।
अन्य कोई विकल्प नहीं होने के कारण इन परिवारों ने 14 अप्रैल को भीमराव आंबेडकर के जन्मदिन पर इस्लाम कुबूल करने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि अगर धर्म परिवर्तन घर बचाने में मदद मिलेगी तो हम यह करने के लिए तैयार करेंगे। एकलव्य ने कहा, 'अगर इसकी गारंटी है कि ऐसा करने से हमारे घर बच जाएंगे तो हम मुसलमान बन जाएंगे। हमारे पास कोई और विकल्प नहीं बचा है। मुस्लिम इलाकों में सड़कें बहुत ज्यादा संकरी हैं, लेकिन इसे चौड़ा हमारे इलाके में किया जा रहा है।' इस मामले में वाल्मीकि संस्था ने मीडिया में बयान भी जारी किया है।
पुलिस अधिकारियों ने आजम खान के खिलाफ उठे इस आंदोलन को गंभीरता से लिया है और स्थानीय पुलिस स्टेशन के सात पुलिस वालों को रिज़र्व पुलिस लाइन में ट्रांसफर कर दिया है। उधर रामपुर नगर पालिका के चैयरमेन ने कहा, 'हम सिर्फ सरकार की जमीन से अतिक्रमण हटा रहे हैं। हम कानूनी ऐक्शन लेंगे। यह दबाव की रणनीति है। कोई मुसलमान दिल से बनता है। यह आरएसएस की चाल है।'

Monday, April 13, 2015

शादी में आठवां फेरा लेने पर सरकार आर्थिक मदद करेगी

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि हरियाणा में शादी में आठवां फेरा लेने पर सरकार आर्थिक मदद करेगी। यह फेरा दरअसल में नव दंपती के लिए शपथ होगी कि वे कन्या भ्रूणहत्या नहीं करेंगे, महिलाओं का सम्मान करेंगे और महिलाओं की सुरक्षा में सहयोग देंगे। मुख्यमंत्री ने असमान लिंगानुपात की समस्या से जूझ रहे हरियाणा को इस स्थिति से निकालने के लिए इस अनूठे फॉर्म्युले का ऐलान रविवार को पंचकूला में फोरम फॉर अवेयरनेस ऑफ नैशनल सिक्यॉरिटी पर सेमिनार में हिस्सा लेते हुए किया।
हालांकि इस बारे में सरकार की तरफ से यह साफ नहीं किया गया है कि आठवां फेरा लेकर कन्या भ्रूण हत्या नहीं करने की शपथ लेने पर नव दंपती को कितनी आर्थिक मदद मिलेगी लेकिन, राज्य सरकार के अफसरों का कहना है कि यह एक अच्छी कोशिश है और राज्य का समाज इसे गंभीरता से अपनाता है तो इसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे।
मालूम हो कि हरियाणा लंबे समय से असमान लिंगानुपात की समस्या से जूझ रहा है और राज्य में कन्या भ्रूण हत्या भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। कन्या भ्रूण हत्या पर नकेल कसने के लिए हालांकि पीएनडीटी ऐक्ट को सख्ती से लागू करने का दावा किया जा रहा है वहीं समय-समय पर विभिन्न जागरूकता अभियान भी चलाए जाते रहे हैं। इसी कड़ी में देशभर में लागू बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ से भी हरियाणा जुड़ा हुआ है। 

मुख्यमंत्री ने सेमिनार में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा में कुछ बाहरी खतरों के साथ-साथ आंतरिक खतरे भी होते हैं। आंतरिक खतरों में स्त्री-पुरूष का असंतुलन भी एक है। हरियाणा लिंग अनुपात के मामले में काफी पीछे है। यह चिंता की बात है और इस मामले में काफी काम किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को हरियाणा की जमीन से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की। बेटी बचाओ सरकार की प्राथमिकता है। बेटा-बेटी में अंतर की धारणा, बाल विवाह की कुरीति और असुरक्षा की भावना को खत्म करने के लिए सरकार कोशिश कर रही है।
गरीब परिवारों में पहली बेटी के जन्म पर लाडली स्कीम के तहत 21 हजार रुपये की राशि जमा कराई जाती है जो 18 साल बाद एक लाख रुपये होकर वापस मिलती है। यह योजना दो बेटियों तक है। अनुसूचित जाति और बीपीएल वर्ग के लिए यह सुविधा तीसरी बेटी तक भी दी जा रही है। यह अभियान तब तक जारी रखा जाएगा जब तक बेटों की बराबर बेटियों की संख्या नहीं हो जाती। उन्होंने फोरम के प्रयासों की भी सराहना की। कार्यक्रम में आए केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राजमंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि दो-तीन दशकों के भीतर देशों के बीच बनावटी दीवारें नहीं रहेंगी। वहीं, भूमि अधिग्रहण बिल पर कहा कि अध्यादेश किसानों के हित में है।  बॉलिवुड ऐक्ट्रेस मल्लिका सहरावत जल्द ही देशभर में चल रहे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान से जुड़ जाएंगी। मल्लिका सहरावत ने यह फैसला पैरिस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद लिया। वह भी फ्रांस के न्योते पर पैरिस गई हैं और इस दौरान उन्होंने वहां पीएम मोदी का भाषण सुना और इतनी प्रभावित हुईं कि मोदी से मिलने का वक्त मांगा।
मोदी और सहरावत के बीच मीटिंग हुई और बाद में सहरावत ने कहा कि पीएम के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान और कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ की जा रही कोशिशों से प्रभावित होकर ही उन्होंने इस अभियान से जुड़ने का फैसला लिया। सहरावत जल्द ही इस सिलसिले में मोदी से फिर से मुलाकात करेंगी। मल्लिका सहरावत हरियाणा की ही रहने वाली हैं। उल्लेखनीय है कि मल्लिका से पहले फिल्म एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित भी बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओअभियान से जुड़ चुकी हैं। इसके लिए वे बाकायदा पानीपत आई थीं। पानीपत से ही पीएम ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की थी।

Friday, April 10, 2015

भारतीय प्रशंसकों के रिऐक्शन से बहुत दुखी

भारतीय क्रिकेट टीम के उप-कप्तान विराट कोहली ने कहा है कि वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में हार के बाद भारतीय प्रशंसकों के रिऐक्शन से वह बहुत दुखी हैं। विराट ने कहा कि जैसा बर्ताव हार के बाद अनुष्का और उनके साथ हुआ, उससे वह बेहद निराश हैं।
विराट ने कहा कि मैंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है, मगर हैरान हूं कि एक ही मैच में खराब प्रदर्शन के बाद लोगों ने मुझे ऐसा रेस्पॉन्स दिया। कोहली ने कहा, 'लोगों का रिऐक्शन निराश करने वाला था । लोगों पर आपका जो भरोसा होता है, वह इससे टूट जाता है। मेरे दिल को चोट पहुंची है। ऐसा बर्ताव करने वालों को शर्म आनी चाहिए।'

गौरतलब है कि वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बैटिंग करने उतरे विराट कोहली 13 बॉल्स में सिर्फ एक रन बनाकर पविलियन लौट गए थे। इस मैच को देखने के लिए विराट की गर्लफ्रेंड अनुष्का शर्मा भी स्टेडियम में मौजूद थीं। विराट के आउट होते ही टीम इंडिया का बैटिंग ऑर्डर चरमरा गया और भारत 95 रन से हारकर टूर्नमेंट से बाहर हो गया।
इसके बाद ट्विटर व अन्य सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने विराट कोहली की 'असफलता' का ठीकरा उनकी गर्लफ्रेंड अनुष्का के सिर पर फोड़ दिया। फेसबुक पर अनुष्का को विलन करार देते हुए कई तरह के जोक्स शेयर किए गए। कुछ जगहों पर तो लोगों ने विराट और अनुष्का के पोस्टर तक फूंक दिए।
वर्ल्ड कप में हिस्सा लौटने के बाद से लेकर अब तक विराट कोहली इस सब पर खामोश थे। उन्होंने अब जाकर चुप्पी तोड़ी तो उनके दिल का दर्द छलक आया। उन्होंने साफ कह दिया कि प्रशंसकों के व्यवहार से वह दुखी हैं।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिजनों की 20 साल तक जासूसी करवाई

इंटेलिजेंस ब्यूरो की दो फाइल्स से साफ हुआ है कि जवाहरलाल नेहरू सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिजनों की 20 साल तक जासूसी करवाई थी । इंग्लिश न्यूज पेपर मेल टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक ये फाइल्स नैशनल आर्काइव्स में हैं। इनसे पता चलता है कि 1948 से लेकर 1968 तक लगातार बोस के परिवार पर नजर रखी गई थी। इन 20 सालों में से 16 सालों तक नेहरू प्रधानमंत्री थे और आईबी सीधे उन्हें ही रिपोर्ट करती थी।
ब्रिटिश दौर से चली आ रही जासूसी को इंटेलिजेंस ब्यूरो ने बोस परिवार के दो घरों पर नजर रखते हुए जारी रखा था। कोलकाता के 1 वुडबर्न पार्क और 38/2 एल्गिन रोड पर निगरानी रखी गई थी। आईबी के एजेंट्स बोस परिवार के सदस्यों के लिखे या उनके लिए आए लेटर्स को कॉपी तक किया करते थे। यहां तक कि उनकी विदेश यात्राओं के दौरान भी साये की तरह पीछा किया जाता था।
एजेंसी यह पता लगाने की इच्छुक रहती थी कि बोस के परिजन किससे मिलते हैं और क्या चर्चा करते हैं। यह सब किस वजह से किया जाता, यह तो साफ नहीं है, मगर आईबी नेताजी के भतीजों शिशिर कुमार बोस और अमिय नाथ बोस पर ज्यादा फोकस रख रही थी। वे शरत चंद्र बोस के बेटे थे, जो कि नेताजी के करीबी रहे थे। उन्होंने ऑस्ट्रिया में रह रहीं नेताजी की पत्नी एमिली को भी कई लेटर लिखे थे।
अखबार से बातचीत में नेता जी के पड़पौत्र चंद्र कुमार बोस ने कहा, 'जासूसी तो उनकी की जाती, जिन्होंने कोई क्राइम किया हो। सुभाष बाबू और उनके परिजनों ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी है। कोई उनपर किसलिए नजर रखेगा?' पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज अशोक कुमार गांगुली ने मेल टुडे से बात करते हुए कहा, 'हैरानी की बात यह है कि जिस शख्स ने देश के लिए सब कुछ अर्पित कर दिया, आजाद भारत की सरकार उसके परिजनों की जासूसी कर रही थी।'
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एम.जे. अकबर ने अखबार से बातचीत में कहा कि इस जासूसी की एक ही वजह हो सकती है। उन्होंने कहा, 'सरकार को पक्के तौर पर नहीं पता था कि बोस जिंदा हैं या नहीं। उसे लगता था कि वह जिंदा हैं और अपने परिजनों के संपर्क में है। मगर कांग्रेस परेशान क्यों थी? नेताजी लौटते तो देश उनका स्वागत ही तो करता। यही तो वजह थी डर की। बोस करिश्माई नेता थे और 1957 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस को कड़ी चुनौती दी होती। यह कहा जा सकता है कि अगर बोस जिंदा होते, तो जो काम 1977 में हुआ, वह 15 साल पहले ही हो जाता।'
आईबी की फाइल्स को बहुत कम ही गोपनीय दस्तावेजों की श्रेणी से हटाया जाता है। ऑरिजनल फाइल्स अभी भी पश्चिम बंगाल सरकार के पास हैं। अखबार का कहना है कि 'इंडियाज़ बिगेस्ट कवर-अप' के लेखक अनुज धर ने इस साल जनवरी में इन फाइल्स को नैशनल आर्काइव्ज़ में पाया था। उनका मानना है कि इन फाइल्स को गलती से गोपनीय की श्रेणी से हटा दिया गया होगा।

Thursday, April 9, 2015

एनकाउंटर के मामले में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई

आंध्र प्रदेश के चित्तूर में हुए चंदन तस्करों के एनकाउंटर के मामले में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। एक एनजीओ ने दावा किया है कि मारे गए लोगों में से 7 को एक दिन पहले बस से उतारा गया था। एक सर्वाइवर के बयान के आधार पर किए गए इस दावे की पुष्टि होती है, तो आंध्र प्रदेश पुलिस मुश्किल में फंस जाएगी। अब तक वह फेक एनकाउंटर के आरोपों को गलत बताते हुए कह रही है कि 100 तस्करों के ग्रुप ने हमला किया था, जिसके जवाब में एसटीएफ को गोली चलानी पड़ी थी।
आंध्र प्रदेश सिविल लिबर्टीज़ कमिटी के मेंबर क्रांति चैतन्य ने इस एनकाउंटर की न्यायिक जांच करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि उनके संगठन ने एनकाउंटर में जिंदा बचे एक शख्स से संपर्क कर लिया है, जो चित्तूर से तमिलनाडु लौटा है। चैतन्य ने कहा, 'सर्वाइवर को सुरक्षित जगह पर रखा गया है। हम उसे नैशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन के सामने पेश करेंगे।'
मानवाधिकार आयोग ने पहले से ही मामले का संज्ञान लेते हुए आंध्र प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी और पुलिस चीफ से रिपोर्ट मांगी है। मारे गए कुछ 'स्मगलर्स' के परिजनों का कहना है कि 'सर्वाइवर' आंध्र के चंदन तस्करों द्वारा हायर किए गए 8 लकड़हारों में से एक है। तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले के अर्जुर पुरम गांव के बताए जा रहे इस सर्वाइवर का नाम सेकर बताया जा रहा है।
उसने बताया है कि उन लोगों के ग्रुप के 7 लोगों को पुलिस ने इंटर स्टेट बॉर्डर पर एक बस से उतारा था। मारे गए एक शख्स के परिजन ने बताया, 'वे लोग सोमवार को तिरवन्नामलाई से चित्तूर जाने के लिए बस पर सवार थे। पुलिस ने बस रुकवाई और 7 लोगों को अरेस्ट कर लिया गया। वह अलग सीट पर बैठा था, इसलिए बच गया।' इसके बाद सर्वाइवर मंगलवार सुबह अपने गांव पहुंचा। तब तक टीवी पर एनकाउंटर की खबर आ चुकी थी।
राजनीतिक दलों और कई संगठनों ने आंध्र पुलिस की थिअरी में कई कमियां ढूंढते हुए एनकाउंटर पर कई सवाल उठाए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई मृतकों के चेहरे और सिर पर गोलियों के निशान हैं, जिससे लगता है कि गोली करीब से मारी गई है। 

Tuesday, April 7, 2015

सीआरपीसी की धारा 125 तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं पर भी लागू

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि पत्नी के रूप में अगर कोई महिला गुजारा भत्ता का दावा करती है तो इसे पाने के उसके अधिकार पर सवाल उठाया ही नहीं जा सकता। कोर्ट ने व्यवस्था दी कि इस नियम से जुड़ी सीआरपीसी की धारा 125 तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं पर भी लागू होगी। सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग ने तस्वीर साफ कर दी है कि देश का सिविल लॉ किसी भी पर्सनल लॉ पर भारी पड़ेगा।
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस पी सी पंत की बेंच ने कहा, 'अगर पति स्वस्थ हो, खुद को सपोर्ट करने लायक हो तो उसका कानूनी तौर पर दायित्व बनता है कि वह अपनी पत्नी को सपोर्ट करे क्योंकि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता पाने का पत्नी का अधिकार ऐसा है कि इस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है।' 

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस सेक्शन के तहत गुजारा भत्ता पाने से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को किसी भी तरह रोका नहीं जा सकता है और वे तब तक इसकी हकदार बनी रहेंगी, जब तक कि वे दोबारा शादी न कर लें। कोर्ट ने एक संविधान पीठ की पहले की व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा, 'सीआरपीसी के सेक्शन 125 के तहत दिए जाने वाले गुजारा भत्ता की रकम को केवल इद्दत की अवधि तक सीमित नहीं किया जा सकता है।'
कोर्ट के इस स्पष्टीकरण से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को मदद मिलेगी, जिनके गुजारा भत्ता पाने के अधिकार को संसद से पास किए गए एक कानून ने सीमित कर दिया था। वह कानून राजीव गांधी सरकार ने पास कराया था। सरकार ने वह कदम शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था को देखते हुए उठाया था।
बेंच ने कहा, 'इस बात में कोई शक नहीं होना चाहिए कि अगर कोई व्यक्ति पर्याप्त संसाधन होते हुए भी अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इनकार करता है तो ऐसे मामले में सीआरपीसी की धारा 125 के तहत आदेश जारी किया जा सकता है।' बेंच ने कहा, 'कभी-कभार पति अनुरोध करता है कि उसके पास गुजारा-भत्ता देने के लिए संसाधन नहीं हैं क्योंकि वह नौकरी नहीं कर रहा है या उसका कारोबार सही नहीं चल रहा है। यह सब कोरा बहाना होता है। हकीकत यह है कि उनके मन में कानून की इज्जत ही नहीं होती है।'
कोर्ट ने यह बात लखनऊ की शमीना फारूकी से जुड़े एक मामले में कही है। उनके पति शाहिद खान ने उनके साथ बुरा बर्ताव किया था। खान ने फिर दूसरी शादी कर ली और शमीना को गुजारा भत्ता देने से इनकार कर दिया था। शमीना ने 1998 में अपील की थी, जिस पर 2012 में सुनवाई शुरू हो सकी। खान ने पहले दावा किया था कि सीआरपीसी की धारा 125 मुस्लिम महिला के मामले में लागू ही नहीं होती और उनका तलाक शादी के पांच साल बाद 1997 में हो गया था और उन्होंने मेहर लौटा दी थी।