डी डी ए केवल घोटाले केलिए नई स्कीम बना देती है पुरानी स्कीमों पर ध्यान नहीं । रोहणी में घर का सपना सन १९८१ में दिखाया गया था जो अब तक पूरा नहीं हुआ । पहले उन सभी को घर केलिए प्लॉट या फ्लेट दिया जाना चाहिये जिन्होने १९८१ में रोहिणी केलिए आवेदन दिया था ।
डीडीए हाउसिंग स्कीम घोटाले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने एफआईआर दर्ज कर एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है। डीडीए की भूमिका की भी जांच की जा रही है। ड्रॉ में इस्तेमाल किए गए डीडीए के कंप्यूटरों के सॉफ्टवेयर की फरेंसिक जांच चल रही है। डीडीए ड्रॉ को रद्द किए जाने के आसार बनने लगे हैं। अडिशनल पुलिस कमिश्नर एस.बी.के.सिंह ने बताया कि गिरफ्तार किए गए शख्स का नाम है लक्ष्मी नारायण मीणा (54), जो झुनझनू में प्रॉपर्टी डीलर है। राजस्थान के सहकारी बैंक में नौकरी छोड़कर मीणा ने प्रॉपर्टी डीलिंग का धंधा शुरू किया था। उसके खिलाफ आईपीसी के सेक्शन 420, 468 और 471 के तहत केस दर्ज किया गया है। जानकारी के मुताबिक उन्होंने अनुसूचित जनजाति के 200 से ज्यादा लोगों के नाम से डीडीए के फॉर्म अप्लाई किए थे। इनमें से दर्जनों के नाम विजेताओं की लिस्ट में हैं। हालांकि एस.बी.के.सिंह के मुताबिक अभी मीणा के खिलाफ एक ही शिकायतकर्ता का बयान पुलिस को मिला है। उन्होंने बताया कि राजस्थान निवासी शिकायतकर्ता के नाम फ्लैट निकला है। सुरक्षा के मद्देनजर उसकी पहचान नहीं बताई जा रही है। इस स्कीम में डाली गई दर्जनों ऐप्लिकेशनों में फर्जीवाड़े के पक्के सबूत पुलिस को राजस्थान में मिल रहे हैं। साउथ दिल्ली में तीन प्रॉपर्टी डीलरों की तलाश पुलिस कर रही है। अभी तक पुलिस का रुख ड्रॉ में डीडीए द्वारा की गई कथित घपलेबाजी के बजाय कुछ आवेदकों के फर्जीवाड़े तक ही है। आर्थिक अपराध शाखा के एक पुलिस अफसर ने बताया कि इस हाउसिंग स्कीम में दिए गए दर्जनों आवेदन पत्रों में फर्जीवाड़े के सबूत मिल चुके हैं। इनके नंबर डीडीए ड्रॉ में विजेताओं की लिस्ट में हैं। ये सभी आवेदक राजस्थान के भरतपुर, झुनझुनू और बयाना जिलों में रहने वाले हैं। इस केस की जांच आर्थिक अपराध शाखा में एसीपी (लैंड ऐंड बिल्डिंग) दीपक पुरोहित, इंस्पेक्टर अनिल समोता और इंस्पेक्टर हरीश चंद की टीम कर रही है। पुलिस ने भरतपुर, झुनझुनू और बयाना के कई गांवों में रेड डाली और ड्रॉ के विजेताओं के बयान कलमबंद किए। राजस्थान में पुलिस को यह देखकर हैरत हुई कि कई फ्लैट विजेताओं के घर पर छत ही नहीं है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बयाना में फ्लैट विजेताओं ने बयान दर्ज कराया है कि दिल्ली से आए कुछ लोगों ने उनके फोटो खींचकर कुछ कागजों पर अंगूठे लगवाए थे। रोशन, धर्म सिंह और हरी सिंह ने पुलिस को बताया कि उनके फॉर्म कुछ बाहरी लोग भरकर ले गए थे। ड्रॉ में इन तीनों के नाम फ्लैट निकल गए। इनमें किसी के पास पैन कार्ड या सेलफोन नहीं है, जबकि डीडीए फॉर्म में इनका रेकॉर्ड लिखा गया। झुनझुनू में रहने वाले कई फ्लैट विजेताओं ने पुलिस को बयान दिया है कि उन्होंने आवेदन करने के लिए कोई पैसा नहीं दिया था। रामेश्वर मीणा के नाम फ्लैट निकला है।
रामेश्वर ने पुलिस को बताया कि उन्होंने डीडीए स्कीम की फीस नहीं दी थी। इन लोगों के राशनकार्ड, जाति प्रमाणपत्र और वोटर कार्ड किसी लक्ष्मी नारायण ने जमा किए थे। पुलिस को झुनझुनू में कई फ्लैट विजेताओं के नाम-पते सही और कई गलत मिले। जगदीश मीणा, विक्रम सिंह मीणा, मोहन लाल मीणा और मनोज बासंग के पते फर्जी मिले।
Friday, January 9, 2009
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