मुसलमानों को खुश करने केलिए यह सरकार कोई कसर छोडना नहीं चाहती ।
देश के किसी भी शैक्षिक बोर्ड से संबद्धता नहीं रखने वाले चुनिंदा मदरसों के लिए समान पाठ्यक्
रम तैयार करने के लिए सरकार ने मौलाना आजाद उर्दू यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. ए. एम. पठान की अध्यक्षता में बुधवार को एक सेल का गठन किया। केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री मोहम्मद अली अशरफ फातमी ने यहां संवाददाताओं को बताया, यह सेल उन मदरसों के लिए पाठ्यक्रम तैयार करेगा, जो किसी बोर्ड से संबद्ध नहीं हैं। सेल समान पाठ्यक्रम तैयार करने से पहले सभी मदरसा बोर्ड्स के पाठ्यक्रमों की स्टडी करेगा। सरकार मदरसों में दी जाने वाली शिक्षा को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के बराबर बनाने का फैसला पहले ही कर चुकी है, ताकि मुस्लिम छात्रों को केंद्र सरकार की नौकरियां हासिल करने में मदद की जा सके। हालांकि यह फायदा केवल उन्हीं मदरसों से पढ़ने वाले छात्रों को मिलेगा, जो दस राज्यों में स्थित प्रदेश मदरसा बोर्ड से संबद्ध हैं। उन्होंने कहा, कुछ मदरसे ऐसे हैं, जो ज्यादातर धार्मिक शिक्षा देते हैं और वे किसी बोर्ड से संबद्ध नहीं हैं, इसलिए सेल एक समान पाठ्यक्रम की सिफारिश करेगा ताकि इन मदरसों में शिक्षा पाने वाले छात्रों को सीबीएसई के बराबर प्रमाण पत्र दिए जा सकें। उन्होंने कहा कि मदरसों के पाठ्यक्रम के मौलिक स्वरूप को नहीं बदला जाएगा। जामिया मिलिया इस्लामिया, जामिया हमदर्द और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधियों को सेल से जोड़ा जाएगा। फातमी ने बताया कि अभी कोई समयसीमा नहीं दी गई है। सेल यह भी तय करेगा कि मदरसों में परीक्षाएं और दूसरी शैक्षिक गतिविधियों का संचालन कैसे हो। मदरसा बोर्ड उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, असम, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में हैं। सरकार ने प्रो. पठान की अध्यक्षता में एक अन्य समिति का गठन किया है जो मदरसों में दी जाने वाली यूनिवर्सिटी लेवल की शिक्षा को मान्यता देने के बारे में सुझाव देगी।
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