Friday, January 23, 2009
एनसीआर में रहते हुए दिल्ली के वोटर बने लोगों के लिए चेतावनी।
एनसीआर में रहते हुए दिल्ली के वोटर बने लोगों के लिए चेतावनी। यूपी और हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारियों को पत्र लिखकर दिल्ली से लगे विधानसभा क्षेत्रों की वोटर लिस्ट मांगी गई है, ताकि उनका मिलान दिल्ली की वोटर लिस्ट से किया जा सके। अगर जांच में पाया गया कि कोई दो जगहों की वोटर लिस्ट में नाम लिखाए हुए हैं, उनके खिलाफ पुलिस केस दर्ज कराया जाएगा। ऐसे वोटरों के लिए अभी भी दिल्ली की वोटर लिस्ट से नाम कटवाने का मौका है। इसके लिए फॉर्म नंबर-7 भरना होगा। भरे गए फॉर्म को संबंधित विधानसभा क्षेत्र में स्थित वोटर रजिस्ट्रेशन ऐंड एपिक सेंटर (वीआरईसी) या उन स्थानों पर जहां फॉर्म इकट्ठा किए जा रहे हैं, जमा कराया जा सकता है। वोटर जमा फॉर्म की रसीद लेना न भूलें। मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय सूत्रों के मुताबिक, नोएडा, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गुड़गांव और सिंघु बॉर्डर के पास रहने वाले लोग दिल्ली के भी वोटर बने हुए हैं। इन जैसे वोटरों की ही जांच करने के लिए ही यह कार्रवाई शुरू की जा रही है। गौरतलब है कि दिल्ली में 12 जनवरी से नए वोटर बनाने और पुराने वोटर कार्ड में हुईं गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए वोटरों से फॉर्म लिए जा रहे हैं। चुनाव कार्यालय का यह अभियान 27 जनवरी तक चलेगा। सूत्रों का कहना है कि 28 जनवरी से चुनाव अधिकारी इकट्ठा हुए ऐसे फॉर्म की जांच करने का काम शुरू कर देंगे। चुनाव कार्यालय ने अपने आदेशों में कहा है कि इसमें नए वोटर बनने के लिए भरे जाने वाले फॉर्म नंबर-6 की गंभीरता से जांच की जाए। इन फॉर्मों की जांच में यह पता लगाया जाए कि इनमें से कितने ऐसे लोग हैं जो एनसीआर में रहते हुए दिल्ली का वोटर कार्ड बनवाना चाह रहे हैं। साथ ही ऐसे पुराने वोटरों की भी लिस्ट तैयार की जाएगी जो पहले से ही एनसीआर में रह रहे हैं मगर उन्होंने अपने नाम दिल्ली की वोटर लिस्ट में भी दर्ज करा रखे हैं। इस मामले में दिल्ली की मुख्य चुनाव अधिकारी सतबीर साइलस बेदी का कहना है कि ऐसे लोगों का पता लगाने के लिए ही यूपी और हरियाणा सरकार के संबंधित चुनाव अधिकारियों से दिल्ली बॉर्डर से लगे उनके इलाकों की वोटर लिस्ट मांगी गई है। बेदी ने बताया कि इसके बाद जितने भी लोगों के नाम सामने आएंगे उन सब की पहले तो चुनाव अधिकारियों के माध्यम से डोर टु डोर जांच कराई जाएगी। बाद में इन लोगों के नाम और पते पुलिस को दे दिए जाएंगे, ताकि ऐसे वोटरों के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 की धारा 31 के तहत कार्रवाई की जा सके। इस कानून के तहत अपराध साबित होने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान है। ट्रांसफर नहीं होता वोटर रजिस्ट्रेशन अगर आप दूसरे शहर या फिर उसी शहर में किसी और जगह ट्रांसफर होते हैं तो वोटर रजिस्ट्रेशन को ट्रांसफर नहीं करा सकते। आपको नई जगह पर रहते हुए छह महीने हो गए हों तो वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए दोबारा अप्लाई करना होगा। इसमें पहले के रजिस्टेशन का जिक्र करना होगा, ताकि उसे चुनाव आयोग कैंसल कर सके। नई जगह के लिए आपके संसदीय क्षेत्र और विधानसभा क्षेत्र का नंबर भी बदल जाएगा। दो जगहों से वोट डालना गैरकानूनी है।
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