Tuesday, December 17, 2013

संसद के दोनों सदनों में प्रस्तावित लोकपाल बिल पारित

हालांकि, आम आदमी पार्टी (AAP) ने सरकार बनाने या न बनाने का फैसला जनता पर छोड़ दिया है, लेकिन आप के अधिकतर एमएलए सरकार बनाने के पक्ष में नजर आते हैं। कम से कम जनता की इच्छा बताते हुए उन्होंने अपनी यह राय जाहिर की है।
AAP के एमएलए की मीटिंग में कुल मिलाकर 28 में से 27 एमएलए मौजूद थे, जिनमें अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मीटिंग में हरेक एमएलए को अपनी राय जाहिर करने के लिए कहा गया। कुछ एमएलए खुलकर बोले और कुछ ने दबी जुबान में कहा कि इस बारे में अब फैसला कर लेना चाहिए। कुल मिलाकर 24 एमएलए ने यह राय जाहिर की कि सरकार गठित की जानी चाहिए। उनका कहना था कि अब वह जहां भी जाते हैं, उनसे यही सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर आम आदमी पार्टी सरकार क्यों नहीं बना रही। इस सवाल का जवाब उनसे नहीं बन पा रहा।
खासतौर पर कांग्रेस द्वारा बिना शर्त समर्थन देने के बाद लोगों की राय बदलने लगी है और वे बीजेपी की बजाय आम आदमी पार्टी की सरकार के ज्यादा पक्षधर नजर आने लगे हैं। मीटिंग में यह भी बताया गया कि कांग्रेस ने 18 में से 16 शर्तें प्रशासनिक बताकर जनता के मन में यह बात बिठा दी है कि आम आदमी पार्टी अब सरकार बनाने से बच रही है।
ऐसे में अगर सरकार नहीं बनाई गई तो फिर पार्टी के लिए उचित फैसला नहीं होगा। एक एमएलए का कहना था कि जनता तो चाहती है कि आप की सरकार बने लेकिन मैं नहीं चाहता। अरविंद केजरीवाल ने अपनी राय जाहिर नहीं की और यही कहा कि अब इसका फैसला जनता पर ही छोड़ देना चाहिए। सरकार बनाने के पक्षधर एमएलए चाहते हैं कि सोमवार को एलजी के सामने सरकार बनाने का पत्र ही दिया जाए।
पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है कि आम आदमी पार्टी के एमएलए के पास आजकल बड़ी संख्या में एसएमएस, मेल और फेसबुक के जरिये भी लोगों की राय पहुंच रही है। पिछले तीन दिनों में आने वाले इन संदेशों में लोगों की भाषा बदल गई है।
दस में से करीब आठ लोग सरकार बनाने के पक्ष में ही अपनी राय जाहिर कर रहे हैं लेकिन एकाध ऐसे भी हैं जिनका कहना है कि आप ने कांग्रेस और बीजेपी की करप्ट नीतियों को उखाड़ने के लिए चुनाव लड़ा और अब उसी के समर्थन से सरकार नहीं बनानी चाहिए। कुछ लोग तो इन संदेशों में धमकियां भी दे रहे हैं।

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