जम्मू-कश्मीर की
महिलाओं के राज्य के बाहर के पुरुषों से शादी करने पर उनके साथ भेदभाव होने के
नरेंद्र मोदी के बयान पर जमकर राजनीति हो रही है। इस बीच उन्हें एक ऐसे शख्स से
सपोर्ट मिला है, जिसकी
उम्मीद उन्हें कतई नहीं रही होगी। केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी और मूल रूप
से कश्मीर की रहने वालीं सुनंदा पुष्कर ने कहा कि 'बाहर'
के शख्स से शादी करने पर राज्य में महिलाओं के साथ भेदभाव होता है
और कोई कहता है कि ऐसा नहीं है तो वह झूठ बोल रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि
वह इस मसले पर किसी तरह की राजनीति में नहीं पड़ना चाहती हैं।
सुनंदा पुष्कर ने अपना अनुभव बताते हुए कहा, '2006-07 और 2010 में मैंने जम्मू में जमीन खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन डीसी ऑफिस के अधिकारियों ने मुझे बताया कि बाहर के शख्स से शादी करने की वजह से मेरा 'स्टेट सब्जेक्ट' (नागरिकता) रिन्यू नहीं हुआ है, इसलिए मैं राज्य में जमीन नहीं खरीद सकती हूं। सुनंदा ने कहा, 'धारा 370 मौजूदा स्वरूप में काफी भेदभावपूर्ण है और इसकी समीक्षा की जरूरत है।'
सुनंदा के मुताबिक, सन् 1992 में उन्होंने एक मलयाली से शादी की थी और पति की मौत के बाद वह राज्य में जमीन खरीदने गई थीं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि उनके पति की मौत हो गई है और वह राज्य लौट आई हैं। लेकिन अधिकारियों ने उनकी बात को अनसुना कर दिया।
उन्होंने इस मसले को एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में और अपने ट्विटर हैंडल के जरिए भी उठाया है। सुनंदा पुष्कर ने कहा कि इस मसले पर उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से बात की थी और उन्होंने इसमें मदद करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने आगे कहा, 'हाई कोर्ट द्वारा महिला विरोधी कानून में सुधार लाए जाने के बावजूद जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं आया है। उमर ने मुझे बताया कि आपको पता होगा कि कानून में बदलाव के बावजूद आपके बच्चे इन संपत्तियों को नहीं पा सकते हैं। यह मुझे बहुत अजीब लगा। मेरे कजिन ने महाराष्ट्र की लड़की से शादी की है और उनके दोनों बच्चे के नाम से राज्य में प्रॉपर्टी हैं।'
सुनंदा ने कहा, 'जमीन खरीदने की कोशिश मैं जम्मू में कर रही थी, जबकि घाटी में हमारी पुश्तैनी जमीन है। मेरे पिता ने मुझे कहा था कि तुम अब स्टेट सब्जेक्ट नहीं रह गई हो इसलिए अपने हिस्से की जमीन भाइयों के नाम कर दो।'
थरूर की पत्नी ने इस मसले पर बीजेपी पर राजनीति करने का आरोप लगाया और दबे स्वर में इसके लिए नेहरू का जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि बीजेपी जब सत्ता में थी तो इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया। इसके बाद सुनंदा ने कहा कि हो सकता है कि मेरे जबाव से मेरे पति चिढ़ जाएं लेकिन मैं एक कश्मीरी और महिला भी हूं।
सुनंदा ने कहा कि अगर मेरी जानकारी गलत नहीं है तो अनुच्छेद-370 की धीरे-धीरे विदाई होनी थी, लेकिन मुझे नहीं पता कि यह कैसे होना था। उन्होंने कहा, 'जवाहर लाल नेहरू, शेख अब्दुल्ला और राजा हरि सिंह में हुए समझौते के मुताबिक यह सब हुआ। नेहरू ने कश्मीर का विभाग अपने पास रखा और सरदार पटेल गृह मंत्री होने के बावजूद कश्मीर से अलग रहे।'
सुनंदा पुष्कर ने अपना अनुभव बताते हुए कहा, '2006-07 और 2010 में मैंने जम्मू में जमीन खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन डीसी ऑफिस के अधिकारियों ने मुझे बताया कि बाहर के शख्स से शादी करने की वजह से मेरा 'स्टेट सब्जेक्ट' (नागरिकता) रिन्यू नहीं हुआ है, इसलिए मैं राज्य में जमीन नहीं खरीद सकती हूं। सुनंदा ने कहा, 'धारा 370 मौजूदा स्वरूप में काफी भेदभावपूर्ण है और इसकी समीक्षा की जरूरत है।'
सुनंदा के मुताबिक, सन् 1992 में उन्होंने एक मलयाली से शादी की थी और पति की मौत के बाद वह राज्य में जमीन खरीदने गई थीं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि उनके पति की मौत हो गई है और वह राज्य लौट आई हैं। लेकिन अधिकारियों ने उनकी बात को अनसुना कर दिया।
उन्होंने इस मसले को एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में और अपने ट्विटर हैंडल के जरिए भी उठाया है। सुनंदा पुष्कर ने कहा कि इस मसले पर उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से बात की थी और उन्होंने इसमें मदद करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने आगे कहा, 'हाई कोर्ट द्वारा महिला विरोधी कानून में सुधार लाए जाने के बावजूद जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं आया है। उमर ने मुझे बताया कि आपको पता होगा कि कानून में बदलाव के बावजूद आपके बच्चे इन संपत्तियों को नहीं पा सकते हैं। यह मुझे बहुत अजीब लगा। मेरे कजिन ने महाराष्ट्र की लड़की से शादी की है और उनके दोनों बच्चे के नाम से राज्य में प्रॉपर्टी हैं।'
सुनंदा ने कहा, 'जमीन खरीदने की कोशिश मैं जम्मू में कर रही थी, जबकि घाटी में हमारी पुश्तैनी जमीन है। मेरे पिता ने मुझे कहा था कि तुम अब स्टेट सब्जेक्ट नहीं रह गई हो इसलिए अपने हिस्से की जमीन भाइयों के नाम कर दो।'
थरूर की पत्नी ने इस मसले पर बीजेपी पर राजनीति करने का आरोप लगाया और दबे स्वर में इसके लिए नेहरू का जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि बीजेपी जब सत्ता में थी तो इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया। इसके बाद सुनंदा ने कहा कि हो सकता है कि मेरे जबाव से मेरे पति चिढ़ जाएं लेकिन मैं एक कश्मीरी और महिला भी हूं।
सुनंदा ने कहा कि अगर मेरी जानकारी गलत नहीं है तो अनुच्छेद-370 की धीरे-धीरे विदाई होनी थी, लेकिन मुझे नहीं पता कि यह कैसे होना था। उन्होंने कहा, 'जवाहर लाल नेहरू, शेख अब्दुल्ला और राजा हरि सिंह में हुए समझौते के मुताबिक यह सब हुआ। नेहरू ने कश्मीर का विभाग अपने पास रखा और सरदार पटेल गृह मंत्री होने के बावजूद कश्मीर से अलग रहे।'
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