Sunday, January 31, 2010

उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा के मुद्दे पर आरएसएस हिंसा को वह कतई स्वीकार नहीं करेगा।

महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा के मुद्दे पर शिवसेना और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ( आरएसएस)आमने-सामने आ गए हैं। आरएसएस ने साफ कर दिया है कि महाराष्ट्र में शिवसेना व एमएनएस की मनमानी नहीं चलने दी जाएगी और संघ के स्वयंसेवक उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा का विरोध करेंगे। उत्तर भारतीयों पर हमले के बावजूद हिंदू एकता की बात करने वाले संघ की चुप्पी को लेकर स्वयंसेवकों में काफी समय से बेचैनी महसूस की जा रही थी। संघ की जड़ें भले ही महाराष्ट्र में हो लेकिन उसकी शाखाओं को बल हिंदी पट्टियों से ही मिलता है। स्वयंसेवकों की बेचैनी को समझते हुए संघ नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि मुंबई और महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा को वह कतई स्वीकार नहीं करेगा।
संघ ने अब अपने स्वयंसेवकों को हिंदी भाषियों और उत्तर भारतीयों की रक्षा के लिए आगे आने का निर्देश दिया है। मध्य प्रदेश के जबलपुर में संघ के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए संघ के प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि सरसंघचालक(मोहन भागवत) ने स्वयंसेवकों को निर्देश दिए हैं कि वे ऐसी घटनाओं को रोकें और सभी की रक्षा करें। उन्होंने कहा कि भाषा के नाम पर किसी दूसरे व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार करना पूरी तरह अनुचित है और संघ इसके खिलाफ है। महाराष्ट्र में हमलों के बारे में पूछे जाने पर माधव ने कहा,'कुछ लोग हिंदी भाषी विरोधी और उत्तर भारतीय विरोधी भावनाएं भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। उस पर संघ ने अपने स्वयंसेवकों से कहा है कि वे इस तरह की घटना न घटने दें और सबकी रक्षा का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि हर भाषा को विशेष दर्जा हासिल है इसका आशय यह नहीं है कि वे दूसरे से भाषा के नाम पर किसी से दुर्व्यवहार करें।

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