Wednesday, January 13, 2010

जहां करोड़ों श्रद्धालु पहुंचेंगे वहीं चरसी भी दिखें तो आश्चर्य मत करना।

सदी के पहले महाकुंभ में जहां करोड़ों श्रद्धालु पहुंचेंगे, वहीं अगर 'दम मारो दम' की तर्ज पर चरस में चूर चरसी भी दिखें तो आश्चर्य मत करना। जहां धार्मिक आस्था से लबरेज लोगों के लिए यह सुनहरा मौका है, वहीं चरसियों और चरस तस्करों का जमावड़ा लगने के भी पूरे आसार हैं। इसे देखते हुए भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी)ने अलर्ट जारी किया है। सीमा पर चरस तस्करों को रोकने के लिए विशेष चौकसी बरती जा रही है। कुंभ के दौरान बड़ी संख्या में विदेशी टूरिस्ट भी आएंगे। साधु संतों के साथ विदेशी टूरिस्टों में भी चरस की अच्छी खासी मांग रहती है। डिमांड बढ़ जाने से इसके दाम भी अच्छे मिल जाते हैं। वैसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करीब 2 लाख रुपए प्रति किलो है। इसलिए चरस तस्कर भी इस मौके का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। एसएसबी की 10 वीं वाहिनी के कमांडेंट बी. एस. टोलिया ने बताया कि कुंभ में चरस की डिमांड बढ़ने के आसार हैं। चरस की तस्करी ज्यादातर नेपाल से होती है, इसलिए तस्करी की आशंका को देखते हुए हमने बॉर्डर पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। ये मौसम भी तस्करों को रास आता है, क्योंकि भारत-नेपाल को बांटने वाली काली नदी पर पानी कम होता है। इस कारण सीमा पार करने में तस्करों को आसानी होती है। हमने उत्तराखंड से लगने वाली नेपाल की सभी सीमाओं पर अलर्ट जारी कर दिया है। भारत में जहां भांग की खेती गैरकानूनी है, वहीं नेपाल में भांग की खेती पर प्रतिबंध नहीं है। वहां इसका भारी मात्रा में उत्पादन होता है। नेपाल के महाकाली अंचल में ज्यादातर इलाकों की इकॉनमी भांग पर ही टिकी है। नेपाल में बनी चरस की सबसे बड़ी मार्केट भारत ही है। इसलिए चरस तस्कर भी महाकुंभ के मौके को भुनाने की फिराक में हैं।

No comments: