मुस्लिम उलेमाओं का कहना है कि इस्लाम विशेष परिस्थितियों में महिलाओं को फोटो खिंचवाने की अनुमति देता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सीनियर मेंबर और लखनऊ ईदगाह के नायब इमाम खालिद रशीद फिरंगीमहली ने बताया कि शरई कानून में महिलाओं के लिए पर्दा अनिवार्य है लेकिन विशेष परिस्थितियों में उन्हें फोटो खिंचाने की इजाजत है। गौरतलब है कि वोटर आईडी कार्ड्स पर मुस्लिम महिलाओं की फोटो लगाने को लेकर विवाद हो गया था। इसे इस्लाम विरोधी बताते हुए इसके विरोध में एक अपील दायर की गई थी। इस विशेष अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर मुसलमान अपने धार्मिक व्यवहार पर इतने संवेदनशील हैं, तो वोट देने ही न जाएं। अदालत की टिप्पणी के बाद मुस्लिम उलेमाओं का यह बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि यदि और कोई विकल्प नहीं है और फोटो न खिंचवाने से समाज की महिलाएं वोटिंग के संवैधानिक अधिकार से वंचित हो सकती हैं, तो ऐसी विशेष परिस्थिति में उन्हें फोटो खिंचवाने की इजाजत है। मौलाना फिरंगीमहली ने कहा कि हज पर जाने वाली महिलाएं जिस तरह से पासपोर्ट बनवाने के लिए फोटो खिंचवाती हैं, उसी तरह मतदाता पहचान पत्र पर फोटो लगाने के लिए वे फोटो खिंचवा सकती हैं।
Saturday, January 23, 2010
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