प्राचीन-समृद्ध संस्कृति और सभ्यता से खुद को जोड़े रखने वाले विश्व शक्ति के रूप में उभरते भारत की तस्वीर राजपथ पर 61वें गणतंत्र दिवस पर स्पष्ट तौर पर दिखायी दी। गणतंत्र दिवस पर रायसीना हिल्स की ओर से सधे कदमों से आगे बढ़ती परेड में देश की में एकताकी का प्रदर्शन किया गया साथ ही देश की सैन्य शक्ति और सेना की तैयारियां भी सामने आई। भारी कोहरे के बावजूद राजपथ पर सुसज्जित और सधे कदमों से सेना की टुकड़ी आगे की ओर बढ़ रही थी और मंच पर आसीन सैन्य बलों की सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सलामी ली। सेना परेड को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली म्यूंग बाक, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत देश की प्रमुख राजनीतिक और सैन्य शख्सियतों ने भी शिरकत की। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और उनके दक्षिण कोरियाई समकक्ष म्यूंग बाक घोड़े पर सवार 46 सुसज्जित एवं पूर्ण प्रशिक्षित घुड़सवार गार्डो के संरक्षण में राजपथ पर पधारे। परेड शुरू होने से कुछ मिनट पहले, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इंडिया गेट पर ब्रिटिश काल के प्रथम विश्व युद्ध स्मारक जवान ज्योतिपर पुष्पचक्र अर्पित कर देश के लिए प्राणों का त्याग करने वाले वीर सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। गणतंत्र दिवस पर आज पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था के चाक चौबंद प्रबंध किए गए। समारोह में व्यवधान पैदा करने के किसी भी संभावित प्रयास को विफल बनाने के लिए स्निपर और मोबाइल दस्तों को तैनात किया गया। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के राष्ट्रध्वज तिरंगा फहराने के बाद पारंपरिक तौर पर 21 तोपों की सलामी दी गई। इसके बाद दिल्ली क्षेत्र के सेना के जनरल आफिसर कमांडिंग मेजर जनरल के जे एस ओबेराय के नेतृत्व में परेड शुरू हुई। हालांकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में घने कोहरे के कारण एमआई-17 हेलिकॉप्टर का प्रदर्शन नहीं हो सका। एमआई-17 हेलिकॉप्टर से दर्शकों पर पुष्पवर्षा की जानी थी लेकिन खराब मौसम की वजह से इसे रोक देना पड़ा। सलामी मंच के सामने से गुजरने वालों में सबसे आगे परमवीर चक्र और अशोक चक्र विजेता रहे और उसके बाद 61वीं कैवेलरी के दस्ते ने पारंपरिक अनोखे अंदाज में राष्ट्रपति को सलामी पेश की। राजपथ पर सेना ने देश की सैन्य शक्ति और तैयारियों का जबर्दस्त प्रदर्शन किया जिसमें मुख्य युद्धक टैंक बहुप्रक्षेपी रॉकेट प्रणाली, बख्तरबंद इंजीनियर टोही वाहन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, सेना का पुल का भी प्रदर्शन किया गया। सेना ने अत्याधुनिक आईसीवी संचार वाहन के अलावा इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, बख्तरबंद वाहन सारथ और एम्बुलेंस का भी प्रदर्शन किया। राजनथ पर सधे कदमों से आगे बढ़ते और जोरदार सलामी देते सैन्य टुकडि़यों में मद्रास रेजिमेंट, जाट रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट, डोगरा रेजिमेंट, गढ़वाल रेजिमेंट, बिहार रेजिमेंट, गोरखा रेजिमेंट और प्रादेशिक सेना शामिल थी। ऐतिहासिक राजपथ पर विभिन्न रेजिमेंटों के संगीत बैंड दस्तों ने सैम बहादुरहंसते लुसाईऔर जनरल टैप्पी की धुनों से समा बांध दिया। पूर्ण सुसज्जित 148 नौसैनिकों का दस्ता शिवालिकके प्रारूप के साथ भारतीकी धुन पर कदमताल करता हुआ आगे बढ़ रहा था। आईएनएस शिवालिक को जल्द ही नौसेना में शामिल किया जायेगा।
Tuesday, January 26, 2010
राजपथ पर 61वें गणतंत्र दिवस पर स्पष्ट तौर पर दिखायी दी देश की सैन्य शक्ति
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