Sunday, January 31, 2010

मंहगाई पर पार काबू पाया जा सकेगा। शरद पवार

महंगाई के मुद्दे पर चारों ओर से घिरे कृषि मंत्री शरद पवार का कहना है कि रबी फसल की अच्छी संभावना तथा दाल और चीनी के आयात के कारण इनकी उपलब्धता बढ़ रही है और इसके चलते आने वाले दिनों में मंहगाई पर पार काबू पाया जा सकेगा। जरूरत के सामानों की आसमान छूती कीमतों पर विपक्ष से लगातार हमले का सामना कर रहे पवार ने एक इंटरव्यू में कहा, 'दाल के दाम धीरे धीरे कम हो रहे हैं और चीनी भी सस्ती हो रही है।' उन्होंने कहा कि इस बार गेहूं की अच्छी फसल रहने की संभावना जताई गई है और चावल के उत्पादन और उसके बफर स्टॉक के भी बेहतर होने की संभावना है। कृषि मंत्री ने बताया कि 20 जनवरी तक 193 लाख टन धान की खरीद की गई जो पिछले साल खरीदे गए 198 लाख टन से कुछ ही कम है। दाल के दामों के बारे में पवार ने कहा, 'दाल के दामों की रुख नीचे की ओर है। कीमतें बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन प्रति किलोग्राम 2 से 3 रूपये कम हो रही हैं। हमें उम्मीद है कि यह सिलसिला कायम रहेगा। उन्होंने कहा कि रबी की फसल में दाल की फसल का क्षेत्र बढ़ा है और दिन प्रतिदिन स्थिति सुधरेगी।' चीनी के बारे में मंत्री ने कहा कि वायदा बाजार में चीनी के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोर देखे गए हैं और इससे कम दामों में चीनी मिलने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों में दाम 4000 रूपये प्रति क्विंटल से 3600 रूपये प्रति क्विंटल तक गिरे हैं। उन्होंने कहा, 'उम्मीद करता हूं कि यह खुदरा बाजार में भी दिखेगा। पवार ने कहा कि एमएमटीसी और एसटीसी दाल का आयात कर रही हैं और सरकार को प्रतिकिलो 50 रूपये का नुकसान हो रहा है जो अब तक 400 करोड़ का हो चुका है. निजी क्षेत्र भी बड़े पैमाने पर आयात कर रहे हैं।'

उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा के मुद्दे पर आरएसएस हिंसा को वह कतई स्वीकार नहीं करेगा।

महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा के मुद्दे पर शिवसेना और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ( आरएसएस)आमने-सामने आ गए हैं। आरएसएस ने साफ कर दिया है कि महाराष्ट्र में शिवसेना व एमएनएस की मनमानी नहीं चलने दी जाएगी और संघ के स्वयंसेवक उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा का विरोध करेंगे। उत्तर भारतीयों पर हमले के बावजूद हिंदू एकता की बात करने वाले संघ की चुप्पी को लेकर स्वयंसेवकों में काफी समय से बेचैनी महसूस की जा रही थी। संघ की जड़ें भले ही महाराष्ट्र में हो लेकिन उसकी शाखाओं को बल हिंदी पट्टियों से ही मिलता है। स्वयंसेवकों की बेचैनी को समझते हुए संघ नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि मुंबई और महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा को वह कतई स्वीकार नहीं करेगा।
संघ ने अब अपने स्वयंसेवकों को हिंदी भाषियों और उत्तर भारतीयों की रक्षा के लिए आगे आने का निर्देश दिया है। मध्य प्रदेश के जबलपुर में संघ के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए संघ के प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि सरसंघचालक(मोहन भागवत) ने स्वयंसेवकों को निर्देश दिए हैं कि वे ऐसी घटनाओं को रोकें और सभी की रक्षा करें। उन्होंने कहा कि भाषा के नाम पर किसी दूसरे व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार करना पूरी तरह अनुचित है और संघ इसके खिलाफ है। महाराष्ट्र में हमलों के बारे में पूछे जाने पर माधव ने कहा,'कुछ लोग हिंदी भाषी विरोधी और उत्तर भारतीय विरोधी भावनाएं भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। उस पर संघ ने अपने स्वयंसेवकों से कहा है कि वे इस तरह की घटना न घटने दें और सबकी रक्षा का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि हर भाषा को विशेष दर्जा हासिल है इसका आशय यह नहीं है कि वे दूसरे से भाषा के नाम पर किसी से दुर्व्यवहार करें।

Thursday, January 28, 2010

'12वीं क्लास में ग्रेडिंग प्रणाली को पेश करने का विचार

छात्रों पर से एग्जाम और मार्क्स के दबाव को कम करने के लिए 10वीं में ग्रेडिंग सिस्टम लागू करने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब 12वीं क्लास में भी इसे लागू करने की संभावना तलाश रहा है। राज्यों के सेक्रेटरी के सम्मेलन से के दौरान मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, '12वीं क्लास में ग्रेडिंग प्रणाली को पेश करने का विचार आया है और इस संबंध में विचार-विमर्श चल रहा है। इसपर पहले विभिन्न स्तरों पर चर्चा की जाएगी और केब समिति की मंजूरी के बाद ही इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है। बहरहाल, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार ग्रैजुएशन के लेवल पर छात्रों पर दाखिले को लेकर बढ़ते दबाव को कम करने के लिए एप्टीट्यूड टेस्ट की तर्ज पर नैशनल एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करने पर भी विचार चल रहा। सूत्रों ने बताया कि इन विषयों पर खाका तैयार करने के लिए कार्यबल का गठन किया जा रहा है। कुछ यूनिवर्सिटियों में अंक के स्थान पर ग्रेड को तरजीह देने के मद्देनजर 12वीं में ग्रेडिंग सिस्टम की संभावना तलाशी जा रही है। सिब्बल ने कहा कि ग्रैजुएशन में फीजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ्स के सिलेबस को व्यापक बनाए जाने की जरूरत है। इसमें आर्ट्स विषयों को भी शामिल किए जाने पर विचार किया जाना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि अगर इसपर सहमति बनती है तो साइंस का स्टूडेंट कॉमर्स या आर्ट्स का छात्र कॉमर्स या साइंस का चयन कर सकेगा। सिब्बल ने कहा, 'हमें शिक्षा विशेष तौर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। शिक्षा को रटंत ज्ञान पर आधारित होने की बजाए बच्चों की रचनात्मकता पर आधारित बनाए जाने की जरूरत है।' उन्होंने कहा, 'बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर को कम करना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और बेहतर शिक्षकों को व्यवस्था में शामिल करने का दायित्व मुख्य रूप से राज्यों पर है। सभी राज्यों की अलग-अलग तरह की चुनौतियां हैं लेकिन इन चुनौतियों को केंद्र में रखकर राज्य निर्देशित शिक्षा योजना तैयार की जानी चाहिए और इसमें सभी राज्य एक दूसरे का सहयोग कर सकते हैं।' मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि 10 प्रतिशत और उससे अधिक आर्थिक विकास के लक्ष्य को तभी हासिल किया जा सकता है जब शिक्षा के क्षेत्र को विशेष तवज्जो दी जाए और सकल नामांकन दर को बढ़ा कर 30 प्रतिशत किया जाए।

Tuesday, January 26, 2010

पद्म अवॉर्ड्स की घोषणा

रिपब्लिक डे पर दिए जाने वाले पद्म अवॉर्ड्स की घोषणा कर दी गई है। बॉलिवुड ऐक्टर आमिर खान को पद्मभूषण व वीरेंद्र सहवाग, विजेंदर, साइना नेहवाल, सैफ अली खान और रेखा को पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वेंकटरमण रामाकृष्णन, अपोलो अस्पताल के प्रमुख प्रताप चंद्र रेड्डी और आरबीआई के पूर्व गर्वनर वाई वेणुगोपाल रेड्डी को देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण के लिए चुना गया है। आमिर खान के अलावा म्यूजिक डायरेक्टर ए.आर. रहमान, इलैया राजा और हार्ट स्पेशलिस्ट रमाकांत पंडा को पद्मभूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। पद्मश्री पाने वालों में अनु आगा, हॉकी खिलाड़ी इग्नेश टिर्की, फॉर्म्युला वन ड्राइवर नारायण कार्तिकेयन और सचिन तेंडुलकर के गुरु रमाकांत आचरेकर भी शामिल हैं। कुल 13 श्रेणियों में दिए जाने वाले इन सम्मानों में 6 पदम विभूषण, 43 पदम भूषण एवं 81 पद्मश्री सम्मान शामिल हैं। कुल सम्मानित 130 लोगों में में 17 महिलाएं शामिल हैं। इनकी सूची नीचे दी जा रही हैः पद्म विभूषण 1. इब्राहिम अल्काजीकला 2. यू. के. शिवरमनकला 3. जोहरा सहगलकला 4. डॉ. वाई वेनुगोपाल रेड्डीसार्वजनिक क्षेत्र 5. डॉ. वेंकटरामन रामकृष्णनसाइंस ऐंड इंजीनियरिंग 6. डॉ. प्रताप चंद रेड्डीटेड ऐंड इंडस्ट्री पद्म भूषण 1. इलैयाराजा - कला 2. आमिर खान - कला 3. अकबर पद्मसी - कला 4. अल्ला रक्खा रहमान - कला 5. पंडित छन्नूलाल मिश्रा - कला 6. कुमुदिनी लखिया - कला 7. के. एन. मरार - कला 8. प्रो. मधुसूदन अमिलाल ढाकी - कला 9. मल्लिका साराभाई - कला 10. प्रो. नूकाला चिन्ना सत्यनारायण - कला 11. पंडित पुट्टाराज गवई - कला 12. राम कुमार - कला 13. श्रीनिवास विनायक खाले - कला 14. उस्ताद सुल्तान खान - कला 15. बी. के. चतुवेर्दी - सिविल सर्विस 16. मूसा रजा - सिविल सविर्स 17. डॉ. पी. आर. दुभाषी - सिविल सविर्स 18. फरीद जकारिया - पत्रकारिता 19. अनिल बोर्डिया - शिक्षा और साहित्य 20. प्रो. बिपिन चंद्रा - शिक्षा और साहित्य 21. जी. पी. चोपड़ा - शिक्षा और साहित्य 22. प्रो. मोहम्मद अमीन - शिक्षा और साहित्य 23. प्रो. सत्यव्रत शास्त्री - शिक्षा और साहित्य 24. प्रो. तान छुंग - शिक्षा और साहित्य 25. प्रो. वेल्ली मोनप्पा हेगड़े - मेडिसिन 26. ई. टी. नारायणन मूस - मेडिसिन 27. डॉ. नोशिर एम. श्राफ - मेडिसिन 28. डॉ. पी. के. वारियर - मेडिसिन 29. डॉ. रमाकांत मदनमोहन पाण्डा - मेडिसिन 30. प्रो. (डॉ.) सत्यपाल अग्रवाल - मेडिसिन 31. प्रो. अभिजीत सेन - पब्लिक अफेयर्स 32. शैलेश कुमार बंधोपाध्याय - पब्लिक अफेयर्स 33. संत सिंह चटवाल - पब्लिक अफेयर्स 34. प्रो. आरोग्य स्वामी जोसेफ पालराज - साइंस ऐंड इंजीनियरिंग 35. प्रो. बिकास चंद सिन्हा - साइंस ऐंड इंजीनियरिंग 36. जगदीश चंद कपूर - साइंस ऐंड इंजीनियरिंग 37. डॉ. बालगंगाधरनाथ स्वामी जी - सोशल वर्क 38. एकनाथ राव उर्फ बालासाहब दिखे पाटिल - सोशल वर्क 39. कैप्टन सी. पी. कृष्णन नायर - ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री 40. डॉ. कुशल पाल सिंह - ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री 41. मनविंदर सिंह बंगा उर्फ विंदी बंगा - ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री 42. नारायणन वघुल - ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री 43. एस. पी. ओसवाल - ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री पद्मश्री 1. गुलाम मोहम्मद मीर - पब्लिक सविर्स 2. रेखा - आर्ट 3. अर्जुन प्रजापति - आर्ट 4. अरुंधति नाग - आर्ट 5. कैरमेल बर्कसन - आर्ट 6. उस्ताद बसीफुद्दीन डागर - आर्ट 7. गुल बर्धन - आर्ट 8. ओबाम ओगंवी एन. देवी - आर्ट 9. हरि उप्पल - आर्ट 10. के. राघवन - आर्ट 11. गुरु मायाधर राउत - आर्ट 12. मुकुंद लाठ - आर्ट 13. निमाई घोष - आर्ट 14. पंडित रघुनाथ पाणिग्रही - आर्ट 15. राजकुमार अछोवा सिंह - आर्ट 16. डॉ. रामदयाल मुंडा - आर्ट 17. रेसुल पोकुट्टी - आर्ट 18. सैफ अली खान - आर्ट 19. डॉ. शोभा राजू - आर्ट 20. सुमित्रा गुहा - आर्ट 21. पंडित उल्हास काशलकर - आर्ट 22. डी. आर. कातिर्केयन - सिविल सविर्स 23. डॉ. रंजीत भार्गव - पर्यावरण संरक्षण 24. अरुण शर्मा - शिक्षा और साहित्य 25. प्रो. अरविंद कुमार - शिक्षा और साहित्य 26. बी.जी. दखार - शिक्षा और साहित्य 27. प्रो. गोविंद चंद पांडे - शिक्षा और साहित्य 28. प्रो. हमीदी कश्मीरी - शिक्षा और साहित्य 29. प्रो. (डॉ.) हरमन कुल्के - शिक्षा और साहित्य 30. जानकी वल्लभ शास्त्री - शिक्षा और साहित्य 31. डॉ. जितेंद ऊ धमपुरी - शिक्षा और साहित्य 32. लालबहादुर सिंह चौहान - शिक्षा और साहित्य 33. लालजुइया कोलनी - शिक्षा और साहित्य 34. मारिया अरोरा कौतो - शिक्षा और साहित्य 35. डॉ. राजलक्ष्मी पार्थसारथी उर्फ वाई. जी. पार्थसारथी - शिक्षा और साहित्य 36. प्रो. रामरंजन मुखर्जी - शिक्षा और साहित्य 37. डॉ. रंगनाथन पार्थसारथी - शिक्षा और साहित्य 38. फादर रोमाल्ड डिसूजा - शिक्षा और साहित्य 39. प्रो. सादिक-उर-रहमान किदवई - शिक्षा और साहित्य 40. शेल्डन पॉलक - शिक्षा और साहित्य 41. डॉ. सुरेंद दुबे - शिक्षा और साहित्य 42. डॉ. अनिल कुमार भल्ला - मेडिसिन 43. डॉ. अरविंदर सिंह सोइन - मेडिसिन 44. डॉ. बी. रमन राव - मेडिसिन 45. डॉ. जे. आर. कृष्णमूर्ति - मेडिसिन 46. के. के. अग्रवाल - मेडिसिन 47. प्रो. के. एस. गोपीनाथ - मेडिसिन 48. डॉ. लक्ष्मी चंद गुप्ता - मेडिसिन 49. डॉ. फिलिप अगस्टाइन - मेडिसिन 50. डॉ. रविंद नारायण सिंह - मेडिसिन 51. डॉ. विकास महात्मे - मेडिसिन 52. डॉ. रफेल आई फर्नांडिस - पब्लिक अफेयर्स 53. प्रो. एम. आर. सत्यनारायण राव - साइंस ऐंड इंजीनियरिंग 54. प्रो. (डॉ.) पल्पू पुष्पांगदन - साइंस ऐंड इंजीनियरिंग 55. प्रो. पी. सोम सुंदरम - साइंस ऐंड इंजीनियरिंग 56. प्रो. पी. इट्टाप जॉन - साइंस ऐंड इंजीनियरिंग 57. डॉ. विजय प्रसाद डिमरी - साइंस ऐंड इंजीनियरिंग 58. डॉ. विजय लक्ष्मी रवींदनाथ - साइंस ऐंड इंजीनियरिंग 59. अनु आगा - सोशल वर्क 60. ए. टी. मितेई - सोशल वर्क 61. दीप जोशी - सोशल वर्क 62. डॉ. जे. आर. गंगारमानी - सोशल वर्क 63. क्रांति शाह - सोशल वर्क 64. डॉ. कुरियन जोन मेलाम्पराम्बील - सोशल वर्क 65. बाबा सेवा सिंह - सोशल वर्क 66. सुधा कौल - सोशल वर्क 67. डॉ. सुधीर एम. पारिख - सोशल वर्क 68. इगनास टिर्की - खेल 69. कुमार रामनारायण कातिर्केयन - खेल 70. रमाकांत विट्ठल आचरेकर - खेल 71. साइना नेहवाल - खेल 72. विजेंदर सिंह - खेल 73. वीरेंद सहवाग - खेल 74. डॉ. अल्लूरी वेंकट सत्यनारायण राजू - ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री 75. डॉ. बी. रविंदन पिल्लै - ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री 76. दीपक पुरी - ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री 77. इरशाद मिर्जा - ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री 78. ब्रिगेडियर कपिल मोहन - ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री 79. डॉ. कर्सनभाई खोडीदास पटेल - ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री 80. टी. एन. मनोहरन - ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री 81. वेनु श्रीनिवास - ट्रेड एंड इंडस्ट्री

राजपथ पर 61वें गणतंत्र दिवस पर स्पष्ट तौर पर दिखायी दी देश की सैन्य शक्ति


प्राचीन-समृद्ध संस्कृति और सभ्यता से खुद को जोड़े रखने वाले विश्व शक्ति के रूप में उभरते भारत की तस्वीर राजपथ पर 61वें गणतंत्र दिवस पर स्पष्ट तौर पर दिखायी दी। गणतंत्र दिवस पर रायसीना हिल्स की ओर से सधे कदमों से आगे बढ़ती परेड में देश की में एकताकी का प्रदर्शन किया गया साथ ही देश की सैन्य शक्ति और सेना की तैयारियां भी सामने आई। भारी कोहरे के बावजूद राजपथ पर सुसज्जित और सधे कदमों से सेना की टुकड़ी आगे की ओर बढ़ रही थी और मंच पर आसीन सैन्य बलों की सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सलामी ली। सेना परेड को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली म्यूंग बाक, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत देश की प्रमुख राजनीतिक और सैन्य शख्सियतों ने भी शिरकत की। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और उनके दक्षिण कोरियाई समकक्ष म्यूंग बाक घोड़े पर सवार 46 सुसज्जित एवं पूर्ण प्रशिक्षित घुड़सवार गार्डो के संरक्षण में राजपथ पर पधारे। परेड शुरू होने से कुछ मिनट पहले, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इंडिया गेट पर ब्रिटिश काल के प्रथम विश्व युद्ध स्मारक जवान ज्योतिपर पुष्पचक्र अर्पित कर देश के लिए प्राणों का त्याग करने वाले वीर सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। गणतंत्र दिवस पर आज पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था के चाक चौबंद प्रबंध किए गए। समारोह में व्यवधान पैदा करने के किसी भी संभावित प्रयास को विफल बनाने के लिए स्निपर और मोबाइल दस्तों को तैनात किया गया। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के राष्ट्रध्वज तिरंगा फहराने के बाद पारंपरिक तौर पर 21 तोपों की सलामी दी गई। इसके बाद दिल्ली क्षेत्र के सेना के जनरल आफिसर कमांडिंग मेजर जनरल के जे एस ओबेराय के नेतृत्व में परेड शुरू हुई। हालांकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में घने कोहरे के कारण एमआई-17 हेलिकॉप्टर का प्रदर्शन नहीं हो सका। एमआई-17 हेलिकॉप्टर से दर्शकों पर पुष्पवर्षा की जानी थी लेकिन खराब मौसम की वजह से इसे रोक देना पड़ा। सलामी मंच के सामने से गुजरने वालों में सबसे आगे परमवीर चक्र और अशोक चक्र विजेता रहे और उसके बाद 61वीं कैवेलरी के दस्ते ने पारंपरिक अनोखे अंदाज में राष्ट्रपति को सलामी पेश की। राजपथ पर सेना ने देश की सैन्य शक्ति और तैयारियों का जबर्दस्त प्रदर्शन किया जिसमें मुख्य युद्धक टैंक बहुप्रक्षेपी रॉकेट प्रणाली, बख्तरबंद इंजीनियर टोही वाहन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, सेना का पुल का भी प्रदर्शन किया गया। सेना ने अत्याधुनिक आईसीवी संचार वाहन के अलावा इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, बख्तरबंद वाहन सारथ और एम्बुलेंस का भी प्रदर्शन किया। राजनथ पर सधे कदमों से आगे बढ़ते और जोरदार सलामी देते सैन्य टुकडि़यों में मद्रास रेजिमेंट, जाट रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट, डोगरा रेजिमेंट, गढ़वाल रेजिमेंट, बिहार रेजिमेंट, गोरखा रेजिमेंट और प्रादेशिक सेना शामिल थी। ऐतिहासिक राजपथ पर विभिन्न रेजिमेंटों के संगीत बैंड दस्तों ने सैम बहादुरहंसते लुसाईऔर जनरल टैप्पी की धुनों से समा बांध दिया। पूर्ण सुसज्जित 148 नौसैनिकों का दस्ता शिवालिकके प्रारूप के साथ भारतीकी धुन पर कदमताल करता हुआ आगे बढ़ रहा था। आईएनएस शिवालिक को जल्द ही नौसेना में शामिल किया जायेगा।

Saturday, January 23, 2010

विशेष परिस्थितियों में उन्हें फोटो खिंचाने की इजाजत

मुस्लिम उलेमाओं का कहना है कि इस्लाम विशेष परिस्थितियों में महिलाओं को फोटो खिंचवाने की अनुमति देता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सीनियर मेंबर और लखनऊ ईदगाह के नायब इमाम खालिद रशीद फिरंगीमहली ने बताया कि शरई कानून में महिलाओं के लिए पर्दा अनिवार्य है लेकिन विशेष परिस्थितियों में उन्हें फोटो खिंचाने की इजाजत है। गौरतलब है कि वोटर आईडी कार्ड्स पर मुस्लिम महिलाओं की फोटो लगाने को लेकर विवाद हो गया था। इसे इस्लाम विरोधी बताते हुए इसके विरोध में एक अपील दायर की गई थी। इस विशेष अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर मुसलमान अपने धार्मिक व्यवहार पर इतने संवेदनशील हैं, तो वोट देने ही न जाएं। अदालत की टिप्पणी के बाद मुस्लिम उलेमाओं का यह बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि यदि और कोई विकल्प नहीं है और फोटो न खिंचवाने से समाज की महिलाएं वोटिंग के संवैधानिक अधिकार से वंचित हो सकती हैं, तो ऐसी विशेष परिस्थिति में उन्हें फोटो खिंचवाने की इजाजत है। मौलाना फिरंगीमहली ने कहा कि हज पर जाने वाली महिलाएं जिस तरह से पासपोर्ट बनवाने के लिए फोटो खिंचवाती हैं, उसी तरह मतदाता पहचान पत्र पर फोटो लगाने के लिए वे फोटो खिंचवा सकती हैं।

गोदाम से 4,200 क्विंटल चीनी बरामद

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में प्रशासन ने छापामारी कर एक गोदाम से 4,200 क्विंटल चीनी बरामद की। हरदोई के जिलाधिकारी बलकार सिंह ने शुक्रवार को वहां संवाददाताओं को बताया कि सूचना के आधार पर गुरुवार रात अधिकारियों ने लखनऊ रोड पर नानकगंज स्थित बाबा लक्ष्मण दास फ्लोर मिल में छापा मारकर 4,200 क्विंटल चीनी जब्त की, जिसका बाजार मूल्य करीब दो करोड़ रुपये है। सिंह ने कहा कि कालाबाजारी के मकसद से ही इतने बड़े पैमाने पर चीनी का स्टॉक रखा गया था। उन्होंने कहा कि चीनी कब्जे में लेकर गोदाम सील कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि मिल मालिक के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

Friday, January 22, 2010

रिकॉर्ड तोड़ कोहरा

दिल्ली में गुरुवार को कोहरे ने पिछले सात सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक 2003 के बाद पहली बार इतना कोहरा छाया है जिसके चलते करीब 100 से ज्यादा घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें और करीब 90 रेल सेवाएं प्रभावित हुईं। हवाई अड्डे के एक अधिकारी ने बताया- रात से 27 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का रूट बदलना पड़ा। 18 उड़ानें रद्द कर दी गईं और करीब 20 उड़ानों के समय में फेरबदल करना पड़ा। घने कोहरे की वजह से हवाई पट्टी पर दृश्यता सीमा घट कर 150 मीटर से भी कम रह गई। सुबह कोहरे के कारण कुछ उड़ानों के लिए कैट 3 बी इन्स्ट्रूमेंट लैंडिंग प्रणाली (सीआईएलएस)का इस्तेमाल करना पड़ा जबकि कुछ उड़ानों में दो से तीन घंटे की देरी हो गई। एअर इंडिया की पांच उड़ानें सीआईएलएस की मदद से रवाना हो पाईं। ये उड़ानें क्रमश: काबुल, मुंबई, नागपुर और चेन्नै के लिए थीं। न्यू यॉर्क के लिए एअर इंडिया 101 (नॉन स्टॉप फ्लाइट)और फ्रैंकफर्ट के लिए एअर इंडिया 121 को कल रात रवाना होना था लेकिन अब ये दोनों उड़ानें 11 बजे रवाना होंगी। हवाई अड्डे पर कल रात करीब 8 बजे से कोहरा छाने लगा और दृश्यता सीमा करीब 50 मीटर रह गई। आधे घंटे के अंदर ही सामान्य दृश्यता शून्य हो गई। हवाई पट्टी पर दृश्यता 100 मीटर से भी कम थी जिसकी वजह से प्रशासन ने कुछ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का रुख बदल दिया।

Thursday, January 21, 2010

बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई

बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई... यह बाप के जमाने का गाना है, आपके जमाने का नहीं। इतनी महंगाई के बावजूद कोई यह गाना गाता नजर नहीं आता, क्योंकि लोग परेशान नहीं है। इससे इनकार नहीं कि महंगाई तेज़ी से बढ़ रही है, लेकिन यह भी सच है कि इसका असर लोगों पर वैसा नहीं हो रहा है, जैसा पहले हुआ करता था।कुछ समय पहले हुए लोकसभा चुनाव और फिर बाद में उपचुनावों के दौरान कांग्रेस ने जबरदस्त जीत दर्ज की। कई हलकों में हैरत जताई गई कि इतनी कमरतोड़ महंगाई के बावजूद जनता ने सत्ताधारी कांग्रेस को कैसे जिता दिया। एक प्याज के मसले पर बीजेपी की सरकार गिराने वाली जनता आज तमाम फूड प्रॉडक्टस की महंगाई से नजरें क्यों फेरे हुए है? इन हालात पर बीजेपी के एक नेता ने तो कटाक्ष करते हुए कहा कि शायद जनता पर महंगाई का असर नहीं हो रहा है। जो बात उस नेता ने कटाक्ष के तौर पर कही थी, वह सचाई थी। आइए देखते हैं - कहां है महंगाई। सुबह उठते ही चाय पीते वक्त दूध की महंगाई याद आती है। कितना दाम बढ़ा है दूध का, साल भर में एक या दो रुपया। हर किसी को पता है कि आज के ज़माने में एक या दो रुपये की क्या औकात है। बर्गर और पिज्जा खाते वक्त इससे कहीं ज्यादा रकम तो टैक्स के तौर पर ले ली जाती है। दूध जैसा उत्तम आहार प्रोसेस्ड होकर आपके पास समय पर पहुंचता है, इसके लिए एक-दो रुपये की रकम भी क्या ज्यादा है? चीनी की महंगाई है, क्योंकि किसान अब अपने गन्ने की ज्यादा कीमत मांग रहे हैं, जिसे चीनी मिलें देने को तैयार नहीं हैं। किसान आखिर क्यों न मांगें अपनी फसल की पर्याप्त कीमत? वे भी तो बाज़ार में खड़े होते हैं। डिमांड बढ़ेगी, तो वे उत्पादन का दाम भी बढ़ाएंगे। आप भी बाज़ार में चीनी खरीदने जाते हैं तो दाम डबल होने की बात सुनकर खरीदना छोड़ नहीं देते। अर्थशास्त्र की पुरानी थिअरी है, मांग बढ़ेगी तो दाम बढ़ेंगे। जहां तक दालों का सवाल है, पीली मटर की दाल 26 रुपये किलो बिक रही है, लेकिन उसे बेचने के लिए सरकार को विज्ञापन देना पड़ रहा है। फिर भी खास डिमांड नहीं है। माना कि यह चुनिंदा स्टोर्स में उपलब्ध है। चने की दाल तो हर दुकान में मिल रही है। केंद्रीय भंडार में यह 34 रुपये किलो उपलब्ध है। क्या तड़के वाली चने की दाल किसी हाल में अरहर की दाल से कम स्वादिष्ट होती है? इसी तरह राजमा भी 42 रुपये है। केंद्रीय भंडार में कई दालों के दाम बाज़ार के मुकाबले 8 से 10 रुपये कम हैं। पर क्या केंद्रीय भंडार में लंबी कतारें लगी हैं? आटा वहां बाजार के मुकाबले 50 रुपये सस्ता मिल रहा है। क्या लोग आटा खरीदने के लिए दंगे जैसी स्थिति हो गई? सवाल डिमांड और सप्लाई का भी है। अरहर की दाल की सप्लाई कम है, इसमें सरकार भी कुछ नहीं कर सकती है। उसने मामूली सस्ती दालें बेचने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार मान लिया कि यह इतना आसान काम नहीं है। सच तो यह है कि सस्ती चीजें खरीदने की चाह अब शायद ही कहीं है। नैनो जैसी कार ने बाजार में अपनी पहचान लखटकिया कार के तौर पर बनाई। इस कार के सबसे कम दाम वाले मॉडल की सबसे कम बुकिंग हुई। सबसे ज्यादा बुकिंग सबसे महंगे वाले माडल की हुई। मारुति 800 की पूछ कम होती जा रही है। अब ज्यादा महंगी आल्टो मारुति की शान है। तो फिर किसे चाहिए सस्ती चीज़ें?सब्जियों की महंगाई पर अब भी कई लोग आंसू बहा रहे हैं। वे भिंडी, परवल आदि की महंगाई देख रहे हैं। जनाब, कोई इन्हें बताए कि ये सीजनल सब्जियां नहीं हैं। सीज़नल सब्जियां सस्ती मिल रही हैं। आलू-प्याज की कीमतें भी धीरे-धीरे कम हो रही हैं। टमाटर की खेती खराब हो गई है तो क्या किया जा सकता है? अब इसकी भी कीमत सुधर रही है। मौसम पर ठंड का असर बढ़ते-बढ़ते तमाम सब्जियों के दाम कम हो जाएंगे। यह हर साल की कहानी है। जाड़े से पहले महंगी सब्जियों का रोना रोना, फिर जाड़े में उन्हीं सीज़नल और सस्ती सब्जियां खाने में दस नखरे सामने आएंगे। कई लोग यह कह सकते हैं कि ऊपर लिखी गई तमाम बातें खाए-पीए-अघाए लोगों पर सूट करती है। इनमें कहीं भी उस आदमी का ख्याल नहीं रखा गया जो गरीब है। वह आदमी जो हर दिन कुआं खोदता है, पानी पीता है। तो यहां बता दें कि जिन्हें आप गरीब समझते हैं, वे अमीर तो नहीं हो गए हैं, पर इतने भी गरीब नहीं हैं जितना उन्हें समझा जाता है। भिखारियों तक की पड़ताल की गई तो वे महीने में हज़ारों कमाने वाले निकले। आपके घर काम करने वाली बाई भी इतने पैसे कमा रही है कि वह अपने बच्चे को सामान्य पब्लिक स्कूल भेज रही है। उसका पति रिक्शा चला रहा है तो वह ग्राहकों से यह नहीं कहता कि जो किराया समझ में आए, दे दीजिए। उसका किराया अब आपको चुभता होगा। घर के सामने जो सब्जी बेच रहा है, उसकी सब्जी और थोक मंडी की सब्जी के रेट में अंतर पता कीजिएगा। जो फर्क है, वह सब्जी वाले का घर चलाने के लिए कम नहीं है। वह मोबाइल यूं ही नहीं मेंटेन कर रहा है और शायद आपके पास सस्ता हैंडसेट हो, उसके पास यकीनन नहीं होगा। इलेक्ट्रिशन और प्लंबर बुलाकर देख लीजिए, उनके रेट सुनकर आपको लगेगा कि बिजली-पानी के कनेक्शन ठीक करना आदमी को खुद आना चाहिए। तो बुरा लगे या भला, ये लोग जब चाहे महंगाई का मुकाबला कर सकते हैं। दिक्कत खाए-पीए-अघाए लोगों के लिए है। हमारे बीच महंगाई इस वजह से भी है कि सब्जी वाले, ग्रोसरी के खुदरा विक्रेता अब दबे-कुचले नहीं। थोक और खुदरा विक्रेताओं के दाम के अंतर की कीमत पर वे आपकी ही जीवन शैली को कॉपी करने में लगे हैं। यानी महंगाई बढ़ी है तो इसकी वजह उनका उठता जीवन स्तर भी है। इसमें कोई बुराई नहीं।

Monday, January 18, 2010

सिजेरियन ऑपरेशन केवल पैसा वसूलने का धंधा मात्र हैं

क्या आप जानते हैं कि कुछ सिजेरियन ऑपरेशन जो बच्चा पैदा करने में आ रही दिक्कत के नाम पर डॉक्टरों द्वारा करवाए जाते हैं, में से कई केवल पैसा वसूलने का धंधा मात्र हैं? विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट पर गौर करें तो कई बार सिजेरियन ऑपरेशन जरूरत पड़ने पर नहीं ब्लकि पैसा कमाने के लिए किए जाते हैं। देश में पांच में से एक डिलीवरी सिजेरियन ऑपरेशन से होती है। ज्यादातर सिजेरियन ऑपरेशन अस्पतालों द्वारा पैसा कमाने के मकसद से फिजूल में कराए जाते हैं। इस प्रकार के ऑपरेशन यह जानते हुए भी होते हैं कि इनसे माता और शिशु की जान जाने सहित अन्य जोखिम बढ़ जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा माता व नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य को लेकर किए गए वैश्विक सर्वेक्षण में भारत सहित नौ एशियाई देशों में 2007-08 में सिजेरियन ऑपरेशनों में 27 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। देश में 18 फीसदी डिलीवरी सिजेरियन ऑपरेशन से हरुई हैं। इसमें चिंताजनक बात यह है कि दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों के निजी अस्पतालों में इस तरह के मामले पांच प्रतिशत से बढ़कर 65 फीसदी तक पहुंच गए हैं। डब्लूएचओ की सूची में चीन सबसे ऊपर है जहां 46 फीसदी डिलीवरी सिजेरियन ऑपरेशन से होती हैं। मध्यप्रदेश, गुजरात और दिल्ली की 24,000 डिलीवरी मिलाकर कुल 1,07,950 डिलीवरी के विश्लेषण के बाद डब्लूएचओ ने यह निष्कर्ष निकाला है। विभिन्न देशों में सिजेरियन ऑपरेशन 15 फीसदी की सिफारिश से कहीं अधिक हो गए हैं। इसका कारण आकस्मिक चिकित्सा जरूरत नहीं बल्कि पैसा कमाने की लालसा है।

सीपीएम के मुख्यालय जाकर दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि दी।

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और सीपीएम के सीनियर नेता ज्योति बसु के अंतिम दर्शन के लिए कोलकाता में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इधर दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने सीपीएम के मुख्यालय जाकर दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि दी। कोलकाता में ज्योति बसु को श्रद्धांजलि देने के लिए पार्टी मुख्यालय और उनके आधिकारिक आवास पर शोकसंतप्त समर्थकों की भीड़ उमड़ आई है। कोलकाता के अलीमुद्दीन रोड़ पर स्थित पार्टी मुख्यालय के बाहर बसु की विशाल तस्वीर लगाई गई है, जिससे समर्थक उन्हें अपनी अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें। बसु के समर्थक उनकी तस्वीर पर गुलदस्ते और माला अर्पित कर रहे हैं।
बसु का पार्थिव शरीर अभी 'पीस ऑफ हेवन' नामक फ्यूनरल पार्लर में रखा हुआ है। मंगलवार को उनके शव को अंतिम संस्कार के लिए राज्य सचिवालय लाया जाएगा और अंत में उनके पार्थिव शरीर को एसएसकेएम अस्पताल के अधिकारियों को रिसर्च के लिए सौंप दिया जाएगा। बसु अपना शरीर दान कर चुके थे इसलिए उनका अंतिम संस्कार नहीं होगा। बसु के सम्मान में सोमवार को से शुरू हुए राजकीय शोक में लोगों ने हाथों में बसु अमर रहें लिखी हुईं तख्तियां लेकर उनके प्रति अपने सम्मान का प्रदर्शन किया। दिल्ली में उप राष्ट्रपति अंसारी सीपीएम मुख्यालय ए.के.गोपालन भवन में सुबह 10.45 बजे पहुंचे। उसके बाद 11.10 बजे प्रधानमंत्री वहां पहुंचे। मनमोहन सिंह ने शोक पुस्तिका में लिखा, 'हमारे देश ने एक महान सपूत खो दिया, जो महान राजनेता और देशभक्त था। उनके परिवार के सदस्यों और असंख्य प्रशंसकों, कॉमरेडों और अनुयायियों के प्रति मैं गहरी संवेदना प्रकट करता हूं।' अंसारी ने लिखा, 'एक देशभक्त और महान राजनेता के निधन से देश शोकाकुल है।' बसु का एक फोटो कार्यालय के स्वागत कक्ष के पास रखा गया है ताकि लोग श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें।

कंप्यूटर साइंस में बी-टेक कर रही छात्रा को घर से निकालकर बाजार में निर्वस्त्र घुमाने की कोशिश

दिल्ली के एक कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बी-टेक कर रही छात्रा को घर से निकालकर जेवर के बाजार में निर्वस्त्र घुमाने की कोशिश करने का आरोप है। पीड़ित छात्रा ने एसएसपी से इस मामले की शिकायत की है। आरोपी और पीड़ित पक्ष के बीच मकान खाली कराने को लेकर विवाद चल रहा था। जेवर कस्बे के एक मुहल्ले की रहने वाली यह 22 साल की युवती शुक्रवार को वह जेवर स्थित अपने घर पर थी। आरोप है कि रात करीब 8 बजे उसके घर में रवि अग्रवाल, राजीव, संजय, महेंद्र आदि पांच-छह लोग घुस आए। इन लोगों ने उसकी दादी से गाली-गलौच करनी शुरू कर दी। छात्रा ने इसका विरोध किया। आरोप है कि ये लोग छात्रा को घर से घसीटते हुए मुख्य बाजार में ले आए। यहां उन्होंने उसके कपड़े फाड़ दिए और उसे बाजार में घुमाने का प्रयास किया। मदद की गुहार लगाने के बावजूद कोई बचाने नहीं आया। किसी तरह वह खुद को छुड़ाकर पास में स्थित बीजेपी नेता वेदप्रकाश के घर में जा घुसी। किसी तरह उसने अपनी इज्जत बचाई। इसके बाद वह अपने घर पहुंची। डर की वजह से परिजनों ने रात में पुलिस को सूचना भी नहीं दी। शनिवार को पीड़ित छात्रा नोएडा स्थित एसएसपी ऑफिस पहुंची। उसने मामले की तहरीर एसएसपी को दी है। एसएसपी ने इसे जेवर कोतवाली भेज दिया है। खबर लिखे जाने तक रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई थी।

Wednesday, January 13, 2010

जहां करोड़ों श्रद्धालु पहुंचेंगे वहीं चरसी भी दिखें तो आश्चर्य मत करना।

सदी के पहले महाकुंभ में जहां करोड़ों श्रद्धालु पहुंचेंगे, वहीं अगर 'दम मारो दम' की तर्ज पर चरस में चूर चरसी भी दिखें तो आश्चर्य मत करना। जहां धार्मिक आस्था से लबरेज लोगों के लिए यह सुनहरा मौका है, वहीं चरसियों और चरस तस्करों का जमावड़ा लगने के भी पूरे आसार हैं। इसे देखते हुए भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी)ने अलर्ट जारी किया है। सीमा पर चरस तस्करों को रोकने के लिए विशेष चौकसी बरती जा रही है। कुंभ के दौरान बड़ी संख्या में विदेशी टूरिस्ट भी आएंगे। साधु संतों के साथ विदेशी टूरिस्टों में भी चरस की अच्छी खासी मांग रहती है। डिमांड बढ़ जाने से इसके दाम भी अच्छे मिल जाते हैं। वैसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करीब 2 लाख रुपए प्रति किलो है। इसलिए चरस तस्कर भी इस मौके का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। एसएसबी की 10 वीं वाहिनी के कमांडेंट बी. एस. टोलिया ने बताया कि कुंभ में चरस की डिमांड बढ़ने के आसार हैं। चरस की तस्करी ज्यादातर नेपाल से होती है, इसलिए तस्करी की आशंका को देखते हुए हमने बॉर्डर पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। ये मौसम भी तस्करों को रास आता है, क्योंकि भारत-नेपाल को बांटने वाली काली नदी पर पानी कम होता है। इस कारण सीमा पार करने में तस्करों को आसानी होती है। हमने उत्तराखंड से लगने वाली नेपाल की सभी सीमाओं पर अलर्ट जारी कर दिया है। भारत में जहां भांग की खेती गैरकानूनी है, वहीं नेपाल में भांग की खेती पर प्रतिबंध नहीं है। वहां इसका भारी मात्रा में उत्पादन होता है। नेपाल के महाकाली अंचल में ज्यादातर इलाकों की इकॉनमी भांग पर ही टिकी है। नेपाल में बनी चरस की सबसे बड़ी मार्केट भारत ही है। इसलिए चरस तस्कर भी महाकुंभ के मौके को भुनाने की फिराक में हैं।

Sunday, January 10, 2010

संसद के शीतकालीन सत्र ने महंगाई के मुद्दे पर जनता को काफी निराश किया

संसद के शीतकालीन सत्र ने महंगाई के मुद्दे पर जनता को काफी निराश किया है। हालांकि महीना भर चले शीतकालीन सत्र दौरान संसद में महंगाई का मुद्दा, खासतौर पर खाने-पीने की चीजों की महंगाई का मसला चार बार उठाया गया। दो बार दोनों सदनों में इस पर बाकायदा बहस भी हुई। फिर भी इसमें शक की गुंजाइश नहीं है कि महंगाई के मामले में संसद ने लोगों को निराश ही किया है। संसद से जनता इस तरह मायूस हो, हमारे लोकतंत्र की सेहत के लिए यह अच्छा लक्षण नहीं है। जनता की निराशा की सबसे बड़ी वजह तो यही थी कि संसद के सत्र के दौरान भी खाने-पीने की चीजों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी होती रही। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, शीतकालीन सत्र की शुरुआत 7 नवंबर को खत्म हुए सप्ताह के जिन आंकड़ों के साथ हुई थी, उनमें खाने-पीने की वस्तुओं में महंगाई 14.55 फीसदी की दर दिखा रही थी। लेकिन महीने भर बाद जब यह सत्र खत्म हुआ, तो 5 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह में महंगाई की दर पांच फीसदी से भी ज्यादा ऊपर चढ़कर 19.95 फीसदी तक पहुंच चुकी थी। यानी संसद में महंगाई पर चर्चा का नतीजा उलटा निकला। जैसे-जैसे संसद में बहस हुई, वैसे-वैसे महंगाई बढ़ती ही गई। जनता की निराशा की वजह सिर्फ यही नहीं है कि संसद में चर्चाओं के बावजूद महंगाई तेजी से बढ़ती रही। निराशा की वजह यह भी नहीं थी कि बार-बार यह मुद्दा उठने के
बावजूद सरकार कभी सूखे-बाढ़ का या खाद्यान्न पैदा करने वाले किसानों को पहले से ज्यादा समर्थन मूल्य दिए जाने का बहाना बनाती रही। कभी वह राज्य सरकारों द्वारा कालाबाजारी आदि से निपटने के लिए कारगर कदम नहीं उठाने को कोसती रही और खुद, अगली फसल आने पर महंगाई की दर नीचे आ जाने का जनता को दिलासा देने के सिवा कुछ करने के लिए तैयार ही नहीं हुई। जनता की निराशा की एक महत्वपूर्ण वजह यह भी थी कि सत्ता पक्ष ही नहीं आमतौर पर विपक्ष भी, इस मामले में खाना-पूरी ही कर रहा था। यह इसके बावजूद था कि अन्य वस्तुओं की महंगाई की तुलना में खाने-पीने की चीजों की महंगाई चौंकाने की हद तक थी। बेशक, इस अर्थ में यह अंतर कोई नया नहीं है कि जब से भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक मंदी का असर दिखाई देना शुरू हुआ है, तभी से आम इन्फ्लेशन की दर तेजी से गिरी थी। यह महीनों तक शून्य से नीचे भी बनी रही, जबकि खाने-पीने की चीजों में महंगाई की दर इस पूरे दौर में न सिर्फ ऊंची रही है बल्कि उसमें बढ़त होती रही है। फिर भी यह सच हमारी राजनीति की मुख्यधारा से और ज्यादातर सांसदों की नजरों से छुपा ही रहा है कि फूड इन्फ्लेशन के आम इन्फ्लेशन से इतना ऊपर चढ़ जाने का सीधा सा अर्थ देश की गरीब जनता की कमाई पर सीधे-सीधे डाका डालना है। सचाई यह है कि जो लोग मेहनत-मजदूरी की कमाई से अपना पेट भरते हैं, उन्हें अपनी मामूली आमदनी का सबसे बड़ा हिस्सा पेट भरने में ही खर्च करना पड़ रहा है। फूड इन्फ्लेशन की ऊंची दर जहां एक ओर ऐसे लोगों की क्रय शक्ति में भारी गिरावट को दिखाती है, वहीं आम इन्फ्लेशन की निचली दर इसका इशारा करती है कि उनकी मजदूरी नहीं बढ़ रही है। मेहनत-मजदूरी करने वाले तबके पर दोहरी मार पड़ रही है। ऐसे तबके के पास जो बेचने को है यानी उनका श्रम, उसके दाम या तो घट रहे हैं या जहां के तहां बने हुए हैं, पर दूसरी ओर वह जो खरीदते हैं यानी मुख्यत: खाने-पीने की चीजें, उनके दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। मेहनत-मजदूरी करने वालों की जिंदगी के लिए ऐसी महंगाई कितनी कष्टकर है, इसके अहसास की कोई गूंज संसद में नहीं सुनाई दी। यह संयोग ही नहीं था कि काफी शोर-शराबे के बाद 26 नवंबर को जब लोकसभा में इस मुद्दे पर चर्चा की बारी आई, तो सदन में कुल 26 सदस्य उपस्थित थे। यह उपस्थिति निचले सदन की कुल सदस्य संख्या के पांच परसेंट से भी कम थी। बाद में राज्यसभा में इसी मुद्दे पर हुई चर्चा में भी उपस्थिति ऐसी ही थी। यूं तो इस पर हुई चीख-पुकार के बाद सत्र के आखिर में इसी मुद्दे पर दोबारा हुई चर्चा में उपस्थिति कहीं बेहतर रही, पर इस बहस में हिस्सा लेने वाले अनेक सांसदों से एक अंग्रेजी दैनिक की बातचीत में यह सचाई सामने आई कि महंगाई पर चिंता जताने वालों में से भी अनेक को वास्तव में इस महंगाई का न तो कोई प्रत्यक्ष अनुभव है और ठीक-ठीक कोई अनुमान। पर इसमें अचरज की बात भी क्या है। मौजूदा लोकसभा में 300 से ज्यादा करोड़पति सांसद चुनकर आए हैं। यानी करीब 60 फीसदी। यह संख्या चौदहवीं लोकसभा के मुकाबले दोगुनी है। पंद्रहवीं लोकसभा में सिर्फ 21 सदस्य हैं, जिन्होंने चुनाव के समय अपनी घोषणा में अपनी परिसंपत्तियां 10 लाख रुपये या उससे कम बताई हैं। दिलचस्प है कि पिछड़े माने जाने वाले राज्यों में से उत्तर प्रदेश से चुने गए लोकसभा सदस्यों की औसत संपत्ति चार करोड़ रुपये बैठती है। राजस्थान के सदस्यों की तीन करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश के सदस्यों की दो करोड़ रुपये और बिहार के सदस्यों की एक करोड़ रुपये। सत्ताधारी कांग्रेस के लोकसभा सदस्यों की औसत परिसंपत्ति चौदहवीं लोकसभा के चुनाव के समय के तीन करोड़ 40 लाख के आंकड़े से दोगुनी हो गई और पंद्रहवीं लोकसभा के चुनाव के समय छह करोड़ 80 लाख रुपये पर पहुंच गई। सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बीजेपी के सांसदों की औसत प्रॉपर्टी एक करोड़ 20 लाख रुपये से बढ़कर तीन करोड़ 60 लाख रुपये के आंकड़े तक पहुंच गई, यानी तीन गुनी हो गई। अपनी सारी नेकनीयती के बावजूद 60 फीसदी करोड़पतियों वाली लोकसभा से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह इसका कोई अनुमान लगा सके कि करीब 20 प्रतिशत फूड इन्फ्लेशन के दौर में 20 रुपये रोजाना कमाने वाली देश की 78 प्रतिशत आबादी की गुजर-बसर कैसे होती होगी। मौजूदा सरकार में लोकसभा से आए मंत्रियों में 47 करोड़पति हैं और उनकी औसत प्रॉपर्टी 7 करोड़ 73 लाख की बैठती है। यानी लोकसभा सदस्यों की औसत प्रॉपर्टी से भी डेढ़ गुना ज्यादा। जब हमारे प्रतिनिधि इतने खास और अमीर हों और आम जनता बेहद लाचार, तो दोनों का साथ भला कैसे निभ सकता है?

Monday, January 4, 2010

बिग बाजार की मुंबई ब्रांच के स्टाफ में लगभग 80 फीसदी महिलाएं ही रखी गई हैं।

देश के रिटेल किंग किशोर बियानी का मानना है कि सरकार को उन लोगों पर कम टैक्स लगाना चाहिए जो ज्यादा खर्च करें। उन्होंने कहा कि मेरा नजरिया वस्तुओं के उपभोग का है, सरकार का नजरिया इससे अलग हो सकता है। वह अपनी किताब 'नए दौर की ओर' के रिलीज के मौके पर 'पाठकों से मिलिए कार्यक्रम' में लोगों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस कार्यक्रम का आयोजन नवभारत टाइम्स और प्रभात प्रकाशन ने नैशनल म्यूजियम में किया था। बियानी ने कहा कि महिलाओं का नजरिया डिटेल जानने के बारे में ज्यादा संवदेनशील होता है। इसलिए वे ज्यादा अच्छी रिटेलर्स साबित होती हैं। बिग बाजार की मुंबई ब्रांच के स्टाफ में लगभग 80 फीसदी महिलाएं ही रखी गई हैं। किशोर बियानी ग्रेजुएट हैं। हालांकि, उन्होंने कुछ दूसरे कोर्स भी किए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का दुख है कि मैं सीए या ऐसा कोई प्रफेशनल कोर्स नहीं कर पाया, इससे मुझे बिजनेस में कहीं ज्यादा सपोर्ट मिलता। देश में विदेशी कंपनियों का हौआ खड़ा होने के बारे में उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मीडिया में ही चर्चा का विषय बना हुआ है। देश के रिटेल सेक्टर को इससे घबराने की जरूरत नहीं है। बनारस के बाजारों का जिक्र करते हुए बियानी ने कहा कि भारत का रिटेल बाजार बहुत मजबूत और व्यापक है। रिटेल सेक्टर में क्रांति लाने वाले किशोर बियानी ने 'तुम जानो न हम' और 'चुरा लिया है तुमने' जैसी फिल्में भी बनाई थीं, लेकिन इस फील्ड में उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई। हालांकि, इससे उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई और वे अपने प्रयासों में डटे रहे। इस समय पूरे देश में उनके ग्रुप की 1500 दुकानें हैं और 30 हजार करोड़ रुपये का बिजनेस है। वे हर दिन एक नई दुकान खोल रहे हैं और उनका लक्ष्य 2011 तक 5500 दुकानें खोलने का है। सफलता का सूत्र बताते हुए उन्होंने कहा कि लोग अपने सीमित दायरे में ही सोचते रहते हैं जबकि आगे बढ़कर नए फैसले लेने की आदत डालने की जरूरत होती है। अपने फ्यूचर ग्रुप और बिग बाजार की मार्केटिंग पॉलिसी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आज वस्तुओं की क्वॉलिटी से समझौता नहीं किया जा सकता। साथ ही दाम कम रखने पर ध्यान देना जरूरी होता है। नवभारत टाइम्स की ओर से बियानी को उनका रेखाचित्र भेंट किया गया। इस मौके पर प्रभात प्रकाशन के डायरेक्टर प्रभात कुमार, मार्केटिंग हेड डॉ. पीयूष कुमार और बड़ी संख्या में व्यवसायी, छात्र, महिलाएं और पाठक मौजूद थे।

Saturday, January 2, 2010

नव वर्ष की शुभकामनाएं

नव वर्ष की शुभकामनाएं
हमारे प्रिय पाठकों को नव वर्ष की शुभकामनाएं
नव वर्ष 2010 आपकेलिए सुख-समृ​द्ध् आरोग्य, तथा मनोकामनाएं पूर्ण करे,
इन्ही शुभकामनाओं द्वारा आपके समक्ष नई आशाओं के साथ
डॉ राजेन्द्र कुमार गुप्ता