राजस्थान के अडिशनल डीजीपी (इंटेलिजेंस) ने
जयपुर प्रशासन और पुलिस को चिट्ठी लिखकर बताया है कि मुस्लिम उद्यमियों का एक समूह
शहर की हिन्दू बहुल गरीब बस्तियों में मस्जिदों के निर्माण के लिए फंडिग कर रहा
है। इसमें कहा गया है कि गरीब लोगों को ऊंची कीमत का प्रलोभन देकर उन्हें जमीन
बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हालांकि, पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने इंटेलिजेंस
रिपोर्ट में किए गए दावों पर सवाल उठाया है।
सूत्रों के मुताबिक, 15 जुलाई को जयपुर के पुलिस कमिश्नर और कलेक्टर को लिखी गई चिट्ठी में एडीजीपी (इंटेलिजेंस) यू आर साहू ने चेताया था कि मुस्लिम आबादी के करीब रहने वाले हिन्दू समुदाय के गरीब लोगों को अपने घर बेचने के एवज में मोटी रकम मिल रही है। इसमें कहा गया है कि बाद में इसका इस्तेमाल धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए किया जाता है। एडीजी ने पुलिस कमिश्नर को आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
बताया जाता है कि शाहू ने अपनी रिपोर्ट में जमात-ए-हिन्द के डॉ. इकबाल और उद्योगपति हबीब गारनेट, सिराज ताकत, हाजी रफत, नईम कुरेशी, पप्पू कुरेशी, गफ्फार भाई टेंटवाला और कुछ अन्य पर आरोप लगाया है कि ये लोग जरूरतमंद हिन्दुओं से प्लॉट खरीदते है और वहां पर धार्मिक स्थल का निर्माण करा रहे है।
सूत्रों के मुताबिक, 15 जुलाई को जयपुर के पुलिस कमिश्नर और कलेक्टर को लिखी गई चिट्ठी में एडीजीपी (इंटेलिजेंस) यू आर साहू ने चेताया था कि मुस्लिम आबादी के करीब रहने वाले हिन्दू समुदाय के गरीब लोगों को अपने घर बेचने के एवज में मोटी रकम मिल रही है। इसमें कहा गया है कि बाद में इसका इस्तेमाल धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए किया जाता है। एडीजी ने पुलिस कमिश्नर को आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
बताया जाता है कि शाहू ने अपनी रिपोर्ट में जमात-ए-हिन्द के डॉ. इकबाल और उद्योगपति हबीब गारनेट, सिराज ताकत, हाजी रफत, नईम कुरेशी, पप्पू कुरेशी, गफ्फार भाई टेंटवाला और कुछ अन्य पर आरोप लगाया है कि ये लोग जरूरतमंद हिन्दुओं से प्लॉट खरीदते है और वहां पर धार्मिक स्थल का निर्माण करा रहे है।
रिपोर्ट
के तथ्यों को पूरी तरह से खारिज करते हुए पीयूसीएल ने दावा किया है कि उसकी फैक्ट
फाइंडिग कमिटी को जमीनों के सौदों में कुछ भी असमान्य नहीं मिला है, ये किसी भी अन्य प्रॉपर्टी डील
की तरह ही हैं। पीयूसीएल और जमात-ए-हिन्द ने सवाल उठाया कि 15 जुलाई को इंटेलिजेंस ने गोपनीय रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर को भेजी थी, लेकिन यह लीक कैसे हो गई। इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने की मांग की
गई है।
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