Monday, August 18, 2014

बगैर इजाजत के किसी ने मकान में एक और कमरा

बगैर इजाजत के किसी ने मकान में एक और कमरा जोड़ लिया, किसी ने दीवार तोड़ दी और किचन बड़ा बना लिया तो किसी ने बैडमिंटन कोर्ट ही बना डाला। यह हाल किसी डीडीए कॉलोनी का नहीं, बल्कि लुटियंस जोन में हेरिटेज बिल्डिंग्स का है। सूचना के अधिकार के तहत इकनॉमिक टाइम्स की ओर से दिए गए ऐप्लिकेशन पर जो जवाब मिले हैं, उनके मुताबिक यह करतूत दर्ज है कई माननीय सांसदों के नाम। 
लुटियंस बंगला जोन के सरकारी बंगलों में ये हरकतें सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट की इजाजत के बगैर की गईं जबकि ऐसा कोई भी बदलाव करने का अधिकार सिर्फ सीपीडब्ल्यूडी के पास है। नियमों के तहत इस इलाके के सरकारी बंगलों में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है, लेकिन दस्तावेज बता रहे हैं कि पिछले 10 वर्षों में कम से कम 230 सांसदों ने ऐसे बदलाव कराए।
 

ऐसे सांसदों में नितिन गडकरी, कलराज मिश्रा, यशवंत सिन्हा, रामविलास पासवान, अहमद पटेल, सुरेश कलमाडी भी शामिल हैं। 150 मामलों में सीपीडब्ल्यूडी अभी अवैध निर्माण हटा नहीं सका है। आरटीआई ऐप्लिकेशन के जवाब में बताया गया है कि 400 वर्ग फुट से 5,000 वर्ग फुट तक के एरिया में अवैध निर्माण कर लिए गए और कई वर्षों से ये जस के तस बने हुए हैं। 
मंत्रियों के बंगले 8,250 वर्ग फुट के प्लॉट पर हैं। इनमें आमतौर पर 8 बेडरूम, घरेलू स्टाफ के लिए चार रूम और दो गराज होते हैं। इन बंगलों में सामने और पीछे की ओर लॉन भी होते हैं।
 
रोड ट्रांसपोर्ट ऐंड हाईवेज मिनिस्टर गडकरी तीन मूर्ति लेन पर बंगला नंबर 13 में रहा करते थे। यहां नियमों को धता बताते हुए सामने एक कमरा, पीछे एक कमरा और सर्वेंट्स क्वॉर्टर के पास एक कमरा बना लिया गया। इस तरह 1,000 वर्ग फुट पर अवैध निर्माण हुआ। 10, तालकटोरा रोड पर बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा के बंगले में 1,173 वर्ग फुट पर एक रूम और एक ऑफिस जोड़ लिया गया है।
 
पूर्व मंत्री कलमाड़ी को अपने बंगले में एक ऑफिस, रूम और एक शेड जोड़ने के लिए नोटिस भेजा गया था। माइक्रो, स्मॉल ऐंड मीडियम एंटरप्राइजेज मिनिस्टर कलराज मिश्रा को सीपीडब्ल्यूडी ने 2006 में बंगले में एक बैडमिंटन कोर्ट बनाने के लिए नोटिस भेजा है। इनके बंगले में 3,000 वर्ग फुट पर टेंपरेरी शेड्स और टॉइलेट्स भी बनाए गए हैं। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान के बंगले में दो अवैध एसी केबिन हैं।
 
मौजूदा पॉलिसी के तहत अवैध कंस्ट्रक्शन हटाने के लिए नोटिस भेजे जाते हैं। कंस्ट्रक्शन न हटाया जाए तो अलॉटमेंट कैंसल करने और बंगला खाली कराने की कार्रवाई शुरू होती है। साफ है कि इन मामलों में ऐक्शन इस लेवल तक नहीं लिया गया।

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