Saturday, August 30, 2014

थैंक्यू कहने से बेहतर संबंध स्थापित

एक नए अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि आभार प्रकट करने से सामाजिक रिश्ते मजबूत बनते हैं। यह अच्छी आदत है और इससे आप अपने मित्र का दिल भी जीत सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया न्यू साउथ वेल्स की साइकॉलजिस्ट लिसा विलियम्स ने बताया कि अध्ययन में इस बात के संकेत मिले हैं कि थैंक्यू कहने से बेहतर संबंध स्थापित होते हैं। लिसा ने बताया कि यह स्टडी यूनिवर्सिटी के 70 स्टूडेंट्स पर की गई। यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स ने हाई स्कूल के स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी में ऐडमिशन लेने में मदद की। उन्हें इस पर कॉमेंट करने को कहा गया। जवाब में उन्होंने पाया कि आधे से अधिक मामलों में मदद पाने वाले स्टूडेंट्स ने आभार व्यक्त किया और कहा, 'आपने मेरे लिए बहुत कुछ किया, इसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद!' इन स्टूडेंट्स ने एक-दूसरे से फोन नंबर और ईमेल अड्रेस भी एक्सचेंज किए।
दूसरी तरफ, जिन स्टूडेंट्स ने यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स का आभार प्रकट नहीं किया था, उनकी बातचीत और आगे नहीं बढ़ी। लिसा ने कहा, मेरा पहला अनुभव बताता है कि धन्यवाद बोलने या आभार प्रकट करने से अनजान व्यक्ति से भी अच्छे संबंध बनने लगते हैं। इस अध्ययन को इमोशन जर्नल में शामिल किया जाएगा।

Thursday, August 28, 2014

वाल्मीकि समुदाय के 72 लोग हिंदू धर्म में लौटे

अलीगढ़ में सेवंथ डे एडवेंटिस्ट्स से जुड़ा एक चर्च रातोरात शिव मंदिर में तब्दील हो गया। 1995 में हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई बने वाल्मीकि समाज के 72 लोगों ने फिर से हिंदू धर्म अपना लिया। जिस चर्च में पहले क्रॉस लगा था, उसे हटाकर वहां पर शिव की तस्वीर लगा दी गई है। हिंदू संगठन इसे 'घर वापसी' करार दे रहे हैं।
मंगलवार को अलीगढ़ से 30 किलोमीटर दूर असरोई में चर्च के अंदर व्यापक स्तर पर शुद्धिकरण किया गया। 19 साल पहले ईसाई बने 72 लोगों ने हिंदू धर्म अपना लिया। बताया जा रहा है कि इस चर्च में लगे क्रॉस को हटाकर गेट के बाहर रख दिया गया है और अंदर शिवजी की तस्वीर लगा दी है। जैसे ही इन लोगों के एक बार फिर हिंदू धर्म स्वीकार करने की खबर फैली, इलाके में तनाव फैलना शुरू हो गया। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट मौके पर पहुंच गई। कुछ ग्रामीणों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि अब शिव की तस्वीर को भी हटाकर एक घर में रख लिया गया है।
संघ प्रचारक और धर्म जागरण संगठन के प्रमुख खेम चंद्र ने कहा, 'इसे धर्मांतरण नहीं, घर वापसी कहते हैं। वे अपनी मर्जी से हिंदू धर्म छोड़कर गए थे और जब उन्हें लगा कि उन्होंने गलती की है, तो वे वापस आ गए।' 72 वाल्मीकियों के पुनर्धर्मांतरण पर खेम ने कहा, 'हम उनका स्वागत करते हैं। हम अपने समाज को बिखरने नहीं देंगे, हमें इसे समेटकर रखना होगा।' खेम ने कहा कि ये लोग कई सालों से ईसाई धर्म मान रहे थे। मैं इनसे कई बार मिला और इनसे अपने फैसले पर एक बार फिर से विचार करने को कहा।
एक बार फिर हिंदू धर्म में लौटे अनिल गौड़ का कहा है, 'हम जाति व्यवस्था से परेशान थे और इसी वजह से हमने अपना धर्म बदला था। लेकिन हमने पाया कि ईसाइयों के बीच भी हमारी स्थिति कुछ ठीक नहीं है। हिंदू थे, तब हमारा कोई स्तर नहीं था और हमें छोटे काम करने तक सीमित रहना पड़ता था। 19 साल तक हम ईसाई रहे, लेकिन हमने पाया कि वे भी हमारी कम्यूनिटी की मदद करने नहीं आए। बड़े दिन की कोई सेलिब्रेशन नहीं होती थी। बस मिशनरियों ने एक चर्च बना दिया। और कुछ नहीं।'
78 साल के राजेंद्र सिंह कहते हैं कि वह वापस हिंदू धर्म में आकर बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा, 'एक दिन मैं चर्च के बाहर सोया था कि मुझे पैरालिसिस का अटैक हो गया। मैं हिल तक नहीं पा रहा था। मुझे यह पिछले साल हुआ था। तब से लेकर आज तक मैं सोच रहा हूं कि यह मुझे माता देवी ने सजा दी है अपना विश्वास छोड़ने के लिए।'
अलीगढ़ में वकील और ईसाई समुदाय के नेता ओजमंड चार्ल्स इन बातों से सहमत नहीं होते। उन्होंने कहा, 'घर वापसी मुझे एक साजिश लगती है। कभी हम 'लव जिहाद' का शोर सुनते हैं और अब 'घर वापसी' की बात हो रही है। क्या यह हिंदू राष्ट्र बनाने के संकेत हैं? सिटी मेथडिस्ट चर्च के फादर भी इस खबर से नाराज दिखे। उन्होंने कहा, 'यह शुद्धिकरण पूजा उस चर्च के अंदर हुई, जो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट्स से जुड़ा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। विश्वास व्यक्तिगत मामला है लेकिन चर्च के अंदर हवन नहीं।'
इस बीच असरोई गांव में अगर कोई किसी से पुनर्धर्मांतरण के बारे में पूछता है, तो लोग अपने घरों मे चले जाते हैं तो कुछ कहते हैं कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं मालूम। साथ ही इलाके में पुलिस की मौजूदगी से लोगों में बेचैनी बढ़ गई है।

Monday, August 25, 2014

वाजपेयी को जल्द से जल्द भारत रत्न

नरेंद्र मोदी सरकार भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके 90वें जन्मदिवस के मौके पर 25 दिसंबर को भारत रत्न देने की घोषणा कर सकती है। 
सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री और वरिष्ठ नौकरशाह ने बताया कि मोदी सरकार की तरफ से पहला भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिया जाएगा। मंत्री ने अपना नाम नहीं छापे जाने की शर्त पर बताया, 'सैद्धांतिक तौर पर इस बात को लेकर सहमति बन चुकी है। सरकार बस एक मौके की तलाश कर रही है। इस बारे में वाजपेयी के 90वें जन्मदिन 25 दिसंबर को घोषणा की जा सकती है।'
 

हालांकि, इस बारे में अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही लेंगे। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक की परंपरा के मुताबिक भारत रत्न की घोषणा गणतंत्र दिवस के मौके पर की जाती है। उन्होंने कहा, 'मोदी सरकार के पहले भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी होंगे। बाकी नामों के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।' 
पिछले साल कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर और वैज्ञानिक सी एन आर राव को भारत रत्न से नवाजा था। यूपीए सरकार के इस फैसले की बीजेपी ने यह कहकर आलोचना की थी कि वह वाजपेयी को नजरअंदाज कर रही है। बीजेपी ने तब कहा था कि केंद्र में अगर उसकी सरकार बनती है तो वह वाजपेयी को जल्द से जल्द भारत रत्न देगी।
 

Friday, August 22, 2014

मंत्री आजम खां की भैंसे एक बार फिर चर्चा में

सूबे के कद्दावर मंत्री आजम खां की भैंसे एक बार फिर चर्चा में हैं। लेकिन इस बार मामला भैंसों की चोरी का नहीं बल्कि उनकी शाही सवारी का है। पंजाब से आ रही आजम की इन भैंसों की सहारनपुर में जो आवभगत हुई उससे किसी को भी रश्क हो जाए। बुधवार को पूरी रात सूबे के एक बोर्ड के चेयरमैन का बेटा व समर्थक और एक थाने की पुलिस भैंसों की आवभगत में लगी रही। हूटर और लाल-नीली बत्ती लगी गाड़ियां भैंसों की गाड़ी को एस्कॉर्ट करते हुए सहारनपुर से मुजफ्फरनगर की सीमा तक छोड़कर आईं।
दरअसल मामला कुछ यूं है। आजम खां के करीबी सहारनपुर श्रम विभाग के एक बोर्ड के चेयरमैन सरफराज खां ने उनके लिए पंजाब से पांच भैंसें मंगाईं। इन भैंसों को सहारनपुर के रास्ते रामपुर जाना था। बुधवार की रात पांचों भैंस हरियाणा से होते हुए यूपी बॉर्डर पर पहुंचीं। भैंसों को रात में सहारनपुर में ही रोका जाना था। सहारनपुर की सीमा पर पहुंचते ही सरफराज खां ने अपने बेटे शहनवाज को भैंसों की देख रेख का जिम्मा सौंपा।
हूटर लगी गाड़ियों के एस्कॉर्ट के साथ भैंसें गागलहेड़ी थाने के पीछे स्थित पैठ पर लाया गया। शाहनवाज ने गागलहेड़ी पुलिस को जैसे ही बताया कि भैंसें आजम खां की हैं तो भैंसो की आवभगत करने के लिए होड़ लग गई। कोई भैंसों के लिए चारा लेने दौड़ा तो कोई गुड़ लेने भागा। किसी ने रोटी पकाई तो किसी ने भैंसों की गाड़ी का गोबर साफ कराया। मच्छर भैंसों को परेशान न कर सकें इसका भी खूब इंतजाम किया गया। रात भर भैंसों की आवभगत चलती रही और खड़े होकर देखने वाले उनसे रश्क करते हुए अपनी किस्मत को कोसते रहे। सुबह जब भैंसों को रामपुर के लिए रवाना किया जाने लगा तो हूटर लगी गाड़ियां उन्हें मुजफ्फरनगर की सीमा तक छोड़कर आईं।
इस बारे में एसएसपी सहारनपुर राजेश पांडेय ने बताया, 'ऐसा बताया गया है कि दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री सरफराज खां ने इन भैंसों को मंगाया था। उनके समर्थक व एस्कोर्ट के लोग भैंसों की देखरेख में थे। लेकिन गागलहेड़ी थाने का कोई कर्मी वहां नहीं गया। चूंकि पैठ थाने के पीछे ही स्थित है इसलिए लोग पुलिस द्वारा आवभगत किए जाने की बात कह रहे हैं।' एसएसपी ने बताया कि पुलिस की तरफ से हूटर लगी कोई गाड़ी भी नहीं भेजी गई थी।

Thursday, August 21, 2014

सावधान - हुड्डा की हूटिंग

कांग्रेस ने अपनी पार्टी के सभी चीफ मिनिस्टर्स से कहा है कि जब भी मोदी उनके राज्य में आधिकारिक दौरे पर आएं, सावधान रहते हुए उनके सामने प्रोटोकॉल वाली लक्ष्मण रेखा खींचें। दरअसल एक दिन पहले हरियाणा के कैथल में एक हाईवे के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सामने बीजेपी कार्यकर्ताओं ने राज्य के चीफ मिनिस्टर भूपिंदर सिंह हुड्डा की हूटिंग की थी।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि जब कांग्रेस नेतृत्व और कुछ राज्यों के चीफ मिनिस्टर्स को लगा कि मोदी कांग्रेस के चीफ मिनिस्टर्स को जनता के सामने जानबूझकर नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं, तब उन्होंने यह फैसला लिया। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के एक पदाधिकारी ने बुधवार की शाम को जेएमएम के नेता और झारखंड के चीफ मिनिस्टर हेमंत सोरेन से बात की। उन्होंने सोरेन से कहा कि अगर वे बुधवार को देर शाम मोदी के ट्रिप के दौरान उनके साथ होते हैं, तो सावधानी बरतें। सोरेन कांग्रेस और आरजेडी के सपोर्ट से झारखंड में अपनी सरकार चला रहे हैं।
एआईसीसी के जनरल सेक्रेटरी और कांग्रेस की सरकार वाले दो राज्यों के पार्टी इंचार्ज ने कहा, 'हमें इस बात का भरोसा हो गया है कि हुड्डाजी को अपमानित करने की बीजेपी वर्कर्स की कोशिश मोदी की तरफ से कराया ओछा काम है। ऐसा पहले भी हो चुका है। मोदी ने हाल में एक कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर के चीफ मिनिस्टर उमर अब्दुल्ला को दबाने की कोशिश की थी। उन्होंने यही काम एक कार्यक्रम में महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर पृथ्वीराज चव्हाण के साथ किया था। इससे साफ हो जाता है कि मोदी खासतौर पर उन राज्यों के कांग्रेस और दूसरे नॉन-एनडीए शासित राज्यों में जनता के बीच वहां के चीफ मिनिस्टर की नेगेटिव तस्वीर पेश कर रहे हैं, जहां आने वाले समय में चुनाव होने वाले हैं।'
कांग्रेस नेता ने कहा, 'एक प्रधानमंत्री से इस बात की उम्मीद नहीं की जा सकती। हमें और हमारे चीफ मिनिस्टर्स को यह मंजूर नहीं है। अब से हम मोदी के साथ उनके एंगेजमेंट को प्रोटोकॉल की जरूरत के हिसाब से लिमिट में रखने की कोशिश करेंगे।' कांग्रेस आलाकमान ने अपनी पार्टी के चीफ मिनिस्टर्स को जो निर्देश दिए हैं, उनके मुताबिक उनको उतना ही करना है, जितना प्रधानमंत्री के आधिकारिक दौरे पर प्रोटोकॉल के हिसाब से जरूरी है।
कांग्रेस के सूत्र ने कहा, 'इसका मतलब यह कि जब भी मोदी उनके राज्य में दौरे पर आएंगे, हमारे चीफ मिनिस्टर्स उनको एयरपोर्ट पर फॉर्मली रिसीव करेंगे। वे उनके साथ ऑफिशली फंक्शंस में भी जाएंगे। वे बस इतना ही करेंगे। हमारे चीफ मिनिस्टर पीएम के साथ ऐसी किसी पब्लिक मीटिंग में नहीं जाएंगे, जो आमतौर पर केंद्र सरकार की तरफ से आयोजित होंगे और जिसके लिए बीजेपी की लोकल यूनिट भीड़ जुटाएगी।'

Wednesday, August 20, 2014

हिन्दू बहुल गरीब बस्तियों में मस्जिदों के निर्माण के लिए फंडिग

राजस्थान के अडिशनल डीजीपी (इंटेलिजेंस) ने जयपुर प्रशासन और पुलिस को चिट्ठी लिखकर बताया है कि मुस्लिम उद्यमियों का एक समूह शहर की हिन्दू बहुल गरीब बस्तियों में मस्जिदों के निर्माण के लिए फंडिग कर रहा है। इसमें कहा गया है कि गरीब लोगों को ऊंची कीमत का प्रलोभन देकर उन्हें जमीन बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हालांकि, पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने इंटेलिजेंस रिपोर्ट में किए गए दावों पर सवाल उठाया है। 
सूत्रों के मुताबिक, 15 जुलाई को जयपुर के पुलिस कमिश्नर और कलेक्टर को लिखी गई चिट्ठी में एडीजीपी (इंटेलिजेंस) यू आर साहू ने चेताया था कि मुस्लिम आबादी के करीब रहने वाले हिन्दू समुदाय के गरीब लोगों को अपने घर बेचने के एवज में मोटी रकम मिल रही है। इसमें कहा गया है कि बाद में इसका इस्तेमाल धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए किया जाता है। एडीजी ने पुलिस कमिश्नर को आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
 
बताया जाता है कि शाहू ने अपनी रिपोर्ट में जमात-ए-हिन्द के डॉ. इकबाल और उद्योगपति हबीब गारनेट, सिराज ताकत, हाजी रफत, नईम कुरेशी, पप्पू कुरेशी, गफ्फार भाई टेंटवाला और कुछ अन्य पर आरोप लगाया है कि ये लोग जरूरतमंद हिन्दुओं से प्लॉट खरीदते है और वहां पर धार्मिक स्थल का निर्माण करा रहे है।
 

रिपोर्ट के तथ्यों को पूरी तरह से खारिज करते हुए पीयूसीएल ने दावा किया है कि उसकी फैक्ट फाइंडिग कमिटी को जमीनों के सौदों में कुछ भी असमान्य नहीं मिला है, ये किसी भी अन्य प्रॉपर्टी डील की तरह ही हैं। पीयूसीएल और जमात-ए-हिन्द ने सवाल उठाया कि 15 जुलाई को इंटेलिजेंस ने गोपनीय रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर को भेजी थी, लेकिन यह लीक कैसे हो गई। इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई है। 

Monday, August 18, 2014

बगैर इजाजत के किसी ने मकान में एक और कमरा

बगैर इजाजत के किसी ने मकान में एक और कमरा जोड़ लिया, किसी ने दीवार तोड़ दी और किचन बड़ा बना लिया तो किसी ने बैडमिंटन कोर्ट ही बना डाला। यह हाल किसी डीडीए कॉलोनी का नहीं, बल्कि लुटियंस जोन में हेरिटेज बिल्डिंग्स का है। सूचना के अधिकार के तहत इकनॉमिक टाइम्स की ओर से दिए गए ऐप्लिकेशन पर जो जवाब मिले हैं, उनके मुताबिक यह करतूत दर्ज है कई माननीय सांसदों के नाम। 
लुटियंस बंगला जोन के सरकारी बंगलों में ये हरकतें सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट की इजाजत के बगैर की गईं जबकि ऐसा कोई भी बदलाव करने का अधिकार सिर्फ सीपीडब्ल्यूडी के पास है। नियमों के तहत इस इलाके के सरकारी बंगलों में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है, लेकिन दस्तावेज बता रहे हैं कि पिछले 10 वर्षों में कम से कम 230 सांसदों ने ऐसे बदलाव कराए।
 

ऐसे सांसदों में नितिन गडकरी, कलराज मिश्रा, यशवंत सिन्हा, रामविलास पासवान, अहमद पटेल, सुरेश कलमाडी भी शामिल हैं। 150 मामलों में सीपीडब्ल्यूडी अभी अवैध निर्माण हटा नहीं सका है। आरटीआई ऐप्लिकेशन के जवाब में बताया गया है कि 400 वर्ग फुट से 5,000 वर्ग फुट तक के एरिया में अवैध निर्माण कर लिए गए और कई वर्षों से ये जस के तस बने हुए हैं। 
मंत्रियों के बंगले 8,250 वर्ग फुट के प्लॉट पर हैं। इनमें आमतौर पर 8 बेडरूम, घरेलू स्टाफ के लिए चार रूम और दो गराज होते हैं। इन बंगलों में सामने और पीछे की ओर लॉन भी होते हैं।
 
रोड ट्रांसपोर्ट ऐंड हाईवेज मिनिस्टर गडकरी तीन मूर्ति लेन पर बंगला नंबर 13 में रहा करते थे। यहां नियमों को धता बताते हुए सामने एक कमरा, पीछे एक कमरा और सर्वेंट्स क्वॉर्टर के पास एक कमरा बना लिया गया। इस तरह 1,000 वर्ग फुट पर अवैध निर्माण हुआ। 10, तालकटोरा रोड पर बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा के बंगले में 1,173 वर्ग फुट पर एक रूम और एक ऑफिस जोड़ लिया गया है।
 
पूर्व मंत्री कलमाड़ी को अपने बंगले में एक ऑफिस, रूम और एक शेड जोड़ने के लिए नोटिस भेजा गया था। माइक्रो, स्मॉल ऐंड मीडियम एंटरप्राइजेज मिनिस्टर कलराज मिश्रा को सीपीडब्ल्यूडी ने 2006 में बंगले में एक बैडमिंटन कोर्ट बनाने के लिए नोटिस भेजा है। इनके बंगले में 3,000 वर्ग फुट पर टेंपरेरी शेड्स और टॉइलेट्स भी बनाए गए हैं। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान के बंगले में दो अवैध एसी केबिन हैं।
 
मौजूदा पॉलिसी के तहत अवैध कंस्ट्रक्शन हटाने के लिए नोटिस भेजे जाते हैं। कंस्ट्रक्शन न हटाया जाए तो अलॉटमेंट कैंसल करने और बंगला खाली कराने की कार्रवाई शुरू होती है। साफ है कि इन मामलों में ऐक्शन इस लेवल तक नहीं लिया गया।

Saturday, August 16, 2014

प्रधान सेवक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 68वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से दिया गया भाषण कई मायनों में यादगार रहा। मोदी के संबोधन की खास बात यह रही कि उन्होंने बिना किसी सुरक्षा ढाल के बेखौफ अंदाज में पूरी देश दुनिया के सामने अपनी बात रखी। आमतौर पर पहले से तैयार भाषण को पढ़ने की परंपरा से हटते हुए मोदी ने धाराप्रवाह भाषण दिया। ट्विटर पर मोदी का यह भाषण छाया हुआ है। मोदी के प्रधान सेवक, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया जैसे शब्द ट्विटर पर टॉप ट्रेंड्स में हैं।
नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से करीब एक घंटा 6 मिनट तक भाषण दिया। मोदी का भाषण लोगों के साथ संवाद की शैली में था। इसमें उन्होंने मुस्कुराते हुए 'चायवाले' का जिक्र किया, तो वह 15 अगस्त जैसे बड़े मौके पर इस शैली में भाषण देने की विपक्ष द्वारा संभावित आलोचना को लेकर भी सतर्क दिखे। पढ़िए मोदी के भाषण के टॉप 20 कोट्स
1-'मैं नहीं जानता हूं मेरी कैसी आलोचना होगी'
अपने भाषण में सफाई और महिलाओं के खुले में शौच जैसे विषयों को उठाने के बाद मोदी ने कहा, 'किसी को लगेगा 15 अगस्त का इतना बड़ा मौका है। लाल किले से सफाई की बात करना, लाल किले से टॉइलेट की बात करना, यह कैसा प्रधानमंत्री है... मैं नहीं जानता हूं मेरी कैसी आलोचना होगी, लेकिन मैं ये सब बातें मन से मानता हूं। मैं गरीब परिवार से आया हूं। मैंने गरीबी देखी है। और गरीब को इज्जत मिले, इसकी शुरुआत यहां से होती है।'
2-'चायवाले की बात पर अपनापन महसूस होता है
बचपन में स्टेशन पर चाय बेच चुके मोदी ने अपने भाषण में चायवाले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब कभी चायवाले की बात होती है तो उन्हें अपनापन महसूस होता है। मोदी ने पर्यटन को बढ़ावा देने और इससे रोजगार की अपार संभावनाओं का जिक्र करते हुए कहा, 'हम पर्यटन को बढ़ावा देना चाहते हैं। पर्यटन से गरीब से गरीब आदमी को रोजगार मिलता है। इससे पकौड़े बेचने वाला कमाता है, चना बेचने वाला कमाता है, चाय बेचने वाला कमाता है। जब कभी चाय बेचने वाली बात होती है तो मुझे जरा अपनापन महसूस होता है।'
3-'मैं दिल्ली की दुनिया का इंसान नहीं'
गुजरात के करीब साढ़े बारह वर्षों तक मुख्यमंत्री रहने के बाद प्रधानमंत्री पद की बागडोर संभालने वाले नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि वह दिल्ली के लिए आउटसाइडर हैं और दिल्ली की दुनिया के इंसान नहीं हैं। मोदी ने कहा, 'मैं दिल्ली के लिए आउटसाइडर हूं। मैं दिल्ली की दुनिया का इंसान नहीं हूं। मैं यहां के कामकाज को नहीं जानता। मैं यहां की एलीट क्लास से बहुत अछूता रहा हूं। लेकिन एक बाहर के व्यक्ति ने, एक आउटसाइडर ने दिल्ली आ करके पिछले दो महीने में एक इनसाइडर व्यू लिया, तो मैं चौंक गया। मोदी ने कहा कि उनकी इस बात को राजनीति के तराजू से ना तौला जाए।
4-'यह लोकतंत्र की ताकत है'
'एक छोटे से नगर के गरीब परिवार के एक बालक ने आज लाल किले की प्राचीर पर भारत के तिरंगे झंडे के सामने सिर झुकाने का सौभाग्य प्राप्त किया। यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है, यह भारत के संविधान रचयिताओं की हमें दी हुई अनमोल सौगात है। मैं भारत के संविधान के निर्माताओं को इस पर नमन करता हूं।'
5-'होती है', 'चलती है', से देश नहीं चल सकता
देश में सरकारी अफसर समय पर दफ्तर जाएं, यह कोई न्यूज़ होती है क्या? और अगर वह न्यूज़ बनती है, तो हम कितने नीचे गए हैं, कितने गिरे हैं, इसका वह सबूत बन जाती है और इसलिए भाइयो-बहनो, सरकारें कैसे चली हैं? आज वैश्विक स्पर्धा में कोटि-कोटि भारतीयों के सपनों को साकार करना होगा तो यह 'होती है', 'चलती है', से देश नहीं चल सकता।
6-'मेरा क्या' और 'मुझे क्या', 
आज देश में एक ऐसा माहौल बना हुआ है कि किसी के पास कोई भी काम लेकर जाओ, तो कहता है, 'इसमें मेरा क्या?' वहीं से शुरू करता है, 'इसमें मेरा क्या' और जब उसको पता चलेगा कि इसमें उसका कुछ नहीं है, तो तुरंत बोलता है, 'तो फिर मुझे क्या?' 'ये मेरा क्या' और 'मुझे क्या', इस दायरे से हमें बाहर आना है। हर चीज़ अपने लिए नहीं होती है। कुछ चीज़ें देश के लिए भी हुआ करती हैं।
7-'कभी बेटों से भी पूछो'
आज इस मंच से मैं उन माताओं और उनके पिताओं से पूछना चाहता हूं, हर मां-बाप से पूछना चाहता हूं कि आपके घर में बेटी 10 साल की होती है, 12 साल की होती है, मां और बाप चौकन्ने रहते हैं, हर बात पूछते हैं कि कहां जा रही हो, कब आओगी, पहुंचने के बाद फोन करना। बेटी को तो सैकड़ों सवाल मां-बाप पूछते हैं, लेकिन क्या कभी मां-बाप ने अपने बेटे को पूछने की हिम्मत की है कि कहां जा रहे हो, क्यों जा रहे हो, कौन दोस्त है? आखिर बलात्कार करने वाला किसी न किसी का बेटा तो है। उसके भी तो कोई न कोई मां-बाप हैं। क्या मां-बाप के नाते, हमने अपने बेटे को पूछा कि तुम क्या कर रहे हो, कहां जा रहे हो? अगर हर मां-बाप तय करे कि हमने बेटियों पर जितने बंधन डाले हैं, कभी बेटों पर भी डाल करके देखो तो सही, उसे कभी पूछो तो सही।
8-'कंधे पर हल रखकर भी देखो'
कंधे पर बंदूक ले करके आप (नक्सलियों को) धरती को लाल तो कर सकते हो, लेकिन कभी सोचो, अगर कंधे पर हल होगा, तो धरती पर हरियाली होगी, कितनी प्यारी लगेगी। कब तक हम इस धरती को लहूलुहान करते रहेंगे? और हमने पाया क्या है? हिंसा के रास्ते ने हमें कुछ नहीं दिया है।
9- 'जातिवाद और संप्रदायवाद'
आज़ादी के बाद भी कभी जातिवाद का ज़हर, कभी सम्पद्रायवाद का ज़हर, ये पापाचार कब तक चलेगा? किसका भला होता है? बहुत लड़ लिया, बहुत लोगों को काट लिया, बहुत लोगों को मार दिया। एक बार पीछे मुड़कर देखिए, किसी ने कुछ नहीं पाया है। सिवाय भारत मां के अंगों पर दाग लगाने के हमने कुछ नहीं किया है और इसलिए, मैं देश के उन लोगों का आह्वान करता हूं कि जातिवाद का ज़हर हो, सम्प्रदायवाद का ज़हर हो, आतंकवाद का ज़हर हो, ऊंच-नीच का भाव हो, यह देश को आगे बढ़ाने में रुकावट है।
10- 'बेटी को मां-बाप के लिए जीवन खपाते देखा है'
मैं सामाजिक जीवन में काम करने वाला इंसान हूं। मैंने ऐसे परिवार देखे हैं कि पांच बेटे हों, पांचों के पास बंगले हों, घर में दस-दस गाड़ियां हों, लेकिन बूढ़े मां-बाप ओल्ड एज होम में रहते हैं, वृद्धाश्रम में रहते हैं। मैंने ऐसे परिवार देखे हैं। मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं, जहाँ संतान के रूप में अकेली बेटी हो, वह बेटी अपने सपनों की बलि चढ़ाती है, शादी नहीं करती और बूढ़े मां-बाप की सेवा के लिए अपने जीवन को खपा देती है।
11-'सरकारी नौकरी सेवा है'
मैं जब गुड गवर्नेंस की बात करता हूं, तब आप मुझे बताइए कि कोई प्राइवेट में नौकरी करता है, अगर आप उसको पूछोगे, तो वह कहता है कि मैं जॉब करता हूं। लेकिन जो सरकार में नौकरी करता है, उसको पूछोगे, तो वह कहता है कि मैं सर्विस करता हूं। दोनों कमाते हैं, लेकिन एक के लिए जॉब है और एक के लिए सर्विस है। मैं सरकारी सेवा में लगे सभी भाइयों और बहनों से प्रश्न पूछता हूं कि क्या कहीं यह 'सर्विस' शब्द, उसने अपनी ताकत खो तो नहीं दी है, अपनी पहचान खो तो नहीं दी है? सरकारी सेवा में जुड़े हुए लोग 'जॉब' नहीं कर रहे हैं, 'सेवा' कर रहे हैं, 'सर्विस' कर रहे हैं।
12-'कम, मेक इन इंडिया'
आज लाल किले की प्राचीर से विश्व भर में लोगों से कहना चाहता हूं, 'कम, मेक इन इंडिया', 'आइए, हिन्दुस्तान में निर्माण कीजिए।' दुनिया के किसी भी देश में जाकर बेचिए, लेकिन निर्माण यहां कीजिए, उत्पादन यहां कीजिए।
13-'जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट'
भारत दुनिया में एक्सपोर्ट करने वाला देश बन सकता है और इसलिए मेरा आग्रह है, नौजवानों से विशेष करके, छोटे-मोटे उद्योगकारों से - दो बातों में समझौता न करें, एक ज़ीरो डिफेक्ट, दूसरा ज़ीरो इफेक्ट। हम वह बनाएं, जिसमें ज़ीरो डिफेक्ट हो, ताकि दुनिया के बाज़ार से वह कभी वापस न आए और हम वह बनाएं, जिससे ज़ीरो इफेक्ट हो, पर्यावरण पर इसका कोई नेगेटिव इफेक्ट न हो।
14- आईटी प्रफेशनल्स ने बनाई नई पहचान
25-30 साल पहले तक दुनिया के कई कोने ऐसे थे जो हिन्दुस्तान के लिए यही सोचते थे कि ये तो 'सपेरों का देश' है। ये सांप का खेल करने वाला देश है, काले जादू वाला देश है। भारत की सच्ची पहचान दुनिया तक पहुंची नहीं थी, लेकिन हमारे 20-22-23 साल के नौजवान, जिन्होंने कंप्यूटर पर अंगुलियां घुमाते-घुमाते दुनिया को चकित कर दिया। विश्व में भारत की एक नई पहचान बनाने का रास्ता हमारे आईटी प्रफेशन के नौजवानों ने कर दिया।
15- 'डिजिटल इंडिया'
हमें 'डिजिटल इंडिया' की ओर जाना है। और 'डिजिटल इंडिया' की तरफ जाना है, तो इसके साथ हमारा यह भी सपना है, हम आज बहुत बड़ी मात्रा में विदेशों से इलेक्ट्रॉनिक गुड्स इम्पोर्ट करते हैं। देश के लिए पेट्रोलियम पदार्थों को लाना अनिवार्य है, डीज़ल और पेट्रोल लाते हैं, तेल लाते हैं। उसके बाद इम्पोर्ट में दूसरे नंबर पर हमारी इलेक्ट्रॉनिक गुड्स हैं। अगर हम 'डिजिटल इंडिया' का सपना ले करके इलेक्ट्रॉनिक गुडस के निर्माण के लिए चल पड़ें तो देश की तिजोरी को बड़ा लाभ हो सकता है।
16- 'महिलाएं शौच के लिए अंधेरे का इंतजार करती हैं'
क्या कभी हमारे मन को पीड़ा हुई कि आज भी हमारी माताओं और बहनों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है? बेचारी गांव की मां-बहनें अंधेरे का इंतजार करती हैं, जब तक अंधेरा नहीं आता है, वे शौच के लिए नहीं जा पाती हैं। उसके शरीर को कितनी पीड़ा होती होगी, कितनी बीमारियों की जड़ें उसमें से शुरू होती होंगी! क्या हमारी मां-बहनों की इज्जत के लिए हम कम-से-कम शौचालय का प्रबंध नहीं कर सकते हैं?
17-प्लानिंग कमिशन को नया रंग-रूप 
अब प्लानिंग कमिशन के नए रंग-रूप से सोचना पड़ेगा। इसलिए लाल किले की इस प्राचीर से एक बहुत बड़ी चली आ रही पुरानी व्यवस्था में उसका कायाकल्प भी करने की जरूरत है, उसमें बहुत बदलाव करने की आवश्यकता है। कभी-कभी पुराने घर की रिपेयरिंग में खर्चा ज्यादा होता है लेकिन संतोष नहीं होता है। फिर मन करता है, अच्छा है, एक नया ही घर बना लें और इसलिए बहुत ही कम समय के भीतर योजना आयोग के स्थान पर नए रंग-रूप के साथ, नए शरीर, नई आत्मा के साथ, नई सोच के साथ एक नए इंस्टिट्यूशन का हम निर्माण करेंगे।
18-'मैं प्रधान सेवक हूं'
आपको विश्वास दिलाता हूं, मैं मेरी सरकार के साथियों को भी कहता हूं, अगर आप 12 घंटे काम करोगे, तो मैं 13 घंटे करूंगा। अगर आप 14 घंटे कर्म करोगे, तो मैं 15 घंटे करूंगा। क्यों? क्योंकि मैं प्रधान मंत्री नहीं, प्रधान सेवक के रूप में आपके बीच आया हूं।
19-'आदर्श गांव बनाएं सांसद'
आज सांसद के नाम पर एक योजना घोषित करता हूं - 'सांसद आदर्श ग्राम योजना।' मैं सांसदों से आग्रह करता हूं कि वे अपने इलाके में तीन हजार से पांच हजार के बीच का कोई भी गांव पसंद कर लें। हर सांसद 2016 तक अपने इलाके में एक गांव को आदर्श गांव बनाए। इतना तो कर सकते हैं न भाई! करना चाहिए न! देश बनाना है तो गांव से शुरू करें। 2016 के बाद, जब 2019 में वह चुनाव के लिए जाए, उसके पहले और दो गांवों को करे और 2019 के बाद हर सांसद 5 साल के कार्यकाल में कम से कम 5 आदर्श गांव अपने इलाके में बनाए।
20-काफिला रुकवाकर बच्चों से मिले मोदी
मोदी लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह स्थल से रवाना होते समय अपनी कार से उतरे और एसपीजी सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए समारोह स्थल पर आए स्कूली बच्चों के समूह से मिलने पहुंचे। प्रधानमंत्री के पास छात्रों से मिलने का बहुत कम समय था, लेकिन समारोह स्थल पर उनसे हाथ नहीं मिला पाए छात्र भी उन्हें करीबी से देखकर ही खुश थे।

Thursday, August 14, 2014

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही ऐसे हैं, जिनके योगदान पर सबसे कम खर्च

देश को आजाद कराने का सेहरा किसी एक शख्स के सिर नहीं बंधा। इस ऐतिहासिक कहानी में कई नायक हैं। हर स्वतंत्रता सेनानी का अपना-अपना योगदान रहा है। कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जो आजादी के बाद मिली सत्ता को संवारने के दौरान चमके। ऐसे महापुरुषों, स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं के योगदान को सदा जिंदा रखने की दिशा में सरकार की तरफ से उनके जन्मदिवस और पुण्यतिथि पर विज्ञापनों के जरिए श्रद्धांजलि दी जाती है। अगर इन विज्ञापनों पर पिछले पांच साल का खर्च देखा जाए तो महात्मा गांधी के बाद सिर्फ राजीव गांधी ही ऐसे नेता हैं जिनके जन्मदिवस और पुण्यतिथि पर उस वक्त की सरकार की ओर से दिल खोलकर खर्च किया गया। बाकी नेताओं में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही ऐसे हैं, जिनके योगदान को सबसे कम खर्च के साथ इन दो खास मौकों पर याद किया गया।
सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णकांत सिंह द्वारा दाखिल आरटीआई में यह खुलासा हुआ। कार्यकर्ता ने सूचना अधिकारी से पिछले 10 सालों में केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न महापुरुषों और नेताओं के जन्मदिवस और पुण्यतिथियों पर जारी किए गए विज्ञापनों पर खर्च का ब्योरा मांगा था। जवाब में सूचना एवं प्रसारण विभाग के अधीनस्थ विभाग डीएवीपी ने साल 2008 से 2013 की जानकारी देते हुए कहा कि इससे पहले की जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं है।
इसके मुताबिक तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा सबसे ज्यादा खर्च महात्मा गांधी के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर किया गया। इन पांच सालों में तत्कालीन केंद्र सरकार ने राष्ट्रपिता के जन्मदिवस और पुण्यतिथि पर लगभग 35,52,13,725 रुपये खर्च किए। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ही ऐसे नेता रहे जिन्हें श्रद्धांजलि के तौर पर खर्च के जरिए राष्ट्रपिता के बराबर का दर्जा और सम्मान दिया गया। इतना ही नहीं, सबसे ज्यादा योजनाएं भी राजीव गांधी के नाम पर चल रही हैं। 20 अगस्त को उनके जन्मदिवस पर सद्भावना दिवस और अक्षय ऊर्जा दिवस व पुण्यतिथि को बलिदान दिवस और आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इन दोनों के अलावा इंदिरा गांधी के रूप में एक और गांधी ऐसी हैं जिनके विज्ञापनों पर सरकार की तरफ से पिछले पांच सालों के दौरान करीब 18,14,27,224 रुपये खर्च किए गए। वहीं खर्च के मामले में सबसे कम रहे नेताजी सुभाष चंद्र बोस। 23 जनवरी को मनाई जाने वाली उनकी जयंती में पिछले पांच सालों के दौरान महज 50,02,120 रुपये ही खर्च किए गए। हालांकि तत्कालीन सरकार को भगत सिंह जरूर याद आए और उसने 9,36,83,361 रुपये खर्च कर दिए।
तत्कालीन सरकार को ये महापुरुष तो फिर भी याद रहे, लेकिन आचार्य बिनोवा भावे, जयप्रकाश नारायण और डॉ. राममनोहर लोहिया जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को वह शायद पूरी तरह भूल गई और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और मोरारजी देसाई को शायद इस श्रेणी में गिनती ही नहीं।

Wednesday, August 13, 2014

परफॉर्मेंस का जायजा लेने वाले पहले पोल के नतीजे

नरेंद्र मोदी की परफॉर्मेंस का जायजा लेने वाले पहले पोल के नतीजे आ गए हैं। सर्वे में शामिल आधे लोगों की उम्मीदों पर मोदी खरे उतरे हैं, जबकि 30 फीसदी का मानना है कि मोदी सरकार की परफॉर्मेंस उम्मीदों से कम रही है। बाकी 20 फीसदी लोगों को मानना है कि सरकार ने उम्मीद से बेहतर काम किया है। यह सर्वे 'मोदी के साथ भारत बदलें' नामक ऑनलाइन कम्युनिटी के 1 लाख 30 हजार मेंबर्स के बीच किया गया। इसका मकसद मोदी सरकार के 60 दिन पूरे करने के बाद लोगों की राय का पता लगाना था। 
इस कम्युनिटी को पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट आर. पी. गुप्ता ने लॉन्च किया है, जो बीजेपी के मेंबर भी हैं। लोकल सर्किल कम्युनिटी में इंडस्ट्री, प्रफेशनल्स, इनवेस्टर्स, किसान, सामाजिक कार्यकर्ता, ऐकडेमिशियन, ब्यूरोक्रेट्स और सीनियर सिटिजन जैसे अलग-अलग बैकग्राउंड के लोग हैं। बीजेपी का कम्युनिकेशन सेल भी इस कम्युनिटी से जुड़ा हुआ है। गुप्ता की मुरली मनोहर जोशी की अगुआई में बीजेपी का मैनिफेस्टो लिखने में अहम भूमिका थी।
 

गुप्ता ने ईटी को बताया, 'बीजेपी की अगुआई वाली एनडीए सरकार की परफॉर्मेंस के आकलन के लिए 'बेहतरीन' सही शब्द है। अगर चार राज्यों में अभी चुनाव होते हैं (इस साल के आखिर में इन राज्यों में चुनाव होने हैं), तो बीजेपी को 80 फीसदी सीटों पर जीत हासिल होगी।' सरकार को पब्लिक के मूड से रूबरू कराने की खातिर यह सर्वे नियमित तौर पर हो सकता है। 
यह सर्वे अमेरिका के प्रेजिडेंट्स अप्रूवल रेटिंग सिस्टम की तर्ज पर किया गया है। सर्वे में कुछ चौंकाने वाले नतीजे भी सामने आए। 42 फीसदी लोगों का मानना था कि करप्शन से लड़ना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। महंगाई रोकने और कीमतों में बढ़ोतरी जैसे मसले तीसरे नंबर (24 फीसदी) पर थे जबकि जॉब में बढ़ोतरी और इकनॉमिक ग्रोथ दूसरा सबसे अहम मुद्दा रहा और 26 फीसदी लोगों ने इसके लिए वोटिंग की।
 
सर्वे में मोदी के चुनावी क्षेत्र वाराणसी, गंगा की सफाई और घाटों का आधुनिकीकरण जैसे मुद्दे प्राथमिकताओं से बिल्कुल गायब थे। ज्यादातर यानी 75 फीसदी लोगों के लिए सफाई और सिविक सेंस जैसे मुद्दे काफी अहम थे और वे इस पर सरकार से तत्काल कार्रवाई चाहते थे। बाकी 25 फीसदी लोगों ने इस धार्मिक शहर में नए मौकों और इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग की।
 
मोदी के चुनाव क्षेत्र से जुड़ा सवाल वाराणसी के नागरिकों के सर्किल के सामने पेश किया गया और 31,000 मेंबर्स का कहना था कि सरकार को इसे प्राथमिकता देनी चाहिए। कन्ज़यूमर से जुड़ी समस्याओं को दुरुस्त करने में लोगों की सबसे अहम प्राथमिकता मेडिकल सर्विसेज को लेकर थी। 62 फीसदी लोगों ने इसके पक्ष में वोटिंग की। बाकी जिन सेक्टरों में कन्ज़यूमर शिकायतों के निपटारे की जरूरत महसूस की गई, उनमें रीयल एस्टेट (23 फीसदी), बैंकिंग (10 फीसदी) और टेलिकॉम (5 फीसदी) शामिल हैं।

Tuesday, August 12, 2014

आप के 27 में से 25 विधायक दोबारा चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं

आम आदमी पार्टी (आप) की राजधानी में नए चुनाव कराने की मांग को लेकर पार्टी के सभी विधायक सहमत नहीं हैं। रोहिणी से पार्टी के विधायक राजेश गर्ग ने पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की मांग को लेकर असहमति जताई है। गर्ग ने दावा किया कि आप के 27 में से 25 विधायक दोबारा चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन वे पार्टी हाईकमान के खिलाफ बोलने से डर रहे हैं।
गर्ग का कहना था, 'मैं केजरीवाल के खिलाफ नहीं हूं। वह 100 पर्सेंट ईमानदार हैं और सभी विधायक एकजुट हैं, लेकिन ज्यादातर एक और चुनाव नहीं लड़ना चाहते। बीजेपी और कांग्रेस के विधायक भी ऐसा ही चाहते हैं। कोई भी हाई कमान के दबाव की वजह से नहीं बोल रहा। हमने दिल्ली के लोगों की सेवा करने के लिए पार्टी बनाई थी, चुनाव के बाद चुनाव लड़ने के लिए नहीं। एक बार फिर चुनाव होने पर 1,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अगर दूसरे चुनाव में भी स्पष्ट जनादेश नहीं मिला तो क्या होगा? हम क्या करेंगे?'

गर्ग ने यह बात ऐसे समय में कही है कि जब उनकी पार्टी चुनाव के पक्ष में सार्वजनिक राय बनाने के लिए घर-घर जाकर प्रचार शुरू करने की तैयारी कर रही है। बुधवार से पार्टी के कार्यकर्ता राजधानी के लिए अपनी सरकार की जरूरत को लेकर केजरीवाल के संदेश के साथ घरों में जाएंगे। केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद 17 फरवरी से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन है। गर्ग का कहना है कि बीजेपी को 'आप' के विधायकों को खरीदने की कोशिश करने के बजाय खुलेआम पार्टी का समर्थन मांगना चाहिए।

Monday, August 11, 2014

भारत के दबाव के बीच स्विट्जरलैंड ने अपने कुछ कानूनों में प्रमुख बदलाव

भारत और अन्य देशों के दबाव के बीच स्विट्जरलैंड ने अपने कुछ कानूनों में प्रमुख बदलाव किए हैं। इनका संबंध विदेशी मुल्कों को कथित रूप से स्विस बैंकों में रखे काले धन की जांच में सहयोग करने की व्यवस्था से है। ये बदलाव इस महीने से प्रभावी हो गए हैं।
कानून में बदलाव के बाद स्विट्जरलैंड अब स्विस बैंकों में भारत और अन्य देशों के लोगों के कथित काले धन की जांच में सहयोग के लिए उन देशों के अधिकारियों के सामूहिक आवेदनों पर विचार कर सकता है। ऐसे मामलों में स्विट्जरलैंड के अधिकारी ब्योरा साझा करने से पहले संदिग्ध व्यक्तियों या इकाइयों को उस बारे में कोई सूचना नहीं देंगे।
हालांकि, इसके लिए भारत या ब्योरे के लिए अनुरोध करने वाले देशों को यह साबित करना होगा कि संदिग्ध खाताधारक को इस बारे में पहले सूचना देने से जांच का प्रयास और सहयोग के अनुरोध का उद्देश्य व्यर्थ हो सकता है।
स्विस बैंकिंग कानून के तहत, जांच में दूसरे देशों के साथ सहयोग में एक बड़ी अड़चन यह थी कि इनके तहत सूचना देने से पहले संबंधित व्यक्ति को इसकी सूचना देनी होगी और वह उसके खिलाफ अपील कर सकता है तथा अनुरोध के तहत दी जाने वाली सूचना को देख सकता है।
स्विट्जरलैंड ने टैक्स मामलों में अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक सहायता पर संघीय कानून में संशोधन करते हुए इन उपबंधों को बरकरार रखा है, लेकिन संशोधन के जरिये कानून में कम-से-कम 10 बदलाव किए गए हैं, ताकि दूसरे देशों के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान में आसानी हो सके।
एक संशोधन के अनुसार, अगर कोई दूसरा देश देश किसी मामले में सूचना के आदान-प्रदान की गोपनीयता के लिए ठोस आधार साबित करता है तो एफटीए (फेडरल टैक्स ऐडमिनिस्ट्रेशन) संबंधित व्यक्ति (खातेदार) को उसके खाते के बारे में उपलब्ध कराई जाने वाली सूचनाओं की फाइल देखने की अपील करने की अनुमति देने से मना कर सकता है।

Friday, August 8, 2014

पिलानी के स्टूडेंट्स को 2,35,000 डॉलर

गूगल की वजह से नॉन-आईआईटी इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्लेसमेंट सीजन की शानदार शुरुआत हुई है। गूगल ने बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी ऐंड साइंस (BITS), पिलानी के स्टूडेंट्स को 2,35,000 डॉलर (1.44 करोड़ रुपये) तक की पेशकश की है। माइक्रोसॉफ्ट ने अमेरिका में अपने हेडक्वॉर्टर में जॉब्स के लिए स्टूडेंट्स को 79.51 लाख रुपये का ऑफर दिया है। पिछले वर्ष गूगल ने 68.34 लाख रुपये और माइक्रोसॉफ्ट ने 60 लाख रुपये की टॉप सैलरी ऑफर की थी।
अमेजॉन, ईबे, फ्लिपकार्ट, स्कूमबर्गर और कोड नेशन जैसी स्टार्टअप्स ने भी सैलरी पैकेज पिछले वर्ष के मुकाबले 25 पर्सेंट तक बढ़ा दिया है। साथ ही, ये कंपनियां बड़ी संख्या में हायरिंग कर रही हैं।

बिट्स पिलानी यूनिवर्सिटी के चीफ प्लेसमेंट ऑफिसर जी. बालासुब्रमण्यन ने कहा, 'इस वर्ष रिक्रूटर्स की संख्या में 40 पर्सेंट से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। गोवा कैंपस में तो आंकड़ा 100 पर्सेंट का है।' बिट्स के पिलानी, गोवा, हैदराबाद और दुबई में कैंपस हैं।
वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ यूनिवर्सिटी के डिप्टी डायरेक्टर (प्लेसमेंट) सैमुअल राजकुमार ने बताया, 'कई कंपनियों ने सैलरी पैकेज औसतन 20 पर्सेंट बढ़ाए हैं।'
नॉन-आईआईटी कॉलेजों में प्लेसमेंट आईआईटी में कैंपस हायरिंग से पहले होता है। आईआईटी में इसकी शुरुआत दिसंबर में होती है। इन इंस्टीट्यूट्स के शुरुआती संकेतों से पता चलता है कि जॉब मार्केट में खुशी के दिन लौट आए हैं।
एपिक सिस्टम्स ने 1,08,300 डॉलर (66.4 लाख रुपये) और स्कूमबर्गर ने 1,05,000 डॉलर (64.4 लाख रुपये) के साथ भारी-भरकम सैलरी की पेशकश करने वाली कंपनियों में जगह बनाई है।
कैम्पस के सूत्रों ने बताया कि गोल्डमैन सैक्स ने इस वर्ष टेक्नॉलजिकल डिवीजन में जॉब के लिए 13 लाख रुपये दिए हैं। पिछले वर्ष यह पेशकश 11 लाख रुपये की थी। स्ट्रैटेजी रोल्स के लिए इनवेस्टमेंट बैंक ने कुछ कैम्पस में 35 लाख रुपये तक ऑफर किए हैं।
अमेजॉन ने मोतीलाल नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, इलाहाबाद और एनआईटी, कालीकट में 3 स्टूडेंट्स को 25 लाख रुपये ऑफर किए हैं। एनआईटी, वारंगल और एनआईटीके, सूरतकल में ऑफर 18 लाख रुपये तक हैं। ये ऑफर डोमेस्टिक जॉब्स के लिए हैं।
इसकी राइवल फ्लिपकार्ट अपनी कंपनियों और सब्सिडियरी मिंट्रा के लिए स्टूडेंट्स को 15 लाख रुपये से कुछ ज्यादा की सैलरी की पेशकश कर रही है।
स्टार्टअप्स भी सैलरी ऑफर देने में पीछे नहीं रहना चाहती। हाई-क्वॉलिटी एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर बनाने वाली कोडनेशन सभी कैम्पस में 24 लाख रुपये का ऑफर दे रही है, जो फ्लिपकार्ट से कुछ ज्यादा है। इसने एनआईटी, वारंगल, वीआईटी यूनिवर्सिटी से हायरिंग की है।

Wednesday, August 6, 2014

खुदकुशी की कोशिश को अपराध की कैटिगरी से बाहर

केंद्र सरकार खुदकुशी की कोशिश को अपराध की कैटिगरी से बाहर करने जा रही है। इसके लिए आईपीसी में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसा करने के लिए सरकार आईपीसी की धारा 309 को खत्म करने जा रही है। यह सूचना गृह मंत्रालय ने संसद को भी दे दी है।
हाल ही में लॉ कमिशन की एक रिपोर्ट में ऐसी सिफारिश की गई थी। 'ह्यूमनाइजेशन ऐंड डिक्रिमिनलाइजेशन ऑफ सूइसाइड' नाम की इस रिपोर्ट में माना गया था कि खुदकुशी की कोशिश करने वाला व्यक्ति किसी मजबूरी के तहत ही ऐसा करता है इसलिए इसे अपराध मानना ठीक नहीं होगा। इस सिफारिश को मानते हुए सरकार ने खुदकुशी को अपराध की श्रेणी से हटाने का फैसला किया है। अभी
 आईपीसी की धारा 309 के मुताबिक आत्महत्या की कोशिश कानून की नजर में दंडनीय अपराध है। इसके लिए कम से कम एक साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
मंगलवार को गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजु ने लोकसभा में कहा कि इस मुद्दे पर विचार विमर्श जारी है। रिजिजु ने सदन को बताया कि भारत के विधि आयोग ने 'ह्यूमनाइजेशन ऐंड डिक्रिमिनलाइजेशन ऑफ सूइसाइड' नाम की 210 पन्नों की रिपोर्ट में सिफारिश की है कि आईपीसी की धारा 309 को कानून के दायरे से हटा देना चाहिए। दरसअल, इस धारा को हटाने की सिफारिश के पीछे दलील है कि यह कानून बेहद अमानवीय है। अपने जवाब में रिजिजु ने कहा कि गृह मंत्रालय विधि आयोग की इस सिफारिश पर अमल करने पर विचार कर रहा है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय आईपीसी व सीआरपीसी की कुछ और धाराओं में संशोधन पर भी विचार कर रहा है।
2011 के एक आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने संसद को इस कानून को अमान्य करने पर विचार करने के लिए कहा था, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। इंडियन जर्नल ऑफ साइकेट्री की 2007 की एक रिपोर्ट में, चेन्नई में स्नेहा नाम का आत्महत्या बचाव नेटवर्क चलाने वाली लक्ष्मी विजय कुमार ने कहा आत्महत्या को अवैध बनाना प्रतिकूल साबित हुआ है। उन्होंने लिखा, 'कई अस्पतालों में आत्महत्या की कोशिश करने वालों को आपातकालीन चिकित्सा देने से इनकार कर दिया जाता है, कानूनी परेशानियों से डरे डॉक्टर जरूरी उपचार देने से हिचकिचाते हैं। आत्महत्या की कोशिशों के वास्तविक आंकड़ों का पता लगाना कठिन है क्योंकि पुलिस और कानूनी दांव-पेचों से बचने के लिए इस तरह के कई कोशिशों को हादसा कहकर टाल दिया जाता है।'

Monday, August 4, 2014

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में विशेष पूजा की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी नेपाल यात्रा के दूसरे दिन विश्व प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में विशेष पूजा की। पीएम मोदी सोमवार सुबह 9 बजे पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचे और भगवान शिव के इस मंदिर में रुद्राभिषेक किया।
यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में शामिल भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर नेपाल में शिव का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है। पशुपतिनाथ मंदिर में पीएम मोदी की पूजा इस वजह से भी खास है, क्योंकि इससे पहले किसी राजनेता ने इस तरह की पूजा में हिस्सा नहीं लिया है।
मोदी ने पशुपतिनाथ मंदिर की जिस पूजा में हिस्सा लिया, उसमें सिर्फ नेपाल राजघराने के लोग ही शामिल होते हैं। इस पूजा के दौरान राजघराने के लोगों के अलावा सिर्फ पुजारी होते हैं। राजघराने की ओर से सहमति जताने के बाद मोदी पूजा में शामिल हुए।
नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर को भारत की ओर से 2501 किलोग्राम चंदन भेंट किया गया है। मंदिर में पूजा करने के बाद पीएम मोदी होटेल के लिए रवाना हो गए। पीएम का नेपाल के राष्ट्रपति रामबरन यादव से मुलाकात का कार्यक्रम है। इस मीटिंग के बाद मोदी नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार और माओवादी नेता प्रचंड से भी मिलेंगे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेपाल के मधेसी नेताओं और कारोबारियों से भी मिलने का कार्यक्रम है। शाम करीब साढ़े पांच बजे मोदी दिल्ली के लिए रवाना होंगे