देश में सदियों पुरानी मान्यताओं के अनुसार ब्रज के
घरों और मंदिरों में भगवान कृष्ण जन्मोत्सव रात्रि में ही मनाया जाता है लेकिन कुछ
मंदिरों में भगवान का जन्मोत्सव दिन में ही होता है ।
वृंदावन में ठाकुर राधारमण बिहारी मंदिर में पिछले 400 वर्षों से यही परंपरा चली आ रही है। राधारमण मंदिर में राधारमण लालजू जी का जन्म बुधवार को दिन में कराया गया।
मंदिर के सेवायत श्रीवत्स गोस्वामी के अनुसार चूंकि माता यशोदा नहीं चाहती हैं कि उनके लला को कोई भरी नींद में सोते से जगाए इसलिए यहां दिन में भगवान का अभिषेक कर जन्मोत्सव मनाया जाता है।
वृंदावन में ठाकुर राधारमण बिहारी मंदिर में पिछले 400 वर्षों से यही परंपरा चली आ रही है। राधारमण मंदिर में राधारमण लालजू जी का जन्म बुधवार को दिन में कराया गया।
मंदिर के सेवायत श्रीवत्स गोस्वामी के अनुसार चूंकि माता यशोदा नहीं चाहती हैं कि उनके लला को कोई भरी नींद में सोते से जगाए इसलिए यहां दिन में भगवान का अभिषेक कर जन्मोत्सव मनाया जाता है।
चैतन्य महाप्रभु के शिष्यों में प्रमुख रहे गोपाल
भक्त गोस्वामी द्वारा स्थापित इस मंदिर में ठाकुरजी के सालिग्राम स्वरूप की पूजा
की जाती है। मान्यताओं के अनुसार भगवान ने गोपाल भक्त गोस्वामी के प्रेम के वशीभूत
सालिग्राम की शिला को मूर्तरूप दे दिया। तभी से यहां उनके इसी रूप की सेवा की जाती
है।
उन्होंने बताया कि आज राधारमण लाल मंदिर में 2100 किलो दूध, दही, घृत, शहद, शक्कर, पंचगव्य, सर्वौषधि, गंधाष्टक, बीजाष्टक सहित 54 औषधियों तथा जड़ी-बूटियों से महाभिषेक कराया गया।
उन्होंने बताया कि आज राधारमण लाल मंदिर में 2100 किलो दूध, दही, घृत, शहद, शक्कर, पंचगव्य, सर्वौषधि, गंधाष्टक, बीजाष्टक सहित 54 औषधियों तथा जड़ी-बूटियों से महाभिषेक कराया गया।
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