Friday, August 30, 2013

बिगड़ते आर्थिक हालात के लिए कुछ अपनी जिम्मेदारी भी मानी

 प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में बिगड़ते आर्थिक हालात के लिए कुछ अपनी जिम्मेदारी भी मानी है। उन्होंने संसद में कहा कि इसके लिए कुछ 'घरेलू कारण' भी जिम्मेदार हैं। उन्होंने सदन में शुक्रवार को बयान देने से पहले डिवेलपमेंट्स पर सोचने के लिए कुछ और समय मांगा।
विपक्ष के नेता अरुण जेटली के बढ़ते आर्थिक संकट पर प्रधानमंत्री से बयान की मांग करने के बाद रुपए में भारी गिरावट और बढ़ते फिस्कल डेफिसिट पर चुप्पी तोड़ते हुए सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा, 'इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है। इसके कई कारण हैं। इसकी कुछ घरेलू वजहें भी हैं।'

सिंह ने रुपए और देश की इकॉनमी पर असर डालने वाले कुछ ग्लोबल फैक्टर्स का भी जिक्र किया। उनका कहना था कि अमेरिका में 85 अरब डॉलर के बॉन्ड बायबैक प्रोग्राम को वापस लिए जाने और सीरिया पर पश्चिमी देशों की संभावित सैन्य कार्रवाई से क्रूड ऑयल महंगा हुआ है। उन्होंने कहा, 'हमें इन्हें स्वीकार करना होगा।'
जेटली ने इकनॉमिक क्राइसिस मैनेजमेंट को लेकर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, 'हायर इनफ्लेशन, फूड प्रॉडक्ट्स की ज्यादा कीमत और महंगे क्रूड ऑयल खराब संकेत हैं। रुपया लगातार गिर रहा है। लोकतंत्र में जिम्मेदारी प्रधानमंत्री पर आकर रुकती है। यह प्रधानमंत्री के साथ गायब नहीं हो जाती। फाइनैंस मिनिस्टर ने 10 पॉइंट का फॉर्म्युला पेश किया है, जो इकनॉमिक थ्योरी ज्यादा लगती है। हम जानते हैं कि करेंट अकाउंट डेफिसिट बढ़ रहा है, लेकिन क्राइसिस खत्म करने के लिए सरकार क्या कर रही है?'
यह मुद्दा लोकसभा में भी उठा, जहां विपक्षी दलों के साथ ही समाजवादी पार्टी (एसपी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने भी केंद्र की आलोचना की। विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, एसपी प्रमुख मुलायम सिंह यादव, सीपीएम के बासुदेव आचार्य और तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत रॉय ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह भी बताना चाहिए कि समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस ने संकट से निपटने के लिए सभी दलों को एक साथ आने के लिए कहा है।

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