Friday, August 30, 2013

जीमेल-नहीं

सरकारी कमर्चारी अब जीमेल से ऑफिशल कम्यूनिकेशन नहीं कर पाएंगे। सरकार इस बारे में जल्द ही एंप्लॉयीज़ को निर्देश जारी करेगी। इसका मकसद गुप्त सरकारी सूचनाओं की सुरक्षा बढ़ाना है। अमेरिका में साइबर जासूसी मामलों का खुलासा होने के बाद भारत सरकार ने यह फैसला किया है।
कम्यूनिकेशंस ऐंड इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी मिनिस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि सरकार इस बारे में तकरीबन 5 लाख सरकारी एंप्लॉयीज़ को नोटिफिकेशन भेजने की तैयारी में है। इसमें एंप्लॉयीज़ को जीमेल सर्विस का इस्तेमाल बंद करने के लिए कहा जाएगा। जीमेल का सर्वर अमेरिका में है। उन्हें ऑफिशल ईमेल के लिए भारत के नैशनल इन्फर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) की ईमेल सर्विस का इस्तेमाल करने के लिए कहा जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी डिपार्टमेंट में सेक्रेटरी जे सत्यनारायण ने बताया, 'जीमेल सर्वर देश से बाहर होने के कारण भारतीय यूजर्स का जीमेल डेटा बाकी देशों में होता है। अभी हम सरकारी मामलों में इससे निपटने में जुटे हैं, जहां अहम डेटा हैं।'
सरकार ने यह कदम पूर्व अमेरिकी नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी कॉन्ट्रैक्टर एडवर्ड स्नोडेन के खुलासे के बाद उठाया है। स्नोडेन के मुताबिक, अमेरिका सरकार का ऐक्सेस गूगल, फेसबुक और ऐपल से जुड़े ईमेल और चैट तक है। प्रिज्म नाम के प्रोग्राम के जरिए अमेरिकी सरकार के पास इन कंपनियों से जुड़े पर्सनल डेटा का ऐक्सेस है। स्नोडेन के लीक किए गए डॉक्युमेंट्स के मुताबिक, नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी के कई देशों का नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐक्सेस किए जाने की आशंका है, जिससे इन देशों की सुरक्षा चिंताएं बढ़ सकती हैं।
गूगल इंडिया की प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी को इस बैन के बारे में किसी तरह की सूचना नहीं दी गई है, लिहाजा वह इस पर कॉमेंट नहीं कर सकती हैं। उन्होंने ईमेल से बताया, 'अभी तक आधारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है, अभी यह सिर्फ अटकल है।' इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी डिपार्टमेंट के एक सीनियर अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि ऑफिशल मेल सर्विस के मुकाबले जीमेल में सहूलियत होने के कारण एंप्लॉयीज इस सर्विस का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।
 

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