सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) इस महीने
के आखिर में सुप्रीम कोर्ट को बताएगी कि कोल ब्लॉक अलोकेशन स्कैंडल में कोयला
मंत्रालय से अहम दस्तावेज न मिलने के कारण इस मामले की जांच अप्रभावी रही है। साथ
ही इन दस्तावेजों के रहस्यमय ढंग से गायब होने की जांच करने का प्रस्ताव भी रख
सकती है। सीबीआई के डायरेक्टर रंजीत सिन्हा का कहना है कि जांच एजेंसी 27 अगस्त को होने
वाली अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट को गायब हुई फाइल के बारे में बताएगी। जांच
एजेंसी के एक सीनियर अधिकारी ने संकेत दिया कि जांच को बढ़ाकर गायब हुई फाइल तक
किया जा सकता है।
अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'हम इस बात की जांच करने को तैयार हैं कि फाइलें आखिर कैसे गायब हो गईं। ये सभी अहम फाइलें हैं। इनके बिना हम अपनी जांच नहीं पूरी कर पाएंगे।' अधिकारी ने बताया कि सरकार ने अभी तक औपचारिक रूप से सीबीआई को इन फाइल के स्टेट्स के बारे में सूचित नहीं किया है। उन्होंने बताया कि ये फाइल्स कैसे गायब हो गईं या चुरा ली गईं, इसका जवाब देना सरकार की जिम्मेदारी होगी। सीबीआई का यह बयान उन रिपोर्ट्स के बीच आया है, जिसमें कहा गया है कि कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़ी और फाइलें (कोयला मंत्रालय द्वारा घोषित गायब फाइलों के अतिरिक्त) कोयला मंत्रालय में नहीं मिली हैं। फाइलें गायब होने की खबर आने के बाद सोमवार और मंगलवार को दोनों सदनों की कार्यवाही भी बाधित हुई। बीजेपी का कहना है कि फाइलें गायब होना, प्रधानमंत्री को बचाने से जुड़े षड्यंत्र का हिस्सा है। वहीं, लेफ्ट पार्टियों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने शनिवार को स्वीकार किया कि कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़ी 8-10 या इससे अधिक फाइलें गायब हो गई हैं। यह फाइलें 1993-2004 के बीच की है। जायसवाल ने इसे चिंता का विषय बताया है। उन्होंने कहा कि इन फाइलों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। जायसवाल के इस मुद्दे पर मंगलवार को संसद में बयान देने की उम्मीद है। कोयला मंत्रालय ने इन गायब हुई फाइलों का पता लगाने के लिए एक अडिशनल सेक्रेटरी लेवल के अधिकारी को लगाया है, लेकिन अगर फाइलों को कोई पता नहीं चलता है तो इस मामले में आपराधिक जांच शुरू की जा सकती है। एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने इन फाइलों के लिए पिछले दो महीने में कोयला मंत्रालय को तीन रिमाइंडर भेजे हैं। उन्होंने बताया कि आखिरी रिमाइंडर पिछले हफ्ते ही भेजा गया है। सीबीआई ने मंत्रालय को पहले ही बता दिया है कि कोल ब्लॉक आवंटन स्कैम मामले में उसके द्वारा 13 एफआईआर दर्ज कराई गई हैं और ये फाइल इन केस में बेहद अहम साबित होंगी।
अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'हम इस बात की जांच करने को तैयार हैं कि फाइलें आखिर कैसे गायब हो गईं। ये सभी अहम फाइलें हैं। इनके बिना हम अपनी जांच नहीं पूरी कर पाएंगे।' अधिकारी ने बताया कि सरकार ने अभी तक औपचारिक रूप से सीबीआई को इन फाइल के स्टेट्स के बारे में सूचित नहीं किया है। उन्होंने बताया कि ये फाइल्स कैसे गायब हो गईं या चुरा ली गईं, इसका जवाब देना सरकार की जिम्मेदारी होगी। सीबीआई का यह बयान उन रिपोर्ट्स के बीच आया है, जिसमें कहा गया है कि कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़ी और फाइलें (कोयला मंत्रालय द्वारा घोषित गायब फाइलों के अतिरिक्त) कोयला मंत्रालय में नहीं मिली हैं। फाइलें गायब होने की खबर आने के बाद सोमवार और मंगलवार को दोनों सदनों की कार्यवाही भी बाधित हुई। बीजेपी का कहना है कि फाइलें गायब होना, प्रधानमंत्री को बचाने से जुड़े षड्यंत्र का हिस्सा है। वहीं, लेफ्ट पार्टियों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने शनिवार को स्वीकार किया कि कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़ी 8-10 या इससे अधिक फाइलें गायब हो गई हैं। यह फाइलें 1993-2004 के बीच की है। जायसवाल ने इसे चिंता का विषय बताया है। उन्होंने कहा कि इन फाइलों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। जायसवाल के इस मुद्दे पर मंगलवार को संसद में बयान देने की उम्मीद है। कोयला मंत्रालय ने इन गायब हुई फाइलों का पता लगाने के लिए एक अडिशनल सेक्रेटरी लेवल के अधिकारी को लगाया है, लेकिन अगर फाइलों को कोई पता नहीं चलता है तो इस मामले में आपराधिक जांच शुरू की जा सकती है। एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने इन फाइलों के लिए पिछले दो महीने में कोयला मंत्रालय को तीन रिमाइंडर भेजे हैं। उन्होंने बताया कि आखिरी रिमाइंडर पिछले हफ्ते ही भेजा गया है। सीबीआई ने मंत्रालय को पहले ही बता दिया है कि कोल ब्लॉक आवंटन स्कैम मामले में उसके द्वारा 13 एफआईआर दर्ज कराई गई हैं और ये फाइल इन केस में बेहद अहम साबित होंगी।
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