मामला आतंकवाद और
राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ ही क्यों न हो, हमारे देश के नेता हर मसले को
राजनीतिक नफा-नुकसान की कसौटी पर कसने से बाज नहीं आते हैं। इसका ताजा उदाहरण
जम्मू-कश्मीर के पुंछ में 5 भारतीय सैनिकों की हत्या के बाद
सामने आया है। बीजेपी ने जहां लोकसभा और राज्यसभा में रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी
के बयान पर जमकर हंगामा किया, तो कांग्रेस ने आंकड़े के जरिए
यह साबित करने की कोशिश की कि एनडीए शासनकाल में ज्यादा लोग और सैनिक आतंकवाद के
शिकार हुए। बाद में राज्यसभा में एटंनी ने कहा कि उनके पास जो जानकारी थी, उसके आधार पर उन्होंने कल बयान दिया था। उन्होंने कहा कि आर्मी चीफ जनरल
बिक्रम सिंह वहां गए हैं और उनकी रिपोर्ट के बाद वह सदस्यों को और जानकारी दे
पाएंगे।
गौरतलब है कि एंटनी ने संसद में अपने बयान में सीधे-सीधे पाकिस्तानी सेना का नाम लेने के बजाय कहा था कि हमले में शामिल लोग पाकिस्तानी सेना की वर्दी में थे। मंगलवार को एंटनी के भाषण के बाद से ही यह सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने हमलावरों का जिक्र पाकिस्तानी सेना की वर्दी में लोग के रूप में क्यों किया? बीजेपी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि हमने खुद पाकिस्तान को बच निकलने का रास्ता दे दिया है।
बुधवार को राज्यसभा में जहां वेंकैया नायडू ने रक्षा मंत्री से जवाब मांगा, तो वहीं लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने रक्षा मंत्री से देश से अपने बयान पर माफी मांगने को कहा। हंगामा होता देख दोनों सदनों की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्रालय के बयान में अंतर को लेकर नायडू ने कहा कि रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान की भाषा बोली। सुषमा स्वराज ने लोकसभा में रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्रालय के बयान के अंश पढ़े और कहा कि दोनों बयान विरोधाभाषी हैं। उन्होंने कहा कि एंटनी के बयान ने तथ्यों को पूरी तरह से बदल दिया और पाकिस्तान को बरी कर दिया।
गौरतलब है कि एंटनी ने संसद में अपने बयान में सीधे-सीधे पाकिस्तानी सेना का नाम लेने के बजाय कहा था कि हमले में शामिल लोग पाकिस्तानी सेना की वर्दी में थे। मंगलवार को एंटनी के भाषण के बाद से ही यह सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने हमलावरों का जिक्र पाकिस्तानी सेना की वर्दी में लोग के रूप में क्यों किया? बीजेपी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि हमने खुद पाकिस्तान को बच निकलने का रास्ता दे दिया है।
बुधवार को राज्यसभा में जहां वेंकैया नायडू ने रक्षा मंत्री से जवाब मांगा, तो वहीं लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने रक्षा मंत्री से देश से अपने बयान पर माफी मांगने को कहा। हंगामा होता देख दोनों सदनों की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्रालय के बयान में अंतर को लेकर नायडू ने कहा कि रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान की भाषा बोली। सुषमा स्वराज ने लोकसभा में रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्रालय के बयान के अंश पढ़े और कहा कि दोनों बयान विरोधाभाषी हैं। उन्होंने कहा कि एंटनी के बयान ने तथ्यों को पूरी तरह से बदल दिया और पाकिस्तान को बरी कर दिया।
लोकसभा की
कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, 'कल हमने 5
भारतीय सैनिकों की शहादत पर रक्षा मंत्री से बयान देने की मांग की
थी। रक्षा मंत्री का बयान आया। इस बीच, दोपहर में रक्षा
मंत्रालय का बयान भी आया। दोनों बयान अलग-अलग थे। हालांकि रक्षा मंत्री के बयान के
बाद रक्षा मंत्रालय के बयान का स्वरूप ही बदल गया।' उन्होंने
कहा, 'रक्षा मंत्रालय ने पहले कहा था कि भारी हथियारों से
लैस 20 आतंकवादी जिसमें पाकिस्तानी सैनिक भी शामिल थे,
उन्होंने भारतीय चौकी को निशाना बनाया। रक्षा मंत्री ने बयान दिया
कि भारी हथियारों से लैस 20 आतंकवादी जो पाकिस्तानी सेना की
वर्दी पहने हुए थे, उन्होंने भारतीय चौकी को निशाना बनाया।'
सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से स्पष्टीकरण देने की मांग करते हुए कहा कि रक्षा मंत्री तथ्य स्वीकार करें और देश से माफी मांगे। विपक्ष की नेता कहा कि सदन में अभी रक्षा मंत्री नहीं हैं, लेकिन संयोग से प्रधानमंत्री मौजूद है। प्रधानमंत्री कहें कि इस घटना के लिए पाकिस्तानी सेना दोषी है। सुषमा ने स्पीकर मीरा कुमार से कहा, 'हमें आपका संरक्षण चाहिए। आप प्रधानमंत्री को निर्देश दें कि वह प्रतिक्रिया व्यक्त करे। प्रधानमंत्रीजी आप उठें और जवाब दें।' बहरहाल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान नहीं देने पर भाजपा सदस्य हंगामा करने लगे और शोरशराबा बढ़ता देख अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए और फिर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
एके एंटनी के बयान को लेकर बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने संसद में विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी दिया है। यशवंत सिन्हा ने पाकिस्तान के हमले पर रक्षामंत्री एके एंटनी के बयान को हास्यास्पद करार दिया और तल्ख स्वर में कटाक्ष करते हुए पूछा है कि क्या एंटनी पाकिस्तान के रक्षा मंत्री हैं? दूसरी ओर, कमलनाथ ने कहा है कि इसमें विशेषाधिकार का कोई मामला नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि उस समय तक जो जानकारी मिली थी, एंटनी ने उसी आधार पर बयान दिया।
संसद में घिरती यूपीए सरकार के बचाव के लिए कांग्रेस महासचिव और मीडिया विभाग के प्रमुख अजय माकन ट्विटर के जरिए सामने आए। उन्होंने कह, 'जवानों की हत्या पर आज बीजेपी बोल रही है, लेकिन उसे अप्रैल 2001 में बांग्लादेश की सीमा पर 16 बीएसपी जवानों की मौत को याद करना चाहिए। 1998-2004 के बीच जम्मू कश्मीर में 6115 नागरिकों की हत्या हुई। यानी औसतन 874 सालाना मौत हुई। यूपीए सरकार के समय में पिछले साल सिर्फ 15 लोगों की मौत हुई है, जो कि दो दशक में सबसे कम है।
सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से स्पष्टीकरण देने की मांग करते हुए कहा कि रक्षा मंत्री तथ्य स्वीकार करें और देश से माफी मांगे। विपक्ष की नेता कहा कि सदन में अभी रक्षा मंत्री नहीं हैं, लेकिन संयोग से प्रधानमंत्री मौजूद है। प्रधानमंत्री कहें कि इस घटना के लिए पाकिस्तानी सेना दोषी है। सुषमा ने स्पीकर मीरा कुमार से कहा, 'हमें आपका संरक्षण चाहिए। आप प्रधानमंत्री को निर्देश दें कि वह प्रतिक्रिया व्यक्त करे। प्रधानमंत्रीजी आप उठें और जवाब दें।' बहरहाल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान नहीं देने पर भाजपा सदस्य हंगामा करने लगे और शोरशराबा बढ़ता देख अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए और फिर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
एके एंटनी के बयान को लेकर बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने संसद में विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी दिया है। यशवंत सिन्हा ने पाकिस्तान के हमले पर रक्षामंत्री एके एंटनी के बयान को हास्यास्पद करार दिया और तल्ख स्वर में कटाक्ष करते हुए पूछा है कि क्या एंटनी पाकिस्तान के रक्षा मंत्री हैं? दूसरी ओर, कमलनाथ ने कहा है कि इसमें विशेषाधिकार का कोई मामला नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि उस समय तक जो जानकारी मिली थी, एंटनी ने उसी आधार पर बयान दिया।
संसद में घिरती यूपीए सरकार के बचाव के लिए कांग्रेस महासचिव और मीडिया विभाग के प्रमुख अजय माकन ट्विटर के जरिए सामने आए। उन्होंने कह, 'जवानों की हत्या पर आज बीजेपी बोल रही है, लेकिन उसे अप्रैल 2001 में बांग्लादेश की सीमा पर 16 बीएसपी जवानों की मौत को याद करना चाहिए। 1998-2004 के बीच जम्मू कश्मीर में 6115 नागरिकों की हत्या हुई। यानी औसतन 874 सालाना मौत हुई। यूपीए सरकार के समय में पिछले साल सिर्फ 15 लोगों की मौत हुई है, जो कि दो दशक में सबसे कम है।
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