वह जमाना गुजर गया जब भारतीय महिलाएं पारंपरिक कुर्ता, सलवार पहने
और घूंघट डाले होती थीं। जमाने की रफ्तार के साथ कदम-कदम से मिलाकर महिलाएं भी
जीना सीख गई हैं और परंपराओं के मकड़जाल से बाहर निकलकर अपनी मर्जी की जिंदगी जीने
को तरजीह दे रही हैं।
रुझानों से पता चलता है कि महिलाएं अपने इनरवेअर को लेकर काफी अलर्ट लगती हैं। वे इन वस्त्रों की ज्यादा से ज्यादा खरीददारी कर रही हैं। कंसल्टेंसी फर्म वजीर अडवाइजर्स की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, एक भारतीय महिला पहले के 5-6 पीस ब्रैजियर की तुलना में अब करीब 8 ब्रैजियर स्टॉक में अपने पास रखती हैं। उनके वार्डरोब में पैंटीज की संख्या लगभग दोगुनी होकर 10 हो गई है। हालांकि इनरवेअर को लेकर काफी बदलाव आए हैं लेकिन आउटरवेअर में इसकी तुलना में ज्यादा बदलाव हुआ है। परंपरागत वस्त्रों की जगह पश्चिमी स्टाइल के जींस, पैंट, शर्ट, बिकीनी, ब्रा ने ले लिया है।
भारतीय महिलाओं के इस बढ़ते रुझान से देसी ब्रैंड्स जैसे सोई, कोल्विया, कैलिबरा, प्रिटी सीक्रिट और सोनारी को रंग-बिरंगे और अलग-अलग पैटर्न के अपने प्रॉडक्ट को लॉन्च करने के लिए हौसला मिला है। करीब 11,000 करोड़ के इस मार्केट में वे अपनी पहचान बना रहे हैं। ऑनलाइन फैशन रिटेलर फैशनराडॉटकॉम के सह संस्थापक और चीफ ऐग्जिक्युटिव अरुण सिरदेशमुख ने कहा, 'ऑनलाइन बिकने वाली हर 10 इनरवेयर में करीब चार देसी ब्रैंड के होते हैं। इन देसी ब्रैंड्स ने अपने चमकते रंगों,डिजाइन और कट्स वाले प्रॉडक्ट की मदद से मिड प्रीमियम मार्केट में मजबूत पकड़ बनाई है। ज्यादातर भारतीय ब्रैंड्स लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
वजीर अडवाइजर्स के मैनेजमेंट कंसल्टेंट प्रशांत अग्रवाल ने बताया, 'ज्यादातर भारतीय ब्रैंड मिड इकॉनमी सेगमेंट में है और जनमानस को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। सिर्फ एक या दो ब्रैंड्स ही प्रीमियम सेगमेंट में हैं। अवसर को देखते हुए अब सोनारी प्रीमियम रेंज में प्रॉडक्ट लॉन्च कर रही है और आने वाले समय में हम देखेंगे कि और भी डोमेस्टि ब्रैंड्स इसका अनुसरण कर रहे हैं।'
रुझानों से पता चलता है कि महिलाएं अपने इनरवेअर को लेकर काफी अलर्ट लगती हैं। वे इन वस्त्रों की ज्यादा से ज्यादा खरीददारी कर रही हैं। कंसल्टेंसी फर्म वजीर अडवाइजर्स की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, एक भारतीय महिला पहले के 5-6 पीस ब्रैजियर की तुलना में अब करीब 8 ब्रैजियर स्टॉक में अपने पास रखती हैं। उनके वार्डरोब में पैंटीज की संख्या लगभग दोगुनी होकर 10 हो गई है। हालांकि इनरवेअर को लेकर काफी बदलाव आए हैं लेकिन आउटरवेअर में इसकी तुलना में ज्यादा बदलाव हुआ है। परंपरागत वस्त्रों की जगह पश्चिमी स्टाइल के जींस, पैंट, शर्ट, बिकीनी, ब्रा ने ले लिया है।
भारतीय महिलाओं के इस बढ़ते रुझान से देसी ब्रैंड्स जैसे सोई, कोल्विया, कैलिबरा, प्रिटी सीक्रिट और सोनारी को रंग-बिरंगे और अलग-अलग पैटर्न के अपने प्रॉडक्ट को लॉन्च करने के लिए हौसला मिला है। करीब 11,000 करोड़ के इस मार्केट में वे अपनी पहचान बना रहे हैं। ऑनलाइन फैशन रिटेलर फैशनराडॉटकॉम के सह संस्थापक और चीफ ऐग्जिक्युटिव अरुण सिरदेशमुख ने कहा, 'ऑनलाइन बिकने वाली हर 10 इनरवेयर में करीब चार देसी ब्रैंड के होते हैं। इन देसी ब्रैंड्स ने अपने चमकते रंगों,डिजाइन और कट्स वाले प्रॉडक्ट की मदद से मिड प्रीमियम मार्केट में मजबूत पकड़ बनाई है। ज्यादातर भारतीय ब्रैंड्स लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
वजीर अडवाइजर्स के मैनेजमेंट कंसल्टेंट प्रशांत अग्रवाल ने बताया, 'ज्यादातर भारतीय ब्रैंड मिड इकॉनमी सेगमेंट में है और जनमानस को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। सिर्फ एक या दो ब्रैंड्स ही प्रीमियम सेगमेंट में हैं। अवसर को देखते हुए अब सोनारी प्रीमियम रेंज में प्रॉडक्ट लॉन्च कर रही है और आने वाले समय में हम देखेंगे कि और भी डोमेस्टि ब्रैंड्स इसका अनुसरण कर रहे हैं।'
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