Friday, July 31, 2015

स्मृति ईरानी को 'काम वाली बाई'

कांग्रेस महासचिव गुरुदास कामत ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को 'काम वाली बाई' बताकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी कामत ने राजस्थान के पाली में एक जनसभा के दौरान कहा, 'उसके (स्मृति ईरानी) परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी। इसलिए उसने वर्सोवा में एक होटल में भी काम किया। तब स्मृति सिर्फ 10वीं पास थीं और होटल में टेबलें साफ किय़ा करती थीं।'
ईरानी के परिवार को करीब से जानने का दावा करने वाले कामत ने कहा, 'भाजपा सत्ता में आई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें शिक्षा मंत्री बना दिया। जो कि अशिक्षित हैं और 'मैं तुलसी तेरे आंगन की' जैसे सीरियल में काम कर चुकी हैं।'
गुरुदास कामत यहीं नहीं रूके, उन्होंने पीएम मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम पर भी विवादित बयान देते हुए कहा, 'जिस व्यक्ति ने 40 साल से अपनी पत्नी को छोड़ रखा हो, वह कैसे लोगों को पारिवारिक खुशियों के बारे में बता सकता है? वह कैसे लोगों को पढ़ा सकता है?'
राजस्थान में ही एक और सभा में पीएम मोदी की हिटलर से तुलना करते हुए कहा, 'पीएम मोदी हिटलर की तरह हैं, जिन्होंने चुनाव जीतने के लिए झूठे वादे किए। देश में एक भी राजनेता ऐसा नहीं है, जिसने इतने निचले स्तर तक गिरकर काम किया हो।' इस सभा के दौरान सचिन पायलट भी मौजूद थे।

मोटापा

मोटापे की समस्या से निपटने के लिए अब तक कई तरह की दवाएं तैयार की जा चुकी हैं। लेकिन, अब एक ऐसी दवा आने वाली है, जो मोटापा बढ़ाने वाले तत्वों को आपके शरीर में ही नहीं घुसने देगी । दुनिया भर में महामारी जैसी समस्या बन चुका मोटापा इस दवा के प्रभाव से आपके शरीर से दूर ही रहेगा। शोधकर्ताओं के मुताबिक बीते कुठ सालों में मोटापे की समस्या ने बहुत तेजी से अपने पांव फैलाए हैं।
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने 'एमएसपी' नाम से एक ऐसी दवा तैयार करने का काम किया है, जो शरीर में फैट बढ़ाने वाले पार्टिकल्स से लड़ने का काम करेगी। कन्सास यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की ओर से तैयार यह दवा आंतों में मौजूद ऐसे पदार्थों से लड़ेगी, जो आसानी से हजम नहीं होते। इस दवा के असर से यह तत्व मल के साथ बाहर निकल जाएंगे।
मोटापे की समस्या से निजात पाने के लिए फिलहाल जो दवाएं बाजार में मौजूद हैं, उनको लेकर भी कई तरह की मुश्किलें हैं। कई बार यह मोटापा तो कम नहीं कर पातीं, बल्कि अन्य साइड इफेक्ट्स पैदा करती हैं। जिससे दिल की बीमारियां और अवसाद की समस्या भी बढ़ जाती है। इसके अलावा मोटापे की समस्या से निजात के लिए हालिया दौर में सर्जरी और व्यायाम जैसे तरीके प्रचलित हैं।

Tuesday, July 28, 2015

भावपूर्ण श्रद्धांजलि – शत शत नमन

पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने जिस वक्त आखिरी सांस ली थी, उस वक्त उनके करीबी सहयोगी सृजन पाल सिंह वहीं थे। उन्होंने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर डॉक्टर कलाम के आखिरी पलों का जिक्र किया है। हम सृजन पाल सिंह की फेसबुक पोस्ट से उन पलों की कहानी आपके सामने रख रहे हैं:
"
हम लेक्चर हॉल में गए। वह लेट नहीं होना चाहते थे। वह हमेशा कहते थे कि छात्रों से इंतजार नहीं करवाया जाना चाहिए। मैंने तुरंत उनका माइक सेट किया, लेक्चर के बारे में थोड़ा ब्रीफ किया और कंप्यूटर संभाल लिया। जैसे ही मैंने उनका माइक सेट किया, वह मुस्कुराए और बोले, 'Funny Guy! सब ठीक है न?'
जब कभी वह Funny guy कहते, इसके कई मतलब निकलते। इसका मतलब इस बात पर निर्भर करता कि उनकी टोन कैसी थी और आपने क्या अंदाजा लगाया। इसका मतलब यह हो सकता है कि तुमने बहुत बढ़िया काम किया और यह भी कि तुमने कुछ गड़बड़ कर दी है। पिछले 6 सालों में मुझे 'Funny guy' का मतलब समझ आना शुरू हो गया था। इस बार इसे समझने का आखिरी मौका था।
'Funny guy!
सब ठीक है?', उन्होंने कहा। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, 'जी हां।' ये उनके कहे आखिरी शब्द थे। मैं उनके पीछे बैठा था। उनके दो मिनट के भाषण के बाद मैंने कुछ महसूस किया कि उन्होंने कुछ ज्यादा ही लंबा ठहराव ले लिया है। जैसे ही मैंने उनकी तरफ नजर उठाई, तभी वह गिर गए।
हमने उन्हें उठाया। डॉक्टर दौड़ता हुआ आया और हमने वह सब कुछ किया, जो कर सकते थे। मैं उनकी बिल्कुल थोड़ी सी खुली आंखों का वह मंजर नहीं भूल सकता। एक हाथ से मैंने उनका सिर पकड़ा था। उनका हाथ मेरी उंगली पर भिंचा हुआ था। उनके चेहरे पर स्थितरता थी और उनकी उन खामोश आंखों से मानो ज्ञान की आभा बिखर रही थी।
उन्होंने कुछ नहीं कहा। उनके चेहरे पर दर्द का भी नामो-निशान तक नहीं था। पांच मिनट के अंदर हम नजदीकी अस्पताल में थे। कुछ ही मिनटों में उन्होंने हमें बताया कि मिसाइल मैन ने उड़ान भर ली है, हमेशा के लिए। मैंने आखिरी बार उनके चरण स्पर्श किए। अलविदा बुजुर्ग दोस्त! महान परमार्शदाता! विचारों में दर्शन करूंगा और अगले जन्म में मुलाकात।"


हमारी ओर से उस महान हस्ती को भावपूर्ण श्रद्धांजलि – शत शत नमन 

Monday, July 27, 2015

जल्द ही एक साधारण सा ब्लड टेस्ट बता देगा कि आपको डायबीटीज़ हो सकती है या नहीं

जल्द ही एक साधारण सा ब्लड टेस्ट बता देगा कि आपको डायबीटीज़ हो सकती है या नहीं। इसके बाद आप अपने लाइफ स्टाइल में बदलाव लाकर इस समस्या को टाल सकते हैं या बच भी सकते हैं। यही नहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक नए रीसर्च से मिली यह जानकारी डायबीटीज़ को रोकने वाली दवा को तैयार करने में मददगार साबित हो सकती है।
चेन्नै के रामचंद्रन डायबीटीज़ हॉस्पिटल के साइंटिस्ट्स ने प्री-डायबीटिक स्टेज में वाले लोगों में कुछ 'बायोमार्कर्स' की पहचान की है। यह शोध डायबीटीज़ रीसर्च ऐंड क्लिनिकल प्रैक्टिस में छपा है। यह रीसर्च 35 से 55 साल के भारतीयों पर किया गया था। बायोमार्कर्स वे बायोकेमिकल्स हैं, जिनके बदले हुए लेवल बीमारियों की तरफ इशारा करते हैं। वैज्ञानिकों ने कैंसर और दिल की बीमारियों के लिए ऐसे बायोमार्कर्स की पहचान कर ली है, लेकिन अभी तक डायबीटीज़ की नहीं हो पाई थी। रीसर्चर्स ने दो बायोमार्कर्स ऐडिपोनेक्टिन और इंटरलूकिन-6 की पहचान की और डायबीटीज़ में उनकी भूमिका के बारे में शोध किया।
ऐडिपोनेक्टिन एक प्रोटीन है जो इंसूलिन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाती है। इंटरलूकिन-6 एक ऐसा मार्कर है जो डायबीटीज़ व अन्य समस्याओं की तरफ इशारा करता है। ऐडिपोनेक्टिन के कम लेवल और इंटरलूकिन-6 के ज्यादा लेवल बताते हैं कि व्यक्ति को दो साल के अंदर डायबीटीज़ होने की 200 से ज्यादा संभावनाएं हो सकती हैं। डॉक्टरों ने कहा कि इस रिस्क का अंदाजा उम्र, परिवार के इतिहास, स्ट्रेस, बीएमआई और मोटापे के स्तर के आधार पर लगाया गया है।
एक साधारण से ब्लड टेस्ट के जरिए देखा जा सकता है कि उसे भविष्य में डायबीटीज़ होने का खतरा है या नहीं। डॉक्टर रामचंद्रन ने कहा कि जो लोग दोनों बायोमार्कर्स के लिए पॉजिटिव पाए जाते हैं, उन्हें अपना लाइफस्टाइल बदल लेना चाहिए। उन्होंने कहा, 'फिजिकल ऐक्टिविटी बढ़ानी चाहिए और हेल्थी डायट अपनानी चाहिए ताकि डायबीटीज़ से बचा जा सके।'
डॉक्टर ने कहा, 'अगर हम ऐसी दवा बनाते हैं, जिससे ये बायोमार्कर्स सही लेवल रखे जा सकें तो संभव है कि डायबीटीज़ रोकी जा सके।'

Thursday, July 23, 2015

जरा इधर भी नजर कीजिए

एक लड़की ने चुपचाप एक स्कूल टीचर को पिछले हफ्ते चिट्ठी दी थी। यह कोई साधारण खत नहीं था। इस खत के जरिए लड़की ने छुट्टी नहीं मांगी थी। इस हताश लड़की ने परेशान होकर टीचर को खत लिख मदद मांगी थी। लड़की ने चिट्ठी में लिखा था कि पिता उसके साथ रेप करता है। उसकी मां चुपचाप देखती है लेकिन कुछ करती नहीं।
टीचर ने खत पाने के बाद वाशी में एक लोकल एनजीओ से संपर्क साधा। एनजीओ ने उस विकृत माता-पिता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। पिछले हफ्ते आठवीं क्लास में पढ़ने वाली 13 साल की इस स्टूडेंट ने अपने टीचर को खत लिखा तो डराने वाला वाकया सामने आया। उसने लिखा था, मेरा पिता मुझसे रेप करता है और मां चुप रहती है।'
लड़की के खत को पढ़ने के बाद बुरी तरह से टूट चुके टीचर इस मामले में एक भी शब्द कहने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं। उन्होंने चिट्ठी को पढ़कर तत्काल फेंक दिया। उन्हें डर था कि उसकी चिट्ठी कोई और पढ़ सकता है। टीचर ने लोकल एनजीओ से संपर्क साधा था। एनजीओ की मदद से ही एफआईआर दर्ज की गई थी। सोमवार की रात पिता और लड़की की मां दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
पुलिस ने कहा, '45 साल के लड़की का पिता फल बेचता है। पुलिस को दिए बयान में लड़की ने कहा है, 'मां के सामने मुझसे मेरा पिता रेप करता है। रेप के बाद मेरी मां मुझे खाने के लिए कुछ दवाई देती थी। जब मैं सात साल की थी तब से ही मेरा बाप मेरे साथ रेप कर रहा है।'  शिकायत के बावजूद मेरी मां ने मदद करने से इनकार कर दिया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि वह प्रेगनेंसी से बचने के लिए मां की तरफ से दी जाने वाली दवाई की जांच कर रही है। रेप पीड़िता की एक बड़ी बहन और एक बड़ा भाई है। इसके साथ ही पीड़िता के दो और छोटे भाई हैं। पीड़िता ने दावा किया है कि जब भाई-बहन घर पर नहीं होते थे तब पिता रेप करता था।  उसने पुलिस से कहा, 'जब मेरे भाई घर पर नहीं होते थे तब पिता रेप करता था। मेरे भाई का घर पर न होना पिता के लिए रेप करने का सुरक्षित मौका होता था। मेरी मां के सामने वह घर में रेप करता रहा लेकिन मां ने मेरी कभी मदद नहीं की।' लड़की ने पुलिस से कहा कि उसने अपनी 17 साल की बहन को भी इस वाकये के बारे में बताया था।
पुलिस ने बताया कि उसकी बड़ी बहन परिवार के साथ नहीं रहती थी। लड़की ने बताया कि उसकी बड़ी बहन पर भी पिता ने यौन हमले किए थे। लड़की ने यह भी बताया कि उसने इससे पहले रेप के बारे में अपने पड़ोसियों को बताया था लेकिन उन्होंने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। पड़ोसियों ने कहा था कि वह खुद ही पुलिस से संपर्क साधे।
वाशी पुलिस स्टेशन के एक पुलिस ऑफिसर ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया, 'कुछ एनजीओ नवी मुंबई के स्कूलों में यौन उत्पीड़न पर काउंसलिंग क्लास शुरू की थी। इसी क्लास के दौरान लड़की ने महसूस किया कि उसे अपने पैरंट्स के खिलाफ बोलना चाहिए।'
पुलिस ने इस मामले में रेप पीड़िता की मां से पूछताछ की है। मां ने अपनी बेटी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। महिला ने दावा किया कि उसे 15 दिन पहले पता चला कि उसका पति बेटी के साथ रेप करता है। महिला ने कहा कि उसने जानने के बाद अपने पति को डांटा और बेटी से अलग रहने को कहा है। फिलहाल लड़की को एनजीओं के संरक्षण में रखा गया है।
लड़की के माता-पिता के खिलाफ इंडियन पिनल कोड के सेक्शन 376(रेप), सेक्शन 5 और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रोम सेक्शुअल ऑफेंस ऐक्ट के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। इस मामले अभी केवल पिता को अरेस्ट किया गया है। लड़की के पिता को थाणे कोर्ट में मंगलवार को पेश किया गया था। फिलहाल उसे गुरुवार तक के लिए पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है।
डेप्युटी कमिश्नर ऑफ पुलिस शाहजी उमा ने इस वाकये की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि इस मामले में पिता को अरेस्ट कर लिया गया है। शाह ने कहा कि इस वारदात में मां की भूमिका की जांच की जा रही है। पीड़िता ने दावा किया है कि उसकी मां के सामने रेप होता था और वह चुप रहती थी। पीड़ित लड़की ने मां पर रेप के बाद दवाई देने का भी आरोप लगाया है।

Wednesday, July 22, 2015

साइट हैक होने से कितने भारतीय प्रभावित

ऑनलाइन डेटिंग साइट 'ऐशले मेडिसन' हैक होने से लाखों भारतीयों के मन में भी डर समाया हुआ है। इस साइट पर पौने तीन लाख से ज्यादा भारतीयों के अकाउंट थे।
शादी के बाद पार्टनर तलाशने वाली इस वेबसाइट को एक हैकर्स के ग्रुप- 'द इम्पैक्ट टीम' ने हैक कर लिया है। हैकर्स का कहना है कि जब तक साइट बंद नहीं हो जाती, वे इसके यूजर्स की पर्सनल प्रोफाइल और क्रेडिट कार्ड की जानकारी जारी करते रहेंगे।
'
ऐशले मेडिसन' के हैकर्स ने दावा किया है कि उन्होंने इस साइट के 3.7 करोड़ यूजर्स की जानकारी चुरा ली है। इसमें उनके ई-मेल्स, क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन और सीक्रिट सेक्शुअल फैंटसीज भी शामिल हैं। इस हैकिंग की जानकारी देने वाली वेबसाइट krebsonsecurity.com के मुताबिक हैकर्स ने रविवार को कुछ यूजर्स के डीटेल्स भी ऑनलाइन कर दिए थे।
'
ऐशले मेडिसन' के अलावा इस जैसी ही एक और सर्विस, इस्टैब्लिश मेन देने वाली कंपनी ऐविड लाइफ मीडिया ने यह बताने से इनकार किया है कि साइट हैक होने से कितने भारतीय प्रभावित हो सकते हैं या हैकिंग के बाद कितने भारतीयों ने अपने अकाउंट डिलीट किए हैं। इसने स्वीकार किया है कि उसे ग्रुप की ओर से पब्लिक डोमेन में डाला गया डेटा डिलीट करना पड़ा।
कंपनी की ओर से एक बयान में कहा गया, 'डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट ऐक्ट (डीएमसीए) का इस्तेमाल करते हुए हमारी टीम ने ऑनलाइन प्रकाशित हुई इस घटना से संबंधित पोस्ट और हमारे यूजर्स की व्यक्तिगत पहचान की सूचना (पीआईआई) सफलतापूर्वक हटा दी हैं।'
हैकर्स ग्रुप ने अपने लेटर में साइट की पॉलिसी को लेकर निशाना साधा है। इसके मुताबिक, अपना प्रोफाइल डिलीट करने के लिए यूजर्स को रकम देनी होती है। ग्रुप का दावा है कि पैसे देने के बावजूद यूजर्स की जानकारी साइट पर मौजूद रहती है। ग्रुप के मुताबिक, 'यूजर्स अक्सर क्रेडिट कार्ड से भुगतान करते हैं। वादे के बावजूद उनके ट्रांजैक्शन के डीटेल नहीं हटाए जाते है। इसमें उनका असली नाम और पता रहता है।'
यूजर्स के लिए दूसरी शर्मनाक जानकारियां- सेक्शुअल फैंटसीज समेत और चीजें भी ऑनलाइनन मौजूद हैं। हैकर्स ग्रुप ने दावा किया है, 'ऐशले मेडिसन ऑनलाइन मौजूद है, इसलिए हम सारे रेकॉर्ड्स जारी कर रहे हैं।'
वैसे हैकिंग के बाद ऐशले मेडिसन अपने यूजर्स को अकाउंट फ्री में डिलीट करने की सुविधा दी है। ऐशले मेडिसन के जैसे ही हैकिंग अटैक एडल्ट फ्रेंड और OkCupid पर भी हुए हैं। 

Tuesday, July 21, 2015

दो भाषाएं सीखें

अगर आप अपना दिमाग तेज करना चाहते हैं, तो दो भाषाएं सीखें, क्योंकि एक नए शोध में यह बात सामने आई है कि दो भाषा सीखने वालों का दिमाग अन्य की तुलना में तेज होता है।
ऐसा मस्तिष्क के कार्यकारी नियंत्रण क्षेत्र में ग्रे मैटर के अधिक जमाव के कारण होता है। इससे पहले माना जाता था कि दो भाषा सीखने से बच्चों में भाषा के विकास में विलंब होता है, क्योंकि इसके लिए उन्हें दो शब्दावलियों को विकसित करना पड़ता है।
शोध के लिए शोधकर्ताओं ने अमेरिकन साइन लैंग्वेज (एएसएल) व स्पोकन इंग्लिश के द्विभाषियों तथा एक भाषा के जानकारों के ग्रे मैटर के बीच तुलना की।
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर (जीयूएमसी) में सेंटर ऑफ लर्निंग के डायरेक्टर ग्विनेवेयर इडेन ने कहा, 'एक भाषा बोलने वालों की तुलना में दो भाषाओं का अनुभव तथा उनका सही तरीके से इस्तेमाल करने के दिमाग में कुछ अलग बदलाव आते हैं।'
शोधकर्ताओं ने दो भाषा तथा एक भाषा बोलने वालों के ग्रे मैटर के बीच तुलना की। दो भाषा बोलने वालों के मस्तिष्क के फ्रंटल व पैराइटल क्षेत्रों में ज्यादा ग्रे मैटर पाए गए, जो मस्तिष्क के कार्यकारी नियंत्रण में शामिल हैं।

Monday, July 20, 2015

करीब 25,000 रुपये प्रति 10 किग्रा -

सोने में 4 फीसदी की गिरावट आई है। सोने में 5 सालों में पहली बार इतनी भारी गिरावट दर्ज की गई है। प्लैटिनम में भी 2009 के बाद से 5 फीसदी की गिरावट आई है, क्योंकि निवेशकों ने अमेरिकी डॉलर को मजबूत होने की उम्मीद में इन महंगी धातुओं को बेचना शुरू कर दिया।
सोने और प्लैटिनम में यह अचानक और भारी गिरावट आई है। इसका कारण डॉलर की मजबूती है। निवेशकों को उम्मीद है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व इस साल ब्याज दर में बढ़ोतरी करेगा। प्राप्त डेटा के मुताबिक शुक्रवार के 27,000 लॉट्स की तुलना में सोमवार को शंघाई गोल्ड एक्सचेंज में करीब 9,00,000 लॉट्स की बिक्री हुई।
स्पॉर्ट गोल्ड 2.4 फीसदी गिरावट के बाद 1,106.90 प्रति डॉलर यानी करीब 25,000 रुपये प्रति 10 किग्रा पर पहुंच गया जो मार्च 2010 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है। प्लैटिनम भी 5 फीसदी गिरावट के साथ 942.49 डॉलर प्रति औंस यानी करीब 21,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। प्लैटिनम में फरवरी 2005 के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है।
सोने की हालत पतली होनी उस वक्त शुरू हुई जब पिछले सप्ताह फेडरल रिजर्व की चेयरमैन जैनिट येलिन ने पिछले सप्ताह अमेरिकी संसद को बताया कि अगर उम्मीद के मुताबिक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई तो फेडरल रिजर्व बैंक ब्याज दर बढ़ाएगा।

Thursday, July 16, 2015

डीएम की कोठी, इंटर कॉलेज, सेंट्रल स्कूल, सीलिंग ऑफिस, कृषि फार्म समेत रेलवे प्लेटफॉर्म तक बेच डाला

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कुछ लोगों ने बंटी-बबली फिल्म में दिखाए कारनामे को असल में अंजाम दे डाला। इन्होंने डीएम की कोठी, इंटर कॉलेज, सेंट्रल स्कूल, सीलिंग ऑफिस, कृषि फार्म समेत रेलवे प्लेटफॉर्म तक बेच डाला। बेची गई इन सरकारी संपत्तियों की कीमत 6 अरब 75 करोड़ रुपए है।
मामले का खुलासा होने पर अब प्रशासन ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। फिलहाल इस मामले में 7 लोगों के खिलाफ तहरीर दी गई है, जिनमें से एक मंत्री का भतीजा भी शामिल है।
प्रदेश में भूमाफियाओं का कारोबार काफी अच्छा चल रहा है। इस बात का पता ऐसे चलता है कि कुछ लोगों ने तीन लोगों को डीएम की कोठी बेच दी। जिन्हें यह कोठी बेची गई थी, उन्होंने प्रमुख सचिव राजस्व से इस कोठी पर कब्जे की मांग की। इस दावे को जानकर पहले तो प्रशासनिक अधिकारी चौंक गए, डीएम की कोठी खरीदने वाले ने इस खरीदारी के सबूत दिए तो अधिकरियों के सामने इसका खुलासा हुआ। प्रमुख सचिव (राजस्व) ने तहसीलदार को इस मामले में जांच के आदेश दिए।
तहसीलदार की तहरीर के मुताबिक 26 फरवरी 2003 को चार लोगों ने एक डीड कराई। इन्होंने आधे दर्जन से ज्यादा सरकारी संपत्तियों के अलावा सड़कों-नालों का शेयर भी अपने पास दिखाया। इसी डीड के आधार पर मई 2003 में एक और डीड कराई, जिसमें तीन आरोपियों ने अपना पूरा और एक आरोपी ने अपना पांच फीसदी हिस्सा तीन अन्य लोगों को बेच दिया।
इन संपत्तियों की पड़ताल करने पर इनमें से ज्यादातर के सरकारी संपत्ति होने की बात सामने आई। उधर, सरकारी संपत्ति के खरीदार आरोपियों का कहना है कि अगर ये सरकारी संपत्तियां हैं तो इनके दस्तावेज उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने कहा कि मामला राजस्व परिषद में विचाराधीन है और उसे प्रभावित करने को ही यह कार्रवाई की गई है।

दवाओं की कीमत 4000 फीसदी ज्यादा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आवश्यक दवाओं की कीमत के लिए ड्रग प्राइसिंग पॉलिसी पर फिर से गौर करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पॉलिसी को 'असंगत और अतार्किक' बताया है क्योंकि कुछ दवाओं की कीमत तो कुछ राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित मूल्यों से 4000 फीसदी ज्यादा है।
जस्टिस टी.एस.ठाकुर की अध्यक्षता में एक बेंच ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय से विश्लेषण करने और स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है कि जरूरी दवाओं की कीमत इतनी ज्यादा क्यों रखी गई है? इससे गरीब आदमी वाजिब दाम पर जीवन रक्षी दवाओं को खरीदने से वंचित है।
बेंच ने सरकार से पूछा, 'आपका फॉर्म्युला संगत और तार्किक नहीं लग रहा है। तमिल नाडु और केरल सरकारों द्वारा जिस मूल्य पर दवा उपलब्ध कराई जा रही है, आपका मूल्य उससे 4000 फीसदी ज्यादा है। यह किस तरह का नियंत्रण है?आप इस पर संज्ञान क्यों नहीं ले रहे हैं?''
अडिशनल सलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने अदालत को आश्वासन दिया कि सरकार मामले की छानबीन करेगी और जरूरत पड़ने पर सुधार के लिए कदम उठाएगी।
बेंच ने ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (डीपीसीओ) को चुनौती देने वाली एनजीओ ऑल इंडिया ड्रग ऐक्शन नेटवर्क से सरकार को विरोधपत्र देने के लिए कहा है। इसने कहा कि मंत्रालय छह महीने के अंदर तर्कपूर्ण आदेश जारी करेगा।
मौजूदा समय में सरकार सभी दवाओं के साधारण औसत के आधार पर कुल 348 जरूरी दवाओं के मूल्य को नियंत्रित करती है। सरकार ने 1995 के उस नियम के स्थान पर डीपीसीओ, 2013 नोटिफाई किया जो 15 मई 2014 से लागू हुआ। इसके तहत 680 फॉर्म्युलेशंस को कवर किया जा रहा है जबकि पहले वाले नियम के तहत सिर्फ 74 दवाओं को नियंत्रित किया जाता था।
डीपीसीओ को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने दलील दी कि नई पॉलिसी के तहत ड्रग निर्माताओं और डीलरों के लिए प्रॉफिट का मार्जिन 10-1300 फीसदी हो गया है। इसने यह भी कहा कि राष्ट्रीय आवश्यक दवा सूची में सिर्फ 348 ड्रग्स ही हैं जबकि कई आवश्यक दवाओं को मूल्य नियंत्रण से बाहर रखा गया है।

फ्लिपकार्ट प्लैटफॉर्म से एयर और रेल टिकट्स बुक कर सकेंगे

देश की बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में से एक फ्लिपकार्ट ई-टिकटिंग प्लैटफॉर्म शुरू करने के लिए ट्रैवल पोर्टल मेकमायट्रिप के साथ अंतिम दौर की बातचीत कर रही है। फ्लिपकार्ट इस साल के अंत तक कई तरह की कई पेशकश के साथ एक वनस्टॉप शॉप के तौर पर खुद को स्थापित करना चाहती है। इसी कड़ी में यह ई-टिकटिंग जैसी सर्विसेज को अपने पोर्टफोलियो में जोड़ रही है।
कंपनी की योजनाओं से वाकिफ फ्लिपकार्ट के एक सीनियर एंप्लॉयी ने बताया, 'हम फ्लिपकार्ट के मार्केटप्लेस पर मेकमायट्रिप पावर्ड टिकटिंग को इंटिग्रेड करने की योजना बना रहे हैं। इसका मतलब होगा कि कस्टमर्स फ्लिपकार्ट प्लैटफॉर्म से एयर और रेल टिकट्स बुक कर सकेंगे।'
इस बारे में फ्लिपकार्ट ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और मेकमायट्रिप ने ईटी की ओर से भेजी गई ईमेल का जवाब नहीं दिया। मेकमायट्रिप अमेरिका के नैस्डेक स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड है। सर्विसेज सेगमेंट में ट्रैवल बुकिंग्स, मोबाइल रीचार्ज और बिल पेमेंट्स आते हैं। यह सेगमेंट तेजी से उभर रहा है और ऑनलाइन रिटेलर्स की ग्रोथ के लिए यह काफी अहम है। इन सर्विसेज में ट्रैवल सबसे बड़ा है। भारत का ई-कॉमर्स मार्केट टिकटिंग सर्विसेज आधारित है, जिसमें सभी ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शंस में एयरलाइन बुकिंग्स की हिस्सेदारी आधी से भी ज्यादा है।
मार्च में ऐमजॉन ने आईआरसीटीसी के साथ दो साल के लिए भारतीय रेलवे के ऑनलाइन टिकटिंग प्लैटफॉर्म के ऑफिशल शॉपिंग पार्टनर के तौर पर जुड़ने का ऐलान किया था। स्नैपडील ने अप्रैल में ऑनलाइन रिचार्ज प्लैटफॉर्म फ्रीचार्ज को अक्वायर किया था और यह पेस्ट कंट्रोल सर्विसेज, मोबाइल और बिल पेमेंट्स के साथ ही होम और पर्सनल लोन जैसी फाइनैंशल सर्विसेज भी ऑफर कर रही है।
फ्लिपकार्ट अपनी सर्विसेज को डायवर्सिफाइड कर रही है। इसके जरिए कंपनी अपना रेवेन्यू बढ़ाने के साथ ही घाटे से बाहर आने की कोशिश में है। एक सूत्र ने बताया कि फ्लिपकार्ट सितंबर तक मेकमायट्रिप के साथ मिलकर टिकट-बुकिंग सर्विस लॉन्च कर सकती है। फ्लिपकार्ट के हेड ऑफ कॉमर्स मुकेश बंसल ने कहा था कि कंपनी सभी कैटिगरीज में रिटेलर्स के साथ पार्टनरशिप करेगी ताकि वह हर शॉपर के लिए एक वन-स्टॉप-डेस्टिनेशन बन सके।

Tuesday, July 14, 2015

'मोदी कुर्ता' सबसे ज्यादा डिमांड में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब एक और ट्रेंड सेट करने जा रहे हैं। मोदी जैसे कुर्ते पहनते हैं, उन्हें लेकर लोगों में खासा क्रेज है और जैसे-जैसे ईद नजदीक आ रही है, इनकी मांग बढ़ती ही जा रही है। इस ईद पर युवाओं ने वेस्टर्न कैजुअल के साथ 'पीएम कुर्ते' को पहनने की प्लानिंग की है।
रमजान का महीना खत्म होने को है और ईद के मद्देनजर लोग खूब खरीदारी कर रहे हैं, जिनमें सबसे ज्यादा कपड़ों की खरीदारी हो रही है। इनमें 'मोदी कुर्ता' सबसे ज्यादा डिमांड में है। अभी तक ईद पर जॉर्जेट या सूती कपड़े पर कढ़ाई वाले कुर्ते डिमांड में रहते थे, लेकिन इस बार 'मोदी कुर्ता' लोगों को लुभा रहा है। 
आम तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी आधी बांह वाले कुर्ते में नजर आते हैं, जिसकी लंबाई थोड़ी कम होती है। लिनेन से बने ऐसे ही कुर्ते लोगों को भा रहे हैं। नवीन मार्केट में कपड़े की दुकान लगाने वाले बताते हैं, 'इस साल प्रधानमंत्री मोदी ने नया ट्रेंड सेट किया है। भारी तादाद में युवा आधी बांह वाले कुर्ते खरीद रहे हैं, जिन्हें 'मोदी कुर्ता' नाम दिया गया है।'
इन कुर्तों की लागत 300 रुपए से लेकर 2,000 रुपए तक आती है जो इसकी कढ़ाई पर निर्भर करती है। मोदी की पसंद वाले कुर्ते बाजार में गुलाबी, हरे, नीले और नारंगी जैसे कई हल्के रंगों में मौजूद हैं। मेस्टन रोड पर कपड़े की दुकान के एक अन्य मालिक बताते हैं, 'ईद के दौरान लोग सफेद रंग का कुर्ता पहनना पसंद करते हैं, लेकिन इस बार मोदी ने लोगों की पसंद बदल दी है। इस साल लोग मोदी कुर्ते की मांग कर रहे हैं। खादी और लिनेन के बने कुर्ते मांग में हैं।'
इन कुर्तों के बारे में बात करने पर कुछ युवा बताते हैं, 'खादी वाले मोदी कुर्ते हमारे बजट की कीमतों पर उपलब्ध हैं। मौसम के हिसाब के इन्हें पहनना काफी आराहदेह है। जींस के साथ यह काफी फैशनेबल भी लगते हैं।' 

हेड मास्साब को पढ़ाई से ज्यादा चिंता दूध की

जुलाई में स्कूल खुलते ही पढ़ाई, नई किताबों और यूनिफॉर्म की बातें होती हैं। लेकिन यूपी के सरकारी स्कूलों के हेड मास्साब को पढ़ाई से ज्यादा चिंता यह सता रही है कि वे बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था कैसे करें।
सरकारी आदेश हैं कि 15 जुलाई से बच्चों को स्कूलों में दूध उपलब्ध कराया जाए। हेड मास्टरों की चिंता यह भी है कि एक ही दिन में इतना दूध आएगा कहां से? दूध न मिला या खराब हुआ तो जिम्मेदारी किसकी होगी? वे ग्राम प्रधान से लेकर अफसरों तक से पूछ रहे हैं, लेकिन उनके सवालों का जवाब नहीं मिल रहा।
जिले के अफसर भी शासनादेश की प्रति और मिड डे मील का नया मेन्यू थमा देते हैं, जिसमें सप्ताह में एक दिन बच्चों को दूध देने की बात कही गई है। शहरों में एनजीओ मिड डे मील की आपूर्ति करते हैं तो गांवों में हेडमास्टर और ग्राम प्रधान की जिम्मेदारी है।
लेकिन आखिर में जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक की होती है क्योंकि उसी को यह प्रमाणित करना है कि भोजन शुद्ध है और सभी बच्चों को दिया गया। वे पहले से ही मिड डे मील से परेशान थे। अब दूध दिए जाने की नई व्यवस्था ने उनकी मुसीबत और बढ़ा दी है।
शाहजहांपुर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय पड़रा, सिकंदरपुर के प्रधानाध्यापक और जूनियर शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश प्रताप सिंह कहते हैं कि पूरे शाहजहांपुर में सभी बड़ी कंपनियों के दूध की सप्लाई 19,000 लीटर प्रति दिन है। जिले में 60 फीसदी बच्चों की स्कूल में उपस्थिति के अनुसार यह संख्या करीब ढाई लाख होती है। उन्हें 200 मिली दूध दिया जाना है।
हफ्ते में एक दिन सिर्फ बच्चों के लिए ही अलग से 45 हजार लीटर दूध की जरूरत होगी। वह दूध कहां से आएगा? निश्चित तौर पर मिलावटी दूध मिलेगा, जो बच्चों के लिए खतरनाक होगा। बच्चों को कुछ हो गया तो सबसे पहले कार्रवाई हेड मास्टर पर ही होगी।
हर बुधवार को सभी बच्चों को मिड डे मील में कोफ्ता चावल के साथ 200 मिली दूध दिया जाना है।
बुधवार को पुराने मेन्यू के अनुसार कढ़ी चावल या खीर का प्रावधान था।
प्राइमरी स्कूलों में 3.59 और अपर प्राइमरी में 5.38 रुपए प्रति बच्चा मिड डे मील के लिए दिया जाता है। इसी में दूध भी दिया जाना है। शिक्षकों का सवाल भी है कि बुधवार को 8 रुपए प्रति बच्चा दूध का अतिरिक्त खर्च होगा। ऐसे में सवाल यह भी है कि इतनी कम कीमत में शुद्ध दूध कहां से आएगा?
खास बात
1.15
लाख प्राइमरी स्कूल हैं यूपी में
54
हजार अपर प्राइमरी स्कूल हैं यूपी में
1.38
करोड़ प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को दिया जाता है MDM
62
लाख प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को दिया जाता है MDM
40
लाख लीटर अतिरिक्त दूध की जरूरत होगी बुधवार को

Friday, July 10, 2015

10 रुपये के दावे के लिए 33,050 रुपये खर्च

यह मामला कौड़ियों के बदले हजारों गंवाने का है। नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) ने 10 रुपये के दावे के लिए 33,050 रुपये खर्च किए।
आलोक कुमार घोष नाम के एक व्यक्ति ने आरटीआई ऐक्ट के तहत एक जानकारी मांगने के लिए नियमों के मुताबिक स्टैंप पेपर या फिर उतने ही मूल्य के डिमांड ड्राफ्ट का इस्तेमाल न करते हुए अपने आवेदन के साथ 10 रुपये का एक कोर्ट स्टैंप लगाया।
घोष ने एनजीटी द्वारा आंतरिक भर्ती के लिए आयोजित एक परीक्षा के सिलसिले में जानकारी मांगने के लिए आरटीआई दखिल की थी। जानकारी में उन्होंने चुने गए उम्मीदवारों के नाम और उनके द्वारा हासिल किए गए नंबरों समेत कुछ जरूरी जानकारियां मांगी थीं। जब उन्हें कोई जवाब नहीं मिला तो उन्होंने सीआईसी के पास इस संबंध में एक शिकायत दर्ज कराई।
एनजीटी को आड़े हाथों लेते हुए इन्फॉर्मेशन कमिश्नर एम श्रीधर अचरयूलू ने कहा कि एनजीटी ने अपील के लिए पेश होने वाले अपने वकीलों को अपने बचाव में यह कहने के लिए कैसे 10 रुपये का पोस्टल टिकट न लगाने के कारण आवेदनकर्ता को आरटीआई का जवाब नहीं दिया गया है, 33,0050 रुपये देती है। कमिश्नर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि एनजीटी का यह रवैया आरटीआई के प्रति उसकी उदासीनता और जनता के पैसे की बर्बादी दिखाता है। कमिश्नर ने एनजीटी से पूछा कि क्या वकील को अपने बचाव के लिए 33,050 रुपये का शुल्क देने से बेहतर वह आरटीआई का जवाब नहीं दे सकते थे।
कमिश्नर ने एनजीटी को आवेदनकर्ता घोष के सवालों का 21 दिनों के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया। इन्फॉर्मेशन कमिश्नर अचरयूलू ने अपने फैसले में यह भी कहा कि ऐसी सामान्य जानकारी को भी दूसरी अपील तक खींचने की यह हरकत शर्मनाक है।
उन्होंने कहा कि वकीलों और अन्य कानूनी विशेषज्ञों को मोटी रकम चुका कर और ढेरों पन्ने कागज के दस्तावेज अपने बचाव में पेश कर एनजीटी ने न केवल जनता का कीमती पैसा बर्बाद किया बल्कि पर्यावरण का भी नुकसान किया। वह भी केवल इसलिए कि आवेदनकर्ता ने 10 रुपये का पोस्टल स्टांप नहीं लगाया था।
उन्होंने एनजीटी की हरकको बेहद गैर-जिम्मेदाराना ठहराते हुए कहा कि ट्राइब्यूनल ने कमिशन का भी कीमती समय बर्बाद किया है।
कमिशन ने यह कहते हुए कि आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना जल्द-से-जल्द मुहैया करानी चाहिए थी, ट्राइब्यूनल से यह सवाल भी पूछा है कि क्यों उसे आवेदनकर्ता को इतने लंबे समय तक सूचना मुहैया न कराने के एवज में जुर्माना नहीं भरना चाहिए।

रेलवे स्टेशन को गोद लिया

विल्सन कॉलेज के छात्रों ने राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन में अपनी भागीदारी निभाने के लिए मुंबई के एक रेलवे स्टेशन को गोद लिया है। 
बुधवार को दक्षिणी मुंबई के चरनी रोड स्टेशन पर पोस्टर लेकर पहुंचे और वहां नुक्कड़ नाटक किया। साथ ही रेलवे स्टेशन को वाटर प्योरीफायर और पौधे गिफ्ट किए। हर हफ्ते करीब पचास छात्र स्टेशन प्लेटफॉर्म की सफाई करेंगे, साथ ही पेंटिंग और आर्ट वर्क स्टेशन पर किया जाएगा।  एक छात्र जैसलीन रोड्रिगॉस ने बताया कि उनका माइक्रो बायोलॉजी डिपार्टमेंट यह भी सुनिश्चित करेगा कि स्टेशन पर कितना शुद्ध पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। छात्रों ने ने कहा कि उन्होंने किसी पब्लिसिटी के लिए इस मिशन में भागीदारी नहीं की है।
एक दूसरे छात्र आरोन डायस ने कहा, 'हमने इसे एकदम ग्राउंड लेवल पर शुरू किया है। इस स्टेशन को हम हफ्ते में सातों दिन इस्तेमाल करते हैं तो यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसे साफ-सुथरा रखें।'
चरनी रोड स्टेशन के स्टेशन मास्टर ने कहा कि हमारे देश के युवा बेहद जागरुक हैं, यह हमारे देश के लिए बहुत बड़ी बात है, आशा है हर कॉलेज ऐसे ही स्टेशनों को गोद लेगा।'
इसी तरह पिछले हफ्ते ही मिठीबाई कॉलेज के छात्रों ने विले पर्ले स्टेशन को गोद लिया था।

Wednesday, July 8, 2015

हिंदू लड़की के साथ भाग गया

गुजरात पुलिस के आतंक विरोधी दस्ते ने 42 साल के शराब तस्कर मासूम कालू महिदा को हिरासत में लिया है । वह नाडियाद की रहने वाली एक हिंदू लड़की के साथ भाग गया था। लड़की मासूम से आधी उम्र की थी।
अंग्रेजी अखबार डेली मेल की खबर के अनुसार महिदा की पहले से दो बीवियां हैं। पूरा नाडियाद शहर इस कथित लव जिहाद के विरोध में दो दिनों तक बंद रहा।
बाद में महिदा की ओर से एक विडियो जारी कर सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया, जिसमें पटेल बिरादरी से ताल्लुक रखने वाली इस लड़की को यह कहते दिखाया गया कि वह बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी से घर से गई है।
इसके बावजूद लड़की के रिश्तेदारों ने इस शराब तस्कर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। परिजनों का आरोप है कि महिदा लड़की को बहला-फुसलाकर अपने साथ लेकर गया है।
पुलिस अब लड़की की तलाश कर रही है ताकि पुलिस स्टेशन लाकर उसका बयान दर्ज किया जा सके। महिदा की किस्मत का फैसला लड़की के बयान पर निर्भर करेगा। हालांकि, पुलिस का कहना है कि अगर महिदा इस मामले में छूट भी जाता है, तब भी उसे शराब की तस्करी के मामले में गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे दक्षिणपंथी संगठन लड़की के परिवार के समर्थन में आ गए हैं। दोनों संगठनों की स्थानीय इकाइयों ने धमकी दी है कि अगर पुलिस महिदा और उसके साथियों के खिलाफ वाजिब कार्रवाई नहीं करती, तो वे अपना विरोध प्रदर्शन और तेज कर देंगे।

Monday, July 6, 2015

बिन ब्याही मां को उसके बच्चे का लीगल गार्जियन

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में सोमवार को कहा कि बिन ब्याही मां को उसके बच्चे का लीगल गार्जियन नियुक्त  किया जा सकता है और इसके लिए बच्चे के पिता की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चे के पिता की पहचान जाहिर करना मां के लिए जरूरी नहीं है।
गार्जियनशिप से जुड़े कुछ मामलों में मां के लिए बच्चे के पिता का नाम याचिका में बताना जरूरी नहीं रह गया है। जस्टिस विक्रमजीत सेन ने इस मामले में कहा कि बच्चे के हित में यह जरूरी है कि उसके पिता को नोटिस देने की आवश्यकता से छुटकारा दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में एक मां ने बच्चे के लीगल गार्जियन बनने के लिए दायर याचिका में उसके पिता को शामिल किए जाने की कानूनी बाध्यता को चुनौती दी थी जिससे उसने कभी शादी ही नहीं की थी। याचिका में बच्चे की मां ने कहा कि उसके पिता को बच्चे के अस्तित्व के बारे में पता भी नहीं है।
'
दी गार्जियन ऐंड वॉर्ड्स ऐक्ट' और 'हिंदू माइनॉरिटी ऐंड गार्जियनशिप ऐक्ट' के तहत बच्चे के लीगल गार्जियन का फैसला करते वक्त उसके पिता की सहमति लेना जरूरी होता है। इस मामले में महिला ने इस प्रावधान को चुनौती दी थी।