सुनंदा
पुष्कर की हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने गुरुवार
को कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नौकर नारायण सिंह से दो बार पूछताछ की। नारायण सिंह
ने पुलिस को दो अहम बातें बताईं। एक तो मौत के एक साल पहले से सुनंद और शशि थरूर
के बीच काफी झगड़ा होने लगा था। दूसरी अहम बात उसने बताई कि मौत से दो दिन पहले कोई सुनील साहब होटेल लीला के कमरे में
सुनंदा के साथ थे।
इस केस की तफ्तीश में जुटी एसआईटी ने शशि थरूर के घरेलू स्टाफ नारायण सिंह से चार घंटे तक पूछताछ की है। इससे पहले नवंबर महीने में पुलिस टीम दो बार नारायण से पूछताछ कर चुकी है। तीसरी पूछताछ के बाद शक गहराता जा रहा है और पुलिस की तफ्तीश शशि थरूर और उनके स्टाफ के इर्दगिर्द घूम रही है।
इस बीच, फाइव स्टार होटेल लीला ने भी इस केस के सिलसिले में बयान जारी किया है। मैनेजमेंट ने कहा है कि होटेल में कुल 230 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। 10 कैमरे उस फ्लोर पर मौजूद थे जहां यह हादसा हुआ। सारे कैमरे सही तरह से काम कर रहे थे। 15 से 17 जनवरी के बीच शशि थरूर जितने भी समय होटल में ठहरे थे, उसकी फुटेज दिल्ली पुलिस को सौंप दी गई थी। होटेल ने फुटेज सौंपने की रसीद होने का भी दावा किया है। होटेल मैनेजमेंट ने यह भी बताया है कि गेस्ट ने बड़े रूम के लिए रिक्वेस्ट की थी और उनका कमरा बदला गया था।
पुलिस की पूछताछ में नारायण सिंह ने बताया कि मौत से दो दिन पहले कोई सुनील साहब सुनंदा मैडम के साथ होटेल के कमरे में थे। नारायण के मुताबिक, उस शख्स ने सुनंदा को ट्वीट्स करने और मेसेज को कॉपी करने में मदद दी। फिलहाल इस सुनील की पहचान नहीं हो पाई है। उसने यह भी बताया कि सुनंदा ने मौत से पहले थरूर से फोन करके कहा था, 'तुम बर्बाद हो चुके हो, मैंने मीडिया को सबकुछ बता दिया है।' हालांकि, बयान में इस बात का जिक्र नहीं है कि सुनंदा क्या मीडिया को बताने की बात कर रही थीं।
नारायण थरूर का पुराना और विश्वासपात्र घरेलू सहायक है। नारायण को सुनंदा भी विश्वासपात्र समझती थीं। वह देश-विदेश में जहां भी जाती थीं, उसे साथ लेकर जाती थीं। 17 जनवरी को अपनी हत्या के समय सुनंदा होटेल लीला के कमरा नंबर 345 में ठहरी थीं। दूसरे कमरे में नारायण और दो अन्य कर्मचारी थे। उसने पुलिस को बताया कि मौत के एक साल पहले से शशि थरूर और सुनंदा में बात-बात पर झगड़ा होने लगा था। उसने बताया कि दो साल पहले दिसंबर में वह दुबई गया था और वहां दोनों के बीच काफी झगड़ा हुआ। नारायाण के मुताबिक, सुनंदा ने थरूर के पांव पर हमला किया था और कहा था, 'तुम मेरा ध्यान नहीं रखते, जब मैं बीमार थी तब भी फोन से चिपके रहते थे।'
सुनंदा पुष्कर का मर्डर करने के बाद हत्यारों ने उनका रूम ठीक किया था। रूम में ऐंटि डिप्रेशन दवा एल्प्रैक्स की खाली स्ट्रिप्स रखी गईं ताकि पुलिस इनवेस्टिगेशन भटकाई जा सके। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ऐसी किसी दवा के पाए जाने का जिक्र नहीं है। रूम से बरामद इन्हीं खाली स्ट्रिप्स के आधार कहा गया था कि सुनंदा की मौत की वजह ड्रग ओवरडोज हो सकती है।
सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी 2014 को लीला होटेल के रूम नंबर 345 में मृत मिली थीं। उनका सिर तकिए के नीचे था और बाकि हिस्सा रजाई से ढंका था। रूम में कुछ भी ऐसा नहीं दिखा था, जिससे किसी दूसरे की मौजूदगी का शक पैदा हो। पुलिस सूत्र कहते हैं कि वारदात को अंजाम देने के बाद रूम पूरी तरह से ठीक किया गया और वहां एल्प्रैक्स टेबलेट की स्ट्रिप छोड़ दी गई। मौके से बरामद दो स्ट्रिप्स से 27 गोलियां नदारद थीं।
सुनंदा की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बताती है कि लीवर, किडनी जैसे इंटरनल ऑर्गन नॉर्मल थे। ब्लीडिंग या उलटी जैसा भी कुछ नहीं मिला जोकि अक्सर ड्रग ओवरडोज में पाया जाता है। पीएम रिपोर्ट में दर्जनभर से ज्यादा बाहरी चोटों का जिक्र है। ये चोटें इतनी मामूली हैं कि जिनसे मौत नहीं हो सकती। मुमकिन है कि मौत से पहले सुनंदा ने हत्यारों से संघर्ष किया हो और उसी दौरान चोट लगीं।
इस हाइप्रोफाइल केस में बार-बार ड्रग ओवरडोज या बीमारी को उछाला गया लेकिन नतीजे उलट आ रहे हैं। कहा गया कि मौत से कुछ दिन पहले सुनंदा को ल्यूपस नाम की बीमारी का पता चला था लेकिन नई पीएम रिपोर्ट बताती है कि वह पूरी तरह फिट थीं। उन्हें ल्यूपस या टीवी जैसी कोई बीमारी नहीं थी। बीमारी का पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस की एक टीम बीते साल 2 दिसंबर को तिरुअनंतपुरम स्थित केरल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस गई थी। सूत्रों के मुताबिक यहां भी डॉक्टरों ने ऐसी किसी भी बीमारी की जानकारी होने से इनकार किया।
सुनंदा पुष्कर के शरीर पर मिले इंजेक्शन के दो निशान हत्या का राज खोल सकते हैं। एसआईटी की जांच इसी केंद्रबिंदु पर टिकी है। सवाल उठ रहे हैं कि डॉक्टरों की सलाह के बिना सुनंदा को इंजेक्शन किसने लगाया था? मुकदमा दर्ज न होने से पुलिस इस दिशा में जांच नहीं कर पा रही थी। पिछले साल जनवरी में पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार से शशि थरूर के मधुर रिश्ते की जानकारी मिलने पर सुनंदा का पति झगड़ा शुरू हुआ था। सूत्रों का कहना है कि उनके बीच मारपीट तक की नौबत आ जाती थी। उसी दौरान तबीयत खराब होने पर सुनंदा तिरुअनंतपुरम के एक अस्पताल में भर्ती हुई थीं। वह वहां करीब चार दिनों तक रहीं। 14 जनवरी को अस्पताल से उनको छुट्टी मिल गई थी।
डिस्चार्ज स्लिप पर डॉक्टरों ने लिखा था कि सुनंदा को इलाज के दौरान कोई इंजेक्शन नहीं लगाया गया। डॉक्टरों ने इंजेक्शन लेने की सलाह भी नहीं दी थी। डिस्चार्ज स्लिप के मुताबिक सुनंदा को डिप्रेशन की शिकायत नहीं थी, इसलिए न तो अस्पताल में नींद की दवा दी गई और न ही एल्प्रैक्स जैसी कोई दवा लेने की सलाह दी गई। सुनंदा 17 जनवरी को होटल लीला के कमरे में मृत मिलीं। 18 जनवरी को जब एम्स के फॉरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ. सुधीर गुप्ता के नेतृत्व में मेडिकल बोर्ड ने सुनंदा के शव का पोस्टमॉर्टम किया, तो शरीर पर चोट के 15 निशान थे। इसमें दो निशान इंजेक्शन के थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जहर से मौत की पुष्टि हुई।
सुनंदा पुष्कर के शरीर पर दांतों से काटे जाने के निशान मिले थे। पुलिस ने यह खुलासा पहले नहीं किया था। तीन पन्ने की एफआइआर में कहा गया है कि 18 जनवरी को पोस्टमार्टम की पहली रिपोर्ट में मेडिकल बोर्ड ने अल्प्राजोलाम जहर से मौत की बात कही थी। सुनंदा के शरीर पर मिले जख्मों से लग रहा था कि पिटाई की गई है। चोट नंबर 10 इंजेक्शन का था। चोट नंबर 12 में दांतों के काटने के निशान थे। एक से 15 तक सभी घाव के निशान 12 घंटे से लेकर चार दिन तक के थे। थरूर ने बनाई मीडिया से दूरी
गुरुवायूर में एक आयुर्वेदिक केंद्र में इलाज करा रहे शशि थरूर मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं। पेरुम्बाइल माना नाम के इस आयुर्वेदिक केंद्र के एमडी साजी कुरूप के अनुसार, थरूर मीडिया से मिलने को इच्छुक नहीं हैं। पूरी तरह ठीक होने के लिए उनका पंद्रह दिनों तक चलने वाला इलाज शुक्रवार को खत्म होगा। सामान्य तौर पर हम यहां इलाज का कोर्स पूरा होने तक मरीजों को आगंतुकों से मिलने की इजाजत नहीं देते। उनका इलाज शुक्रवार को खत्म होगा, इसके बाद यह तय होगा कि क्या किया जाना चाहिए। सुनंदा मामले में नए तथ्य आने के बाद राष्ट्रीय चैनलों सहित बहुत सारे मीडियाकर्मी इस इलाके में पहुंच गए हैं और वे थरूर की प्रतिक्रिया लेने के लिए उनसे बात करना चाहते हैं।
इस केस की तफ्तीश में जुटी एसआईटी ने शशि थरूर के घरेलू स्टाफ नारायण सिंह से चार घंटे तक पूछताछ की है। इससे पहले नवंबर महीने में पुलिस टीम दो बार नारायण से पूछताछ कर चुकी है। तीसरी पूछताछ के बाद शक गहराता जा रहा है और पुलिस की तफ्तीश शशि थरूर और उनके स्टाफ के इर्दगिर्द घूम रही है।
इस बीच, फाइव स्टार होटेल लीला ने भी इस केस के सिलसिले में बयान जारी किया है। मैनेजमेंट ने कहा है कि होटेल में कुल 230 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। 10 कैमरे उस फ्लोर पर मौजूद थे जहां यह हादसा हुआ। सारे कैमरे सही तरह से काम कर रहे थे। 15 से 17 जनवरी के बीच शशि थरूर जितने भी समय होटल में ठहरे थे, उसकी फुटेज दिल्ली पुलिस को सौंप दी गई थी। होटेल ने फुटेज सौंपने की रसीद होने का भी दावा किया है। होटेल मैनेजमेंट ने यह भी बताया है कि गेस्ट ने बड़े रूम के लिए रिक्वेस्ट की थी और उनका कमरा बदला गया था।
पुलिस की पूछताछ में नारायण सिंह ने बताया कि मौत से दो दिन पहले कोई सुनील साहब सुनंदा मैडम के साथ होटेल के कमरे में थे। नारायण के मुताबिक, उस शख्स ने सुनंदा को ट्वीट्स करने और मेसेज को कॉपी करने में मदद दी। फिलहाल इस सुनील की पहचान नहीं हो पाई है। उसने यह भी बताया कि सुनंदा ने मौत से पहले थरूर से फोन करके कहा था, 'तुम बर्बाद हो चुके हो, मैंने मीडिया को सबकुछ बता दिया है।' हालांकि, बयान में इस बात का जिक्र नहीं है कि सुनंदा क्या मीडिया को बताने की बात कर रही थीं।
नारायण थरूर का पुराना और विश्वासपात्र घरेलू सहायक है। नारायण को सुनंदा भी विश्वासपात्र समझती थीं। वह देश-विदेश में जहां भी जाती थीं, उसे साथ लेकर जाती थीं। 17 जनवरी को अपनी हत्या के समय सुनंदा होटेल लीला के कमरा नंबर 345 में ठहरी थीं। दूसरे कमरे में नारायण और दो अन्य कर्मचारी थे। उसने पुलिस को बताया कि मौत के एक साल पहले से शशि थरूर और सुनंदा में बात-बात पर झगड़ा होने लगा था। उसने बताया कि दो साल पहले दिसंबर में वह दुबई गया था और वहां दोनों के बीच काफी झगड़ा हुआ। नारायाण के मुताबिक, सुनंदा ने थरूर के पांव पर हमला किया था और कहा था, 'तुम मेरा ध्यान नहीं रखते, जब मैं बीमार थी तब भी फोन से चिपके रहते थे।'
सुनंदा पुष्कर का मर्डर करने के बाद हत्यारों ने उनका रूम ठीक किया था। रूम में ऐंटि डिप्रेशन दवा एल्प्रैक्स की खाली स्ट्रिप्स रखी गईं ताकि पुलिस इनवेस्टिगेशन भटकाई जा सके। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ऐसी किसी दवा के पाए जाने का जिक्र नहीं है। रूम से बरामद इन्हीं खाली स्ट्रिप्स के आधार कहा गया था कि सुनंदा की मौत की वजह ड्रग ओवरडोज हो सकती है।
सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी 2014 को लीला होटेल के रूम नंबर 345 में मृत मिली थीं। उनका सिर तकिए के नीचे था और बाकि हिस्सा रजाई से ढंका था। रूम में कुछ भी ऐसा नहीं दिखा था, जिससे किसी दूसरे की मौजूदगी का शक पैदा हो। पुलिस सूत्र कहते हैं कि वारदात को अंजाम देने के बाद रूम पूरी तरह से ठीक किया गया और वहां एल्प्रैक्स टेबलेट की स्ट्रिप छोड़ दी गई। मौके से बरामद दो स्ट्रिप्स से 27 गोलियां नदारद थीं।
सुनंदा की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बताती है कि लीवर, किडनी जैसे इंटरनल ऑर्गन नॉर्मल थे। ब्लीडिंग या उलटी जैसा भी कुछ नहीं मिला जोकि अक्सर ड्रग ओवरडोज में पाया जाता है। पीएम रिपोर्ट में दर्जनभर से ज्यादा बाहरी चोटों का जिक्र है। ये चोटें इतनी मामूली हैं कि जिनसे मौत नहीं हो सकती। मुमकिन है कि मौत से पहले सुनंदा ने हत्यारों से संघर्ष किया हो और उसी दौरान चोट लगीं।
इस हाइप्रोफाइल केस में बार-बार ड्रग ओवरडोज या बीमारी को उछाला गया लेकिन नतीजे उलट आ रहे हैं। कहा गया कि मौत से कुछ दिन पहले सुनंदा को ल्यूपस नाम की बीमारी का पता चला था लेकिन नई पीएम रिपोर्ट बताती है कि वह पूरी तरह फिट थीं। उन्हें ल्यूपस या टीवी जैसी कोई बीमारी नहीं थी। बीमारी का पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस की एक टीम बीते साल 2 दिसंबर को तिरुअनंतपुरम स्थित केरल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस गई थी। सूत्रों के मुताबिक यहां भी डॉक्टरों ने ऐसी किसी भी बीमारी की जानकारी होने से इनकार किया।
सुनंदा पुष्कर के शरीर पर मिले इंजेक्शन के दो निशान हत्या का राज खोल सकते हैं। एसआईटी की जांच इसी केंद्रबिंदु पर टिकी है। सवाल उठ रहे हैं कि डॉक्टरों की सलाह के बिना सुनंदा को इंजेक्शन किसने लगाया था? मुकदमा दर्ज न होने से पुलिस इस दिशा में जांच नहीं कर पा रही थी। पिछले साल जनवरी में पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार से शशि थरूर के मधुर रिश्ते की जानकारी मिलने पर सुनंदा का पति झगड़ा शुरू हुआ था। सूत्रों का कहना है कि उनके बीच मारपीट तक की नौबत आ जाती थी। उसी दौरान तबीयत खराब होने पर सुनंदा तिरुअनंतपुरम के एक अस्पताल में भर्ती हुई थीं। वह वहां करीब चार दिनों तक रहीं। 14 जनवरी को अस्पताल से उनको छुट्टी मिल गई थी।
डिस्चार्ज स्लिप पर डॉक्टरों ने लिखा था कि सुनंदा को इलाज के दौरान कोई इंजेक्शन नहीं लगाया गया। डॉक्टरों ने इंजेक्शन लेने की सलाह भी नहीं दी थी। डिस्चार्ज स्लिप के मुताबिक सुनंदा को डिप्रेशन की शिकायत नहीं थी, इसलिए न तो अस्पताल में नींद की दवा दी गई और न ही एल्प्रैक्स जैसी कोई दवा लेने की सलाह दी गई। सुनंदा 17 जनवरी को होटल लीला के कमरे में मृत मिलीं। 18 जनवरी को जब एम्स के फॉरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ. सुधीर गुप्ता के नेतृत्व में मेडिकल बोर्ड ने सुनंदा के शव का पोस्टमॉर्टम किया, तो शरीर पर चोट के 15 निशान थे। इसमें दो निशान इंजेक्शन के थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जहर से मौत की पुष्टि हुई।
सुनंदा पुष्कर के शरीर पर दांतों से काटे जाने के निशान मिले थे। पुलिस ने यह खुलासा पहले नहीं किया था। तीन पन्ने की एफआइआर में कहा गया है कि 18 जनवरी को पोस्टमार्टम की पहली रिपोर्ट में मेडिकल बोर्ड ने अल्प्राजोलाम जहर से मौत की बात कही थी। सुनंदा के शरीर पर मिले जख्मों से लग रहा था कि पिटाई की गई है। चोट नंबर 10 इंजेक्शन का था। चोट नंबर 12 में दांतों के काटने के निशान थे। एक से 15 तक सभी घाव के निशान 12 घंटे से लेकर चार दिन तक के थे। थरूर ने बनाई मीडिया से दूरी
गुरुवायूर में एक आयुर्वेदिक केंद्र में इलाज करा रहे शशि थरूर मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं। पेरुम्बाइल माना नाम के इस आयुर्वेदिक केंद्र के एमडी साजी कुरूप के अनुसार, थरूर मीडिया से मिलने को इच्छुक नहीं हैं। पूरी तरह ठीक होने के लिए उनका पंद्रह दिनों तक चलने वाला इलाज शुक्रवार को खत्म होगा। सामान्य तौर पर हम यहां इलाज का कोर्स पूरा होने तक मरीजों को आगंतुकों से मिलने की इजाजत नहीं देते। उनका इलाज शुक्रवार को खत्म होगा, इसके बाद यह तय होगा कि क्या किया जाना चाहिए। सुनंदा मामले में नए तथ्य आने के बाद राष्ट्रीय चैनलों सहित बहुत सारे मीडियाकर्मी इस इलाके में पहुंच गए हैं और वे थरूर की प्रतिक्रिया लेने के लिए उनसे बात करना चाहते हैं।
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