Saturday, January 17, 2015

अन्ना हजारे के सभी अहम सहयोगी एक-एक कर चुनावी राजनीति में

अन्ना हजारे के सभी अहम सहयोगी एक-एक कर चुनावी राजनीति में चले गए। जब अरविंद केजरीवाल ने चुनावी राजनीति में जाने का फैसला किया था तो अन्ना हजारे ने कड़ी आपत्ति जतायी थी। लोकपाल आंदोलन में शामिल देश की पहली महिला आईपीएस किरन बेदी के बीजेपी जॉइन करने पर अन्ना हजारे ने कहा कि उन्होंने मुझे बताया तक नहीं था। अन्ना ने कहा कि किरन ने बीजेपी जॉइन करने से पहले मुझसे सलाह नहीं ली थी।
अन्ना से पत्रकारों ने किरन के बीजेपी में शामिल होने पर पूछा कि क्या उन्होंने इस मसले पर आपसे सलाह मांगी थी? इस सवाल के जवाब में अन्ना ने दो टूक कहा कि नहीं। अन्ना ने कहा कि पिछले एक साल से मेरी और किरन की मुलाकात नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि मेरी किरन से आखिरी मुलाकात रालेगण सिद्धी में आंदोलन के दौरान हुई थी। अन्ना ने कहा कि बीजेपी जॉइन करने से पहले किरन ने मुझसे किसी भी तरह की बात नहीं की।

रालेगण सिद्धी के अनशन में अरविंद केजरीवाल के न आने पर अन्ना हज़ारे ने तब कहा था, 'मुझे किसी की जरूरत नहीं है। 76 साल के जीवन में मैंने सोलह आंदोलन किए और सूचना का अधिकार ऐसे ही आंदोलन से हासिल हुआ। अन्य कई सफलताएं भी ऐसे ही आंदोलनों से मिलीं। क्या कोई साथ था? मैं अपना आंदोलन खुद चला सकता हूं। जिन्हें आना है वे आ सकते है।' जाहिर है अन्ना की यह नाराजगी केजरीवाल के राजनीति में आने की वजह से थी।
यदि केजरीवाल आ गए तो उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी, यह पूछने पर अन्ना ने कहा था, 'यदि वह आना चाहें तो आ सकते हैं, लेकिन उन्हें मंच पर जगह नहीं मिलेगी। उन्हें लोगों में बैठना होगा।' क्या दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद केजरीवाल और उनके बीच कोई बातचीत हुई, यह पूछने पर उन्होंने बस इतना कहा था, 'नहीं।' अनशन की सफलता की संभावना के बारे में पूछने पर वरिष्ठ समाज सेवी अन्ना हजारे ने कहा था कि वह आंदोलन की सफलता के प्रति आश्वस्त हैं और यदि आंदोलन सफल नहीं हुआ तो वह प्राण त्याग देंगे।

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