Wednesday, November 12, 2014

अगर कोई मंत्री चाहे तो किसी पानवाले को भी अपना सेक्रटरी नियुक्त कर सकता है

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई मंत्री चाहे तो किसी पानवाले को भी अपना सेक्रटरी नियुक्त कर सकता है। कोर्ट ने साथ ही एनडीए सरकार के मंत्रियों द्वारा सेक्रटरीज की नियुक्ति से जुड़े सरकार के मेमोरैंडम को चुनौती देने वाली याचिका को जनहित याचिका मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को तय की है।
बेंच ने मंगलवार को कहा, 'कोई मंत्री किसी पानवाले को भी अपना सेक्रटरी अपॉइंट कर सकता है। यह कोई ऐसा पद नहीं है जिसका विज्ञापन दिया जाता है। ऐसा भी हो सकता है कि वह (मंत्री) किसी को भी सेक्रटरी न रखे।'
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई सार्वजनिक नुकसान नहीं हुआ, इसलिए इसे जनहित याचिका नहीं माना जा सकता है। यह सर्विस का मामला है। पहली नजर में यह सर्विस मैटर है और इस तरह यह कैट के तहत कवर होता है। अगर किसी को परेशानी है, तो वह कैट का दरवाजा खटखटा सकता है।'
नरेंद्र मोदी सरकार ने 19 जून को एक मेमोरैंडम जारी किया कि पिछले 10 साल से किसी केंद्रीय मंत्री के निजी कर्मचारी के तौर पर जुड़े रहे किसी भी व्यक्ति को केंद्र सरकार का मंत्री नियुक्त न करें। बाद में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) ने सफाई दी कि यह ओएसडी और सेक्रटरीज पर लागू होगा न कि जूनियर कर्मचारियों पर।
जस्टिस बी. डी. अहमद और जस्टिस एस. मृदुल की बेंच ने एनजीओ वॉइस ऑफ ह्यूमन राइट्स ऐंड जस्टिस की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

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