पूर्व एशिया और जी-20 देशों के आगामी शिखर सम्मेलनों में दुनिया के पांच सबसे
ताकतवर नेताओं- बराक ओबामा, व्लादिमीर पुतिन, शी चिनफिंग, शिंजो एबे और एंजेला मर्केल से कहीं ज्यादा महत्व छह महीने पहले भारत के
प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी को मिलता दिख रहा है। म्यांमार और ऑस्ट्रेलिया में
इस सप्ताह होने वाले पूर्व एशिया, आसियान और जी-20 समिट में मोदी से द्विपक्षीय
वार्ता के लिए कई देशों के प्रधानमंत्रियों और राष्ट्राध्यक्षों ने अनुरोध भेजे
हैं।
साउथ ब्लॉक के अधिकारियों ने बताया कि म्यामांर के ने पि टॉ और ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में होने वाले इन शिखर सम्मेलनों के दौरान कई नेताओं ने मोदी से मुलाकात करने की इच्छा जताई है और इसके लिए कई स्लॉट रिजर्व रखे गए हैं। एक अधिकारी ने कहा, 'पूर्व एशिया सम्मेलन और जी-20 में कुछ नेता समान हैं और इस वजह से इन नेताओं के कार्यक्रमों के आधार पर मोदी की मीटिंग्स तय करने पर काम किया जा रहा है।'
एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'ये देश भारत के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाना चाहते हैं और इन्हें मोदी सरकार के तहत व्यापार और निवेश बढ़ाने का मौका दिख रहा है।'
मोदी इस दौरान ओबामा, एबे, डिल्मा रोसेफ (ब्राजील की राष्ट्रपति) से मिल सकते हैं और पुतिन दिसंबर में भारत आ रहे हैं। मोदी का जोर मर्केल और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से मिलने पर होगा क्योंकि इन नेताओं से अभी उनकी मुलाकात नहीं हुई है। इसके अलावा मोदी फ्रांस, इटली, सऊदी अरब, तुर्की, मैक्सिको, अर्जेंटीना और नाइजीरिया के नेताओं से ब्रिस्बेन में जी-20 समिट के दौरान मीटिंग कर सकते हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति और यूरोपियन यूनियन के नेताओं से भी उनकी मीटिंग हो सकती है।
मंगलवार को म्यांमार पहुंचने पर मोदी वहां के राष्ट्रपति थेन सेन से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। यह एक कैलेंडर ईयर में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की म्यांमार की दूसरी यात्रा होगी। इससे पहले मनमोहन सिंह मार्च में बिम्सटेक समिट में हिस्सा लेने के लिए वहां गए थे। म्यांमार के साथ भारत का 1,600 किलोमीटर से लंबा बॉर्डर लगता है। भारत वहां कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। मोदी अपनी म्यांमार यात्रा के दौरान आंग सान सू की से भी मिलेंगे।
मोदी 12 नवंबर को 12वें भारत-आसियान समिट के दौरान साउथ ईस्ट एशिया के नेताओं से भी मिल सकते हैं। वह इससे पहले वियतनाम के प्रधानमंत्री नुयेन से मिल चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि मलेशिया और सिंगापुर के प्रधानमंत्री भी मोदी से मुलाकात करना चाहते हैं। साथ ही, इंडोनेशिया के नए राष्ट्रपति जोको विदोदो से भी उनकी मीटिंग पर विचार किया जा रहा है। पूर्व एशिया सम्मेलन के सदस्यों में सभी 10 आसियान देशों के अलावा अमेरिका, रूस, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
साउथ ब्लॉक के अधिकारियों ने बताया कि म्यामांर के ने पि टॉ और ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में होने वाले इन शिखर सम्मेलनों के दौरान कई नेताओं ने मोदी से मुलाकात करने की इच्छा जताई है और इसके लिए कई स्लॉट रिजर्व रखे गए हैं। एक अधिकारी ने कहा, 'पूर्व एशिया सम्मेलन और जी-20 में कुछ नेता समान हैं और इस वजह से इन नेताओं के कार्यक्रमों के आधार पर मोदी की मीटिंग्स तय करने पर काम किया जा रहा है।'
एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'ये देश भारत के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाना चाहते हैं और इन्हें मोदी सरकार के तहत व्यापार और निवेश बढ़ाने का मौका दिख रहा है।'
मोदी इस दौरान ओबामा, एबे, डिल्मा रोसेफ (ब्राजील की राष्ट्रपति) से मिल सकते हैं और पुतिन दिसंबर में भारत आ रहे हैं। मोदी का जोर मर्केल और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से मिलने पर होगा क्योंकि इन नेताओं से अभी उनकी मुलाकात नहीं हुई है। इसके अलावा मोदी फ्रांस, इटली, सऊदी अरब, तुर्की, मैक्सिको, अर्जेंटीना और नाइजीरिया के नेताओं से ब्रिस्बेन में जी-20 समिट के दौरान मीटिंग कर सकते हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति और यूरोपियन यूनियन के नेताओं से भी उनकी मीटिंग हो सकती है।
मंगलवार को म्यांमार पहुंचने पर मोदी वहां के राष्ट्रपति थेन सेन से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। यह एक कैलेंडर ईयर में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की म्यांमार की दूसरी यात्रा होगी। इससे पहले मनमोहन सिंह मार्च में बिम्सटेक समिट में हिस्सा लेने के लिए वहां गए थे। म्यांमार के साथ भारत का 1,600 किलोमीटर से लंबा बॉर्डर लगता है। भारत वहां कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। मोदी अपनी म्यांमार यात्रा के दौरान आंग सान सू की से भी मिलेंगे।
मोदी 12 नवंबर को 12वें भारत-आसियान समिट के दौरान साउथ ईस्ट एशिया के नेताओं से भी मिल सकते हैं। वह इससे पहले वियतनाम के प्रधानमंत्री नुयेन से मिल चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि मलेशिया और सिंगापुर के प्रधानमंत्री भी मोदी से मुलाकात करना चाहते हैं। साथ ही, इंडोनेशिया के नए राष्ट्रपति जोको विदोदो से भी उनकी मीटिंग पर विचार किया जा रहा है। पूर्व एशिया सम्मेलन के सदस्यों में सभी 10 आसियान देशों के अलावा अमेरिका, रूस, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
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