जल्द ही एक ऐसा सिस्टम आने वाला है जिसकी मदद हर कोई किसी भी वक्त और किसी भी
तरह का बिल पेमेंट कर सकेगा। अभी कुछ हद तक इस सुविधा का फायदा वही लोग उठा रहे
हैं जो नेटबैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन बहुत जल्द यह सुविधा
सबके लिए होगी।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इस तरह के सिस्टम शुरू करने के लिए अंतिम दिशा-निर्देश शुक्रवार की देर शाम जारी कर दिए। इस सिस्टम को 'भारत बिल पेमेंट सिस्टम' (बीबीपीएस) का नाम दिया गया है। इसके जरिए उपभोक्ता स्कूल फीस से लेकर बिजली, पानी के बिलों का भुगतान एक ही स्थान पर कर सकेंगे।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इस तरह के सिस्टम शुरू करने के लिए अंतिम दिशा-निर्देश शुक्रवार की देर शाम जारी कर दिए। इस सिस्टम को 'भारत बिल पेमेंट सिस्टम' (बीबीपीएस) का नाम दिया गया है। इसके जरिए उपभोक्ता स्कूल फीस से लेकर बिजली, पानी के बिलों का भुगतान एक ही स्थान पर कर सकेंगे।
आरबीआई के गाइडलाइंस में कहा गया है, 'बीबीपीएस एक सिंगल बिल पेमेंट
सिस्टम होगा। इस सिस्टम में एजेंटों, विभिन्न पेमेंट सिस्टम और पेमेंट संबंधी जानकारी प्राप्त होने का एक व्यापक
नेटवर्क होगा, जिसका फायदा ग्राहकों को
मिलेगा।' इस तरह का नेटवर्क स्थापित
करने के लिए आरबीआई द्वारा प्रवर्तित नैशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई)
को शीर्ष एजेंसी बनाया गया है।
ध्यान रहे कि एनपीसीआई ने ही रुपे कार्ड जारी किया है। आरबाआई ने बीबीपीएस के तहत अथॉराइज्ड पेमेंट कलेक्शन एजेंट बनने के लिए 100 करोड़ रुपये की नेटवर्थ और घरेलू रजिस्ट्रेशन को जरूरी शर्त रखी है।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने सबसे पहले पिछले साल दूसरी तिमाही मौद्रिक नीति में इस तरह की एकीकृत भुगतान प्रणाली स्थापित किए जाने की मंशा जाहिर की थी। इसके बाद इसके बारे में तौर-तरीके सुझाने के लिए एक समिति गठित की गई। समिति की सिफारिशों के आधार पर 7 अगस्त को दिशा-निर्देशों का मसौदा जारी किया गया था।
ये दिशा-निर्देश रिजर्व बैंक द्वारा भुगतान बैंकों और लघु वित्तीय बैंकों के बारे में अंतिम दिशा-निर्देश जारी किए जाने के एक दिन बाद ही जारी किए गए।
ध्यान रहे कि एनपीसीआई ने ही रुपे कार्ड जारी किया है। आरबाआई ने बीबीपीएस के तहत अथॉराइज्ड पेमेंट कलेक्शन एजेंट बनने के लिए 100 करोड़ रुपये की नेटवर्थ और घरेलू रजिस्ट्रेशन को जरूरी शर्त रखी है।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने सबसे पहले पिछले साल दूसरी तिमाही मौद्रिक नीति में इस तरह की एकीकृत भुगतान प्रणाली स्थापित किए जाने की मंशा जाहिर की थी। इसके बाद इसके बारे में तौर-तरीके सुझाने के लिए एक समिति गठित की गई। समिति की सिफारिशों के आधार पर 7 अगस्त को दिशा-निर्देशों का मसौदा जारी किया गया था।
ये दिशा-निर्देश रिजर्व बैंक द्वारा भुगतान बैंकों और लघु वित्तीय बैंकों के बारे में अंतिम दिशा-निर्देश जारी किए जाने के एक दिन बाद ही जारी किए गए।
No comments:
Post a Comment