राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों ने रविवार को बताया कि आतंकवादी
संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक ऐंड सीरिया (आईएसआईएस) के संदिग्ध सदस्य अरीब मजीद
ने उन स्थानीय लोगों के नामों का खुलासा किया है, जिन्होंने इराक में जारी
लड़ाई में हिस्सा लेने की खातिर संगठन में शामिल होने के लिए उसकी मदद की थी।
एनआईए के एक अधिकारी के सवाल के जवाब में मजीद ने कहा, 'वहां न तो कोई पवित्र युद्ध हो रहा है और न ही पवित्र किताबों में लिखी बातों का पालन किया जाता है। आईएसआईएस लड़ाकों ने वहां कई महिलाओं से बलात्कार भी किया है ।'
मजीद ने यह भी बताया कि आतंकवादी संगठन ने उसे किस तरह दरकिनार कर दिया। उसने बताया कि लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए भेजे जाने के बजाय उससे शौचालयों की सफाई का काम कराया जाता था या जंग लड़ रहे लड़ाकों को पानी मुहैया कराने को कहा जाता था।
एनआईए के एक अधिकारी ने कहा, 'मजीद से रविवार को कई घंटों तक पूछताछ हुई। पूछताछ के दौरान उसने उन स्थानीय लोगों के नाम बताए, जिन्होंने उसमें और उसके तीन दोस्तों में कट्टरपंथी भावनाएं भड़काई और उन्हें इराक जाने में मदद की। हम उसके दावों की जांच कर रहे हैं और इन स्थानीय संपर्कों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।' हालांकि अधिकारी ने यह कहते हुए स्थानीय समर्थकों के नाम का खुलासा करने से इनकार कर दिया कि इससे जांच पटरी से उतर जाएगी ।
अरीब मजीद से यह पूछे जाने पर कि उसने कितने महीनों तक लड़ाई में हिस्सा लिया, मजीद ने कहा कि उसकी पूरी तरह अनदेखी की जाती थी और उससे शौचालय साफ करने या सुरक्षा बलों से लड़ रहे लड़ाकों के लिए पानी का इंतजाम करने को कहा जाता था। मजीद ने जांच अधिकारियों को बताया कि उसके वरिष्ठ सुपरवाइजर के अनुरोध के बावजूद आईएसआईएस कैडरों ने उसे लड़ाई में हिस्सा नहीं लेने दिया।
उसने बताया कि जंग में हिस्सा लेने का उसका इरादा उस वक्त कमजोर पड़ गया जब गोली लगने से जख्मी होने के बावजूद तीन दिनों तक उसका इलाज नहीं कराया गया और बाद में एक अस्पताल में ले जाया गया। मजीद ने जांच अधिकारियों को बताया, 'जब मैं काफी गिड़गिड़ाया तो मुझे अस्पताल ले जाया गया। मैं अपना इलाज खुद कर रहा था पर जख्म दिन-ब-दिन बदतर होता जा रहा था। शिविरों में उचित दवाएं और भोजन उपलब्ध नहीं था।'
एनआईए के एक अधिकारी के सवाल के जवाब में मजीद ने कहा, 'वहां न तो कोई पवित्र युद्ध हो रहा है और न ही पवित्र किताबों में लिखी बातों का पालन किया जाता है। आईएसआईएस लड़ाकों ने वहां कई महिलाओं से बलात्कार भी किया है ।'
मजीद ने यह भी बताया कि आतंकवादी संगठन ने उसे किस तरह दरकिनार कर दिया। उसने बताया कि लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए भेजे जाने के बजाय उससे शौचालयों की सफाई का काम कराया जाता था या जंग लड़ रहे लड़ाकों को पानी मुहैया कराने को कहा जाता था।
एनआईए के एक अधिकारी ने कहा, 'मजीद से रविवार को कई घंटों तक पूछताछ हुई। पूछताछ के दौरान उसने उन स्थानीय लोगों के नाम बताए, जिन्होंने उसमें और उसके तीन दोस्तों में कट्टरपंथी भावनाएं भड़काई और उन्हें इराक जाने में मदद की। हम उसके दावों की जांच कर रहे हैं और इन स्थानीय संपर्कों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।' हालांकि अधिकारी ने यह कहते हुए स्थानीय समर्थकों के नाम का खुलासा करने से इनकार कर दिया कि इससे जांच पटरी से उतर जाएगी ।
अरीब मजीद से यह पूछे जाने पर कि उसने कितने महीनों तक लड़ाई में हिस्सा लिया, मजीद ने कहा कि उसकी पूरी तरह अनदेखी की जाती थी और उससे शौचालय साफ करने या सुरक्षा बलों से लड़ रहे लड़ाकों के लिए पानी का इंतजाम करने को कहा जाता था। मजीद ने जांच अधिकारियों को बताया कि उसके वरिष्ठ सुपरवाइजर के अनुरोध के बावजूद आईएसआईएस कैडरों ने उसे लड़ाई में हिस्सा नहीं लेने दिया।
उसने बताया कि जंग में हिस्सा लेने का उसका इरादा उस वक्त कमजोर पड़ गया जब गोली लगने से जख्मी होने के बावजूद तीन दिनों तक उसका इलाज नहीं कराया गया और बाद में एक अस्पताल में ले जाया गया। मजीद ने जांच अधिकारियों को बताया, 'जब मैं काफी गिड़गिड़ाया तो मुझे अस्पताल ले जाया गया। मैं अपना इलाज खुद कर रहा था पर जख्म दिन-ब-दिन बदतर होता जा रहा था। शिविरों में उचित दवाएं और भोजन उपलब्ध नहीं था।'