आम आदमी पार्टी के
एक प्रमुख सदस्य ने पार्टी के प्रति बागी तेवर दिखाए हैं। 'आप' के लीगल सेल के कन्वीनर अश्विनी कुमार ने पार्टी पर 'पथभ्रष्ट' होने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए। उनमें से
एक गंभीर आरोप यह भी है कि लोकसभा चुनाव के लिए 'आप' के 70 उम्मीदवारों में से 64 के
नाम पर 31 जनवरी को हुई नैशनल काउंसिल की मीटिंग से पहले ही
मुहर लग चुकी थी।
बुधवार को प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अश्विनी कुमार ने कहा कि जातिवाद, सांप्रदायिकता, परिवारवाद, हाईकमानगिरी और भ्रष्टाचार से परे रहने जैसे जिन पांच मुद्दों के साथ पार्टी का गठन हुआ था, पार्टी आज उन मुद्दों से ही पूरी तरह परे हो गई है। कुमार ने आरोप लगाया कि पार्टी में जातिवाद की राजनीति हो रही है, साम्प्रदायिकतावाद पनप रहा है और हाईकमानगिरी जोरों पर है। पार्टी में भ्रष्टाचार अब कोई मुद्दा ही नहीं बचा है। कुमार ने केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर भी संदेह जाहिर करते हुए कहा कि जब वह जनता की राय लेकर मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हुए थे, तो क्या पद से इस्तीफा देने से पहले उन्हें जनता की राय नहीं लेनी चाहिए थी।
कुमार ने पार्टी के उन 18 मुद्दों को बेबुनियाद बताया, जो दिल्ली में सरकार बनाने से पहले देश की दोनों प्रमुख पार्टियों के सामने रखे गए थे। अश्विनी कुमार ने लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार चुने जाने को लेकर पार्टी पर आरोप लगाने से पहले यह साफ कर दिया कि उन्होंने न कभी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मांगा था और न ही लोकसभा चुनाव के लिए। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के टिकट बाद में बंटे, नाम पहले ही तय कर लिए गए थे। कुछ उम्मीदवार तो ऐसे हैं जिन्हें टिकट पहले मिल गया और पार्टी की सदस्यता बाद में दी गई। पार्टी ने आम चुनाव के लिए जिन 70 उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें से 64 के नामों पर फैसला नैशनल काउंसिल की मीटिंग से पहले ही ले लिया गया था।
उन्होंने कहा कि वह साबित तो नहीं कर सकते, लेकिन पार्टी से जुड़े होने की वजह से उन्हें इस बात की पूरी जानकारी है कि मुरादाबाद की लोकसभा सीट से राशिद परवेज को एक करोड़ रुपये में टिकट दी गई। कुमार ने खुलासा किया कि फोर्ड फाउंडेशन की तरफ से एक सोशल ऐक्टिविस्ट (अरविंद केजरीवाल) को साल 2004 से लेकर अब तक 4000 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। कुमार ने सवाल उठाया कि अमेरिका की संस्था एक भारतीय नागरिक और उसकी पार्टी पर भला इतनी मेहरबान क्यों है। इस फंड की मेहरबानी ही है कि फोर्ड फाउंडेशन के कुछ सदस्यों को 'आप' की विभिन्न कमिटियों में सदस्य बनाया गया है।
उन्होंने पार्टी को सीरिया और अन्य खाड़ी देशों से फंड मिलने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि कमेटियों में कम से कम 10 लोग ऐसे हैं जिनके खिलाफ राष्ट्रविरोधी या अलगाववादी मामले चल रहे हैं या उन पर ऐसे आरोप लग चुके हैं। इन खुलासों के साथ कुमार ने यह भी साफ कर दिया कि वह पार्टी छोड़ नहीं रहे हैं, पार्टी चाहे तो उन्हें अलग कर दे। कुमार ने कहा कि उनके साथ 70 से 75 लोग हैं जो पार्टी के मौजूदा स्वरूप से नाराज और निराश है।
बुधवार को प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अश्विनी कुमार ने कहा कि जातिवाद, सांप्रदायिकता, परिवारवाद, हाईकमानगिरी और भ्रष्टाचार से परे रहने जैसे जिन पांच मुद्दों के साथ पार्टी का गठन हुआ था, पार्टी आज उन मुद्दों से ही पूरी तरह परे हो गई है। कुमार ने आरोप लगाया कि पार्टी में जातिवाद की राजनीति हो रही है, साम्प्रदायिकतावाद पनप रहा है और हाईकमानगिरी जोरों पर है। पार्टी में भ्रष्टाचार अब कोई मुद्दा ही नहीं बचा है। कुमार ने केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर भी संदेह जाहिर करते हुए कहा कि जब वह जनता की राय लेकर मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हुए थे, तो क्या पद से इस्तीफा देने से पहले उन्हें जनता की राय नहीं लेनी चाहिए थी।
कुमार ने पार्टी के उन 18 मुद्दों को बेबुनियाद बताया, जो दिल्ली में सरकार बनाने से पहले देश की दोनों प्रमुख पार्टियों के सामने रखे गए थे। अश्विनी कुमार ने लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार चुने जाने को लेकर पार्टी पर आरोप लगाने से पहले यह साफ कर दिया कि उन्होंने न कभी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मांगा था और न ही लोकसभा चुनाव के लिए। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के टिकट बाद में बंटे, नाम पहले ही तय कर लिए गए थे। कुछ उम्मीदवार तो ऐसे हैं जिन्हें टिकट पहले मिल गया और पार्टी की सदस्यता बाद में दी गई। पार्टी ने आम चुनाव के लिए जिन 70 उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें से 64 के नामों पर फैसला नैशनल काउंसिल की मीटिंग से पहले ही ले लिया गया था।
उन्होंने कहा कि वह साबित तो नहीं कर सकते, लेकिन पार्टी से जुड़े होने की वजह से उन्हें इस बात की पूरी जानकारी है कि मुरादाबाद की लोकसभा सीट से राशिद परवेज को एक करोड़ रुपये में टिकट दी गई। कुमार ने खुलासा किया कि फोर्ड फाउंडेशन की तरफ से एक सोशल ऐक्टिविस्ट (अरविंद केजरीवाल) को साल 2004 से लेकर अब तक 4000 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। कुमार ने सवाल उठाया कि अमेरिका की संस्था एक भारतीय नागरिक और उसकी पार्टी पर भला इतनी मेहरबान क्यों है। इस फंड की मेहरबानी ही है कि फोर्ड फाउंडेशन के कुछ सदस्यों को 'आप' की विभिन्न कमिटियों में सदस्य बनाया गया है।
उन्होंने पार्टी को सीरिया और अन्य खाड़ी देशों से फंड मिलने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि कमेटियों में कम से कम 10 लोग ऐसे हैं जिनके खिलाफ राष्ट्रविरोधी या अलगाववादी मामले चल रहे हैं या उन पर ऐसे आरोप लग चुके हैं। इन खुलासों के साथ कुमार ने यह भी साफ कर दिया कि वह पार्टी छोड़ नहीं रहे हैं, पार्टी चाहे तो उन्हें अलग कर दे। कुमार ने कहा कि उनके साथ 70 से 75 लोग हैं जो पार्टी के मौजूदा स्वरूप से नाराज और निराश है।
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