Friday, March 28, 2014

मोदी की बोटी-बोटी कर देंगे

सहारनपुर से कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान मसूद ने उन्मादी बयान देकर पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है। इमरान ने सरेआम बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की हत्या की धमकी दी है। उनके भाषण का एक विडियो सामने आया है, जिसमें वह भीड़ के सामने दावा कर रहे हैं कि मोदी को कड़ा सबक सिखाएंगे और बोटी-बोटी कर देंगे। चुनाव आयोग ने इमरान के भाषण का ब्योरा तलब किया है। इमरान का बयान कांग्रेस के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया है और पार्टी ने इस पर चुप्पी साध ली है।
इमरान कांग्रेस के इस इलाके से दिग्गज नेता रशीद मसूद के भतीजे हैं। पहले उन्हें समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था, लेकिन बाद में मेडिकल घोटाले में जेल जाने के बाद रशीद मसूद ने समाजवादी पार्टी में चले गए और इमरान का वहां से टिकट कटवा दिया। इसके बाद वह कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतर गए। समाजवादी पार्टी के टिकट पर यहां से रशीद मसूद के पुत्र शाजान मसूद मैदान में हैं।
इमरान का जो विडियो सामने आया है, उसमें वह एक सभा संबोधित करते हुए दावा कर रहे हैं कि मोदी की बोटी-बोटी कर देंगे। वह कह रहे हैं,'उत्तर प्रदेश गुजरात नहीं है। गुजरात में केवल 4% मुसलमान हैं, उत्तर प्रदेश में 22% मुसलमान हैं। मैं उसे सबक सिखाऊंगा क्योंकि मैं जानता है कि उसे कैसे माकूल जवाब दिया जा सकता है।'
कांग्रेस उम्मीदवार अपने भाषण में लोगों को अपनी ताकत का अहसास कराने और नरेंद्र मोदी की बोटी-बोटी करने की बात कहने के अलावा कानून व्यवस्था को भी ठेंगा दिखा रहे हैं। वह एक छोटे से बच्चे को भी इतना दबंग बनाने की बात कर रहे है कि अगर कानून तोड़ने पर कोई दरोगा उसे रोकने की कोशिश करे तो बच्चा भी दरोगा को हड़का सके।

तीन आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में हमला

सेना की वर्दी पहने तीन आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में तड़के एक बोलेरो सवारों पर हमला कर दिया, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। इसके बाद ये आतंकी ड्राइवर को अगवा कर उसे बोलेरो के साथ लेकर भागे। दो घंटे तक पीछा करने के बाद आतंकियों को कठुआ जिले के कालीबाड़ी-जंगलोट क्षेत्र में सेना ने एक कैंप और प्राइवेट कॉलेज के पास रोका। दोनों ओर से भारी गोलीबारी जारी है। इस मुठभेड में सेना का एक जवान घायल हो गया है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया, 'सेना की वर्दी पहने तीन लोगों ने सुबह करीब 5 बजे कठुआ जिले के दयालचक क्षेत्र में तरनाह नाला पुल पर एक बोलेरो को रोका, इसमें सवार लोगों को बाहर निकाला और उन पर गोलीबारी की।' उन्होंने बताया कि हमले में एक व्यक्ति मारा गया और तीन अन्य घायल हो गए। तीनों घायलों को जम्मू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
आतंकवादियों को ले जा रही गाड़ी को सेना ने कठुआ जिले के कालीबाड़ी-जंगलोट क्षेत्र में एक प्राइवेट कॉलेज के पास रोक लिया, जिससे गोलीबारी शुरू हो गई। अंतिम खबर मिलने तक गोलीबारी जारी थी। पुलिस ने बताया कि दोनों ओर से भारी गोलीबारी जारी है। पुलिस सूत्रों ने कहा कि घायलों को सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया है। सुरक्षा एजेंसियों ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है। सैन्य शिविरों और कठुआ, साम्बा और जम्मू जिले के महत्वपूर्ण स्थानों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

Monday, March 24, 2014

अच्छा लगा - लेकिन मांस की दुकानो मे गणेश आदि के चित्र बने हुये है ! पहले उनकी पूजा होती है- यह क्या है ?

हमरे शंकराचार्य जी ने "हर- हर मोदी" के नारे पर एतराज किया और   संघ व भाजपा उनकी बात" सिर् आंखो मे" की तरह मान गयी है वैसे यह कोई ज्यादा एतराज वाली बात नही थी ,चलिए, चुनाव के समय भाजपा व संघ को "पंगा" लेने के मूड मे भी नही रहेंगे उनका उद्देश्य तो इस समय सभी को जोड़ना है !
उत्तर भारत के कानपुर नगर से ग्णेश छाप तंबाखू बिकती है और उस पर गणेश का चित्र भी बना हुया है , यह कई साल से अपना व्यापार इसी चित्र से चला रहे है !
अनेक मांस की दुकानो मे गणेश आदि के चित्र बने हुये है ! पहले उनकी पूजा होती है , बाद उसी दुकान मे जानवरो की हत्या करके मांस भी बिकता है, यह हमने कई दुकानो मे देखा है !
शंकराचार्य जी क्या ऐतराज कर लेते है! समाज मे दहेज हत्या, कन्या भृढ़हत्या बड़े पैमाने मे होती है और हमारे शंकराचार्य जी " मौन व्रत " धारण करने मे ही अपनी भलाई समझने लगते है!
जबकि अपना समाज कन्या को देवी का दर्जा देता है उसका सम्मान भी नवरात्रि के दिनो मे किया भी जाता है ! जिस शंकराचार्य जी ने मोदी के नारे के विरुद्ध आवाज उठायी है वह कांग्रेस पार्टी की तरफ थोड़ा झुकाव रखते है, फिर भी हम उनकी तारीफ करेंगे की एक हल्की बुराई की तरफ़ उन्होने समाज का, संघ, भाजपा, मोदी जी का ध्यान आकर्षित किया !
अब यह भाजपा समर्थक इस तरहसे नारा भी बना सकते है " हर घर मोदी, घर घर मोदी " इस नरेकासंदेश से वह घर ghar जाये हर व्यक्ति को मोदी या भाजपा का संदेश देवे उसमे मुस्लिम समाज भी शामिल रहे दलित समाज भी, ईसाई समाज भी रहे, जो भाजपा से दूर रहने की मानसिकता रखता हो उसको भी भाजपा से मोदी जी से जोड़ने का संदेश देवे !
जिसने इस देश मे जन्म लिया है वह सभी अपने देश के जन्मजात सम्मानित नागरिक है उनसे क्यो भेदभाव रखा जाये? सभी को जोड़ने की बात रखी जाये ! वैचारिक मतभेद भले ही हो, मनभेद हर्गिज न हो !
सभी का साथ लीजिये सभी का विकास कीजिये, जो ज्यादा कमजोर हो उनके प्रति ज्यादा सहानुभूति की नीति भी अपनानी होगी ! इसलिये इस नारे को आत्मसात करने की कोशिश कीजिये " हर घर मोदी, घर- घर मोदी" !
वैसे व्यक्ति वाद के बजाये नीतिवाद भाजपा वाद ज्यादा ठीक रहता है लेकिन समाज मे लालू, ममता, मायावती मुलायम सोनिया जयललिता आदि नामपर भी वोट मिल जाते है, उसी की टक्कर मे मोदी वाद , मोदी नाम, मोदी नारे को जोड़कर के भी राजनीति चलाई जा सकती है !

हमने एक राजनैतिक पक्ष रखा है , इसकी आलोचना व समर्थन आदि की पूरी गुंजाइश है, हम सभी तरह के विचारो का स्वागत् करने के लिये उत्सुक रहेंगे,

Friday, March 21, 2014

आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए फंड जुटाने में जुटी

आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए फंड जुटाने में जुटी हुई है। इसके लिए अमेरिका और यूरोपीय देशों की तर्ज पर फंड रेजिंग डिनर का भी आयोजन किया जा रहा है। कुछ डिनर पार्टी खुद रख रही है, तो कुछ पार्टी से सहानुभूति रखने वाले लोग। बेंगलुरु और नागपुर के बाद इसी कड़ी में मंगलवार रात को दिल्ली में ट्रेडर्स के एक ग्रुप ने 'आप' के लिए एक फंड रेजिंग डिनर रखा, जो कामयाब रहा।
खास यह था कि अरविंद केजरीवाल की गैर-मौजूदगी के बावजूद पार्टी करीब 25 लाख रुपये का फंड जुटाने में कामयाब रही। सूत्रों के मुताबिक, अधिकतम 4.5 लाख और न्यूनतम 10 हजार रुपये का चंदा मिला। यह डिनर प्लेट सिस्टम पर नहीं था और इसमें हिस्सा लेने के लिए तयशुदा रकम पार्टी फंड में देने की कंडिशन नहीं रखी गई थी। अगर डिनर में हिस्सा लेने के बाद भी कोई चंदा नहीं देना चाहता है, तो भी कोई बंदिश नहीं थी। हालांकि, कोशिश जरूर की गई कि हर व्यापारी कम से कम 20 हजार रुपये का चंदा जरूर दे।
यह फंड रेजिंग डिनर 'आप' के उद्योग व्यापार मंडल की तरफ से साउथ दिल्ली के वसंत विहार क्लब में रखा गया। मंडल के कन्वीनर बृजेश गोयल के मुताबिक, इसमें चांदनी चौक, सदर बाजार, खारी बावली, करोल बाग, कश्मीरी गेट, चावड़ी बाजार, साउथ एक्सटेंशन, गांधी नगर, उत्तम नगर जैसे कई बड़े बाजारों के तकरीबन 100 व्यापारियों ने हिस्सा लिया। इनमें कुछ बड़े व्यापारी नेता भी शामिल थे। पार्टी की तरफ से मनीष सिसौदिया, दिलीप पांडे, आशीष तलवार, दुर्गेश कुमार और सत्येंद्र जैन समेत लोकसभा कैंडिडेट आशुतोष और आशीष खेतान भी यहां मौजूद थे।

मैं तो बकवास लिखता हूं, न जाने लोग क्यों पढ़ते हैं'

मैं तो बकवास लिखता हूं, न जाने लोग क्यों पढ़ते हैं'... इस हद तक अपनी आलोचना करने वाली हस्ती खुशवंत सिंह के अलावा और कौन सी हो सकती है? शरारत तो मानो उनकी जिंदगी का हिस्सा थी। यहां तक कि जब उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी तो उसके टाइटल में भी शरारत को जगह थी- 'सच, प्यार और थोड़ी सी शरारत' (ट्रुथ, लव एंड लिटिल मैलिस)। 'ट्रेन टु पाकिस्तान' जैसी मशहूर किताब के रचयिता खुशवंत सिंह ने वकील, संपादक और लेखक के रूप में शान से जिंदगी जी। वे आखिरी दम तक काम करते रहे। उनका कॉलम 'ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर' (विद् मैलाइस टुवार्ड्स वन एंड ऑल) बेशुमार पॉपुलर था। यह देश के लगभग 50 अखबारों में एक साथ छपता था। 
इमरजेंसी के सपोर्टर! 
खुशवंत सिंह अपनी बेबाकी के लिए भी मशहूर थे। वह उन चंद लोगों में थे जिन्होंने इमरजेंसी लगाने के इंदिरा गांधी के फैसले का खुलकर समर्थन किया था। हालांकि बाद में उनके रिश्ते बिगड़ गए और वे मेनका गांधी के करीब आ गए। बाद में उन्होंने ब्लू स्टार ऑपरेशन के लिए इंदिरा का खुलकर विरोध भी किया। वे इतना नाराज थे कि उन्होंने पद्म भूषण अवॉर्ड भी सरकार को लौटा दिया। खुशवंत ने अपनी बायोग्राफी में इस बारे में काफी विस्तार से लिखा है। 
'विमिन ऐंड मैन इन माई लाइफ' 
2 फरवरी 1915 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हदाली में जन्मे खुशवंत की कलम के कायल लोगों की कमी नहीं है। पॉलिटिक्स पर लिखना और तमाम मॉडर्न टॉपिक्स पर तंज कसना उनका प्रिय शगल था। 1995 में उनकी किताब 'विमिन ऐंड मैन इन माई लाइफ' आई तो साबित हो गया कि उनकी तरह हर किसी में आइने की तरह जिंदगी को सबके सामने रखने की हिम्मत नहीं होती। उनके लिखने का स्टाइल ही अलग था। उन्होंने अपनी पहली ही किताब 'द मार्क ऑफ विष्णु ऐंड अदर स्टोरीज' (1950) से अंधविश्वास पर कटाक्ष करने की शुरुआत की थी। वे जिंदगी भर नास्तिक रहे और कलम से इसका समर्थन भी करते रहे। उन्होंने वकालत भी की और लंदन उच्चायोग में भी काम किया। 

Tuesday, March 18, 2014

आने वाले दिनों में अब तक केजरीवाल को कोसने वाली पार्टियां वाराणसी में उनका समर्थन करती नजर आएं।

केजरीवाल को वाराणसी में मोदी को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस (सबका) का साथ मिल सकता है? आप आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल के वाराणसी से चुनाव लड़ने के संकेत देने के साथ ही गैर-बीजेपी दलों ने मोदी को घेरने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। हैरानी की बात नहीं होगी कि आने वाले दिनों में अब तक केजरीवाल को कोसने वाली पार्टियां वाराणसी में उनका समर्थन करती नजर आएं।
इसका संकेत समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की तरफ से आ चुका है। पार्टी के नेता रविदास मेहरोत्रा ने केजरीवाल की घोषणा के ठीक बाद एक न्यूज चैनल से कहा कि मोदी को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी केजरीवाल का समर्थन कर सकती है। वहीं कांग्रेस की तरफ से भी कुछ ऐसा ही संकेत आया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री ने ट्वीट करते हुए लिखा कि अगर एसपी-बीएसपी मोदी को हराने के लिए गंभीर हैं, तो उन्हें कांग्रेस के साथ साझा प्रत्याशी उतारना चाहिए।

केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को 2,500 रुपये हर्जाना देने का निर्देश

अदालत ने एक मामले में पेश न होने पर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को 2,500 रुपये हर्जाना देने का निर्देश दिया। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री कपिल सिब्बल के वकील बेटे अमित सिब्बल की याचिका पर सुनवाई करते हुए आप नेताओं पर यह हर्जाना लगाया।
अदालत ने दोनों नेताओं की वह अर्जी मंजूर कर ली जिसमें उन्होंने शनिवार को सुनवाई के दौरान निजी रूप से पेशी से छूट देने की मांग की थी। केजरीवाल ने इस आधार पर अदालत से छूट की मांग की कि वह लोकसभा चुनाव प्रचार के चलते बेंगलुरु में हैं जबकि सिसौदिया ने कारण दिया कि अमेठी में हुए हमले में घायल आप नेता कुमार विश्वास और पार्टी के अन्य सदस्यों को देखने के लिए उन्हें तुरंत अमेठी रवाना होना पड़ा। अदालत ने आप नेता प्रशांत भूषण और शाजिया इल्मी से अंडरटेकिंग लेने के बाद उन्हें छोड़ दिया। अदालत ने उन्हें हर सुनवाई में निजी तौर पर अदालत में पेश होने का आश्वासन लेने के बाद ही रिलीज किया। अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।
कोर्ट ने पिछले साल 24 जुलाई को अमित द्वारा दाखिल मानहानि की शिकायत पर केजरीवाल, सिसौदिया, प्रशांत और शाजिया को नोटिस जारी किया था। अमित का आरोप था कि आप नेताओं ने कहा था कि उन्होंने कोर्ट में पेंडिंग मामलों में एक टेलीकॉम कंपनी की ओर से पेश होने के लिए अपने पिता कपिल सिब्बल की पोजिशन का फायदा उठाया।

Friday, March 14, 2014

आम आदमी पार्टी ने मीडिया के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल

अपने विवादित बयानों से घिरे अरविंद केजरीवाल के बचाव में आम आदमी पार्टी ने मीडिया के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में प्रवक्ताओं की फौज के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की और मीडिया पर हमला बोला। पार्टी के प्रवक्ता मीडिया को धमकी देने वाले केजरीवाल के बयान को सही ठहराने की कोशिश करते नजर आए, तो साथ ही कुछ न्यूज चैनलों पर केजरीवाल के खिलाफ मुहिम चलाने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग में शिकायत की धमकी भी दी। गौरतलब है कि केजरीवाल ने गुरुवार रात नागपुर में पार्टी के एक कार्यक्रम में मीडियावालों को जेल भेजने की धमकी दी थी,हालांकि बाद में वह अपने बयान से पलट गए थे। 

हम इस महायुति (पांच दलों का गठबंधन) को नहीं तोड़ना चाहते

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शिवसेना से गठबंधन से स्पीड ब्रेकर हटाने को कहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने दो दिन के भीतर उनसे स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। गुरुवार को नितिन गडकरी पर परोक्ष रुप से हमला करते हुए कहा कि बीजेपी को उन नेताओं ने निपटना चाहिए जो गठबंधन में दरार डालने का प्रयास कर रहे हैं।
उद्धव ने संवाददाताओं से कहा, 'हम इस महायुति (पांच दलों का गठबंधन) को नहीं तोड़ना चाहते। अभी इस महायुति में कोई खरोंच नहीं आई है। हमारे गठबंधन के पक्ष में माहौल है और यह गठबंधन केंद्र एवं राज्य की सत्ता में आ रहा है। ऐसे में कोई नेता दरार पैदा करने की कोशिश करे तो उसकी पार्टी को उसे ऐसा करने से रोकना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'महायुति अब भी मजबूत है बहरहाल, किसी को हमें मूर्ख बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।' गडकरी की एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे से मुलाकात करने के बाद से ही शिवसेना नाराज दिख रही है। उद्धव ने दोहराया कि बीजेपी नेतृत्व को सिर्फ एक नेता को अधिकृत करना चाहिए जो राज्य के मामलों को देख सके। उन्होंने कहा, 'एक दिन पहले राजनाथ सिंह ने मुझे फोन किया था। उन्होंने कहा कि पार्टी की बैठक के बाद अगले दो दिनों में वह मुझे फिर से फोन करेंगे।'
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि राजनाथ सिंह ने उन्हें भरोसा दिलाया कि बीजेपी एनडीए में किसी नए दल को शामिल नहीं करेगी। उन्होंने कहा, 'राजनाथ सिंह, नरेंद्र मोदी, देवेंद्र फडणवीस तथा मैं एक साझा लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं। कुछ लोग हमारे प्रयास में अवरोध पैदा करने की कोशिश में हैं। उनके दलों के नेतृत्व को उन्हें ऐसा करने से रोकना चाहिए।' पूर्व बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सुधीर मुनगंटीवार ने उद्धव पर टीका-टिप्पणी की है। इसी संदर्भ में किसी का नाम लिए बगैर उद्धव ने कहा कि बीजेपी अध्यक्ष उनसे बातचीत कर रहे हैं तो फिर किसी दूसरे को इसमें दखल नहीं देना चाहिए।

Wednesday, March 12, 2014

‘आम आदमी’

सिस्टम को बदलने के दावों से लेकर महज दूसरों को गरियाने और त्याग के बहाने पल्ला झाड़ लेने वाले अरविंद केजरीवाल पर जितना ज्यादा विश्वास करने की कोशिश करता हूं, उतना ही उनकी खोखली दलीलें और बिल्कुल आम आदमीजैसा व्यवहार मुझे यह सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि वह मुझ जैसे आम लोगों के नायक तो हो ही नहीं सकते! फिर यह सवाल भी मन को बेचैन कर देता है कि केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी हर बात में जिस आम आदमीका जिक्र करते हैं, वह कौन है?
क्या यह वही 'आम आदमी' है जो अपनी इमानदारी का ढोल पीटे बग़ैर खुद, अपने परिवार और समाज के लिए काम करता जाता है। जो हर वक्त शिकायत के मोड में रहने की बजाय पहाड़ को काट कर कई किलोमीटर लंबा रास्ता बना देने तक का माद्दा रखता है। जिसके कई भूखे सपने तो पूरे हो जाते हैं पर कई बेमौत मारे भी जाते हैं, लेकिन वह अपने वसूलों से कोई समझौता नहीं करता है। जिसकी उंगलियां दूसरों के साथ-साथ अपनों की गलतियों पर भी उतने ही तनाव से उठती हों। जो एक ऐसा समाज बनाना चाहता है जहां आदमी की पहचान इस जाति-धर्म के दायरों में न सिमटी हो?

या फिर वह 'आम आदमी' जो सारे दांव-पेच लगा कर अपना काम करवाना जानता है। जो समाज में बराबरी लाने की डींगें तो खूब हांकता हो, मगर जिसे हिंदू, मुस्लिम, सिख जैसी पहचान से भी प्यार हो और मौका मिलने पर जाति के आधार पर भी फैसले लेने से जिसे परहेज न हो। जो करप्शन पर खूब हो-हल्ला तो मचाता हो, मगर वक्त आने पर उसी करप्शन में शामिल लोगों को अपने कुनबे की शोभा बढ़ाने देने में कोई गुरेज नहीं करता हो। जो मौके के हिसाब से खुद को अलग-अलग रंगों में रंगना जानता हो और जल्द से जल्द सफल होने के लिए कई तरह के शॉर्टकट का इस्तेमाल करना जानता हो। जो यह सोचता है उसे छोड़ कर सारी दुनिया को इमानदार बने रहने का ठेका मिला हुआ है?
गुस्ताखी माफ करें केजरीवाल साहब, लेकिन जब भी आपके और आपकी आम आदमी पार्टी के बारे में सोचने लगता हूं तो रामलीला मैदान में चले अन्ना आंदोलनके कई छोटे-मोटे वाकये याद आने लगते हैं। याद आने लगते हैं वे ऑटो वाले जो शान से मैं अन्ना हूंकी टोपी तो पहले लेते थे, मगर मीटर से चलने के बजाय दूसरों को टोपी पहनाने में कोई शर्म महसूस नहीं करते थे।
इस वाकये को बताने या इन सवालों को उठाने का मेरा मकसद आपकी उपलब्धियों को खारिज करना या आपका मज़ाक बनाना नहीं है केजरीवाल साहब। यह तो बस उस आम आदमीकी टीस है, जिसने आपसे बड़ी उम्मीदें पाल ली थीं। जो सेटिंग करने से ज्यादा सीधे रास्ते पर चलने में यकीन करने वालो में से है। और हो भी क्यों नहीं, इस देश में बदलाव की सपना देख रहे उन तमाम लोगों की तरह वह भी यह मान बैठा था कि इस सड़ांध में आपका उदय ऐसी ताज़ा हवा कि तरह है जिसकी खुशबू नयापन का अहसास लेकर आएगी।
खैर, आप इनमें से किस आम आदमीके नायक बनना चाहते हैं वह पूरी तरह से आपका फैसला है और आपको अपने फैसले लेने का पूरा हक भी है। लेकिन इतना जरूर कहना चाहूंगा कि आपकी विफलता, देश में बदलाव के सपनों को आनेवाले कई दशकों के लिए खत्म कर देगी, क्योंकि आपकी सरकार बनने के वक्त जो आम आदमीफिर से सपने देखने लगा था, वह अब बहुत निराश है।

Monday, March 10, 2014

महिला कार्यकर्ताओं ने अब एकजुट होकर पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया

आम आदमी पार्टी की कई महिला कार्यकर्ताओं ने अब एकजुट होकर पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका आरोप है कि पार्टी के भीतर महिलाओं की अनदेखी हो रही है और जमीनी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर पैराशूट कैंडिडेट उतारे जा रहे हैं। इन्होंने नई पार्टी बनाने की भी तैयारी कर ली है और इनका एकमात्र अजेंडा महिला वोटरों को 'आप' के खिलाफ करना है।
सोशल ऐक्टिविस्ट और 'आप' की मेंबर नसीम बानो ने कहा कि जब कैंडिडेट बनने के लिए इंटरव्यू लिया गया तो 'आप' नेताओं ने पूछा कि आपकी हैसियत क्या है? जबकि पार्टी ने पहले खुद ही कहा था कि कोई भी कैंडिडेट बनने के लिए अप्लाई कर सकता है। नसीम ने कहा कि अगर हैसियत ही देखनी थी तो पहले ही बड़ी हैसियत का क्राइटेरिया रखा जाना चाहिए था। नसीम बानो अकेली नहीं हैं। नसीम के साथ किरन भी हैं जिन्होंने फरीदाबाद सीट से कैंडिडेट बनने के लिए इंटरव्यू दिया है। किरन का कहना है कि जब नसीम के साथ ऐसा हो सकता है तो किसी भी महिला के साथ ऐसा हो सकता है।
नसीम ने बताया कि इंटरव्यू पैनल में बैठे आशीष तलवार ने मुझसे साफ पूछा कि मैं चुनाव लड़ना चाहती हूं लेकिन मेरी हैसियत क्या है। मैंने ईस्ट दिल्ली से अप्लाई किया था। उन्होंने फिर मुझसे दूसरी जगह से अप्लाई करने को कहा, जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है। मैंने अलवर से अप्लाई किया और वहां जाकर काम किया वॉलंटियर तैयार किए और इंटरव्यू भी दिया। लेकिन मुझे लगा कि इनडायरेक्टरी 20 लाख रुपयों की मांग की जा रही है। जिसके बाद से मैंने उनसे किनारा कर दिया। नसीम के पति सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और नसीम खुद कई इंटरनैशनल संस्थाओं से जुड़ी हूं और सोशल वर्क कर रही हैं। उन्होंने कहा कि 'आप' हम जैसी महिलाओं का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि अभी मेरे संपर्क में इस तरह पार्टी से निराश 25 से अधिक महिला कार्यकर्ता हैं और हम जल्द ही एकजुट होकर पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलेंगी। 'आप' भी कांग्रेस बीजेपी से अलग नहीं है और महिलाओं को उनका हक नहीं दे रही है। हम महिलाओं को इसके खिलाफ एकजुट करेंगे। हमें महिलाओं के लिए बराबरी चाहिए।

Friday, March 7, 2014

'आप' के लीगल सेल के कन्वीनर अश्विनी कुमार ने पार्टी पर 'पथभ्रष्ट' होने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए

आम आदमी पार्टी के एक प्रमुख सदस्य ने पार्टी के प्रति बागी तेवर दिखाए हैं। 'आप' के लीगल सेल के कन्वीनर अश्विनी कुमार ने पार्टी पर 'पथभ्रष्ट' होने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए। उनमें से एक गंभीर आरोप यह भी है कि लोकसभा चुनाव के लिए 'आप' के 70 उम्मीदवारों में से 64 के नाम पर 31 जनवरी को हुई नैशनल काउंसिल की मीटिंग से पहले ही मुहर लग चुकी थी। 
बुधवार को प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अश्विनी कुमार ने कहा कि जातिवाद, सांप्रदायिकता, परिवारवाद, हाईकमानगिरी और भ्रष्टाचार से परे रहने जैसे जिन पांच मुद्दों के साथ पार्टी का गठन हुआ था, पार्टी आज उन मुद्दों से ही पूरी तरह परे हो गई है। कुमार ने आरोप लगाया कि पार्टी में जातिवाद की राजनीति हो रही है, साम्प्रदायिकतावाद पनप रहा है और हाईकमानगिरी जोरों पर है। पार्टी में भ्रष्टाचार अब कोई मुद्दा ही नहीं बचा है। कुमार ने केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर भी संदेह जाहिर करते हुए कहा कि जब वह जनता की राय लेकर मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हुए थे, तो क्या पद से इस्तीफा देने से पहले उन्हें जनता की राय नहीं लेनी चाहिए थी।
 
कुमार ने पार्टी के उन 18 मुद्दों को बेबुनियाद बताया, जो दिल्ली में सरकार बनाने से पहले देश की दोनों प्रमुख पार्टियों के सामने रखे गए थे। अश्विनी कुमार ने लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार चुने जाने को लेकर पार्टी पर आरोप लगाने से पहले यह साफ कर दिया कि उन्होंने न कभी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मांगा था और न ही लोकसभा चुनाव के लिए। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के टिकट बाद में बंटे, नाम पहले ही तय कर लिए गए थे। कुछ उम्मीदवार तो ऐसे हैं जिन्हें टिकट पहले मिल गया और पार्टी की सदस्यता बाद में दी गई। पार्टी ने आम चुनाव के लिए जिन 70 उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें से 64 के नामों पर फैसला नैशनल काउंसिल की मीटिंग से पहले ही ले लिया गया था।
 
उन्होंने कहा कि वह साबित तो नहीं कर सकते, लेकिन पार्टी से जुड़े होने की वजह से उन्हें इस बात की पूरी जानकारी है कि मुरादाबाद की लोकसभा सीट से राशिद परवेज को एक करोड़ रुपये में टिकट दी गई। कुमार ने खुलासा किया कि फोर्ड फाउंडेशन की तरफ से एक सोशल ऐक्टिविस्ट (अरविंद केजरीवाल) को साल 2004 से लेकर अब तक 4000 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। कुमार ने सवाल उठाया कि अमेरिका की संस्था एक भारतीय नागरिक और उसकी पार्टी पर भला इतनी मेहरबान क्यों है। इस फंड की मेहरबानी ही है कि फोर्ड फाउंडेशन के कुछ सदस्यों को 'आप' की विभिन्न कमिटियों में सदस्य बनाया गया है।
 
उन्होंने पार्टी को सीरिया और अन्य खाड़ी देशों से फंड मिलने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि कमेटियों में कम से कम 10 लोग ऐसे हैं जिनके खिलाफ राष्ट्रविरोधी या अलगाववादी मामले चल रहे हैं या उन पर ऐसे आरोप लग चुके हैं। इन खुलासों के साथ कुमार ने यह भी साफ कर दिया कि वह पार्टी छोड़ नहीं रहे हैं, पार्टी चाहे तो उन्हें अलग कर दे। कुमार ने कहा कि उनके साथ 70 से 75 लोग हैं जो पार्टी के मौजूदा स्वरूप से नाराज और निराश है।
 

Wednesday, March 5, 2014

चुनाव आयोग ने 16वीं लोकसभा के लिए तारीखों का ऐलान

चुनाव आयोग ने 16वीं लोकसभा के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है। चुनाव कुल 9 चरणों होंगे। पहले चरण में वोट 7 अप्रैल को डाले जाएंगे और काउंटिंग 16 मई को होगी। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, लोकसभा के साथ 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होंगे। ये राज्य हैं आंध्र प्रदेश, ओडिशा और सिक्कम। चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है।
दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि इस बार निष्पक्ष और भयमुक्त चुनाव कराने के लिए आयोग ने कुल 9 चरणों में चुनाव कराने का फैसला लिया है। पहले चरण में 7 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। दूसरे चरण में वोट 9 अप्रैल को, तीसरे चरण में 10 अप्रैल, चौथे चरण में 12 अप्रैल, पांचवें चरण में 17 अप्रैल, छठे चरण में 24 अप्रैल, सातवें चरण में 30 अप्रैल, आठवें चरण में 7 मई और 12 मई को नौवें और आखिरी चरण के लिए वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती 16 मई को होगी।

9 मार्च तक वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने का मौका
इस मौके पर संपत ने कहा कि जिन लोगों के नाम वोटर लिस्ट में नहीं हैं उन्हें नाम दर्ज कराने के लिए एक और मौका मिलेगा। संपत ने कहा कि 9 मार्च तक नए वोटरों को वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने का मौका दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए देश भर में करीब 9 लाख कैम्प लगाए जाएंगे।
इस बार 10 करोड़ नए वोटर
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि इस बार करीब 81.4 करोड़ वोटर वोट डालेंगे। पिछले चुनाव से करीब 10 करोड़ वोटर ज्यादा हैं।
लोकसभा चुनावों में पहली बार नोटा का विकल्प
लोकसभा चुनावों के लिए पहली बार नोटा विकल्प भी है। गौरतलब है कि पिछले दिनों 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान पहली बार नोटा विकल्प रखा गया था।
चुनाव खर्च पर खास नजर
संपत ने कहा कि चुनाव खर्च पर चुनाव आयोग की खास नजर रहेगी। उम्मीदवारों के खर्च पर नजर के लिए पहले से ज्यादा पर्यवेक्षक बहाल किए जाएंगे।
सबको ध्यान में रखकर तारीखों का ऐलान मुख्य चुनाव आयुक्त वी.एस.संपत ने तारीखों का ऐलान करते हुए कहा कि पिछले 4 फरवरी को सभी दलों के साथ हुई बैठक में चुनाव से जुड़े सभी पहलुओं पर ध्यान दिया गया था। सभी पार्टियों की बातों को ध्यान में रखकर तारीखों का ऐलान किया गया है। उन्होंने तारीखों का ऐलान करते वक्त मॉनसून, त्योहारों परीक्षाओं सहित सभी बातों का ध्यान रखा गया है।
गौरतलब है कि 2009 में लोकसभा के चुनाव 16 अप्रैल से 13 मई के बीच 5 चरणों में हुए थे, यानी यह पहली बार होगा, जब देश में 9 चरणों में लोकसभा चुनाव होंगे।
कब कहां पड़ेंगे वोट
आंध्र प्रदेश: 30 अप्रैल, 7 मई
अरुणाचल प्रदेश: 9 अप्रैल
असम:12, 17 और 24 अप्रैल
बिहार: 10, 17, 24, 30 अप्रैल, मई 7 और 12 मई
छत्तीसगढ़: 10, 17 और 24 अप्रैल
गोवा: 17 अप्रैल
गुजरात: 30 अप्रैल
हरियाणा: 10 अप्रैल
हिमाचल प्रदेश: 7 मई
जम्मू-कश्मीर: 10, 17, 24, 30 अप्रैल और 7 मई
झारखंड: 10, 17 और 24 अप्रैल
कर्नाटक: 17 अप्रैल
केरल: 10 अप्रैल
मध्य प्रदेश: 10, 17 और 24 अप्रैल
महाराष्ट्र: 10, 17 और 24 अप्रैल
मणिपुर: 9 और 17 अप्रैल
मेघालय: 9 अप्रैल
मिजोरम: 9 अप्रैल
नगालैंड: 9 अप्रैल
ओडिशा: 10 और 17 अप्रैल
पंजाब: 30 अप्रैल

आम आदमी पार्टी के भीतर उथल पुथल और विरोध का सिलसिला जारी

आम आदमी पार्टी के भीतर उथल पुथल और विरोध का सिलसिला जारी है। नए लोगों के पार्टी में आकर नेता बनने से पुराने लोग दरकिनार हो रहे हैं। अब पार्टी के फाउंडर मेंबर और नैशनल काउंसिल मेंबर अश्विनी कुमार ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि पार्टी के कई फाउंडर मेंबर चाहते थे कि नैशनल काउंसिल 2-3 दिन की हो और उसमें कई अहम मसले चर्चा के बाद तय किए जाएं, लेकिन यह महज एक दिन की हुई और उसमें भी सिर्फ भाषणबाजी होती रही। 
अश्विनी ने कहा कि मैंने पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल को छह पत्र लिखे लेकिन न उन्होंने कोई जवाब दिया न मिलने का वक्त दिया। साथ ही केजरीवाल ने उन मसलों पर कोई बात नहीं की जो कई नैशनल काउंसिल मेंबर उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कैंडिडेट चुनने के लिए वही तरीका अपनाया जाना चाहिए जो दिल्ली विधानसभा चुनाव में किया गया। उनका आरोप है कि दिल्ली चुनाव जीतने के बाद मौकापरस्त लोग पार्टी में आ रहे हैं और उन्हें कम से कम 1 साल तक कोई पद या टिकट नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने 'पैराशूट कैंडिडेट' पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि लोकल स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को ही टिकट मिलना चाहिए। 

Monday, March 3, 2014

विकास ठप हो गया और लोग शराबी बन गए।



छत्तीसगढ़ के प्रवास पर पहुंचे पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने छत्तीसगढ़ में गरीबों को एक रुपये किलो चावल देने की योजना की आलोचना की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार एक रुपये किलो चावल देने की बात की, उसे निभाया भी, लेकिन उसका परिणाम यह हुआ है कि श्रम शक्ति महंगी हो गई, विकास ठप हो गया और लोग शराबी बन गए।
विधायक धनेंद्र साहू के गांव अभनपुर में शंकराचार्य ने चर्चा करते हुए कहा कि देश के राजनीतिक दल कई मुद्दों पर चुनाव लड़ते हैं। सरकार बनाने के बाद वे उन मुद्दों को भूल जाते हैं। इससे देश में राजनीति की गरिमा कम हुई है। इसलिए राजनीतिक दलों को किसी मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाने से पहले उसके हर पहलू पर सोचना चाहिए। खासतौर से कांग्रेस व बीजेपी को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राजनीति ने देश का स्तर गिराया है। भारत की मेध, रक्षा शक्ति और वाणिज्य शक्ति इतनी प्रबल है कि पूरे विश्व को प्रभावित कर सकती है। लेकिन भारत के नेतृत्व में वह क्षमता नहीं है कि चारों शक्तियों का सदुपयोग कर सके या भारत के प्रति पूरे विश्व की सहानुभूति प्राप्त कर सके। शंकराचार्य ने कहा कि राम जन्मभूमि के नाम पर, सीमा सुरक्षा के नाम पर, आर्थिक विपन्नता दूर करने के नाम पर, नदी-समुद्र जोड़ने के मुद्दों पर सरकारें बनती हैं, पार्टियां बाद में उन मुद्दों को भूल जाती हैं।