Friday, January 1, 2016

दूसरा राज्य शरबती के नाम पर गेहूं का कारोबार नहीं कर सकेगा

देश-दुनिया में मध्यप्रदेश के शरबती के नाम से बिकने वाले गेहूं की धाक और बढ़ाने के लिए सरकार भौगोलिक पंजीयक, चेन्न्ई में इसका पंजीयन कराएगी। इसके लिए सौ साल के रिकार्ड खंगाले जा रहे हैं ताकि पंजीयक को बताया जा सके कि ये किस्म सिर्फ मध्यप्रदेश में ही पैदा होती है। पंजीयन होने के बाद कोई भी दूसरा राज्य शरबती के नाम पर गेहूं का कारोबार नहीं कर सकेगा। जानकारी के मुताबिक सरकार की तैयारी अप्रैल 2016 तक भौगोलिक पंजीयक, चेन्न्ई के यहां किसान संगठन के माध्यम से अपील दावा कराने की है।
दरअसल, पंजीयक के यहां बासमती के उत्पादन क्षेत्र पंजीयन का मामला भी चल रहा है। राज्य का दावा है कि मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में बासमती धान की खेती बरसों से हो रही है लेकिन इसको लेकर पाकिस्तान के धान उत्पादक समूहों से लेकर कई संगठनों की आपत्ति है। इसके कारण पिछले डेढ़-दो साल से कानूनी दावं-पेंच चल रहे है। इसे देखते हुए हुए शरबती गेहूं को लेकर कृषि विभाग सतर्क हो गया है। विभाग का कहना है कि शरबती गेहूं का क्षेत्र मध्यप्रदेश में सीहोर, विदिशा, होशंगाबाद, हरदा से बढ़कर कई जिलों तक पहुंच गया है।
दूसरे राज्य भी इस किस्म को पैदाकर अपने यहां के शरबती के नाम से बेचकर बाजार में चुनौती दे सकते हैं। इसका नुकसान प्रदेश के किसान और कारोबारियों को होगा, इसलिए किसानों के समूहों से भौगोलिक पंजीयक, चेन्न्ई में दावा कराने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए 100 साल का रिकार्ड निकलवाया जा रहा है। पुराने किसानों से शरबती गेहूं की खेती के प्रमाण भी मांगे हैं। प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश कुमार राजौरा का कहना है कि सरकार खुद दावा नहीं कर सकती है पर जो किसान संगठन अपील करना चाहेंगे उन्हें रिकार्ड उपलब्‍ध कराए जाएंगे।

कृषि विभाग के अध्‍ािकारियों का कहना है कि शरबती गेहूं में प्रोटीन बाकी गेहूं की तुलना में अधिक होता है। इसके कारण ये स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद तो है ही, इसकी रोटी भी मुलायम बनती है। यही वजह है कि देश और दुनिया में मध्यप्रदेश के गेहूं के नाम से इसकी बिक्री होती है। दूसरे गेहूं की तुलना में भले ही इसका उत्पादन कुछ कम रहता है पर किसान को कीमत अधिक मिलती है।

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