संयोगवश पराए मर्द के साथ एक रात बिताना गलत नहीं लेकिन जानबूझकर लगातार
सेक्स संबंध बनाना व्यभिचार है। गुजरात हाईकोर्ट ने विवाहेतर संबंधों को लेकर एक
अनोखी व्यवस्था दी।
उत्तर गुजरात के सिद्धपुर के कॉरपोरेट घराने की बहू ने पति से भरणपोषण की
मांग के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश
जेबी पारडीवाला ने कहा कि संयोगवश पराए मर्द के साथ सेक्स संबंध बनाना एक भूल है
जिसे माफ किया जा सकता है। लेकिन इरादापूर्वक प्रेमी के साथ लगातार यौन संबंध रखना
व्यभिचार है जिसे माफ नहीं किया जा सकता। उल्लेखनीय है कि महिला गर्भावस्था में भी
प्रेमी के साथ यौन संबंध बना रखे थे। कोर्ट ने महिला को भरणपोषण नहीं देने के
निचली अदालत व पाटण सेशंस कोर्ट के फैसले को बहाल रखा।
अदालत ने उसके बच्चे के लिए मासिक एक हजार रुपये भरणपोषण तय किया जिसे
समयबद्ध तरीके से बढ़ाते रहने के निर्देश दिए। आधुनिक समाज में बढ़ रहे विवाहेतर
संबंधों के मामले में अदालत का यह फैसला दर्पण दिखाने जैसा है, आधुनिकता
की आड़ में भी अनैतिक संबंध को जायज नहीं ठहराया जा सकता।
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