कराची से इंदौर लाई गई गीता को यदि थोड़ा सा इलाज मिले तो वह बोल सकती है।
सबको यह लग रहा है कि फिल्म बजरंगी भाईजान से प्रेरित होकर गीता को भारत लाने की
कवायद शुरू की गई लेकिन उसे भारत लाने का ब्लू प्रिंट 14 माह
पहले ही तैयार कर लिया गया था। पाकिस्तान ने अनुमति देने में एक साल लगा दिया। बाद
में भारत में भी गीता को लाने की व्यापक तैयारियां की गई ताकि दुनिया को ये संदेश
दिया जा सके कि हम एक ऐसी लड़की जो पाकिस्तान में रही उसकी किस तरह देखभाल करते
हैं।
यह जानकारी पाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास में पदस्थ
एक अधिकारी ने दी। मंगलवार शाम गीता को लेकर इंदौर पहुंची टीम में शामिल उक्त
अधिकारी ने एयरपोर्ट से मूकबधिर केंद्र जाते समय ऑपरेशन गीता की पूरी हकीकत बताई।
2012 में पता चल गया था कि भारतीय है गीता
दूतावास के अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक गीता के
भारतीय होने की जानकारी दूतावास को 2012 में ही मिल गई थी।
स्थानीय एनजीओ द्वारा बातों-बातों में ही गीता के हिंदू तरीके से अभिवादन करने,
पूजा करने और ट्रेन में मिलने की जानकारी मिली थी, तब हमने छानबीन शुरू की।
अनुमति मिलने में ही लग गया एक साल
पाकिस्तान में किसी भी ऐसे भारतीय से जो जेल में बंद
हो दूतावास के अधिकारी नहीं मिल सकते। उसके लिए एक प्रक्रिया के तहत अनुमति लेना
होती है। गीता तो जेल में भी नहंी थी। पाकिस्तान के साथ एक साल तक पत्राचार चलता
रहा। उसके बाद उसके भारतीय होने पर उसे वापस भेजने की प्रक्रिया शुरु करने की
अनुमति मिली । दूतावास के अधिकारियों के सामने बड़ी समस्या यह थी कि गीता के हावभाव
उसके भारतीय होने की पुष्टि कर रहे थे लेकिन कोई भी ऐसा सबूत नहीं था जो यह साबित
कर सके। तब तक मीडिया के माध्यम से गीता का मामला पाकिस्तान में भी चर्चित हो चुका
था।
सुषमाजी फोटो भेजती, मैं
गीता को दिखाने ले जाता था
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस पूरे मामले में
व्यक्तिगत रुचि ली। उन्होंने उच्चायुक्त और उनकी पत्नी को गीता के पास इसलिए भेजा
ताकि वे खुद तसल्ली कर लें कि गीता भारतीय ही है। भारत में जब गीता के परिजन की
तलाश शुरू हुई तो झारखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश और पंजाब के चार
परिवारों आगे आए। सुषमा जी ने इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर
परिवारों की जानकारी मांगी और मुझे परिवारों को फोटो भेजे। मैं उसे गीता को दिखाने
कराची जाता था। एक फोटो को गीता ने पहचाना भी लेकिन फिर ये कहा कि मेरे-भाई बहनों
के फोटो भेजो। भारत से वो फोटो भी बुलावाए गए, जिन्हें गीता
ने पहचाना भी था।
फैसल बोलने की कोशिश की तो लगा बोल सकती है गीता
कराची में गीता से मुलाकात के दौरान एक बार गीता ने
उसकी देखभाल करने वाली बिल्किस ईथी के बेटे का नाम फैसल भाई बोलने का प्रयास किया।
हमने जब इसके बारे में उक्त परिवार से पूछा तो उन्होंने कहा यदि थोड़ा सा इलाज
करवाया जाए तो गीता बोल सकती है वह कई बार ऐसा प्रयास करती है। इस पर विधायक उषा
ठाकुर ने कहा यह तो काफी अच्छी बात है हम सारे टेस्ट करवाकर इलाज करवाएंगे।
ताकि दुनिया को संदेश मिले हम कैसे एक लड़की की देखभाल
करते हैं..
दूतावास के अधिकारी ने यह जानकारी भी दी कि ऑपरेशन
गीता का ब्लू प्रिंट 14 माह पहले ही तैयार कर लिया गया था। एक साल पाक अधिकारियों
से अनुमति मिलने में लग गया। गीता को दो माह पहले भी भारत लाया जा सकता था लेकिन
प्रधानमंत्री मोदी और मंत्री सुषमा जी ने दो माह तक इसकी तैयारी की ताकि दुनिया को
यह बता सकें कि भारत अपनी बेटी को किस तरह रखता है। कैसे उसकी देखभाल करता है।
दिल्ली के संस्थान में सिर्फ चार-पांच लड़कियां ही थी
गीता को इंदौर भेजने के पहले दिल्ली के शासकीय
दीनदयाल उपाध्याय मूकबधिर स्कूल में भी भेजने पर विचार किया गया था, लेकिन
वहां चार-पांच ही लड़कियां थी। इसी दौरान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सुषमा
जी को कहा गीता को इंदौर भेज दो। इसके बाद विदेश मंत्रालय के अधिकारी सक्रिय हुए।
एक माह तक अधिकारियों और बुरहानपुर विधायक अर्चना चिटनिस ने इंदौर की संस्था
पहुंचकर छानबीन की। रिपोर्ट के बाद इस पर मुहर लगाई गई।
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