इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बाराबंकी निवासी तेरह साल की एक रेप पीड़िता
को कुछ शर्तों के साथ गर्भपात की इजाजत दे दी है। लड़की को 29
सप्ताह की गर्भवती है। हाईकोर्ट ने डॉक्टरों के एक पैनल से कहा है कि अगर लड़की की
जान को कोई खतरा न हो तो गर्भपात किया जाए। केजीएमयू मेडिकल कालेज के डॉक्टर लड़की
का मेडिकल चेकअप करेंगे।
हाईकोर्ट के सामने अपील करते हुए रेप पीड़िता ने कहा है कि यदि उसे गर्भपात
की इजाजत नहीं दी गई तो उसे जिंदगी भर कलंक के साथ जीना पड़ेगा। उसने कहा है कि
होने वाला बच्चा उसे पूरी जिंदगी उसके साथ हुई हैवानियत की याद दिलाता रहेगा।
उसकी दलील सुनने के बाद न्यायाधीश शबीहुल हस्नैन और जस्टिस डीके उपाध्याय
की बेंच ने आदेश दिया है कि पीड़िता का मेडिकल चेकअप किया जाए और अगर वो इसके लिए
तैयार हो तो गर्भपात किया जाए। मेडिकल चेकअप में खासतौर पर इस बात का ध्यान रखा
जाए कि इससे कहीं उसे जान का खतरा तो नहीं होगा। कोर्ट ने मेडिकल एक्सपर्ट की टीम
बनाने को कहा है। यह टीम पीड़िता का मेडिकल चेकअप करने के साथ ही उससे बातचीत भी
करेगी। कोर्ट ने भ्रूण का डीएनए भी संभाल कर रखने को कहा है।
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता गरीब परिवार से है इसलिए सारा खर्च हॉस्पिटल ही
उठाएगा जिसे बाद में राज्य सरकार वापस करेगी। कोर्ट ने मामले की रिपोर्ट 15
सितंबर को देने के आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि बाराबंकी के मसौली थाना क्षेत्र में 17 फरवरी
2015 को एक आरोपी ने पांचवीं क्लास में पढऩे वाली छात्रा के
साथ रेप किया। रेप के बाद वह गर्भवती हो गई। आठ जुलाई 2015 को
पता चला कि उसे 21 हफ्ते का गर्भ है। कानून के मुताबिक 21
हफ्ते से ज्यादा होने पर गर्भपात कराना गैरकानूनी है। इसलिए पीडि़ता
ने तीन सितंबर को कोर्ट में गर्भपात के लिए याचिका दायर की थी।
यह पहली बार नहीं है जब अदालत ने किसी दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की अनुमति
दी है। इससे पहले गुजरात की एक युवती को भी सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाजत दी थी
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