ऐसा लगता है कि वन रैंक, वन पेंशन के मुद्दे पर पूर्व सैनिकों
और सरकार ने अपने बड़े मतभेद सुलझा लिए हैं। इन अटकलों ने तब जोर पकड़ा जब पूर्व
सैनिकों ने कहा कि वे हर साल पेंशन की समीक्षा की अपनी मांग की बजाय हर दो साल पर
पेंशन की समीक्षा को स्वीकार कर सकते हैं।
पिछले 80 दिनों से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे
सेवानिवृत मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से उन्हें सरकार से
सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह नहीं कहा
कि सरकार से बातचीत में कोई सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि समीक्षा की तारीख
निश्चित तौर पर एक अप्रैल 2014 से होनी चाहिए। समझा जाता है
कि सरकार इसके लिए तैयार है।
पूर्व फौजियों के संगठन इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट के महासचिव ग्रुप
कैप्टन वीके गांधी ने हमारे सहयोगी प्रकाशन "दैनिक जागरण" से इस बारे
में कहा, "अगर सरकार सालना समीक्षा के लिए तैयार नहीं और हमें
बताती है कि उन्हें वास्तव में इस पर कोई समस्या है तो हम इस पर विचार करने को
तैयार हैं। अगर उन्हें लगता है कि दो साल में समीक्षा की जा सकती है तो हम एक साल
पर ही अड़े नहीं रहेंगे।"
बुधवार शाम को पूर्व फौजियों के आंदोलन की 16 सदस्यों वाली संचालन
समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। पेंशन फार्मूला लागू करने की तारीख और अन्य
मुद्दों को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इनको लेकर ज्यादा मतभेद नहीं बचे
हैं। पूर्व सैनिकों को उम्मीद है कि उनके इस कदम के बाद सरकार को भी दोबारा बातचीत
शुरू करने का मौका मिलेगा।
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