Tuesday, September 15, 2015

धर्मध्वजा के लिए नीलगिरी पेड़ की तलाश

सिंहस्थ-16 में अखाड़ों के शिविरों में लगने वाली धर्मध्वजा के लिए नीलगिरी पेड़ की तलाश की जा रही है। उपलब्धता की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई है। नीलगिरी के पेड़ों की लंबाई अधिक होने के कारण इनका उपयोग धर्मध्वजा के लिए होता है।
वन विभाग को सिंहस्थ में जलाऊ लकड़ी, बांस और बल्लियों की आपूर्ति करना है। इसके साथ ही विभाग को सिंहस्थ में अखाड़ों के शिविर में स्थापित की जाने वाली धर्मध्वजा के लिए नीलगिरी की बल्लियां उपलब्ध करानी है। नीलगिरी पेड़ की लंबाई अधिक होने के कारण (करीब 65 फीट) इनका उपयोग होता है।
अखाड़ों में धर्मध्वजा का विशेष महत्व है। वैष्णव अखाड़ों की ध्वजा की लंबाई ही करीब 11 फीट और चौड़ाई 25 फीट होती है। अखाड़ों में पचरंगा, गुलाल और सफेद रंग की ध्वजा लगाई जाती है। वहीं शैव अखाड़ों में ध्वजा का रंग भगवा रहता है।
तीन लाख रुपए का बजट
धर्मध्वजा हेतु नीलगिरी पेड़ सहित इसे स्थापित करने के लिए तीन लाख रुपए का बजट रखा गया है। उक्त राशि मेला कार्यालय द्वारा वन विभाग को उपलब्ध कराई जाएगी। नीलगिरी के वृक्षों की कटाई के बाद तने को ध्वजा के लिए तैयार किया जाएगा।
अखाड़े
शैव : दशनामी जूना अखाड़ा, श्रीनिरंजनी अखाड़ा, अटल अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, निर्मल पंचायती अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, बड़ा उदासीन अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा, पंचायती आनंद अखाड़ा।
वैष्णव : निर्मोही अणि अखाड़ा, दिगंबर अणि अखाड़ा, निर्वाणी अणि अखाड़ा।
इनका कहना


अखाड़ों में ध्वजा का अपना महत्व है। जमात सबसे पहले ध्वजा का ही अभिवादन करती है। ध्वजा के लिए सबसे लंबे पेड़ का उपयोग किया जाता है ताकि दूर से ही अखाड़े के शिविर नजर आएं। 

No comments: