Tuesday, September 29, 2015

प्रायोजित हनीमून - सोने की तस्करी

राजधानी दिल्ली में सोने की तस्करी का अनूठा केस सामने आया है। यहां तस्करी करने वालों ने एक जोड़े को प्रायोजित हनीमून पर विदेश भेजा और वापसी में दुल्हन को गहने पहनाकर तस्करी करने की कोशिश की। हालांकि सख्त जांच के आगे साजिश विफल हो गई।
दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट के अधिकारियों के मुताबिक, दुल्हन ने 1.5 किलो सोने के आभूषण पहन रखे थे।
एक कस्टम अधिकारी ने बताया, नियमानुसार जब कोई विदेश जाता है तो उसे अपने साथ ले जाए जा रहे सोने के आभूषणों का भी खुलासा करना होता है। यह जोड़ा जब गया तब उनके पास कम सोना था, लेकिन लौटते समय दुल्हन ने काफी सोना पहन रखा था। खासतौर पर सोने की चुड़ियां काफी वजनी थीं।
साजिशकर्ता भी दूल्हा-दुल्हन के साथ था। पति-पत्नी पहली बार विदेश गए थे, लेकिन तीसरा शख्स पहले भी सोने की तस्करी में लिप्त रह चुका था और अधिकारियों को उसके बारे में सूचना मिली थी। जांच काउंटर से तीसरा शख्स तो निकल गया, लेकिन जोड़ा हत्थे चढ़ गया।
महिला ने 37 लाख कीमत सोने की छह चुड़ियां पहन रखी थीं। सूत्रों के मुताबिक, इस सोने की तस्करी के लिए जोड़े को हवाई यात्रा के टिकट के अलावा 20-20 हजार रुपए चुकाए गए थे।
दो साल पहले बुरका पहने नौ महिलाओं को पकड़ा गया था, जो नकाब की आड़ में सोने की तस्करी करने की कोशिश में थीं।

भारत सोने का सबसे बड़ा खरीदार है, लेकिन इम्पोर्ट ट्यूटी अधिक होने के कारण यहां सोने की तस्करी भी बड़े पैमाने पर होती है।

Thursday, September 24, 2015

ऑपरेशन थियेटर में सांप देखकर मौजूद सर्जन बाहर

गुंटुर के एक अस्‍पताल के ऑपरेशन थियेटर में उस वक्‍त हड़कंप मच गया जब वहां सांप निकल आया। खबरों के अनुसार हैदराबाद के सरकारी अस्‍पताल के ऑपरेशन थियेटर में सांप निकल आया इसे देखकर वहां मौजूद सर्जन बाहर की तरफ भागे।
बाद में सर्जन ने वहां ऑपरेशन करने से भी इन्‍कार कर दिया। वहीं एक अन्‍य सांप अस्‍पातल के रेडियोलॉजी विभाग में भी नजर आया है।

आपको बता दें की यह वहीं अस्‍पताल है जहां कुछ दिनों पहले एक बच्‍चे की चूहों के काटने से मौत हो गई थी। उस समय भी अस्‍पताल की व्‍यवस्‍थाओं को लेकर सवाल खड़े हो गए थे। इन घटनाओं के बाद अस्‍पताल प्रशासन ने सफाई अभियान चलाने की बात कही है।

Wednesday, September 23, 2015

क्यों भागते फिर रहे हैं

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने घरेलू हिंसा मामले में फंसे अपनी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती को लेकर कई ट्वीट्स किए। उन्होंने अपने ट्वीट्स में कहा कि सोमनाथ भारती को सरेंडर कर देना चाहिए। वे क्यों भागते फिर रहे हैं? वे जेल जाने से क्यों डर रहे हैं?
उन्होंने आगे लिखा है कि अब सोमनाथ भारती पार्टी व अपने परिवार को शर्मिंदा कर रहे हैं। उन्हें पुलिस को जांच में सहयोग करना चाहिए।
आपको बता दें कि 49 दिनों की आप सरकार में कानून मंत्री रहे सोमनाथ भारती पर उनकी पत्नी लिपिका मित्रा ने घरेलू हिंसा (दहेज प्रताड़ना व हत्या का प्रयास) का मामला दर्ज करवाया है। इस मामले में मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद सोमनाथ भारती पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। सूत्रों के अनुसार, भारती बुधवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं।
यह है मामला
लिपिका ने 10 जून को महिला अपराध शाखा में घरेलू हिंसा की शिकायत दी थी। पुलिस ने 9 सितंबर को सोमनाथ भारती के खिलाफ दहेज प्रताड़ना व हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था। सोमनाथ ने निचली अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई थी।
इसके बाद भारती ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की। 17 सितंबर को हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस से पूछा था वह केवल यह बताए कि वह भारती की हिरासत में क्यों लेना चाहती है।
दिल्ली पुलिस ने चाकू, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य (ऑडियो-वीडियो) व अन्य साक्ष्य एकत्रित करने के लिए हिरासत की मांग की थी।

वहीं, भारती के वकील ने विरोध करते हुए मध्यस्थता करने के लिए एक और मौका देने की अपील की। उनका कहना था कि यह पति-पत्नी के बीच पारिवारिक विवाद का मामला है, इसे राजनीतिक रूप देकर तूल दिया जा रहा है।

Monday, September 21, 2015

एक गांव ऐसा जहां पिछले 50 साल से एक भी विवाद नहीं हुआ

देश हो, प्रदेश हो, जिला या कस्बा हर जगह कभी न कभी लोगों के बीच आपसी विवाद होते हैं और मामले थाने तक पहुंच जाते हैं, लेकिन दमोह जिले का एक गांव ऐसा जहां पिछले 50 साल से एक भी विवाद नहीं हुआ। यदि कभी छोटा-मोटा विवाद हुआ भी है तो वह पुलिस थाने तक नहीं पहुंच पाया।
गांव के वरिष्ठ ही पंचायत कर मामले में समझौता करा देते हैं। इस गांव की खासियत ये है कि गांव प्रमुख मार्ग से 17 किमी दूर जंगल के बीच बसा हैं, जहां मौलिक सुविधाओं का काफी अभाव है। गांव में 95 प्रतिशत आदिवासी रहते हैं, जिनमें ज्यादातर अशिक्षित हैं, उसके बाद भी उनकी सोच व समझ शिक्षित समाज से कहीं आगे है।
हम बात कर रहे हैं तेंदूखेड़ा ब्लॉक अंतर्गत आने वाले रामपुर-महका गांव की। यह गांव दमोह सागर व नरसिंहपुर की सीमा से सटा हुआ है। गांव तक जाने के लिए महज एक पगडंडी है। बारिशकाल मे गांव से संपर्क पूरी तरह टूट जाता है। इस गांव में रहने वाले ज्यादातर आदिवासी हैं और अशिक्षित हैं, लेकिन वे सभी आपसी सद्भाव के साथ रहते हैं। उनके बीच कभी आपसी विवाद नहीं होता।
यहां के लोग काफी सजह स्वाभाव के हैं। गांव के बुर्जुगों का कहना है कि उनके गांव में कभी विवाद नहीं होता, यदि कभी कोई विवाद की स्थिति निर्मित होती है तो हम लोग पंचायत बुलाकर आपसी समझौता करा देते हैं। जिसकी गलती होती है उससे क्षमा मांगने को कहते हैं और दूसरा पक्ष उस पर राजी हो जाता है।
50 सालों से तो हम देख रहे
गांव के बुजुर्ग गोरेलाल आदिवासी (65 ) ने बताया कि उन्होंने जब से होश संभाला है उन्हें याद नहीं कि गांव में किसी के बीच विवाद हुआ हो और विवाद पुलिस थाने पहुंचा हो। उन्होंने बताया कि गांव में रामपुर और महका गांव की कुल जनसंख्या लगभग एक हजार है। दोनों गांव आस-पास ही हैं और हमारे बीच अच्छे संबंध हैं। गांव में किसी को भी तकलीफ या परेशानी होती है तो सभी मिलकर हल खोज लेते हैं।
गुलाबरानी आदिवासी (70) ने बताया कि गांव के लोगों का मानना है कि यदि विवाद पुलिस में पहुंचता है तो फिर कोर्ट कचहरी में सालों बीत जाते हैं। दोनों पक्षों को परेशान होना पड़ता है और आखिर में कुछ हाथ नहीं आता, इसलिए सभी ने सोच रखा है कि आपस में विवाद नहीं करना है, यदि कभी कोई विवाद होता है तो गांव के बुर्जुगों की बात मानकर विवाद खत्म कर दिया जाता है।
20 साल पहले सामने आया था एक विवाद
गांव के बुजुर्ग रामचरण आदिवासी (62) ने बताया कि गांव में लगभग 20 साल पहले एक महिला के साथ छेड़खानी का मामला सामने आया था। जिस पर आरोप था, उसे पंचायत में बुलाया गया। जब दोनों से बातचीत की तो पता चला कि सहज बातचीत को लेकर विवाद की स्थिति बनी हैं।
जब दोनों से बात की गई तो मामले में कुछ नहीं निकला। उसके बाद दोनों परिवारों के बीच समझौता करा दिया गया और मामला समाप्त हो गया। उन्होंने बताया कि यदि मामला पुलिस में दर्ज हो जाता तो दोनों पक्षों को परेशान होना पड़ता सामाजिक प्रतिष्ठा खराब होती तो वो अलग। आपसी बातचीत से विवाद भी खत्म हो गया और मन का मैल भी धुल गया।
बारिश में बीमार हुए, तो भगवान बचाए
बारिशकाल में इन दोनों गांव का संपर्क पूरी तरह जिले से टूट जाता है। इस मौसम में यदि गांव का कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो देशी नुस्खों से ही उसका इलाज किया जाता है। गंभीर बीमार को भी गांव से अस्पताल तक ले जाना संभव नहीं होता। ऐसे में गांव के बीमार भगवान भरोसे ही हो जाते हैं। या तो वह देशी इलाज से ठीक हो जाते हैं या फिर उनकी मौत हो जाती है।
खास बात ये है कि बारिश के मौसम में गांव का एकमात्र सरकारी प्राथमिक स्कूल बंद हो जाता है, क्योंकि यहां पदस्थ शिक्षक तेंदूखेड़ा में रहता है। यदि कहा जाए तो शिक्षण सत्र जारी के दौरान भी गांव के स्कूल में अघोषित अवकाश हो जाता है।
परंपरागत शैली में जी रहे जीवन
गांव घने जंगल के बीच बसा है। सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। राशन दुकान गांव से लगभग 20 किमी दूर झमरा गांव में हैं। बारिश के समय वह राशन भी नहीं ले पाते हैं। जीवन यापन के लिए थोड़ी बहुत खेती करते हैं। जंगली फल जैसे अचार, आंवला और गोंद का एकत्रित करते हैं जिन्हें साल में एक बार अन्य जिलों से आने वाले व्यापारी खरीदकर ले जाते हैं। इन लोगों की जीवन शैली पूरी तरह तो नहीं, लेकिन कुछ हद तक जंगली जीवन पर आधारित है।
20 साल का रिकार्ड तो मैंने देखा है

तारादेही थाना प्रभारी राजेंद्र शर्मा ने भी बताया कि गांव का एक भी विवाद उनके कार्यकाल में थाने तक नहीं आया। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 20 साल का रिकार्ड उन्होंने देखा है जिसमें गांव का एक भी अपराध दर्ज नहीं है। यदि इसी तरह की आपसी सौहार्द से सभी लोग रहने लगें तो न विवाद होंगे और न ही अपराध दर्ज होंगे।

यौन शोषण से जुड़ा एक मामला

सात साल के मासूम ने टीवी पर एक क्राइम शो देखा, जो यौन शोषण से जुड़ा एक मामला था। इस शो को देखने के बाद उस मासूम ने जब एक खुलासा किया तब उसके माता-पिता हैरान रह गए। बच्चे ने बताया कि उनका नाबालिग नौकर, जिसकी उम्र 17 साल है, ने उसके साथ तीन माह तक कुकर्म किया। पुलिस ने रविवार को आरोपी नौकर को पुणे से उसके पैतृक निवास से गिरफ्तार कर लिया है।
बीते शुक्रवार को एक क्राइम शो में दिखाया गया था कि कैसे एक नौकर एक बच्चे को अपनी हवस का शिकार बनाता है और उसके साथ कुकर्म करता है। इस शो को देखने के बाद पीड़ित बच्चे ने अपने माता-पिता को बताया कि उसके साथ वही सब कुछ उनके नौकर ने किया है जैसा शो में दिखाया गया।
पीड़ित बच्चे ने बताया कि उसका घरेलू नौकर नहलाने का वादा कर उसके साथ कुकर्म किया करता था। उक्त आरोपी नौकर ने तकरीबन तीन माह तक उसके साथ ऐसा किया। बच्चे के साथ कुकर्म के बाद आरोपी उसे चॉकलेट देता था और किसी से कुछ भी नहीं बताने के लिए कहता था। आरोपी तीन माह तक उनके यहां काम करता रहा था और तीन माह पहले ही नौकरी छोड़कर अपने घर पुणे चला गया था।
उसी दिन बच्चे के परिजनों ने आरोपी नौकर के खिलाफ बांगुर नगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई। अपनी शिकायत में परिजनों ने कहा है कि पति-पत्नी दोनों ही नौकरी करते हैं इसलिए उन्होंने तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले अपने बेटे की देखभाल के लिए 17 वर्षीय नौकर को रखा था।

शिकायत पर तत्काल कार्रवाई करते हुए क्राइम ब्रांच ने रविवार को आरोपी को पुणे से गिरफ्तार कर लिया और उसे बांगुर नगर पुलिस स्टेशन के सुपुर्द कर दिया। आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) और पॉक्सो की धारा 3 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

Friday, September 18, 2015

नेताजी के परिवार की जासूसी हुई

नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 महत्‍वपूर्ण फाइलों को शुक्रवार को जनता के सामने जारी कर दिया गया। इन फाइलों को सोमवार से कोलकाता पुलिस संग्रहालय में देखा जा सकता है। इसके अलवा इसकी जो डीवीडी बनाकर दी गई है उसमें से जो खुलासे हो रहे हैं उनके अनुसार नेताजी के परिवार की जासूसी हुई थी।
यह हुए खुलासे
- फाइल नंबर 2 जिसे कॉन्फिडेंशियल बताया गया है उसमें इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) के जवानों की सूची है। इसके अनुसार उनकी जासूसी की गई थी।
- फाइल नंबर 1 जो कि 1942 की है उसमें यह बताया गया है कि ब्रिटिश सरकार आईएनए की जासूसी कर रही थी।
- विमान हादसे के बाद की जा रही इस जासूसी के चलते लगभग 46 आईएनए सैनिकों से पूछताछ भी की गई थी।
- फाइल नंबर 4 जो कि 1946 की है उसमें बताया गया है कि आईएनए सदस्‍य बिभूती भूषण की जासूसी की गई थी। 

- बताया जा रहा है कि फाइलों में इस बात की जानकारी है कि तात्‍कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करवाई थी।

अलीगढ़ यूनिवर्सिटी आतंकियों की नर्सरी

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र और शिक्षक हिन्दू युवा वाहिनी के राज्य प्रमुख सुनील सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। दरअसल, कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिंदू युवा वाहिनी के नेता सुनील सिंह ने बुधवार को कहा था कि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी आतंकियों की नर्सरी है।

सिंह ने कहा था कि यदि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बंद कर दी जाए, तो आतंकवाद की समस्या भी खत्म हो जाएगी। इस मामले में एसपी बृजेश कुमार ने बताया कि मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर शिकायत दर्ज कराई गई है। कार्यकर्ता सम्‍मेलन के ऑडियो-विडियो जमा किए जा रहे हैं और मामले की जांच जारी है। शुरुआती जांच के बाद एफआईआर दर्ज की जाएगी।

Tuesday, September 15, 2015

धर्मध्वजा के लिए नीलगिरी पेड़ की तलाश

सिंहस्थ-16 में अखाड़ों के शिविरों में लगने वाली धर्मध्वजा के लिए नीलगिरी पेड़ की तलाश की जा रही है। उपलब्धता की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई है। नीलगिरी के पेड़ों की लंबाई अधिक होने के कारण इनका उपयोग धर्मध्वजा के लिए होता है।
वन विभाग को सिंहस्थ में जलाऊ लकड़ी, बांस और बल्लियों की आपूर्ति करना है। इसके साथ ही विभाग को सिंहस्थ में अखाड़ों के शिविर में स्थापित की जाने वाली धर्मध्वजा के लिए नीलगिरी की बल्लियां उपलब्ध करानी है। नीलगिरी पेड़ की लंबाई अधिक होने के कारण (करीब 65 फीट) इनका उपयोग होता है।
अखाड़ों में धर्मध्वजा का विशेष महत्व है। वैष्णव अखाड़ों की ध्वजा की लंबाई ही करीब 11 फीट और चौड़ाई 25 फीट होती है। अखाड़ों में पचरंगा, गुलाल और सफेद रंग की ध्वजा लगाई जाती है। वहीं शैव अखाड़ों में ध्वजा का रंग भगवा रहता है।
तीन लाख रुपए का बजट
धर्मध्वजा हेतु नीलगिरी पेड़ सहित इसे स्थापित करने के लिए तीन लाख रुपए का बजट रखा गया है। उक्त राशि मेला कार्यालय द्वारा वन विभाग को उपलब्ध कराई जाएगी। नीलगिरी के वृक्षों की कटाई के बाद तने को ध्वजा के लिए तैयार किया जाएगा।
अखाड़े
शैव : दशनामी जूना अखाड़ा, श्रीनिरंजनी अखाड़ा, अटल अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, निर्मल पंचायती अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, बड़ा उदासीन अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा, पंचायती आनंद अखाड़ा।
वैष्णव : निर्मोही अणि अखाड़ा, दिगंबर अणि अखाड़ा, निर्वाणी अणि अखाड़ा।
इनका कहना


अखाड़ों में ध्वजा का अपना महत्व है। जमात सबसे पहले ध्वजा का ही अभिवादन करती है। ध्वजा के लिए सबसे लंबे पेड़ का उपयोग किया जाता है ताकि दूर से ही अखाड़े के शिविर नजर आएं। 

Friday, September 11, 2015

डॉक्‍टर बनने में एक चाय वाले का भी योगदान

यहां पीजीआईएमईआर के 34 वें दिक्षांत समारोह में भाग लेने आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह को शिक्षांत समारोह ना समझें। दिक्षांत शिक्षा का अंत नहीं है। जीवन में शिक्षा हमेशा प्राप्‍त करते रहना चाहिए।
उन्‍होंने आगे कहा कि, कोई व्‍यक्ति जब डॉक्‍टर बनता है तो उसके डॉक्‍टर बनने में एक चाय वाले का भी योगदान होता है जो आधी रात को उसे चाय बनाकर देता है जिसके बाद छात्र कुछ समय और पढ़ता है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि, आप जब डॉक्‍टर बनते हो तो उस मुकाम तक पहुंचने में समाज के हर व्‍यक्ति का कहीं ना कहीं योगदान होता है। इसका मतलब है कि आप डॉक्‍टर सरकार की वजह से नहीं बल्कि समाज के लोगों की वजह से डॉक्‍टर बनें हैं और यह आपकी जिम्‍मेदारी होती है कि समाज के उस कर्ज को चुकाएं। आप जब भी कोई काम करें तो समाज के उसक आख‍िरी व्‍यक्ति को याद करें जिसे आपकी जरूरत है।'
उन्‍होंने आगे कहा कि, इंज‍ीनि‍यर और डॉक्‍टर में फर्क होता है। डॉक्‍टर का काम मशीन के साथ नहीं, इंसान के साथ है। आज डॉक्‍टरों के पास अच्‍छी तकनीक है, जिससे वे आसानी से बीमारी को समझ सकते हैं।'
उन्‍होंने योग दिवस का जिक्र करते हुए कहा कि, अगर फीजियोथेरेपिस्‍ट योग सीखें तो वो बेहतर डॉक्‍टर बन सकेंगे। फीजियोथेरेपी भी योग की तरह ही है।

इससे पहले अपना भाषण शुरू करते हुए कहा कि 'आज 9/11 है जब सैकड़ों मासूम लोग मारे गए थे और इंसानियत शर्मसार हुई थी। अगर स्‍वामी विवेकानंद द्वारा शिकागो में 11 सितंबर 1893 को दिए गए भाषण का अनुसरण किया गया होता तो यह घटना कभी नहीं होती।

हिन्‍दी भाषियों को सूचना के अधिकार के तहत हिन्‍दी में जानकारी मिलने लगेगी

हिन्‍दी के लिए हिन्‍दी के विद्वानों, भाषाविदों और सरकारों की कोशिशों के बीच आम आदमी का एक उदाहरण ऐसा भी है जो तकरीबन सालभर से इस मशाल को जलाए हुए है। बेटे को आंध्र प्रदेश के एक विश्वविद्यालय में प्रवेश दिलाने के लिए हिन्‍दी में पत्राचार किया, वहां से जवाब मिला कि हमारे यहां अंग्रेजी में ही पत्र व्यवहार होता है। हिन्‍दी का अनुवादक नहीं।
फिर क्या था बैतूल के इस हिन्‍दी प्रेमी ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी और आज लड़ाई इस मुकाम तक पहुंच गई है कि सभी सरकारी दफ्तरों को, चाहे वे दक्षिण के ही क्यों न हों, हिन्‍दी में जवाब देना पड़ेगा।
कहानी कुछ यूं है-बैतूल जिले के मुलतई के रहने वाले शंकरलाल पंवार के बेटे ने क्लेट के बाद आंध्र प्रदेश के दामोदरन संजीवनिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, विशाखापट्टनम में फरवरी माह में दाखिले की प्रक्रिया पूरी की। जब प्रवेश नहीं हुआ तो सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी।
पत्र हिन्‍दी में लिखा गया। विवि ने जानकारी देने की बजाय यह लिखा कि उनके यहां सारा पत्र व्यवहार अंग्रेजी में होता है। हिन्‍दी का अनुवादक नहीं है। पंवार ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को की। पत्र गृह मंत्रालय को गया और वहां से उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव को फटकार लगाई गई। पत्र में कहा गया कि यह राजभाषा नियम का उल्लंघन है।
हिन्‍दी में चाहे किसी भी क्षेत्र से पत्र प्राप्त हो, किसी भी राज्य सरकार, व्यक्ति या केंद्र सरकार के कार्यालय से प्राप्त हो, केंद्र सरकार के कार्यालय से जवाब हिन्‍दी में ही जाएगा। ऐसा न होने की स्थिति में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। 12 अगस्त को यह पत्र मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबंधित विभागों को भेजा गया।

पंवार के अनुसार, ऐसा होने से देश के सभी हिन्‍दी भाषियों को सूचना के अधिकार के तहत हिन्‍दी में जानकारी मिलने लगेगी। कोई भी संस्थान बहाना बनाने की स्थिति में नहीं होगा। आम आदमी की छोटी-छोटी ऐसी ही लड़ाइयों से भाषा बलवान होगी।

Wednesday, September 9, 2015

रेप पीड़िता को गर्भपात की इजाजत

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बाराबंकी निवासी तेरह साल की एक रेप पीड़िता को कुछ शर्तों के साथ गर्भपात की इजाजत दे दी है। लड़की को 29 सप्ताह की गर्भवती है। हाईकोर्ट ने डॉक्टरों के एक पैनल से कहा है कि अगर लड़की की जान को कोई खतरा न हो तो गर्भपात किया जाए। केजीएमयू मेडिकल कालेज के डॉक्टर लड़की का मेडिकल चेकअप करेंगे।
हाईकोर्ट के सामने अपील करते हुए रेप पीड़िता ने कहा है कि यदि उसे गर्भपात की इजाजत नहीं दी गई तो उसे जिंदगी भर कलंक के साथ जीना पड़ेगा। उसने कहा है कि होने वाला बच्चा उसे पूरी जिंदगी उसके साथ हुई हैवानियत की याद दिलाता रहेगा।
उसकी दलील सुनने के बाद न्यायाधीश शबीहुल हस्नैन और जस्टिस डीके उपाध्याय की बेंच ने आदेश दिया है कि पीड़िता का मेडिकल चेकअप किया जाए और अगर वो इसके लिए तैयार हो तो गर्भपात किया जाए। मेडिकल चेकअप में खासतौर पर इस बात का ध्यान रखा जाए कि इससे कहीं उसे जान का खतरा तो नहीं होगा। कोर्ट ने मेडिकल एक्सपर्ट की टीम बनाने को कहा है। यह टीम पीड़िता का मेडिकल चेकअप करने के साथ ही उससे बातचीत भी करेगी। कोर्ट ने भ्रूण का डीएनए भी संभाल कर रखने को कहा है।
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता गरीब परिवार से है इसलिए सारा खर्च हॉस्पिटल ही उठाएगा जिसे बाद में राज्य सरकार वापस करेगी। कोर्ट ने मामले की रिपोर्ट 15 सितंबर को देने के आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि बाराबंकी के मसौली थाना क्षेत्र में 17 फरवरी 2015 को एक आरोपी ने पांचवीं क्लास में पढऩे वाली छात्रा के साथ रेप किया। रेप के बाद वह गर्भवती हो गई। आठ जुलाई 2015 को पता चला कि उसे 21 हफ्ते का गर्भ है। कानून के मुताबिक 21 हफ्ते से ज्यादा होने पर गर्भपात कराना गैरकानूनी है। इसलिए पीडि़ता ने तीन सितंबर को कोर्ट में गर्भपात के लिए याचिका दायर की थी।

यह पहली बार नहीं है जब अदालत ने किसी दुष्‍कर्म पीड़िता को गर्भपात की अनु‍मति दी है। इससे पहले गुजरात की एक युवती को भी सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाजत दी थी

Monday, September 7, 2015

बदरपुर बॉर्डर से फरीदाबाद के वाइएमसीए चौक तक मेट्रो रेल का उदघाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बदरपुर बॉर्डर से फरीदाबाद के वाइएमसीए चौक तक मेट्रो रेल का उदघाटन किया। सभी को चौंकाते हुए वह नई दिल्ली के जनपथ मेट्रो स्टेशन से ट्रेन में चढ़कर करीब 50 मिनट में बाटा चौक (फरीदाबाद) पहुंचे। यहां से वह सेक्टर-12 के गति-प्रगति रैली स्थल गए, जहां उन्होंने रिमोट का बटन दबाकर मेट्रो का शुभारंभ किया।
बदरपुर बॉर्डर से एस्कोर्ट मुजेसर तक 13.8 किलोमीटर लंबे मार्ग पर कुल नौ मेट्रो स्टेशन हैं। इस मेट्रो लाइन के निर्माण पर कुल 2494 करोड़ रुपये की लागत आई है। रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मेट्रो के आगमन से दिल्ली आना-जाना सुगम होगा। औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में विकास के नए द्वार खुलेंगे। इससे पहले केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू भी मेट्रो ट्रेन से ही फरीदाबाद पहुंचे थे।
वीआइपी रूट के बावजूद मेट्रो में सफर आम लोगों के लिए सुगम रहा। प्रधानमंत्री की यात्रा से वायलट लाइन (फरीदाबाद-आइटीओ) पर उनके साथ मेट्रो में सफर करने वालों के लिए रविवार का दिन यादगार बन गया। बाटा चौक मेट्रो स्टेशन पर हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिह सोलंकी, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू, ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिह, केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, राव इंद्रजीत, बाबुल सुप्रियो, राज्य के मुख्य सचिव डीएस ढेसी, पुलिस महानिदेशक यशपाल सिघल ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया।
सेल्फी लेने के लिए मची होड़ 
प्रधानमंत्री को मेट्रो ट्रेन में सफर करते देख यात्री भी चकित रह गए। बारी-बारी से यात्रियों ने जाकर प्रधानमंत्री से मुलाकात की। महिलाओं, युवतियों और युवकों ने उनके साथ मेट्रो में सेल्फी भी ली। प्रधानमंत्री ने भी लोगों से हालचाल पूछा और बातचीत की।
छतों पर खड़े होकर देख रहे थे लोग
मेट्रो में प्रधानमंत्री की यात्रा न्यूज चैनलों पर लाइव प्रसारित हो रही थी। इसलिए कई जगहों पर लोग छतों पर खड़े होकर देख रहे थे। उन्हें बाटा चौक पहुंचने में करीब 50 मिनट लगे। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर इसे यादगार सफर बताया है। मेट्रो लाइन की उद्घाटन के बाद उन्होंने वापसी में दोपहर 12.36 बजे में मेट्रो ट्रेन पकड़ी और पहले कोच में सफर किया और 1.30 बजे केंद्रीय सचिवालय स्टेशन पर उतरे।
हेलीकॉप्टर से जाने की थी उम्मीद
पहले यह उम्मीद जताई जा रही थी कि प्रधानमंत्री हेलीकॉप्टर से फरीदाबाद जाएंगे। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के सूत्रों के अनुसार पहले से विकल्प के रूप में रखा गया था कि प्रधानमंत्री मेट्रो से भी फरीदाबाद जा सकते हैं। इसलिए तीन सितंबर को ही एसपीजी ने जनपथ मेट्रो स्टेशन और मेट्रो ट्रेन में सुरक्षा जांच की थी। 
सिर्फ कुछ समय के लिए यात्रियों को रोका गया
रविवार को मेट्रो में भीड़ भी कम रहती है। प्रधानमंत्री के स्टेशन पर पहुंचने पर कुछ समय के लिए सुरक्षा कारणों से यात्रियों का प्रवेश रोका गया था। चार कोच की मेट्रो ट्रेन मंडी हाउस स्टेशन से 10.10 बजे फरीदाबाद के लिए खुली। 
मेट्रो ट्रेन की विधिवत हुई जांच 

सुरक्षा एजेंसियों ने ट्रेन खुलने से पहले उसकी बारीकी से जांच की। ट्रेन का पिछला कोच खाली रखा गया था। करीब 10.12 बजे यह ट्रेन मंडी हाउस से जनपथ स्टेशन पहुंची, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके पिछले कोच में सवार हुए। प्रधानमंत्री के साथ उनके मीडिया सलाहकार, डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह, कार्यकारी निदेशक (परिचालन) विकास कुमार, कार्यकारी निदेशक (अनुज दयाल) और सुरक्षा कर्मी थे। बाकी तीन कोच में आम यात्री सफर कर रहे थे।

Friday, September 4, 2015

शुभकामनायें

हमारे सभी पाठकों को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें 

शिक्षक दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्‍चों के सवालों के जवाब दिए

शिक्षक दिवस पर हुए कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के अलग-अलग स्‍कूलों में मौजूद बच्‍चों से वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये बात करते हुए उनके सवालों के जवाब दिए।
सवाल: आपके जीवन पर किसका ज्‍यादा प्रभाव रहा।
जवाब: जीवन पर किसी एक व्‍‍यक्ति का प्रभाव नहीं होता। अगर आपका दिमाग जिज्ञासु है तो आपके जीवन में हर कदम पर लोग मिलते हैं जिनसे आप ढेर सारी बातें सीख सकते हैं। मैं हमेशा एक जिज्ञासु था। मैं अपना वक्‍त लायब्रेरी में बिताता था जहां मैंने स्‍वामी विवेकानंद के बारे में पढ़ा। मैंने हर मोड़ पर हर किसी से कुछ ना कुछ सीखा।
सवाल: जवाहर नवोदय विद्यालय मणिपुर की छात्रा ने पूछा कि में नेता बनना चाहती हूं मैं क्‍या करूं?
जवाब: देश में लोग राजनीति से डरे हुए हैं। यह देश की जरूरत है कि इसमें हर क्षेत्र के विद्वान लोग आए जिससे राजनीतिक क्षेत्र भी समृद्ध होगा। राजनीति में आने के लिए लीडरशीप रोल करना होगा। खुद में लीडरशीप क्‍वालिटी को बढाएं। यह भी साफ हो कि लीडर क्‍यों बनना चाहते हैं। अगर आप लोगों की समस्‍याओं के समाधान के लिए बनना चाहते हैं तो आपको लोगों से जुड़ना होगा। अगर आपमें यह बात है तो आप खुद लीडर बन जाओगी।
सवाल: केवी इंडियन मिलीट्री एकेडमी देहरादून, उत्‍तराखंड के सार्थक भारद्वाज ने पूछा कि डिजिटल इंडिया अनोखा कार्यक्रम है लेकिन देश के कई गांवों में बिजली नहीं है फिर यह कैसे सफल होगा।
जवाब: डिजिटल इंडिया से हम सब अब अछूते नहीं रह सकते, ये हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन गया है। हमारे देश में 18 हजार गांव ऐसे जहां बिजली नहीं। मैंने अधिकारियों की बैठक ली है। अपने अधिकारियों से कहा है कि 1000 दिनों में मुझे इन गांवों में बिजली पहुंचानी है और बिना बिजली के डिजिटल होने का काम रुकता नहीं है। डिजिटल इंडिया सशक्तिकरण का मिशन है, इसलिए बिजली रुकावट नहीं बनेगी।
सवाल: पणजी के विशेष छात्रा सोनिया ने पीएम से पूछा कि उनका पसंदीदा खेल कौन सा है।
जवाब: जब एक लड़की आगे बढ़ती है तो इसमें उसकी मां का अहम रोल होता है। जब हम छोटे थे तो आज के समय की तरह खेल नहीं होते थे। मैं जब छोटा था तो मुझे कबड्डी, तैरना और थोड़ा योग करना पसंद था। गांव में एक कसरत करने की जगह थी जहां मैं भी जाता था। रही बात अब की तो राजनेता क्‍या खेल खेलते हैं वो सब जानते हैं।
सवाल: बेंगलुरु की स्‍कूल की छात्राओं ने स्‍वच्‍छ भारत मिशन को लेकर पूछा सवाल
जवाब: जब मैंने स्‍वच्‍छ भारत अभियान शुरू किया था तब इसे लेकर मुझे कुछ आशंकाएं थीं। लेकिन आपने जिस तरह से वेस्‍ट मैंनेजमेंट के लिए ऐप बनाई है तो मुझ यकीन है कि यह अभियान सफल होगा। इस कार्यक्रम में हर कोई पूरा सपोर्ट कर रहा है। हर पक्ष इसमें साथ आ रहा है।
सवाल: बोकारों की छात्रा अंशिका ने पूछा कि आपको क्‍या लगता है कि एक छात्र के लिए सफलता के लिए क्‍या रेसिपी हो सकती है।
जवाब: सफलता की कोई रेसिपी नहीं होती और होना भी नहीं चाहिए। ठान लो कि असफल नहीं होना है और जो ये ठान लेता है वो कभी विफल नहीं होता। विफलता को सपनों का कब्रस्‍तान मत बनने दो बल्कि सपने सच करने का आधार बनाना चाहिए। हर किसी के जीवन में विफलता आती है लेकिन इसे देखने का दृष्टिकोण मायने रखता है। आपको एक किताब के बारे में बताता हूं 'पॉली ऐना' जिसमें आपको हर बात को सकारात्‍मक दृष्टिकोण से देखने में मदद मिलेगी। सफलता की कोई रेसिपी नहीं बस मन की रचाना हो कि असफल नहीं होना है।
सवाल: रविया नजीर केंद्रिय विद्यालय अ‍मिनुगुल्‍दा, कुलगाम ने पूछा कि आपको बचपन में सबसे ज्‍यादा क्‍या आकर्षित करता था।
जवाब: बचपन में मैं घर के कामों में भी लगा रहता था। बाहर निकलते थे तो कई चीजें से सीखने को मिलती थी। क्‍लासरूम में चीजों को देखने और समझने का नजरिया मिलता है। मैंरा स्‍वाभाव हर चीज से सीखने वाला था और छोटी-छोटी चीजों से सीखता था।
सवाल: एक अच्‍छा वक्‍ता कैसे बन सकते हैं
जवाब: अच्‍छा वक्‍ता बनने के लिए एक अच्‍छा श्रोता होना जरूरी है। आप अगर अच्‍छा वक्‍ता बनना चाहते हैं तो इंटरनेट पर दुनियाभर के वक्‍ताओं के भाषण मिलेंगे आप उन्‍हें सुनकर भी इस स्‍कि‍ल को बढ़ा सकते हैं। दूसरी बात जब भी आप बोलें तो यह नहीं सोचें की लोग आपके और आपके विचारों के बारे में क्‍या सोचेंगे।
सवाल: आपने कैसे दुनिया में भारत परिधानों को बढ़ावा देने का खयाल कैसे आया

जवाब: मैं किसी फैशन डिजाइनर को नहीं जानता। बचपन में दो कपड़े होते थे उन्‍हें खुद ही धोते थे। लोटे में कोयला रखकर कपड़े प्रेस करता था। बचपन से ही अच्‍छी तरह रहने की आदत थी। मैं जो कुर्ता पहनता था उसकी बांह लंबी थी तो उसे खुद काटकर छोटा किया और फिर हपनने लगा।

Thursday, September 3, 2015

पेंशन के मुद्दे पर पूर्व सैनिकों और सरकार ने अपने बड़े मतभेद सुलझा लिए

ऐसा लगता है कि वन रैंक, वन पेंशन के मुद्दे पर पूर्व सैनिकों और सरकार ने अपने बड़े मतभेद सुलझा लिए हैं। इन अटकलों ने तब जोर पकड़ा जब पूर्व सैनिकों ने कहा कि वे हर साल पेंशन की समीक्षा की अपनी मांग की बजाय हर दो साल पर पेंशन की समीक्षा को स्वीकार कर सकते हैं।
पिछले 80 दिनों से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे सेवानिवृत मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से उन्हें सरकार से सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह नहीं कहा कि सरकार से बातचीत में कोई सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि समीक्षा की तारीख निश्चित तौर पर एक अप्रैल 2014 से होनी चाहिए। समझा जाता है कि सरकार इसके लिए तैयार है।
पूर्व फौजियों के संगठन इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट के महासचिव ग्रुप कैप्टन वीके गांधी ने हमारे सहयोगी प्रकाशन "दैनिक जागरण" से इस बारे में कहा, "अगर सरकार सालना समीक्षा के लिए तैयार नहीं और हमें बताती है कि उन्हें वास्तव में इस पर कोई समस्या है तो हम इस पर विचार करने को तैयार हैं। अगर उन्हें लगता है कि दो साल में समीक्षा की जा सकती है तो हम एक साल पर ही अड़े नहीं रहेंगे।"

बुधवार शाम को पूर्व फौजियों के आंदोलन की 16 सदस्यों वाली संचालन समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। पेंशन फार्मूला लागू करने की तारीख और अन्य मुद्दों को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इनको लेकर ज्यादा मतभेद नहीं बचे हैं। पूर्व सैनिकों को उम्मीद है कि उनके इस कदम के बाद सरकार को भी दोबारा बातचीत शुरू करने का मौका मिलेगा।

Tuesday, September 1, 2015

पाई-पाई का हिसाब दूंगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बिहार के भागलपुर में रैली को संबोधित किया। मोदी ने भारी भीड़ की मौजदूगी में कहा, राजनीतिक पंडित आज हवा का रुख पहचान लेंगे। बिहार की जनता आज विकास के लिए वोट करने की संकल्प कर चुकी है। इस विजय यात्रा को कोई रोक नहीं सकेगा। कितने ही भ्रम फैलाए जाएं, कितने भी झूठ बोले जाएं, लेकिन बिहार की जनता विकासशील बिहार बनाने के लिए कमर कस चुका है।

बकौल मोदी, 25 साल से जिन लोगों ने बिहार पर राज किया है, उन्हें हिसाब किताब देना चाहिए कि नहीं? क्या काम किया, कैसे किया? इसका हिसाब देना चाहिए कि नहीं? 2019 में जब फिर बिहार में फिर चुनाव होंगे, मैं वोट मांगने आऊंगा और दिल्ली में बैठकर क्या काम किया, पाई-पाई का हिसाब दूंगा।