बॉम्बे हाई कोर्ट से भी नेस्ले इंडिया को बड़ी राहत मिली है। नेस्ले इंडिया
की याचिका को मंजूर करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने मैगी पर रोक के आदेश को रद्द कर
दिया है। यही नहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने एपएसएसएआई से जवाब भी मांगा है। हाई कोर्ट
ने पूछा है कि आखिर मैगी पर बैन क्यों लगाया गया? हालांकि, हाई कोर्ट ने फिलहाल
नेस्ले को मैगी बेचने की अनुमति नहीं दी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि अभी टेस्ट की
प्रक्रिया चल रही है। जब तक टेस्ट पूरा नहीं हो जाता नेस्ले कंपनी बाजार में मैगी
को नहीं बेच पाएगी।
जस्टिस वी. एम. कनाड और जस्टिस वर्गीज कोलाबावाला ने नेस्ले इंडिया द्वारा दाखिल की गई याचिका पर फैसला सुनाया। मैगी के सैंपल्स में कथित रूप से लेड की मात्रा काफी ज्यादा पाए जाने के बाद मैगी के उत्पादन और बिक्री पर 5 जून को पाबंदी लगा दी गई थी। नेस्ले इंडिया ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल करके इस बैन को चुनौती दी थी।
पिछले महीने बॉम्बे हाई कोर्ट ने मैगी सैंपल्स के दोबारा परीक्षण कराने का सुझाव दिया था जिसे फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड असोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने खारिज कर दिया था। एफएसएसएआई ने तर्क दिया था कि फूड सेफ्टी ऐक्ट में दोबारा परीक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।
ध्यान रहे कि नेस्ले ने दावा किया था कि पहले के सैंपल्स का परीक्षण नोटिफाइड और मान्यताप्राप्त लैब में नहीं कराया गया।
एफएसएसएआई के अनुसार, मैगी नूडल्स के 72 में से 30 सैंपल्स में परीक्षण के दौरान हाई लेड और एमएसजी की मात्रा काफी ज्यादा पाई गई थी जबकि इसके पैकेट्स पर घोषणा की गई थी कि एमएसजी नहीं मिलाया गया।
एफएसएसएआई ने आरोप लगाया था कि नेस्ले अपनी घोषित पॉलिसी और सिद्धांतों पर अमल करने में असफल रहा है। परीक्षण में यह खुलासा हुआ है कि सीसे की मात्रा अनुमेय सीमा 2.5 पार्ट प्रति मिलियन (पीपीएम) से बहुत ही ज्यादा है। नेस्ले का दावा था कि प्रतिबंध 'गैरकानूनी, मनमाना, असंवैधानिक है जो समानता और व्यापार के अधिकार का उल्लंघन है।' नेस्ले ने दावा किया था कि इस प्रतिबंध से नैचरल जस्टिस के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है, क्योंकि इसे उचित सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। नेस्ले ने यह भी दावा किया कि इसके अपने परीक्षणों में सामने आया है कि मैगी नूडल्स सुरक्षित है और यूके, ऑस्ट्रेलिया एवं सिंगापुर समेत किसी भी देशों में इसमें कोई समस्या नहीं पाई गई है। हाई कोर्ट ने नेस्ले को मैगी को अन्य देशों में भी एक्सपोर्ट करने की अनुमति दी थी।
ध्यान रहे कि मंगलवार को अमेरिकी फूड रेग्युलेटर ने मैगी को टेस्ट में पास करते हुए कहा था कि उसके टेस्ट के हिसाब से मैगी में मौजूद सीसा अमेरिकी कन्जयूमर के लिए जायज लेवल पर है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने मैगी मामले में नेस्ले इंडिया के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मंगलवार को उपभोक्ता मंच एनसीडीआरसी से शिकायत की थी। सरकार ने नेस्ले से अपने इस लोकप्रिय नूडल ब्रैंड के मामले में अनुचित व्यापार व्यवहार में संलिप्तता, गलत जानकारी देने और गुमराह करने वाले विज्ञापन दिखाने के आरोप में 640 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी।
जस्टिस वी. एम. कनाड और जस्टिस वर्गीज कोलाबावाला ने नेस्ले इंडिया द्वारा दाखिल की गई याचिका पर फैसला सुनाया। मैगी के सैंपल्स में कथित रूप से लेड की मात्रा काफी ज्यादा पाए जाने के बाद मैगी के उत्पादन और बिक्री पर 5 जून को पाबंदी लगा दी गई थी। नेस्ले इंडिया ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल करके इस बैन को चुनौती दी थी।
पिछले महीने बॉम्बे हाई कोर्ट ने मैगी सैंपल्स के दोबारा परीक्षण कराने का सुझाव दिया था जिसे फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड असोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने खारिज कर दिया था। एफएसएसएआई ने तर्क दिया था कि फूड सेफ्टी ऐक्ट में दोबारा परीक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।
ध्यान रहे कि नेस्ले ने दावा किया था कि पहले के सैंपल्स का परीक्षण नोटिफाइड और मान्यताप्राप्त लैब में नहीं कराया गया।
एफएसएसएआई के अनुसार, मैगी नूडल्स के 72 में से 30 सैंपल्स में परीक्षण के दौरान हाई लेड और एमएसजी की मात्रा काफी ज्यादा पाई गई थी जबकि इसके पैकेट्स पर घोषणा की गई थी कि एमएसजी नहीं मिलाया गया।
एफएसएसएआई ने आरोप लगाया था कि नेस्ले अपनी घोषित पॉलिसी और सिद्धांतों पर अमल करने में असफल रहा है। परीक्षण में यह खुलासा हुआ है कि सीसे की मात्रा अनुमेय सीमा 2.5 पार्ट प्रति मिलियन (पीपीएम) से बहुत ही ज्यादा है। नेस्ले का दावा था कि प्रतिबंध 'गैरकानूनी, मनमाना, असंवैधानिक है जो समानता और व्यापार के अधिकार का उल्लंघन है।' नेस्ले ने दावा किया था कि इस प्रतिबंध से नैचरल जस्टिस के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है, क्योंकि इसे उचित सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। नेस्ले ने यह भी दावा किया कि इसके अपने परीक्षणों में सामने आया है कि मैगी नूडल्स सुरक्षित है और यूके, ऑस्ट्रेलिया एवं सिंगापुर समेत किसी भी देशों में इसमें कोई समस्या नहीं पाई गई है। हाई कोर्ट ने नेस्ले को मैगी को अन्य देशों में भी एक्सपोर्ट करने की अनुमति दी थी।
ध्यान रहे कि मंगलवार को अमेरिकी फूड रेग्युलेटर ने मैगी को टेस्ट में पास करते हुए कहा था कि उसके टेस्ट के हिसाब से मैगी में मौजूद सीसा अमेरिकी कन्जयूमर के लिए जायज लेवल पर है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने मैगी मामले में नेस्ले इंडिया के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मंगलवार को उपभोक्ता मंच एनसीडीआरसी से शिकायत की थी। सरकार ने नेस्ले से अपने इस लोकप्रिय नूडल ब्रैंड के मामले में अनुचित व्यापार व्यवहार में संलिप्तता, गलत जानकारी देने और गुमराह करने वाले विज्ञापन दिखाने के आरोप में 640 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी।
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