Monday, August 3, 2015

टैक्स रिटर्न फाइल करने के नियमों में कई बदलाव

इस साल फाइनैंस मिनिस्ट्री ने टैक्स रिटर्न फाइल करने के नियमों में कई बदलाव किए हैं। नए फॉर्म लाए गए हैं। टैक्सपेयर्स से अतिरिक्त सूचनाएं मांगी जा रही हैं और रिटर्न फाइलिंग के प्रोसेस को पूरी तरह पेपरलेस कर दिया गया है। टैक्सपेयर्स होने के नाते आपको इनके बारे में जानना चाहिए, नहीं तो आप गलत रिटर्न फाइल कर सकते हैं, जिसे रिजेक्ट किया जा सकता है। हम नए टैक्स फाइलिंग प्रोसेस और डॉक्युमेंटेशन के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
कई टैक्सपेयर्स मानते हैं कि अगर उन पर कोई टैक्स लायबिलिटी नहीं है या उन्होंने सारे टैक्स चुका दिए हैं तो उन्हें रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं है। यह गलत सोच है। ClearTax.in के फाउंडर और सीईओ अर्चित गुप्ता ने बताया, 'इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपने टैक्स दिया है या नहीं। अगर आपका सारा टैक्स आपकी कंपनी और बैंक ने टीडीएस के जरिये चुका दिया है या आपने अडवांस टैक्स दिया है तो भी सालाना इनकम 2.5 लाख रुपये से अधिक होने पर आपको रिटर्न फाइल करना पड़ेगा।' हालांकि, उससे पहले हम यह बता रहे हैं कि इस साल के टैक्स फाइलिंग रूल्स में क्या बदलाव किए गए हैं।
इस साल टैक्स रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है। हालांकि, इसमें बिना वजह की देरी ठीक नहीं है। अगर आपके पास सारे डॉक्युमेंट्स (फॉर्म 16, बैंक स्टेटमेंट, टीडीएस डिटेल्स, कैपिटल गेंस स्टेटमेंट) हैं, तो जल्द से जल्द रिटर्न फाइल कीजिए।
फॉरन ट्रिप्स और बिना इस्तेमाल वाले बैंक खातों के बारे में जानकारी अनिवार्य किए जाने पर खूब हो-हल्ला मचा। इस वजह से सरकार को नए आईटीआर फॉर्म्स को रिवाइज करने पर मजबूर होना पड़ा। रिवाइज्ड फॉर्म्स सिंपल हैं और इन्हें भरने में भी कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। आईटीआर फॉर्म्स में बदलाव के बाद भले ही आपको 14 पन्ने का रिटर्न फाइल नहीं करना पड़ेगा, लेकिन कुछ प्रस्तावित बदलावों को फाइनैंस मिनिस्ट्री ने बनाए रखा है।
जो इंडिविजुअल्स और एचयूएफ एक से ज्यादा प्रॉपर्टी रखते हैं, लेकिन उन्हें टैक्सेबल कैपिटल गेंस, बिजनस या प्रफेशन या फॉरन ऐसेट्स से इनकम नहीं हो रही है, उनके लिए नया तीन पन्ने का आईटीआर 2ए फॉर्म लाया गया है। एग्जेम्ट इनकम होने पर भी इंडिविजुअल्स आईटीआर-1 (सरल) फॉर्म भर सकते हैं। पहले 5,000 रुपये से ज्यादा एग्जेम्ट इनकम होने पर इंडिविजुअल्स को इस फॉर्म को भरने की इजाजत नहीं थी। हालांकि, जिन इंडिविजुअल्स की ऐग्रिकल्चरल इनकम 5,000 रुपये से अधिक है, वे अभी भी इस फॉर्म का इस्तेमाल नहीं कर सकते।  जो टैक्सपेयर्स रिफंड की मांग करने वाले हैं, उनके लिए टैक्स की ई-फाइलिंग जरूरी कर दी गई है। अगर उनकी इनकम 5 लाख रुपये से कम है, तो भी उन्हें ऑनलाइन रिटर्न फाइल करना होगा। हालांकि, यह रूल 80 साल से अधिक उम्र वाले सीनियर सिटिजंस पर लागू नहीं होगा। वे फिजिकल मोड में अब भी रिटर्न भर सकते हैं। हालांकि, ई-फाइलिंग के अपने फायदे हैं। Taxspanner.com के को-फाउंडर और डायरेक्टर सुधीर कौशिक ने बताया, 'अगर आपने ऑनलाइन रिटर्न फाइल किया है तो इसे तेजी से प्रोसेस किया जाता है और रिफंड भी जल्द मिलता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट रिफंड को सीधे आपके बैंक अकाउंट में भेजता है। टैक्सपेयर्स ऑनलाइन टैक्स रिटर्न की प्रोसेसिंग का स्टेटस भी ट्रैक कर सकते हैं।'
अगर आपको टैक्स फॉर्म्स और रूल्स की जानकारी है तो आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर जाकर खुद ही रिटर्न फाइल कर सकते हैं। कुछ पोर्टल्स भी फ्री में रिटर्न फाइल करने की सुविधा देते हैं। वहीं, दूसरे इसमें मदद के बदले मामूली फीस लेते हैं। अगर आपको लग रहा है कि खुद रिटर्न फाइल करना संभव नहीं है तो प्रफेशनल्स की मदद लेने में कोई बुराई नहीं है। इसके लिए कुछ पैसा तो खर्च करना पड़ता है, लेकिन टैक्स रिटर्न में कोई गलती नहीं होती।
नए फॉर्म में प्रॉपर्टी के स्टेटस के लिए 'डीम्ड टु बी लेटआउट' और 'लेटआउट' के लिए अलग कॉलम दिए गए हैं। इसका मतलब यह है कि भले ही आपका दूसरा घर खाली पड़ा हो, आपको उस पर टैक्स देना पड़ेगा। आपकी प्रॉपर्टी जिस एरिया में है, वहां के रेंट के हिसाब से नोशनल इनकम पर टैक्स चुकाना पड़ेगा। प्रॉपर्टी बेचने के मामले में आपको सावधानी से कैपिटल गेंस चुकाना चाहिए क्योंकि नए फॉर्म में बची हुई रकम के बारे में जानकारी मांगी गई है ताकि इस पर लॉन्ग और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस का पता लगाया जा सके। डेलॉयट हास्किंस ऐंड सेल्स की पार्टनर ताप्ती घोष ने बताया, 'अगर प्रॉपर्टी देश से बाहर है तो नए फॉर्म में टैक्सपेयर को कैपिटल गेन इनकम की जानकारी देनी होगी और टैक्स रिलीफ का भी ब्योरा देना पड़ेगा।'
आप जिस टैक्स स्लैब में आते हैं, उस हिसाब से रिटर्न फाइल करते वक्त कैपिटल गेंस की जानकारी अलग से देनी पड़ेगी। अगर आपने कैपिटल गेंस अकाउंट स्कीम में कोई पैसा डिपॉजिट किया है तो आपको उस साल के बारे में बताना होगा, जब एसेट ट्रांसफर किया गया था। वहीं, जिस सेक्शन के तहत उस पर एग्जेम्पशन की मांग की गई थी, उसकी भी जानकारी देनी होगी। आपको बताना होगा कि किस साल में नया ऐसेट खरीदा गया है और उसके लिए कितना पैसा खर्च किया गया। कैपिटल गेंस अकाउंट में बची हुई रकम की जानकारी भी देनी पड़ेगी।
रिवाइज्ड फॉर्म्स में प्रस्तावित फॉर्म के मुकाबले बहुत सवाल नहीं पूछे जा रहे हैं। हालांकि, फॉरन इनकम और ऐसेट्स के बारे में आपको कई जानकारियां देनी पड़ेंगी। नए फॉर्म में फॉरन ट्रिप के दौरान खर्च की गई रकम की जानकारी नहीं मांगी गई है, लेकिन फॉरन इनकम का ब्योरा देना पड़ेगा। इसमें रकम, नेचर ऑफ इनकम, टैक्सेबिलिटी, देश इन सबकी जानकारी देनी पड़ेगी। अगर आपने डबल टैक्सेशन अवॉयडेंस अग्रीमेंट (डीटीएए) के तहत टैक्स छूट क्लेम की है तो रिटर्न में उसका ब्योरा होना चाहिए।
इसी तरह से अगर आपके पास विदेश में कोई प्रॉपर्टी है तो मालिकाना हक (सीधे या बेनेफिशरी के तौर पर), उसे खरीदने की तारीख, प्रॉपर्टी से हुई इनकम और टैक्स के लिए दिखाई गई रकम के बारे में बताना होगा। अगर किसी फॉरन एंटिटी में आपका फाइनैंशल इंटरेस्ट है तो उसके बारे में भी बताना जरूरी कर दिया गया है। मालिकाना हक रखने वालों के अलावा विदेश में किसी ऐसेट्स के बेनेफिशिज या उससे हुई इनकम की जानकारी आईटीआर फॉर्म में देना जरूरी कर दिया गया है।
इस साल से ज्यादातर टैक्सपेयर्स के लिए सही अर्थों में ई-फाइलिंग पेपरलेस हो गई है। अब तक ई-फाइलिंग के बाद साइन किया हुआ आईटीआर-V फॉर्म बेंगलुरु में सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर में भेजना पड़ता था। इसका मकसद टैक्सपेयर की आइडेंटिटी की पहचान करना था। अब इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (ईवीसी) के जरिये इलेक्ट्रॉनिक तरीके से आइडेंटिटी रिटर्न्स को वेरिफाई किया जा सकता है। 10 डिजिट वाला ईवीसी एक शब्दों और अंकों वाला कोड है, जो हर पैन के लिए यूनीक होगा। यह ई-फाइलिंग करने वाले का इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन होगा। एचयूएफ के मामले में कर्ता का ईवीसी वेरिफिकेशन होगा। इस बारे में Makemyreturns.com के को-फाउंडर विक्रम रामचंद ने कहा, 'बड़ी बाधा खत्म हो गई है। इससे ई-फाइलिंग का काम वाकई पेपरलेस हो गया है।' इस साल से आईटीआर में आधार कार्ड होल्डर्स के लिए भी जगह दी गई है, जहां वे यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर का जिक्र कर सकते हैं। आधार उन चार तरीकों में से एक है, जिसके जरिये टैक्सपेयर की पहचान तय होगी। हालांकि, अगर आप इस मोड का इस्तेमाल नहीं करना चाहते तो आईटीआर V को मेल के जरिये सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर भेज सकते हैं।

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