Wednesday, August 26, 2015

स्वच्छ भारत अभियान

साथियों
स्वच्छ भारत अभियान हम सभी का अभियान हो, ऐसी कामनाएं .
हम सब मिलकर अपने आस पास गंदगी न होने दें । 

Monday, August 24, 2015

आतंकी दाऊद इब्राहिम को 'ठिकाने लगाने' के लिए एक खुफिया प्लान

बीजेपी नेता और पूर्व गृह सचिव आरके सिंह ने कहा है कि भारत ने अंडरवर्ल्ड डॉन और आतंकी दाऊद इब्राहिम को 'ठिकाने लगाने' के लिए एक खुफिया प्लान बनाया था, लेकिन वह कुछ पुलिसवालों की मदद से बच निकला। उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार को दाऊद और हाफिज सईद को खत्म करने के लिए ऑपरेशंस चलाने चाहिए। 
आरके सिंह ने समाचार चैनल आज तक को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि दाऊद को मुंबई के कुछ भ्रष्ट पुलिसवालों की मदद से इस बात की भनक लग गई थी और वह बच निकला था। 
दाऊद के खात्मे की यह योजना अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान बनाई गई थी। मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल तब IB चीफ थे। आरके सिंह का कहना था कि भारत सरकार द्वारा इस काम के लिए छोटा राजन गैंग के गुर्गों को महाराष्ट्र के बाहर किसी खुफिया जगह पर ट्रेनिंग दी जा रही थी। तभी मुंबई पुलिस के अधिकारी कुछ ट्रेनिंग स्पॉट पर अरेस्ट वॉरंट के साथ आए थे और यह खुफिया ऑपरेशन अपने अंजाम तक नहीं पहुंच सका था। आरके सिंह ने कहा है कि मुंबई पुलिस के ये अधिकारी दाऊद के साथ संपर्क में थे। 
आरके सिंह ने कहा कि दाऊद और हाफिज सईद को ठिकाने लगाने के लिए खुफिया ऑपरेशन चलाया जाना चाहिए, जैसे अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन और मुल्ला उमर के लिए किया था। आरके सिंह का कहना था कि पाकिस्तान कभी इस बात को नहीं मानेगा कि दाऊद पाकिस्तान में रहता है। उन्होंने कहा कि भारत को म्यांमार की तरह पाकिस्तान में भी ऑपरेशन को अंजाम देना चाहिए। 
पूर्व गृह सचिव का यह भी कहना था कि अगर एक ऑपरेशन असफल हो जाता है तो सरकार को दूसरा ऑपरेशन शुरू करना चाहिए। आरके सिंह ने कहा, 'पाकिस्तान को डॉसियर देने से कुछ नहीं होगा। भारत की लड़ाई अमेरिका नहीं लड़ेगा, उसे खुद लड़नी पड़ेगी।' उनका कहना था कि पड़ोसी देश को आतंकियों को बचाकर किसी संभावित युद्ध से बचना चाहिए। पाकिस्तान को युद्ध की कीमत पता है, वह भारत से युद्ध नहीं करेगा। उन्होंने सवाल किया कि अमेरिका और इस्राइल अपने दुश्मनों को मार सकते हैं तो भारत क्यों नहीं।

Wednesday, August 19, 2015

शर्मिला को उनके घरेलू कुत्ते ने चेहरे पर काट लिया

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे की पत्नी शर्मिला को उनके घरेलू कुत्ते ने चेहरे पर काट लिया। घटना मंगलवार दोपहर लगभग 2 बजे की है। बताया जा रहा है कि घाव इतने गहरे हैं कि शर्मिला को सर्जरी करानी पड़ी। 
शर्मिला को उनके शिवाजी पार्क स्थित निवास के पास ही स्थित हिंदूजा अस्पताल माहिम में इलाज के लिए ले जाया गया। 
एक सूत्र ने हमें बताया, 'कुत्ते के काटने का कारण उनके चेहरे पर जख्म हैं। मंगलवार शाम को उनकी सर्जरी करानी पड़ी।' अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बाद शर्मिला का इलाज प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर अनिल टिबरेवाला ने किया।
सूत्रों ने बताया कि यह घटना राज ठाकरे द्वारा अपने घर पर बुलाई गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले हुई। घटना के बारे में पता होते हुए भी राज ठाकरे ने पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस को पूरा किया और फिर वह अपनी पत्नी से मिलने अस्पताल गए। 
सूत्र ने बताया, 'शर्मीला के चेहरे पर घाव इतना गहरा है कि यह चेहरे की हड्डी को छू गया है। कुत्ते ने उन्हें चेहरे पर काटा।' राजठाकरे के पास पिछले लंबे समय से जेम्स और बॉन्ड नाम के 2 कुत्ते हैं। ठाकरे ने अपने निवास की सबसे निचली मंजिल पर विशेष रूप से दोनों कुत्तों के रहने का अलग इंतजाम किया है। 
सूत्रों ने बताया कि राज ठाकरे अक्सर अपने घर की छत पर दोनों कुत्तों के साथ खेलते हैं। वह दोनों को अपने बच्चे की तरह मानते हैं। उन्होंने दोनों के प्रशिक्षण के लिए एक ट्रेनर को भी रखा हुआ है।

Tuesday, August 18, 2015

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गायब होने के बारे में जानकारी हासिल करने का प्लान ड्रॉप

क्लासिफाइड डॉक्युमेंट्स से खुलासा हुआ है कि पीएमओ और विदेश मंत्रालय के मतभेद के चलते ही भारत सरकार ने रूस से क्लासिफाइड डॉक्युमेंट्स से खुलासा हुआ है कि पीएमओ और विदेश मंत्रालय के मतभेद के चलते ही भारत सरकार ने रूस से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गायब होने के बारे में जानकारी हासिल करने का प्लान ड्रॉप कर दिया था। 
नेताजी के परिवार ने नेताजी की फाइल्स को सार्वजनिक करने की मांग की है। माना जाता है कि बोस की मौत 18 अगस्त, 1945 को हुए एक प्लेन क्रैश में हुई थी, लेकिन कुछ शोधकर्ताओं दावा करते रहे हैं कि 1945 के बाद बोस सोवियत संघ में ही रहे और उसके बाद भारत आ गए थे। 
हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया और शोधकर्ता अनुज धर को मिले क्लासिफाइड डॉक्युमेंट्स से खुलासा हुआ है कि पीएमओ ने मार्च 1996 में ही मॉस्को में भारत के राजदूत से नेताजी के गायब होने के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए कहा था। 
हालांकि, आठ महीने बाद नवंबर 1996 में विदेश मंत्रालय ने इस बारे में सरकार की मदद लेने की जगह शोध संस्था एशियाटिस सोसाइटी पर ही निर्भर रहने का मन बना लिया। माना जाता है कि संस्था के पास केजीबी आर्काइव्ज तक पहुंच थी। भारत सरकार नहीं चाहती थी कि रूस के साथ रिश्तों में कोई खटास आए। 
विदेश मंत्रालय के तत्कालीन संयुक्त सचिव (ईस्ट यूरोप) आरएल नारायण द्वारा 7 मार्च, 1996 को विदेश सचिव को भेजे गए एक क्लासिफाइड डॉक्युमेंट के मुताबिक, रूस से केजीबी आर्काइव्ज को एशियाटिक सोसाइटी के शोधकर्ताओं के लिए खोलने के लिए कहना उनके आधिकारिक बयान पर भरोसा न करने जैसा था। 
हालांकि, इस फाइल पर पीएमओ की नोटिंग से पता चलता है कि सरकार इस मामले पर आगे बढ़ना चाहती थी। पीएमओ के तत्कालीन संयुक्त सचिव ने 25 मार्च, 1996 को नोट पर लिखा, 'पीएम चाहते हैं कि मॉस्को में हमारे राजदूत इस मामले पर रूस की सरकार से जानकारी हासिल करने की कोशिश करें। यह भी बताएं कि जानकारी मांगने से रूस सरकार की क्या प्रतिक्रिया हो सकती है।' 
उसी साल 18 नवंबर को नारायण ने जवाब में लिखा कि ऐसी जानकारी हासिल करने से रूस को गलतफहमी हो सकती है। हालांकि, उसी साल 12 जनवरी को विदेश सचिव को भेजे गए एक नोट के मुताबिक सरकार ने रूस से आधिकारिक तौर पर नेताजी पर जानकारी मांगी थी, पर जवाब में कहा गया था कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि 1945 में नेताजी रूस में थे। 
गौरतलब है कि रूस में तीन तरह के आर्काइव्ज हैं। दस्तावेज जो केजीबी के पास हैं, दस्तावेज जो सरकार के पास हैं और पोलित ब्यूरो के पास मौजूद दस्तावेज। 
नारायण ने जनवरी में एक नोट भेजा और बताया कि संभवत: रूस सरकार ने बिना केजीबी के आर्काइव्ज की पड़ताल किए ही जवाब दे दिया होगा। नारायण ने कहा कि बेहतर रिसर्च के लिए सरकार को मॉस्को के राजदूत को वहां के अधिकारियों की मदद से केजीबी के आर्काइव्ज की पड़ताल करने को कहा जाए। बताया जाता है कि तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस मामले पर आनन-फानन में एक मीटिंग भी बुलाई थी। 14 जनवरी को हुई इस मीटिंग में विदेश सचिव और नारायण मौजूद थे। 
अधिकारियों ने यह भी बताया कि एशियाटिक सोसाइटी ऑफ कोलकाता और इंस्टिट्यूट ऑफ औरिएंटल स्टडीज (रूस) के समझौते के तहत शोधकर्ताओं का एक ग्रुप इस मामले की पड़ताल करने के लिए पिछले साल मॉस्को गया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि जांच केजीबी आर्काइव्ज के एक्सेस के बगैर नहीं पूरी हो पाएगी। इसके लिए उन्होंने सरकार से रूस सरकार से बात करने के लिए कहा था।  कर दिया था। 
नेताजी के परिवार ने नेताजी की फाइल्स को सार्वजनिक करने की मांग की है। माना जाता है कि बोस की मौत 18 अगस्त, 1945 को हुए एक प्लेन क्रैश में हुई थी, लेकिन कुछ शोधकर्ताओं दावा करते रहे हैं कि 1945 के बाद बोस सोवियत संघ में ही रहे और उसके बाद भारत आ गए थे। 
हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया और शोधकर्ता अनुज धर को मिले क्लासिफाइड डॉक्युमेंट्स से खुलासा हुआ है कि पीएमओ ने मार्च 1996 में ही मॉस्को में भारत के राजदूत से नेताजी के गायब होने के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए कहा था। 
हालांकि, आठ महीने बाद नवंबर 1996 में विदेश मंत्रालय ने इस बारे में सरकार की मदद लेने की जगह शोध संस्था एशियाटिस सोसाइटी पर ही निर्भर रहने का मन बना लिया। माना जाता है कि संस्था के पास केजीबी आर्काइव्ज तक पहुंच थी। भारत सरकार नहीं चाहती थी कि रूस के साथ रिश्तों में कोई खटास आए। 
विदेश मंत्रालय के तत्कालीन संयुक्त सचिव (ईस्ट यूरोप) आरएल नारायण द्वारा 7 मार्च, 1996 को विदेश सचिव को भेजे गए एक क्लासिफाइड डॉक्युमेंट के मुताबिक, रूस से केजीबी आर्काइव्ज को एशियाटिक सोसाइटी के शोधकर्ताओं के लिए खोलने के लिए कहना उनके आधिकारिक बयान पर भरोसा न करने जैसा था। 
हालांकि, इस फाइल पर पीएमओ की नोटिंग से पता चलता है कि सरकार इस मामले पर आगे बढ़ना चाहती थी। पीएमओ के तत्कालीन संयुक्त सचिव ने 25 मार्च, 1996 को नोट पर लिखा, 'पीएम चाहते हैं कि मॉस्को में हमारे राजदूत इस मामले पर रूस की सरकार से जानकारी हासिल करने की कोशिश करें। यह भी बताएं कि जानकारी मांगने से रूस सरकार की क्या प्रतिक्रिया हो सकती है।' 
उसी साल 18 नवंबर को नारायण ने जवाब में लिखा कि ऐसी जानकारी हासिल करने से रूस को गलतफहमी हो सकती है। हालांकि, उसी साल 12 जनवरी को विदेश सचिव को भेजे गए एक नोट के मुताबिक सरकार ने रूस से आधिकारिक तौर पर नेताजी पर जानकारी मांगी थी, पर जवाब में कहा गया था कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि 1945 में नेताजी रूस में थे। 
गौरतलब है कि रूस में तीन तरह के आर्काइव्ज हैं। दस्तावेज जो केजीबी के पास हैं, दस्तावेज जो सरकार के पास हैं और पोलित ब्यूरो के पास मौजूद दस्तावेज। 
नारायण ने जनवरी में एक नोट भेजा और बताया कि संभवत: रूस सरकार ने बिना केजीबी के आर्काइव्ज की पड़ताल किए ही जवाब दे दिया होगा। नारायण ने कहा कि बेहतर रिसर्च के लिए सरकार को मॉस्को के राजदूत को वहां के अधिकारियों की मदद से केजीबी के आर्काइव्ज की पड़ताल करने को कहा जाए। बताया जाता है कि तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस मामले पर आनन-फानन में एक मीटिंग भी बुलाई थी। 14 जनवरी को हुई इस मीटिंग में विदेश सचिव और नारायण मौजूद थे। 
अधिकारियों ने यह भी बताया कि एशियाटिक सोसाइटी ऑफ कोलकाता और इंस्टिट्यूट ऑफ औरिएंटल स्टडीज (रूस) के समझौते के तहत शोधकर्ताओं का एक ग्रुप इस मामले की पड़ताल करने के लिए पिछले साल मॉस्को गया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि जांच केजीबी आर्काइव्ज के एक्सेस के बगैर नहीं पूरी हो पाएगी। इसके लिए उन्होंने सरकार से रूस सरकार से बात करने के लिए कहा था। 

Friday, August 14, 2015

मुस्लिमों से स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में पूरी शिद्दत से शरीक होने को कहा

स्वंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें

देश के सबसे बड़े इस्लामिक शिक्षा संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने मुस्लिमों से स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में पूरी शिद्दत से शरीक होने को कहा है । दारुल उलूम ने मुस्लिमों से कहा है कि वह जश्न-ए- आजादी के मौके पर अपने घरों और व्यावसायिक संस्थानों पर तिरंगा फहराएं और देशभक्ति की भावना के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में उलूम के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने कहा कि दारुल उलूम के नेताओं ने भी देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उस्मानी ने कहा, 'पूर्ण आजादी की मांग जो बाद में 'पूर्ण स्वराज' में तब्दील हो गई थी, का नारा पहली बार देवबंद के हुसैन अहमद मदनी और मौलवी अहमदुल्ला शाह ने ही दिया था। उनके अलावा मुस्लिम क्रांतिकारियों की बड़ी संख्या है, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर किए थे।'
उस्मानी ने कहा कि दारुल उलूम ने देश भर के मुसलमानों से अपने घरों और दफ्तरों पर तिरंगा फहराने की अपील की है। अपील के बारे में उलूम के एक और नेता मौलाना कासमी ने कहा कि हमने देश भर के मदरसों से अपील की है कि वह तिरंगा फहराएं और छात्रों को स्वाधीनता संघर्ष और देश की विविधतापूर्ण संस्कृति के बारे में जानकारी दें।
अयोध्या में एक मदरसे का संचालन करने वाले हाफिज अखलाक अहमद लतीफी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को सांप्रदायिक ताकतें हमेशा से निशाना बनाती रही हैं। वह हमेशा हमारी देशभक्ति पर सवाल उठाते हैं। हम मदरसों में छात्रों को मातृभूमि से प्रेम करना और देशभक्ति का पाठ पढ़ाते हैं। 

स्वंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें


स्वंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें
खूंखार आतंकी संगठन आईएस (इस्लामिक स्टेट) ने अपने बर्बर कारनामों के लिए धर्म का सहारा लिया है।आईएस के मुताबिक किसी विधर्मी महिला का रेप करना इस्लाम का हिस्सा है। आईएस आतंकियों की हवस का शिकार हुई 12 वर्षीय यजीदी किशोरी ने इराक में दास्तां बयां करते हुए कहा कि उसका रेप करने वाला आतंकी कह रहा था कि वह उससे बलात्कार कर कुछ भी गलत नहीं कर रहा है, क्योंकि वह इस्लाम का पालन नहीं करती है।
डेली मेल के मुताबिक धर्मांध आईएस आतंकियों ने दावा किया कि कुरान में विधर्मी महिला का रेप करना 'जायज और माफी योग्य' बताया गया है। आईएस आतंकियों ने पिछले साल 5,000 अल्पसंख्यक लड़कियों को अगवा कर लिया था, जिनमें से कई लड़कियों को उन्होंने गुलाम के तौर पर बेच दिया था।
आईएस आतंकियों की कैद में 11 महीने तक रहने वाली 12 साल की किशोरी ने न्यू यॉर्क टाइम्स की पत्रकार को बताया, 'मैंने उनसे कहा कि आप मुझे बख्श दो। आतंकी ने कहा कि इस्लाम के मुताबिक वह विधर्मी का रेप कर सकते हैं। उस आतंकी ने कहा कि मैं तेरा रेप करके खुदा के करीब जा रहा हूं।'
आईएस की कैद में नौ महीने तक रहने के बाद किसी तरह चंगुल से भाग निकलने वाली एक अन्य 15 वर्षीय किशोरी ने बताया, 'जब भी वह मेरा रेप करने आता था, तो कहता था कि यही ईश्वर की बंदगी है। उस आतंकी ने कहा था कि मुझे रेप करना ही खुदा की बंदगी है। मैंने उससे कहा कि यह तुम गलत कर रहे हो, इससे तुम खुदा के करीब नहीं जा सकते। तब उसने कहा, 'इसकी हमें अनुमति है, यह हलाल है।'

Thursday, August 13, 2015

आतंकी मुस्लिम महिलाओं की लोकप्रिय ड्रेस बुरके में

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने किश्तवाड़ टाउन से बुधवार को लश्कर-ए-तैयबा के दो संदिग्ध आतंकियों को अरेस्ट किया है। एक आतंकी मुस्लिम महिलाओं की लोकप्रिय ड्रेस बुरके में था। इन दोनों की पहचान जमाल दीन और अब्दुल करीम के रूप में हुई है। ये दोनों भाई हैं और केशवान ठकरई के रहने वाले हैं। सूत्रों का कहना है कि इन्हें चोवघाम ग्राउंड से अरेस्ट किया गया है। यही पर स्वतंत्रता दिवस की परेड होने वाली है। ये दोनों उस इलाके की रेकी करने आए थे।
दोनों गिरफ्तार आतंकी लश्कर आतंकी हबीब गुज्जर के भाई हैं। 2011 सुरक्षा बलों के जॉइंट ऑपरेशन में हबीब गुज्जर मारा गया था। जमाल को इससे पहले भी पुलिस ने आतंकी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर अरेस्ट किया था लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि जमाल को जब गिरफ्तार किया गया तब वह बुरके में था।
यहां तक कि उसने महिलाओं के जूते पहन रखे थे। लेकिन चोवघान ग्राउंड में सतर्क पुलिस वालों को इसकी गतिविधियों पर शक हुआ। पुलिस पहले से ही स्वतंत्रता दिवस को लेकर जमाल पर नजर रख रही थी। उधमपुर जिले में बीएसएफ के दल पर आतंकी हमले को लेकर पुलिस काफी सतर्कता बरत रही है। पुलिस को लश्कर की गतिविधियों को लेकर संदेश मिला था। मंगलवार को पुलिस ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया था। पुलिस को खबर थी कि आतंकियों ने कलाकोटे इलाके से एक ग्रामीण को अगवा किया है। हालांकि बाद में यह सूचना गलत साबित हुई। गायब ग्रामीण शाम तक खुद ही घर लौट आया था। इसके बावजूद पुलिस कई स्थानों पर बेहद चौकसी बरत रही थी।

नेस्ले कंपनी बाजार में मैगी को नहीं बेच पाएगी

बॉम्बे हाई कोर्ट से भी नेस्ले इंडिया को बड़ी राहत मिली है। नेस्ले इंडिया की याचिका को मंजूर करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने मैगी पर रोक के आदेश को रद्द कर दिया है। यही नहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने एपएसएसएआई से जवाब भी मांगा है। हाई कोर्ट ने पूछा है कि आखिर मैगी पर बैन क्यों लगाया गया? हालांकि, हाई कोर्ट ने फिलहाल नेस्ले को मैगी बेचने की अनुमति नहीं दी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि अभी टेस्ट की प्रक्रिया चल रही है। जब तक टेस्ट पूरा नहीं हो जाता नेस्ले कंपनी बाजार में मैगी को नहीं बेच पाएगी।
जस्टिस वी. एम. कनाड और जस्टिस वर्गीज कोलाबावाला ने नेस्ले इंडिया द्वारा दाखिल की गई याचिका पर फैसला सुनाया। मैगी के सैंपल्स में कथित रूप से लेड की मात्रा काफी ज्यादा पाए जाने के बाद मैगी के उत्पादन और बिक्री पर 5 जून को पाबंदी लगा दी गई थी। नेस्ले इंडिया ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल करके इस बैन को चुनौती दी थी।
पिछले महीने बॉम्बे हाई कोर्ट ने मैगी सैंपल्स के दोबारा परीक्षण कराने का सुझाव दिया था जिसे फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड असोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने खारिज कर दिया था। एफएसएसएआई ने तर्क दिया था कि फूड सेफ्टी ऐक्ट में दोबारा परीक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।
ध्यान रहे कि नेस्ले ने दावा किया था कि पहले के सैंपल्स का परीक्षण नोटिफाइड और मान्यताप्राप्त लैब में नहीं कराया गया।
एफएसएसएआई के अनुसार, मैगी नूडल्स के 72 में से 30 सैंपल्स में परीक्षण के दौरान हाई लेड और एमएसजी की मात्रा काफी ज्यादा पाई गई थी जबकि इसके पैकेट्स पर घोषणा की गई थी कि एमएसजी नहीं मिलाया गया।
एफएसएसएआई ने आरोप लगाया था कि नेस्ले अपनी घोषित पॉलिसी और सिद्धांतों पर अमल करने में असफल रहा है। परीक्षण में यह खुलासा हुआ है कि सीसे की मात्रा अनुमेय सीमा 2.5 पार्ट प्रति मिलियन (पीपीएम) से बहुत ही ज्यादा है। नेस्ले का दावा था कि प्रतिबंध 'गैरकानूनी, मनमाना, असंवैधानिक है जो समानता और व्यापार के अधिकार का उल्लंघन है।' नेस्ले ने दावा किया था कि इस प्रतिबंध से नैचरल जस्टिस के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है, क्योंकि इसे उचित सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। नेस्ले ने यह भी दावा किया कि इसके अपने परीक्षणों में सामने आया है कि मैगी नूडल्स सुरक्षित है और यूके, ऑस्ट्रेलिया एवं सिंगापुर समेत किसी भी देशों में इसमें कोई समस्या नहीं पाई गई है। हाई कोर्ट ने नेस्ले को मैगी को अन्य देशों में भी एक्सपोर्ट करने की अनुमति दी थी।
ध्यान रहे कि मंगलवार को अमेरिकी फूड रेग्युलेटर ने मैगी को टेस्ट में पास करते हुए कहा था कि उसके टेस्ट के हिसाब से मैगी में मौजूद सीसा अमेरिकी कन्जयूमर के लिए जायज लेवल पर है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने मैगी मामले में नेस्ले इंडिया के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मंगलवार को उपभोक्ता मंच एनसीडीआरसी से शिकायत की थी। सरकार ने नेस्ले से अपने इस लोकप्रिय नूडल ब्रैंड के मामले में अनुचित व्यापार व्यवहार में संलिप्तता, गलत जानकारी देने और गुमराह करने वाले विज्ञापन दिखाने के आरोप में 640 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी।

Monday, August 10, 2015

रामलला के अस्थाई मंदिर में तिरपालों की मरम्मत और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित स्थल पर रामलला के अस्थाई मंदिर में तिरपालों की मरम्मत और अन्य सुविधाएं उपलब्ध  कराने को अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह कार्य दो स्वतंत्र पर्यवेक्षकों की निगरानी में फैजाबाद के जिला कलेक्टर कराएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और यूपी सरकार से कहा था कि उसे अयोध्या में विवादित ढांचे के पास 'राम जन्मभूमि' स्थल पर तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने पर विचार करना चाहिए। जस्टिस ए. आर. दवे और जस्टिस कुरियन जोसेफ की बेंच ने कहा कि कुछ तो कीजिए। अगर मुमकिन हो, इस स्थान को बेहतर रखने और आगंतुकों को सुविधाएं देने की दिशा में कुछ कीजिए।
इससे पहले भी कोर्ट ने तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं के लिए BJP नेता सुब्रमण्यन स्वामी की अर्जी पर केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। स्वामी का कहना था कि भगवान राम के अनुयायी तीर्थयात्रियों को पीने के पानी और टॉइलट जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है।

Wednesday, August 5, 2015

महामंडलेश्वरों को नासिक कुंभ के पहले शाही स्नान में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया

हिंदू साधुओं के सबसे बड़े संगठन, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, ने आपराधिक मामले में आरोपी 2 महामंडलेश्वरों को नासिक कुंभ के पहले शाही स्नान में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया है। नासिक कुंभ का पहला शाही स्नान 29 अगस्त को है।
परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने हमें बताया कि उक्त प्रतिबंध साधु-संतों के बीच घुस आए आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को हटाने की मंशा से लगाया गया है। परिषद ने इसी क्रम में दो विवादित साधुओं को चिन्हित किया और उनके अखाड़ों से उन्हें प्रतिबंधित करने को कहा।
नरेंद्र ने बताया कि अपने ऊपर लगे आरोपों से बरी हो जाने के बाद ही दोनों साधुओं को धार्मिक आयोजनों में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी।
नोएडा के कथित पब और डिस्कोथेक के मालिक से साधु बने सच्चिदानंद औऱ मुंबई की राधे मां को प्रतिबंधित कर दिया गया है, वहीं इलाहाबाद के त्रिकाल भवंता के ऊपर जांच चल रही है।  आरोप है कि स्वामी सच्चिदानंद उर्फ सचिन दत्ता के खिलाफ पंजाब और हरियाणा में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। इन मामलों में धोखाधड़ी और औरों की जमीन हड़पने के मामले भी शामिल हैं। 2003 से नोएडा में रहने वाले दत्ता एक बार और डिस्कोथेक के भी मालिक थे।
पिछले शुक्रवार को गुरु पूर्णिमा के मौके पर उन्होंने सन्यास लिया। दत्ता का बालाजी कन्स्ट्रक्शन नाम से एक रीयल इस्टेट का बिजनस था। उनके पिता राजेंद्र कुमार दत्ता जो कि उत्तर प्रदेश पावर डिपार्टमेंट गाजियाबाद से एसडीओ के पद से रिटायर हुए थे, इस बिजनस में शामिल थे।
नरेंद्र गिरी ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि बार और डिस्कोथेक सचिन दत्ता के पिता का था। सचिन केवल अपने पिता की मदद करते थे। गिरी ने कहा कि जांच कमिटी इस बात की भी जांच करेगी कि दत्ता के सन्यास लेने के पीछे क्या कारण था।
पिछले एक साल से दत्ता भूमिगत था। उसके अचानक महामंडलेश्वर बन जाने की खबर सुनकर उसके पड़ोसियों समेत कई लोगों को आश्चर्य हुआ। दत्ता के पड़ोसियों का कहना है कि वह आलीशान तरीके से जीता था, जो कि एक सन्यासी की जिंदगी से बिल्कुल अलग है।
गिरी ने बताया कि राधे मां को शाही स्नान के साथ-साथ अन्य धार्मिक आयोजनों में शरीक होने से इसलिए प्रतिबंधित किया गया है कि उनपर मुंबई के कांदिवली पुलिस स्टेशन में 6 अन्य व्यक्तियों के साथ धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के साथ-साथ दहेज उत्पीड़न का भी मामला दर्ज है।
गिरी ने बताया कि उन्होंने जूना अखाड़ा के प्रमुख हरि गिरि को पत्र लिखकर राधे मां को रोकने के लिए कहा है। उन्होंने बताया कि राधे मां पहले भी कई तरह के विवादों में शामिल रही हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले जनता में गलत संदेश भेजते हैं।
गिरी ने यह भी कहा कि इन सब बातों के मद्देनजर सख्त कदम उठाने का समय आ गया है। त्रिकाल भवंता के बारे में बोलते हुए गिरी ने कहा कि इस तरह के महंतों और महामंडलेश्वरों की पहचान का काम जारी है। एक बार उक्त लोगों के खिलाफ रिपोर्ट मिल जाने के बाद ही फैसले पर विचार किया जाएगा।

बहन का जीन्स-टी शर्ट पहनना - मौत

अपनी 17 साल की बहन का जीन्स-टी शर्ट पहनना और लड़कों से बात करना उसके 19 साल के भाई को इतना नागवार गुजरा कि उसने बहन की जमकर पिटाई कर दी। सोमवार रात को हुई इस घटना के बाद लड़की को गहरी चोटें आई। चोट के कारण ही उसकी मौत भी हो गई।
ओंकार सुनील लाड नाम के युवक को हालांकि गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन इस एक घटना से समाज में महिलाओं की हालत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
पुलिस के मुताबिक, पीड़िता का नाम ऐश्वर्या था। उसके भाई सुनील को शक था कि ऐश्वर्या का किसी लड़के के साथ कोई प्रेम संबंध है।
लक्ष्मीपुरी पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर धन्याकुमार गोडसे ने बताया कि जब ऐश्वर्या ने सुनील के आरोपों से इनकार किया तो उसे गुस्सा आ गया और उसने पहले तो ऐश्वर्या को एक लकड़ी के डंडे से और फिर परदे के डंडे से मारा। ऐश्वर्या के सिर पर गहरी चोट आई और काफी खून निकलने के कारण वह बेहोश हो गई।
पुलिस ने बताया कि घटना के समय सुनील की मां गर पर ही मौजूद थीं। मां और बहन के होने का सुनील पर कोई असर नहीं पड़ता था। वह अपनी मनमर्जी करके ही मानता था। भाई-बहन के बीच की लड़ाई में जब मां ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो उन्हें भी हल्की चोटें आईं।

Tuesday, August 4, 2015

ऐडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को उ 12वीं बोर्ड के मार्क्स की जरूरत नहीं

अगले साल या साल 2017 से आईआईटी के अलावा किसी भी केंद्रीय इंजिनियरिंग संस्थान में ऐडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को उनके क्लास 12वीं बोर्ड के मार्क्स की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर मानव एवं संसाधन विकास मंत्रालय ने सेंट्रल सीट ऐलोकेशन बोर्ड (CSAB) के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी तो ऐसा हो सकता है। वहीं, अथॉरिटीज को ऐडमिशन के लिए ज्यादा समय चाहिए इसलिए अगले साल से कॉम्पिटिटिव एग्जाम थोड़ा पहले कराए जा सकते हैं।
बोर्ड्स की ओर से सीबीएसई के पास क्लास 12वीं के स्कोर्स सब्मिट करवाने में होने वाली देरी और इस साल के ऐडमिशन प्रोसेस के दौरान कुछ स्टूडेंट्स के स्कोर्स में गड़बड़ी को देखते हुए CSAB ने केवल JEE मेन के स्कोर्स के आधार पर ही ऐडमिशन देने का प्रस्ताव बनाया है। इसका मतलब NITs और अन्य सरकारी सहायता प्राप्त तकनीकी संस्थानों में ऐडमिशन के लिए क्लास 12वीं के स्कोर्स को दी जाने वाली 40% वेटेज खत्म हो सकती है।
जॉइंट सीट ऐलोकेशन अथॉरिटी का हिस्सा CSAB इस साल की ऐडमिशन रिपॉर्ट में यह प्रस्ताव रखेगा। NIT पटना से CSAB के कोऑर्डिनेटर एम. पी. सिंह (जो JoSAA 2015 का हिस्सा भी थे) का कहना है कि देश के 47 हायर सेकंडरी बोर्ड्स में से कई बोर्ड्स समय पर सीबीएसई को अपने स्कोर्स नहीं भेजते हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स के हित को ध्यान में रखते हुए हम सिर्फ जेईई मेन के स्कोर्स के आधार पर ही ऐडमिशन करने का प्रस्ताव रखेंगे। गौरतलब है कि इस साल पहली बार किया गया जॉइंट सीट ऐलोकेशन प्रोसेस एक हफ्ते देरी से हुआ क्योंकि सीबीएसई को बोर्ड्स की ओर से समय पर क्लास 12वीं के स्कोर्स नहीं मिले थे। इस वजह से टॉप संस्थानों में ऐकडेमिक सेशन में भी देरी हुई।
JoSAA
के एक अन्य अफसर ने बताया कि इस बार कुछ ऐसे स्टूडेंट्स भी थे जिनके मार्क्स उनके 12वीं के असल मार्क्स से ज्यादा थे। ऐसे स्टूडेंट्स को उनके बढ़े हुए स्कोर के आधार पर जॉइंट सीट ऐलोकेशन प्रोसेस में सीट मिल गई। जहां CSAB बदलाव का प्रस्ताव रखने जा रहा है, वहीं, जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन ऐपेक्स बोर्ड ने भी एक सब-कमिटी बनाई है जो जेईई मेन रैंक्स अलॉट करने के प्रोसेस की समीक्षा करेगी। जेईई के पूर्व चेयरमैन का कहना है कि हमें सभी राज्य बोर्ड्स को भी ध्यान में रखना है। कुछ राज्यों में 12वीं क्लास के एग्जाम अप्रैल अंत में होते हैं और हमें कैंडिडेट्स को कॉम्पिटिटिव टेस्ट्स से पहले आराम देने की भी जरूरत है।

हाफिज सईद के परिवार के सदस्यों पर भारत ने शिकंजा कसने का फैसला

लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद के परिवार के सदस्यों पर भारत ने शिकंजा कसने का फैसला किया है।  विदेश मंत्रालय हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद, हाफिज के भाई अब्दुर रहमान मक्की और लश्कर के पूर्व प्रवक्ता हाफिज अब्दुर रऊफ के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंध की मांग करने वाला प्रस्ताव बना रहा है। रऊफ लश्कर का एक चैरिटेबल संगठन चलाता है।  केंद्र सरकार के सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि यह कदम अमेरिका और भारत मिलकर उठाएंगे ताकि हाफिज से जुड़े इन तीनों लोगों को अल-कायदा सैंक्शंस कमिटी के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी करार दिया जा सके।
हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी भारत ने ऐसा प्रस्ताव पास कराने की कोशिश की थी, लेकिन उसमें चीन ने अड़ंगा लगा दिया था।
विदेश मंत्रालय का यूएनपी डिविजन यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र को भेजेगा। इससे पहले खुफिया एजेंसियों ने इन तीनों के बारे में एक डॉसियर तैयार किया था। इन तीनों पर अमेरिका का वित्त मंत्रालय पहले ही प्रतिबंध लगा चुका है।
वहीं, रऊफ की चैरिटेबल संस्था फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन को अमेरिका के विदेश विभाग ने 2010 में आतंकवादी इकाई घोषित कर दिया था। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंध लगाने से इन तीनों के खिलाफ भारत का मामला मजबूत होगा।'
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वर्षीय तल्हा सईद 2005 से ही लश्कर के प्रचार ऑपरेशंस का इंचार्ज है। शक है कि वह लश्कर के रेडियो ऑपरेशंस और मैगजीन का काम पाकिस्तान के लाहौर में जौहर कस्बे से चलाता है।
तल्हा के खिलाफ 2012 में अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंध के आदेश में कहा गया है कि वह लश्कर के मीडिया ऑपरेशंस के लिए वेबसाइट्स पर काम करता था। इसमें कहा गया था, 'तल्हा ने 2009 में लश्कर का ऐसा ग्रुप बनाया, जिसका इस्तेमाल लश्कर के मनमाफिक स्टोरीज लिखने के एवज में पत्रकारों को पैसे देने के लिए करने की योजना थी।'
हाफिज के भाई मक्की को लश्कर के विदेश मामलों का इंचार्ज बताया जाता है। अमेरिका ने कहा है कि तल्हा लश्कर की विदेशी फंडिंग में को-ऑर्डिनेशन के लिए मक्की को रिपोर्ट करता था।

Monday, August 3, 2015

टैक्स रिटर्न फाइल करने के नियमों में कई बदलाव

इस साल फाइनैंस मिनिस्ट्री ने टैक्स रिटर्न फाइल करने के नियमों में कई बदलाव किए हैं। नए फॉर्म लाए गए हैं। टैक्सपेयर्स से अतिरिक्त सूचनाएं मांगी जा रही हैं और रिटर्न फाइलिंग के प्रोसेस को पूरी तरह पेपरलेस कर दिया गया है। टैक्सपेयर्स होने के नाते आपको इनके बारे में जानना चाहिए, नहीं तो आप गलत रिटर्न फाइल कर सकते हैं, जिसे रिजेक्ट किया जा सकता है। हम नए टैक्स फाइलिंग प्रोसेस और डॉक्युमेंटेशन के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
कई टैक्सपेयर्स मानते हैं कि अगर उन पर कोई टैक्स लायबिलिटी नहीं है या उन्होंने सारे टैक्स चुका दिए हैं तो उन्हें रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं है। यह गलत सोच है। ClearTax.in के फाउंडर और सीईओ अर्चित गुप्ता ने बताया, 'इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपने टैक्स दिया है या नहीं। अगर आपका सारा टैक्स आपकी कंपनी और बैंक ने टीडीएस के जरिये चुका दिया है या आपने अडवांस टैक्स दिया है तो भी सालाना इनकम 2.5 लाख रुपये से अधिक होने पर आपको रिटर्न फाइल करना पड़ेगा।' हालांकि, उससे पहले हम यह बता रहे हैं कि इस साल के टैक्स फाइलिंग रूल्स में क्या बदलाव किए गए हैं।
इस साल टैक्स रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है। हालांकि, इसमें बिना वजह की देरी ठीक नहीं है। अगर आपके पास सारे डॉक्युमेंट्स (फॉर्म 16, बैंक स्टेटमेंट, टीडीएस डिटेल्स, कैपिटल गेंस स्टेटमेंट) हैं, तो जल्द से जल्द रिटर्न फाइल कीजिए।
फॉरन ट्रिप्स और बिना इस्तेमाल वाले बैंक खातों के बारे में जानकारी अनिवार्य किए जाने पर खूब हो-हल्ला मचा। इस वजह से सरकार को नए आईटीआर फॉर्म्स को रिवाइज करने पर मजबूर होना पड़ा। रिवाइज्ड फॉर्म्स सिंपल हैं और इन्हें भरने में भी कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। आईटीआर फॉर्म्स में बदलाव के बाद भले ही आपको 14 पन्ने का रिटर्न फाइल नहीं करना पड़ेगा, लेकिन कुछ प्रस्तावित बदलावों को फाइनैंस मिनिस्ट्री ने बनाए रखा है।
जो इंडिविजुअल्स और एचयूएफ एक से ज्यादा प्रॉपर्टी रखते हैं, लेकिन उन्हें टैक्सेबल कैपिटल गेंस, बिजनस या प्रफेशन या फॉरन ऐसेट्स से इनकम नहीं हो रही है, उनके लिए नया तीन पन्ने का आईटीआर 2ए फॉर्म लाया गया है। एग्जेम्ट इनकम होने पर भी इंडिविजुअल्स आईटीआर-1 (सरल) फॉर्म भर सकते हैं। पहले 5,000 रुपये से ज्यादा एग्जेम्ट इनकम होने पर इंडिविजुअल्स को इस फॉर्म को भरने की इजाजत नहीं थी। हालांकि, जिन इंडिविजुअल्स की ऐग्रिकल्चरल इनकम 5,000 रुपये से अधिक है, वे अभी भी इस फॉर्म का इस्तेमाल नहीं कर सकते।  जो टैक्सपेयर्स रिफंड की मांग करने वाले हैं, उनके लिए टैक्स की ई-फाइलिंग जरूरी कर दी गई है। अगर उनकी इनकम 5 लाख रुपये से कम है, तो भी उन्हें ऑनलाइन रिटर्न फाइल करना होगा। हालांकि, यह रूल 80 साल से अधिक उम्र वाले सीनियर सिटिजंस पर लागू नहीं होगा। वे फिजिकल मोड में अब भी रिटर्न भर सकते हैं। हालांकि, ई-फाइलिंग के अपने फायदे हैं। Taxspanner.com के को-फाउंडर और डायरेक्टर सुधीर कौशिक ने बताया, 'अगर आपने ऑनलाइन रिटर्न फाइल किया है तो इसे तेजी से प्रोसेस किया जाता है और रिफंड भी जल्द मिलता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट रिफंड को सीधे आपके बैंक अकाउंट में भेजता है। टैक्सपेयर्स ऑनलाइन टैक्स रिटर्न की प्रोसेसिंग का स्टेटस भी ट्रैक कर सकते हैं।'
अगर आपको टैक्स फॉर्म्स और रूल्स की जानकारी है तो आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर जाकर खुद ही रिटर्न फाइल कर सकते हैं। कुछ पोर्टल्स भी फ्री में रिटर्न फाइल करने की सुविधा देते हैं। वहीं, दूसरे इसमें मदद के बदले मामूली फीस लेते हैं। अगर आपको लग रहा है कि खुद रिटर्न फाइल करना संभव नहीं है तो प्रफेशनल्स की मदद लेने में कोई बुराई नहीं है। इसके लिए कुछ पैसा तो खर्च करना पड़ता है, लेकिन टैक्स रिटर्न में कोई गलती नहीं होती।
नए फॉर्म में प्रॉपर्टी के स्टेटस के लिए 'डीम्ड टु बी लेटआउट' और 'लेटआउट' के लिए अलग कॉलम दिए गए हैं। इसका मतलब यह है कि भले ही आपका दूसरा घर खाली पड़ा हो, आपको उस पर टैक्स देना पड़ेगा। आपकी प्रॉपर्टी जिस एरिया में है, वहां के रेंट के हिसाब से नोशनल इनकम पर टैक्स चुकाना पड़ेगा। प्रॉपर्टी बेचने के मामले में आपको सावधानी से कैपिटल गेंस चुकाना चाहिए क्योंकि नए फॉर्म में बची हुई रकम के बारे में जानकारी मांगी गई है ताकि इस पर लॉन्ग और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस का पता लगाया जा सके। डेलॉयट हास्किंस ऐंड सेल्स की पार्टनर ताप्ती घोष ने बताया, 'अगर प्रॉपर्टी देश से बाहर है तो नए फॉर्म में टैक्सपेयर को कैपिटल गेन इनकम की जानकारी देनी होगी और टैक्स रिलीफ का भी ब्योरा देना पड़ेगा।'
आप जिस टैक्स स्लैब में आते हैं, उस हिसाब से रिटर्न फाइल करते वक्त कैपिटल गेंस की जानकारी अलग से देनी पड़ेगी। अगर आपने कैपिटल गेंस अकाउंट स्कीम में कोई पैसा डिपॉजिट किया है तो आपको उस साल के बारे में बताना होगा, जब एसेट ट्रांसफर किया गया था। वहीं, जिस सेक्शन के तहत उस पर एग्जेम्पशन की मांग की गई थी, उसकी भी जानकारी देनी होगी। आपको बताना होगा कि किस साल में नया ऐसेट खरीदा गया है और उसके लिए कितना पैसा खर्च किया गया। कैपिटल गेंस अकाउंट में बची हुई रकम की जानकारी भी देनी पड़ेगी।
रिवाइज्ड फॉर्म्स में प्रस्तावित फॉर्म के मुकाबले बहुत सवाल नहीं पूछे जा रहे हैं। हालांकि, फॉरन इनकम और ऐसेट्स के बारे में आपको कई जानकारियां देनी पड़ेंगी। नए फॉर्म में फॉरन ट्रिप के दौरान खर्च की गई रकम की जानकारी नहीं मांगी गई है, लेकिन फॉरन इनकम का ब्योरा देना पड़ेगा। इसमें रकम, नेचर ऑफ इनकम, टैक्सेबिलिटी, देश इन सबकी जानकारी देनी पड़ेगी। अगर आपने डबल टैक्सेशन अवॉयडेंस अग्रीमेंट (डीटीएए) के तहत टैक्स छूट क्लेम की है तो रिटर्न में उसका ब्योरा होना चाहिए।
इसी तरह से अगर आपके पास विदेश में कोई प्रॉपर्टी है तो मालिकाना हक (सीधे या बेनेफिशरी के तौर पर), उसे खरीदने की तारीख, प्रॉपर्टी से हुई इनकम और टैक्स के लिए दिखाई गई रकम के बारे में बताना होगा। अगर किसी फॉरन एंटिटी में आपका फाइनैंशल इंटरेस्ट है तो उसके बारे में भी बताना जरूरी कर दिया गया है। मालिकाना हक रखने वालों के अलावा विदेश में किसी ऐसेट्स के बेनेफिशिज या उससे हुई इनकम की जानकारी आईटीआर फॉर्म में देना जरूरी कर दिया गया है।
इस साल से ज्यादातर टैक्सपेयर्स के लिए सही अर्थों में ई-फाइलिंग पेपरलेस हो गई है। अब तक ई-फाइलिंग के बाद साइन किया हुआ आईटीआर-V फॉर्म बेंगलुरु में सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर में भेजना पड़ता था। इसका मकसद टैक्सपेयर की आइडेंटिटी की पहचान करना था। अब इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (ईवीसी) के जरिये इलेक्ट्रॉनिक तरीके से आइडेंटिटी रिटर्न्स को वेरिफाई किया जा सकता है। 10 डिजिट वाला ईवीसी एक शब्दों और अंकों वाला कोड है, जो हर पैन के लिए यूनीक होगा। यह ई-फाइलिंग करने वाले का इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन होगा। एचयूएफ के मामले में कर्ता का ईवीसी वेरिफिकेशन होगा। इस बारे में Makemyreturns.com के को-फाउंडर विक्रम रामचंद ने कहा, 'बड़ी बाधा खत्म हो गई है। इससे ई-फाइलिंग का काम वाकई पेपरलेस हो गया है।' इस साल से आईटीआर में आधार कार्ड होल्डर्स के लिए भी जगह दी गई है, जहां वे यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर का जिक्र कर सकते हैं। आधार उन चार तरीकों में से एक है, जिसके जरिये टैक्सपेयर की पहचान तय होगी। हालांकि, अगर आप इस मोड का इस्तेमाल नहीं करना चाहते तो आईटीआर V को मेल के जरिये सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर भेज सकते हैं।