महाराष्ट्र सरकार की 'मनोधैर्य
योजना' में
रिश्वत का मामला सामने आया है। पुणे के सामाजिक कल्याण इंस्पेक्टर को रेप
पीड़िता से 4000 रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
रेप पीड़िता की बहन ने पहले तो वित्तीय मदद के लिए समाज कल्याण विभाग के चक्कर लगाए, फिर 1.2 लाख की राशि जारी हुई, जिसके एवज में इंस्पेक्टर श्रीकांत सावंत ने 5000 रिश्वत की मांगी। मोलभाव के बाद श्रीकांत 4000 रिश्वत लेकर मुआवजा राशि जारी करने पर तैयार हुआ।
ऐंटी करप्शन ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया कि हमने रिश्वत मांगने वाले की पूरी आवाज रेकॉर्ड की है, जिसमें तारीख, दिन व रिश्वत देने के लिए चिन्हित हुई जगह का भी जिक्र है। अधिकारी ने बताया कि मामले में साफ तौर पर यह साबित हो चुका है कि रिश्वत मांगी गई थी; इसी आधार पर श्रीकांत को गिरफ्तार कर लिया गया है।
एक सीनियर अफसर ने बताया कि जांच जारी है, जब तक मामले में कुछ साबित नहीं हो जाता, आरोपी को सस्पेंड कर देना चाहिए। उन्होंने बताया कि सरकार को ऐसे मामलों में मुआवजा राशि ऑनलाइन पहुंचानी चाहिए, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना शून्य रहे।
उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में पीड़ित के रिश्तेदार राशि के लिए सामाजिक कल्याण विभाग दफ्तर के चक्कर लगाते हैं, जो वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है। महाराष्ट्र सरकार ने 2 अक्टूबर 2013 के दिन मनोधैर्य योजना की नींव रखी थी। इस योजना के तहत 2-3 लाख तक की राशि पीड़ितों को देने का प्रावधान किया गया था।
रेप पीड़िता की बहन ने पहले तो वित्तीय मदद के लिए समाज कल्याण विभाग के चक्कर लगाए, फिर 1.2 लाख की राशि जारी हुई, जिसके एवज में इंस्पेक्टर श्रीकांत सावंत ने 5000 रिश्वत की मांगी। मोलभाव के बाद श्रीकांत 4000 रिश्वत लेकर मुआवजा राशि जारी करने पर तैयार हुआ।
ऐंटी करप्शन ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया कि हमने रिश्वत मांगने वाले की पूरी आवाज रेकॉर्ड की है, जिसमें तारीख, दिन व रिश्वत देने के लिए चिन्हित हुई जगह का भी जिक्र है। अधिकारी ने बताया कि मामले में साफ तौर पर यह साबित हो चुका है कि रिश्वत मांगी गई थी; इसी आधार पर श्रीकांत को गिरफ्तार कर लिया गया है।
एक सीनियर अफसर ने बताया कि जांच जारी है, जब तक मामले में कुछ साबित नहीं हो जाता, आरोपी को सस्पेंड कर देना चाहिए। उन्होंने बताया कि सरकार को ऐसे मामलों में मुआवजा राशि ऑनलाइन पहुंचानी चाहिए, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना शून्य रहे।
उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में पीड़ित के रिश्तेदार राशि के लिए सामाजिक कल्याण विभाग दफ्तर के चक्कर लगाते हैं, जो वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है। महाराष्ट्र सरकार ने 2 अक्टूबर 2013 के दिन मनोधैर्य योजना की नींव रखी थी। इस योजना के तहत 2-3 लाख तक की राशि पीड़ितों को देने का प्रावधान किया गया था।
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