काला धन छिपाने के लिए आप भाग तो सकते हैं लेकिन टैक्स अथॉरिटीज से बच नहीं
सकते हैं। जो कंपनियां या व्यक्ति कानून से बचने के लिए भारतीय 'निवासी'
होने की अपनी स्थिति को छिपाना चाहेंगे काला धन पर नया कानून उनके प्रयास को
विफल कर देगा।
अगर किसी व्यक्ति के पास अघोषित विदेशी संपत्ति है और यह संपत्ति उस समय ली गई थी जब वह भारतीय निवासी था तो उसके निवास बदल लेने के बाद भी टैक्स अथॉरिटीज ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकेंगी। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, 'अगर विदेशी संपत्ति भारतीय निवासी रहते हुए अधिग्रहित की गई और घोषणा नहीं की तो बाद में निवास बदलने के बाद भी उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।'
1 अप्रैल को प्रभाव में आए काला धन (अघोषित विदेशी आय एवं संपत्ति) एवं टैक्स बिल अधिरोपण, 2015 के तहत सभी 'निवासी' भारतीय को अपनी विदेशी संपत्ति का टैक्स अथॉरिटीज को खुलासा करना होगा। ऐसी खबरें आई हैं कि विदेश में संपत्ति रखने वाले लोग कानून की पहुंच से बचने के लिए दुबई और सिंगापुर में निवास बदल कर रह रहे हैं। टैक्स एक्सपर्ट्स ने बताया कि कानून से कैसे निपटा जाए इस बारे में गौर कर रहे हैं।
एक व्यक्ति को भारत का निवासी समझा जाता है अगर वह किसी खास वित्त वर्ष के दौरान 182 दिनों या उससे ज्यादा दिनों तक भारत में रहता है या किसी खास वित्त वर्ष में 60 दिनों तक देश में रहता है और इससे पहले के चार वित्त वर्ष में भारत में 365 या इससे ज्यादा दिनों तक भारत में रहा हो।
एक कंपनी को उस स्थिति में निवासी माना जाता है जब यह स्थानीय वेंचर होती है या इसे देश से ही नियंत्रित और प्रबंधित किया जाता है। एक टैक्स अधिकारी ने बताया कि काले धन के नए कानून में निवास में बदलाव को भी कवर किया गया है और इसीलिए एक कंप्लायंस विंडों का प्रस्ताव रखा गया है। अधिकारी ने बताया, 'जब कोई व्यक्ति अपने निवास को कानून के समक्ष बदल दे और उसके बाद उसकी संपत्ति के बारे में पता चलता है और यह संपत्ति उस समय उसकी आय का हिस्सा रही हो जब वह भारतीय निवासी था और टैक्स अथॉरिटीज के समक्ष इसका खुलासा नहीं किया।' लॉ फर्म खैतान ऐंड कंपनी के पार्टनर इस बात से सहमत दिखे कि इस तरह के बदलाव से कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा, 'विदेश में अपनी निवास बदल लेने भर से कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि अपराध उस समय से संबंधित है जब संबंधित व्यक्ति भारत का निवासी था।'
इस कानून में कंप्लायंस विंडो का प्रावधान है। यह कानून काला धन पर अंकुश लगाने की नरेंद्र मोदी सरकार की पहल का एक हिस्सा है। जिनलोगों के पास विदेश में संपत्ति है, वे मुकदमे से बचने के लिए 30 फीसदी टैक्स और 30 फीसदी पेनल्टी भर सकते हैं। विंडो के बंद होने के बाद टैक्स अथॉरिटीज अन्य देशों से प्राप्त सूचना के आधार पर नए कानून के तहत कार्रवाई कर सकेंगी। भारतीय द्वारा खरीदी गई संपत्तियों पर कई टैक्स हैवन्स (वे देश जहां लोग टैक्स से बचने के लिए पैसा जमा करते हैं) से जानकारी मिलनी शुरू हो गई है। अघोषित विदेशी आय पर मुकदमा चलाने के अलावा 30 फीसदी टैक्स और 90 फीसदी पेनल्टी ली जाएगी।
अगर किसी व्यक्ति के पास अघोषित विदेशी संपत्ति है और यह संपत्ति उस समय ली गई थी जब वह भारतीय निवासी था तो उसके निवास बदल लेने के बाद भी टैक्स अथॉरिटीज ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकेंगी। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, 'अगर विदेशी संपत्ति भारतीय निवासी रहते हुए अधिग्रहित की गई और घोषणा नहीं की तो बाद में निवास बदलने के बाद भी उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।'
1 अप्रैल को प्रभाव में आए काला धन (अघोषित विदेशी आय एवं संपत्ति) एवं टैक्स बिल अधिरोपण, 2015 के तहत सभी 'निवासी' भारतीय को अपनी विदेशी संपत्ति का टैक्स अथॉरिटीज को खुलासा करना होगा। ऐसी खबरें आई हैं कि विदेश में संपत्ति रखने वाले लोग कानून की पहुंच से बचने के लिए दुबई और सिंगापुर में निवास बदल कर रह रहे हैं। टैक्स एक्सपर्ट्स ने बताया कि कानून से कैसे निपटा जाए इस बारे में गौर कर रहे हैं।
एक व्यक्ति को भारत का निवासी समझा जाता है अगर वह किसी खास वित्त वर्ष के दौरान 182 दिनों या उससे ज्यादा दिनों तक भारत में रहता है या किसी खास वित्त वर्ष में 60 दिनों तक देश में रहता है और इससे पहले के चार वित्त वर्ष में भारत में 365 या इससे ज्यादा दिनों तक भारत में रहा हो।
एक कंपनी को उस स्थिति में निवासी माना जाता है जब यह स्थानीय वेंचर होती है या इसे देश से ही नियंत्रित और प्रबंधित किया जाता है। एक टैक्स अधिकारी ने बताया कि काले धन के नए कानून में निवास में बदलाव को भी कवर किया गया है और इसीलिए एक कंप्लायंस विंडों का प्रस्ताव रखा गया है। अधिकारी ने बताया, 'जब कोई व्यक्ति अपने निवास को कानून के समक्ष बदल दे और उसके बाद उसकी संपत्ति के बारे में पता चलता है और यह संपत्ति उस समय उसकी आय का हिस्सा रही हो जब वह भारतीय निवासी था और टैक्स अथॉरिटीज के समक्ष इसका खुलासा नहीं किया।' लॉ फर्म खैतान ऐंड कंपनी के पार्टनर इस बात से सहमत दिखे कि इस तरह के बदलाव से कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा, 'विदेश में अपनी निवास बदल लेने भर से कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि अपराध उस समय से संबंधित है जब संबंधित व्यक्ति भारत का निवासी था।'
इस कानून में कंप्लायंस विंडो का प्रावधान है। यह कानून काला धन पर अंकुश लगाने की नरेंद्र मोदी सरकार की पहल का एक हिस्सा है। जिनलोगों के पास विदेश में संपत्ति है, वे मुकदमे से बचने के लिए 30 फीसदी टैक्स और 30 फीसदी पेनल्टी भर सकते हैं। विंडो के बंद होने के बाद टैक्स अथॉरिटीज अन्य देशों से प्राप्त सूचना के आधार पर नए कानून के तहत कार्रवाई कर सकेंगी। भारतीय द्वारा खरीदी गई संपत्तियों पर कई टैक्स हैवन्स (वे देश जहां लोग टैक्स से बचने के लिए पैसा जमा करते हैं) से जानकारी मिलनी शुरू हो गई है। अघोषित विदेशी आय पर मुकदमा चलाने के अलावा 30 फीसदी टैक्स और 90 फीसदी पेनल्टी ली जाएगी।
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