फर्जी डिग्री और सर्टिफिकेट के कई मामले हाल के दिनों में सामने आए हैं। एक
मामले में एयर इंडिया के एक पायलट को 12वीं क्लास का जाली सर्टिफिकेट देने के आरोप में निलंबित किया गया। दिल्ली
के पूर्व कानूम मंत्री जितेंद्री सिंह तोमर फर्जी डिग्री मामले में जेल में है।
गोवा के मंत्री सुदीन धावलिकर की ग्रेजुएशन की डिग्री पर सवाल उठ रहे हैं। हाल ही
में एयर इंडिया के एक पायलट को 12 क्लास का जाली सर्टिफिकेट देने के आरोप में निलंबित किया गया।
एंप्लॉयमेंट बैकग्राउंड चेक सर्विस प्रदान करने वाली एक फर्म हायर राइट की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 'जनवरी 2014 से अप्रैल 2015 तक भारत में कुल 2 लाख निरीक्षण किए गए जिनमें से 23 फीसदी में त्रुटियां पाईं गईं।
बेंगलुरु में वेरिफिकेशन कंपनी आईबीसी इंडिया के प्रमुख कामेश किरण ने बताया, 'भारत में हजारों फर्जी यूनिवर्सिटीज और संस्थान हैं।' आईबीसी इंडिया हर महीने आईटी, फार्मा एवं निर्माण कंपनियों के लिए करीब 7,000 चेक करती है। उनको शैक्षणिक योग्यताओं में 30 फीसदी त्रुटि मिलती है।
किरण ने बताया, 'पिछले 3 सालों में फर्जी सर्टिफिकेट की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। एक प्रमुख आईटी कंपनी में काम करने वाला व्यक्ति हर महीने करीब 2.75 लाख रुपये कमा रहा था। उनको 3 साल बाद कंपनी से निकाल दिया गया क्योंकि वह अपनी पत्नी के सर्टिफिकेट पर जॉब कर रहे थे। जब उनको हायर किया गया था उन्होंने कंपनी की आंतरिक जांच में बेवकूफ बनाया था। बाद में जब पत्नी से अनबन हो गई तो पत्नी ने भंडा फोड़ दिया जिसके बाद उनकी हकीकत सामने आई।
केपीएमजी इंडिया में फॉरेंसिक सर्विसेज प्रमुख एवं पार्टनर संदीप धुपिया का कहना है कि त्रुटियां पूर्व रोजगार एवं शिक्षा जैसे दो क्षेत्रों में ज्यादा होती हैं। वह एक महीने में करीब 50,000 चेक करते हैं। उन्होंने बताया, 'हम बीपीओ सेक्टर के लिए ज्यादा फर्जीवाड़ा देखते हैं।'
एक अग्रणी वेरिफिकेशन एजेंस फर्स्ट अडवांटेज को त्रुटियों के स्तर में 2014 के 10.5 फीसदी की तुलना में 2015 के पहले क्वॉर्टर में ही 11.4 फीसदी बढ़ोतरी मिली है। एजेंसी की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि दिल्ली, रांची और कानपुर शिक्षा से जुड़े फर्जीवाड़ों के मामले में सबसे टॉप पर है जबकि बेंगलुरु, मुंबई और चेन्नै में रोजगार से संबंधी फर्जीवाड़ा सर्वाधिक होता है। फर्स्ट अडवांटेज के एमडी और एसवीपी नवीन चुग ने बताया, 'बहुत सी ऐसी कंपनियां हैं जो अस्थाई रूप से खुलती हैं और फर्जी सर्टिफिकेट देती हैं।'
शिक्षा और रोजगार से जुड़ी गलत जानकारी सिर्फ फ्रेशर ही नहीं देते हैं बल्कि सीईओ और सीएफओ भी हकीकत नहीं बताते हैं। मुंबई स्थित बैकग्राउंड स्क्रीनिंग और वेरिफिकेशन कंपनी वेरिफैक्ट्स की सरीता देवरुखकर ने बताया, 'सीईओ फर्जी सैलरी स्लिप और पद का प्रमाण देते हैं।
एंप्लॉयमेंट बैकग्राउंड चेक सर्विस प्रदान करने वाली एक फर्म हायर राइट की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 'जनवरी 2014 से अप्रैल 2015 तक भारत में कुल 2 लाख निरीक्षण किए गए जिनमें से 23 फीसदी में त्रुटियां पाईं गईं।
बेंगलुरु में वेरिफिकेशन कंपनी आईबीसी इंडिया के प्रमुख कामेश किरण ने बताया, 'भारत में हजारों फर्जी यूनिवर्सिटीज और संस्थान हैं।' आईबीसी इंडिया हर महीने आईटी, फार्मा एवं निर्माण कंपनियों के लिए करीब 7,000 चेक करती है। उनको शैक्षणिक योग्यताओं में 30 फीसदी त्रुटि मिलती है।
किरण ने बताया, 'पिछले 3 सालों में फर्जी सर्टिफिकेट की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। एक प्रमुख आईटी कंपनी में काम करने वाला व्यक्ति हर महीने करीब 2.75 लाख रुपये कमा रहा था। उनको 3 साल बाद कंपनी से निकाल दिया गया क्योंकि वह अपनी पत्नी के सर्टिफिकेट पर जॉब कर रहे थे। जब उनको हायर किया गया था उन्होंने कंपनी की आंतरिक जांच में बेवकूफ बनाया था। बाद में जब पत्नी से अनबन हो गई तो पत्नी ने भंडा फोड़ दिया जिसके बाद उनकी हकीकत सामने आई।
केपीएमजी इंडिया में फॉरेंसिक सर्विसेज प्रमुख एवं पार्टनर संदीप धुपिया का कहना है कि त्रुटियां पूर्व रोजगार एवं शिक्षा जैसे दो क्षेत्रों में ज्यादा होती हैं। वह एक महीने में करीब 50,000 चेक करते हैं। उन्होंने बताया, 'हम बीपीओ सेक्टर के लिए ज्यादा फर्जीवाड़ा देखते हैं।'
एक अग्रणी वेरिफिकेशन एजेंस फर्स्ट अडवांटेज को त्रुटियों के स्तर में 2014 के 10.5 फीसदी की तुलना में 2015 के पहले क्वॉर्टर में ही 11.4 फीसदी बढ़ोतरी मिली है। एजेंसी की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि दिल्ली, रांची और कानपुर शिक्षा से जुड़े फर्जीवाड़ों के मामले में सबसे टॉप पर है जबकि बेंगलुरु, मुंबई और चेन्नै में रोजगार से संबंधी फर्जीवाड़ा सर्वाधिक होता है। फर्स्ट अडवांटेज के एमडी और एसवीपी नवीन चुग ने बताया, 'बहुत सी ऐसी कंपनियां हैं जो अस्थाई रूप से खुलती हैं और फर्जी सर्टिफिकेट देती हैं।'
शिक्षा और रोजगार से जुड़ी गलत जानकारी सिर्फ फ्रेशर ही नहीं देते हैं बल्कि सीईओ और सीएफओ भी हकीकत नहीं बताते हैं। मुंबई स्थित बैकग्राउंड स्क्रीनिंग और वेरिफिकेशन कंपनी वेरिफैक्ट्स की सरीता देवरुखकर ने बताया, 'सीईओ फर्जी सैलरी स्लिप और पद का प्रमाण देते हैं।
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