अरविंद केजरीवाल की आम आदमी
पार्टी (आप) दिल्ली विधानसभा की चुनावी जंग में बीजेपी को पस्त करती दिख रही है। द
इकनॉमिक टाइम्स के लिए पोलिंग फर्म टीएनएस ने जो ताजा ओपिनियन पोल कराया है, उससे पता चल रहा है कि 'आप' को बहुमत मिल सकता है। सोमवार
को ही एबीपी न्यूज और नील्सन के ओपिनियन पोल में भी 'आप' को 35 सीटों और 37% वोटों के साथ साफ बढ़त दी गई। इसके मुताबिक, बीजेपी 33% वोटों के साथ 29 सीटें जीत सकती है।
जनवरी के आखिरी सप्ताह में कराए गए इस सर्वे के अनुसार, 'आप' को 70 सदस्यों वाली विधानसभा में 36-40 सीटें मिल सकती हैं। उसे 49% वोट मिलेंगे। बीजेपी को 28-32 सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस को 2-4 सीटों पर सिमट सकती है।
जनवरी के आखिरी सप्ताह में कराए गए इस सर्वे के अनुसार, 'आप' को 70 सदस्यों वाली विधानसभा में 36-40 सीटें मिल सकती हैं। उसे 49% वोट मिलेंगे। बीजेपी को 28-32 सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस को 2-4 सीटों पर सिमट सकती है।
यह सर्वे 16 विधानसभा क्षेत्रों में 3,260 वोटरों के बीच किया गया था। नवंबर-दिसंबर में कराए गए
ईटी-टीएनएस पोल में बीजेपी को 43-47 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। तब 'आप' 22-25 सीटें मिलती दिख रही थीं।
कांग्रेस को तक अधिकतम 3 सीटें मिलने का अनुमान था।
केजरीवाल को चुनौती देने के लिए बीजेपी को किरण बेदी को मैदान में उतारना पड़ा। हालांकि यह दांव उलटा पड़ता दिख रहा है। विभिन्न पोल्स में सबसे पसंदीदा सीएम कैंडिडेट के रूप में जमे हुए केजरीवाल ने ताजा ईटी-टीएनएस सर्वे में भी लीड बढ़ा ली है। इसके मुताबिक, केजरीवाल को 54% वोटर पसंद कर रहे हैं। बेदी से वह 16 प्रतिशत आगे हैं। पिछले पोल की तुलना में केजरीवाल ने 12 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है।
सोशल कमेंटेटर संतोष देसाई ने कहा कि माहौल 'आप' के पक्ष में मुड़ चुका है। उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक दायरे में अपनी बातचीत में बेदी हठी शख्स के रूप में सामने आई हैं।' देसाई ने कहा, 'इसके बावजूद मोदी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं है। बीजेपी पूरा जोर लगा रही है।'
टीएनएस पोल के मुताबिक, 12 सीटों पर बीजेपी और AAP में कड़ा मुकाबला है। इनमें से कृष्णानगर और जनकपुरी जैसी कुछ सीटें बीजेपी का गढ़ मानी जाती रही हैं। केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सोमनाथ भारती आराम से जीत सकते हैं। सर्वे के मुताबिक, दिल्लीवालों के लिए मुख्य मुद्दे महिला सुरक्षा की जगह महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिक सौहार्द और गरीबी बन गए हैं।
राजनीतिक विश्लेषक और समाजशास्त्री दीपांकर गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता बीजेपी के उस फैसले का सीधा नतीजा है, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी को दिल्ली विधानसभा चुनावों से दूर रखने का फैसला किया गया। गुप्ता ने ईटी से बताया, 'चुनावी मैदान में बेदी की एंट्री ने मोदी और केजरीवाल की सीधी तुलना को खत्म कर दिया है। मुझे लगता है कि इन चीजों ने केजरीवाल के पक्ष में काम किया है।' अपनी तरफ से केजरीवाल पीएम मोदी पर सीधे हमले से भी बचे।
आम आदमी पार्टी के एक नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'वोटरों के बीच यह धारणा है कि मोदी और अरविंद की छवि साफ-सुथरी है और दोनों का अजेंडा विकास है। इसलिए हमने अपने कैंपेन को पॉजिटिव रखा और अरविंद ने मोदी को सीधे टारगेट नहीं किया। अगर आपने ध्यान दिया हो तो केजरीवाल, किरन बेदी पर भी निशाना साधने से बच रहे हैं।'
राजनीतिक विश्लेषक नीरजा चंदोक ने कहा कि केजरीवाल की लोकप्रियता की मुख्य वजह गांव, निचले तबके के लोग और अल्पसंख्यक हैं। उन्होंने कहा, 'अगर आपको याद हो तो हाल में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली के 60 फीसदी वोटर हर महीने 14,000 रुपये से कम पर गुजारा करते हैं। यह वर्ग और केजरीवाल की तरफ इसका रुझान उन्हें सीएम पोस्ट के लिए तगड़ा प्रतिस्पर्धी बनाता है।'
केजरीवाल को चुनौती देने के लिए बीजेपी को किरण बेदी को मैदान में उतारना पड़ा। हालांकि यह दांव उलटा पड़ता दिख रहा है। विभिन्न पोल्स में सबसे पसंदीदा सीएम कैंडिडेट के रूप में जमे हुए केजरीवाल ने ताजा ईटी-टीएनएस सर्वे में भी लीड बढ़ा ली है। इसके मुताबिक, केजरीवाल को 54% वोटर पसंद कर रहे हैं। बेदी से वह 16 प्रतिशत आगे हैं। पिछले पोल की तुलना में केजरीवाल ने 12 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है।
सोशल कमेंटेटर संतोष देसाई ने कहा कि माहौल 'आप' के पक्ष में मुड़ चुका है। उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक दायरे में अपनी बातचीत में बेदी हठी शख्स के रूप में सामने आई हैं।' देसाई ने कहा, 'इसके बावजूद मोदी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं है। बीजेपी पूरा जोर लगा रही है।'
टीएनएस पोल के मुताबिक, 12 सीटों पर बीजेपी और AAP में कड़ा मुकाबला है। इनमें से कृष्णानगर और जनकपुरी जैसी कुछ सीटें बीजेपी का गढ़ मानी जाती रही हैं। केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सोमनाथ भारती आराम से जीत सकते हैं। सर्वे के मुताबिक, दिल्लीवालों के लिए मुख्य मुद्दे महिला सुरक्षा की जगह महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिक सौहार्द और गरीबी बन गए हैं।
राजनीतिक विश्लेषक और समाजशास्त्री दीपांकर गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता बीजेपी के उस फैसले का सीधा नतीजा है, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी को दिल्ली विधानसभा चुनावों से दूर रखने का फैसला किया गया। गुप्ता ने ईटी से बताया, 'चुनावी मैदान में बेदी की एंट्री ने मोदी और केजरीवाल की सीधी तुलना को खत्म कर दिया है। मुझे लगता है कि इन चीजों ने केजरीवाल के पक्ष में काम किया है।' अपनी तरफ से केजरीवाल पीएम मोदी पर सीधे हमले से भी बचे।
आम आदमी पार्टी के एक नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'वोटरों के बीच यह धारणा है कि मोदी और अरविंद की छवि साफ-सुथरी है और दोनों का अजेंडा विकास है। इसलिए हमने अपने कैंपेन को पॉजिटिव रखा और अरविंद ने मोदी को सीधे टारगेट नहीं किया। अगर आपने ध्यान दिया हो तो केजरीवाल, किरन बेदी पर भी निशाना साधने से बच रहे हैं।'
राजनीतिक विश्लेषक नीरजा चंदोक ने कहा कि केजरीवाल की लोकप्रियता की मुख्य वजह गांव, निचले तबके के लोग और अल्पसंख्यक हैं। उन्होंने कहा, 'अगर आपको याद हो तो हाल में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली के 60 फीसदी वोटर हर महीने 14,000 रुपये से कम पर गुजारा करते हैं। यह वर्ग और केजरीवाल की तरफ इसका रुझान उन्हें सीएम पोस्ट के लिए तगड़ा प्रतिस्पर्धी बनाता है।'
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