Thursday, February 5, 2015

दानदाता कंपनियों के संदिग्ध चरित्र बेनकाब हुए

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम आदमी पार्टी (आप) को मिले कथित संदिग्ध चंदे के मुद्दे पर बुधवार को फिर उनसे पूछा कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल राजस्व अधिकारी के तौर पर इससे निपटने के लिए क्या करते।
आप पार्टी को चेक के जरिए दिए गए राजनीतिक चंदे पर सवालिया निशान लगाते हुए उन्होंने कहा कि इससे लेन-देन शुद्ध नहीं हो जाता है। जेटली ने अपने फेसबुक पन्ने पर 'वॉट वुड अरविंद केजरीवाल, आईआरएस हैव डन?' शीर्षक से एक लेख में लिखा है, 'निश्चित रूप से केजरीवाल कर संबंधी कानूनों को लेकर अनजान तो नहीं हैं। उन्हें पता था कि उनकी पार्टी क्या कर रही है। उन्हें ईमानदारी से जनता को बताना चाहिए कि आईआरएस के रूप में वह इन हालात में क्या करते?'
उन्होंने आरोप लगाया, 'आप प्रचार करने में माहिर है। वह अपने हाथ पर ईमानदारी का तमगा लगा होने का दावा करती है।' जेटली ने केजरीवाल से पूछा कि क्या राजनीतिक दलों को चेक से चंदा देने से काले धन को सफेद में बदलने के सारे अपराध धुल जाते हैं।
जेटली ने वहीं बीजेपी की वेबसाइट पर जारी एक आलेख में लिखा है कि आप ने फर्जी कंपनियों से काला धन स्वीकार किया। जेटली ने कहा है, 'आप ने कई सारी कॉर्पोरेट कंपनियों के नाम का खुलासा किया है, जिनसे उसने चेक के रूप में चंदे स्वीकारे हैं।'
जेटली ने लिखा है, 'आप से अलग हुए सदस्य लगता है कि इन कंपनियों के नाम कंपनी रजिस्ट्रार कार्यालय से तलाशे हैं। इस तलाश से दानदाता कंपनियों के संदिग्ध चरित्र बेनकाब हुए हैं।'
चेक के रूप में आप द्वारा दो करोड़ रुपये स्वीकारने का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि ऐसी ढेर सारी कंपनियां हैं, जो काले धन को सफेद बना रही हैं। उन्होंने कहा, 'ये कंपनियां कोई कारोबार नहीं करतीं। उनके पास लाभ देने वाला कोई कारोबार नहीं है।'
वित्त मंत्री ने लिखा है, 'इन कंपनियों की कार्यप्रणाली बहुत ही सरल है। इस समय एक बहुस्तरीय प्रक्रियाओं के जरिए पैदा हुईं ढेर सारी अंतरसंबंधित कंपनियां हैं। इनमें आपस में एक से दूसरे को धन हस्तांतरित किए जाते हैं। कंपनियां संदिग्ध पते पर पंजीकृत होती हैं।'

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