दिल्ली चुनाव में हार के बाद मध्य वर्ग का विश्वास फिर जीतने के लिए वित्त
मंत्री अरुण जेटली 28 फरवरी को आम आदमी के अनुकूल बजट पेश कर सकते हैं, जिसमें या तो टैक्स-स्लैब
बदले जा सकते हैं या बचत योजनाओं में निवेश पर छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है। इसके
अलावा वह 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत देश में विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित
करने उपाय भी कर सकते हैं। इस अभियान का लक्ष्य है भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग
हब बनाने और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों का पैदा
करना है।
जेटली व्यक्तिगत करदाताओं को राहत पहुंचाने के दृष्टिकोण को शनिवार के अपने पहले पूर्ण बजट में आगे बढ़ा सकते हैं। पिछली बार उन्होंने व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा 50,000 रुपये बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये और बचत योजनाओं में 1.50 लाख रुपये तक निवेश पर छूट दी जबकि इससे पहले यह छूट 1 लाख रुपये तक की सीमित थी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हालांकि, इस बार जेटली इनमें से किसी एक को चुन सकते हैं क्योंकि उन्हें अतिरिक्त राजस्व की भी जरूरत है ताकि सरकारी निवेश बढ़ाकर आर्थिक वृद्धि तेज की जा सके। कर दी थी।
वित्त मंत्री ने पिछले साल कॉर्पोरेट या आम आदमी पर सरचार्ज की दर में कोई बदलाव नहीं किया था और आगामी बजट में भी इसे मौजूदा स्तर पर ही बरकरार रख सकते हैं। इधर, कॉर्पोरेट मोर्चे पर जेटली विवादास्पद गार (सामान्य कर परिवर्जन नियम) को कम से कम दो साल के लिए टाल सकते हैं क्योंकि इससे निवेश के माहौल पर विपरीत असर हो सकता है जिसे सरकार सुधारना चाहती है। जेटली पर विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के लिए कर रियायतों की घोषणा का दबाव बढ़ रहा है ताकि उन निवेशकों को वापस लाया जा सके जो सेज स्थापना के लिए मिली मंजूरियां वापस कर रहे हैं।
अप्रत्यक्ष कर के संबंध में वित्त मंत्री द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अप्रैल 2016 से लागू करने के लिए जमीन तैयार करने उम्मीद है। इसके लिए वह धीरे-धीरे सेवा कर की दर बढ़ा सकते हैं जो फिलहाल 12 प्रतिशत है क्योंकि जीएसटी में अप्रत्यक्ष कर के लिए सिर्फ एक दर होगी। उल्टा शुल्क ढांचा के लिहाज से बजट उद्योग विशेष तौर पर वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा जैसे क्षेत्रों की चिंता पर ध्यान दे सकता है। उल्टा शुल्क ढांचे का अर्थ है तैयार माल के मुकाबले कच्चे माल पर ज्यादा कर जिससे लागत बढ़ती है। उद्योग मांग करता रहा है कि सरकार को कच्चे माल और अन्य माल पर कराधान से जुड़ी गड़बड़ी दूर करनी चाहिए।
इनकम टैक्स में छूट की सीमा 50,000 रुपये या बचत में निवेश की छूट सीमा में बढ़त संभव।
स्वास्थ्य बीमा में निवेश सीमा में भी कर छूट।
पेंशन योजनाओं में बचत पर सभी तीन चरणों-प्रवेश, संचयन और निकासी में छूट पर भी विचार संभव।
अवकाश यात्रा भत्ता (एलटीए) का दायरा बढ़ाकर इसका लाभ हर साल देने का भी प्रावधान।
कर-बचत वाले बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड संभव।
होम लोन में ब्याज एवं मूलधन के भुगतान के संबंध में ज्यादा कर राहत।
व्यक्तिगत तौर पर 1 करोड़ से अधिक की आय पर जबकि कंपनियों पर 10 करोड़ रुपये से अधिक के मुनाफे पर 10 प्रतिशत का लग सकता है टैक्स।
जीएसटी को लागू करने की दिशा में सर्विस टैक्स में बढ़त संभव।
उल्टा शुल्क ढांचे में हो सकता है बदलाव।
आयकर छूट- 2.50 लाख रुपये
बचत योजनाएं- 1.50 लाख रुपये तक निवेश पर छूट
आवास ऋण के पुनर्भुगतान पर कर छूट 2 लाख रुपये तक
जेटली व्यक्तिगत करदाताओं को राहत पहुंचाने के दृष्टिकोण को शनिवार के अपने पहले पूर्ण बजट में आगे बढ़ा सकते हैं। पिछली बार उन्होंने व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा 50,000 रुपये बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये और बचत योजनाओं में 1.50 लाख रुपये तक निवेश पर छूट दी जबकि इससे पहले यह छूट 1 लाख रुपये तक की सीमित थी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हालांकि, इस बार जेटली इनमें से किसी एक को चुन सकते हैं क्योंकि उन्हें अतिरिक्त राजस्व की भी जरूरत है ताकि सरकारी निवेश बढ़ाकर आर्थिक वृद्धि तेज की जा सके। कर दी थी।
वित्त मंत्री ने पिछले साल कॉर्पोरेट या आम आदमी पर सरचार्ज की दर में कोई बदलाव नहीं किया था और आगामी बजट में भी इसे मौजूदा स्तर पर ही बरकरार रख सकते हैं। इधर, कॉर्पोरेट मोर्चे पर जेटली विवादास्पद गार (सामान्य कर परिवर्जन नियम) को कम से कम दो साल के लिए टाल सकते हैं क्योंकि इससे निवेश के माहौल पर विपरीत असर हो सकता है जिसे सरकार सुधारना चाहती है। जेटली पर विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के लिए कर रियायतों की घोषणा का दबाव बढ़ रहा है ताकि उन निवेशकों को वापस लाया जा सके जो सेज स्थापना के लिए मिली मंजूरियां वापस कर रहे हैं।
अप्रत्यक्ष कर के संबंध में वित्त मंत्री द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अप्रैल 2016 से लागू करने के लिए जमीन तैयार करने उम्मीद है। इसके लिए वह धीरे-धीरे सेवा कर की दर बढ़ा सकते हैं जो फिलहाल 12 प्रतिशत है क्योंकि जीएसटी में अप्रत्यक्ष कर के लिए सिर्फ एक दर होगी। उल्टा शुल्क ढांचा के लिहाज से बजट उद्योग विशेष तौर पर वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा जैसे क्षेत्रों की चिंता पर ध्यान दे सकता है। उल्टा शुल्क ढांचे का अर्थ है तैयार माल के मुकाबले कच्चे माल पर ज्यादा कर जिससे लागत बढ़ती है। उद्योग मांग करता रहा है कि सरकार को कच्चे माल और अन्य माल पर कराधान से जुड़ी गड़बड़ी दूर करनी चाहिए।
इनकम टैक्स में छूट की सीमा 50,000 रुपये या बचत में निवेश की छूट सीमा में बढ़त संभव।
स्वास्थ्य बीमा में निवेश सीमा में भी कर छूट।
पेंशन योजनाओं में बचत पर सभी तीन चरणों-प्रवेश, संचयन और निकासी में छूट पर भी विचार संभव।
अवकाश यात्रा भत्ता (एलटीए) का दायरा बढ़ाकर इसका लाभ हर साल देने का भी प्रावधान।
कर-बचत वाले बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड संभव।
होम लोन में ब्याज एवं मूलधन के भुगतान के संबंध में ज्यादा कर राहत।
व्यक्तिगत तौर पर 1 करोड़ से अधिक की आय पर जबकि कंपनियों पर 10 करोड़ रुपये से अधिक के मुनाफे पर 10 प्रतिशत का लग सकता है टैक्स।
जीएसटी को लागू करने की दिशा में सर्विस टैक्स में बढ़त संभव।
उल्टा शुल्क ढांचे में हो सकता है बदलाव।
आयकर छूट- 2.50 लाख रुपये
बचत योजनाएं- 1.50 लाख रुपये तक निवेश पर छूट
आवास ऋण के पुनर्भुगतान पर कर छूट 2 लाख रुपये तक
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