Monday, September 15, 2014

सोने का भाव अगले साल तेज

सोने का भाव अगले साल तेज हो सकता है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के ग्लोबल हेड (मेटल्स) जेरेमी ईस्ट ने कहा है कि भारत और चीन में गोल्ड की डिमांड बढ़ने के कारण कीमतों में उछाल आ सकता है। 
चीन इस साल भारत को पीछे छोड़कर दुनिया में गोल्ड का सबसे बड़ा कंजयूमर हो गया। यह अगले साल भी सोने की जोरदार खरीदारी कर सकता है। दूसरी तरफ, इंडिया अपनी खरीदारी से ग्लोबल मार्केट में बड़ा असर डालने वाला देश नहीं रह गया है। इसकी बड़ी वजह करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) काबू करने के लिए सोने के इंपोर्ट पर सरकार की तरफ से लगाई गई बंदिशें हैं। हालांकि CAD में कमी आने पर सरकार ने अपनी सख्त पॉलिसी को थोड़ा उदार बनाया है।
 
आर्थिक स्थितियों में सुधार आने की वजह से अमेरिका में जूलरी की डिमांड बढ़ने पर सोने की कीमत में बना बेयरिश ट्रेंड 2015 में खत्म हो सकता है और इसमें तेजी की शुरुआत हो सकती है। ईस्ट ने बताया, 'चीन के सोने की खरीदारी करते रहने, इंडिया की डिमांड में सुधार आने और अमेरिका में डिमांड बढ़ने पर सोने के दाम में मजबूती आ सकती है। सोने को लेकर इंडिया और चीन में कॉम्पिटिशन हो सकता है।' तीन-चार साल पहले सोने के ग्लोबल मार्केट में चीन की डिमांड इतनी नहीं थी कि उससे कीमतों में फर्क पैदा हो, लेकिन अब यह दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड कंजूयमर हो गया है। इसने 2011 से 2013 के बीच 1400 टन गोल्ड का इंपोर्ट किया है।
 
ईस्ट ने कहा, 'मेरे हिसाब से अगले साल सोने की कीमतों में मजबूती आ सकती है। हालांकि मुझे नहीं लगता कि इसकी कीमत फिर 1900 डॉलर प्रति औंस तक जाएगी। इनवेस्टर्स की ओर से डिमांड में स्थिरता आ गई है।' ईस्ट ने सोने की कीमतों के लिए कोई टारगेट नहीं दिया है, लेकिन उन्होंने यह जरूर माना कि डॉलर में मजबूती और ऊंचा इंटरेस्ट रेट सोने की सेहत के लिए सही नहीं रहेंगे।
 माइनर्स की हेजिंग की बात पर ईस्ट ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि शॉर्ट टर्म में उनकी तरफ से कोई हेजिंग हो रही है, लेकिन अगर सोने का भाव 100 डॉलर प्रति औंस गिरकर 1,150 डॉलर से नीचे आ जाता है तो कुछ माइंस में माइनिंग बंद हो सकती है। बुल रन की एक वजह यह भी थी कि माइनर्स ने हेजिंग बंद कर दी थी।' उन्होंने बताया कि चीन की माइनिंग कंपनियां फ्यूचर्स एक्सचेंज पर जोरदार तरीके से हेजिंग कर रही थीं। 
उन्होंने कहा कि चीन में कंजम्पशन में नाटकीय ढंग से तेजी आने से गोल्ड मार्केट पर असर के मामले में इंडिया की प्रासंगिकता घटी है। चीन में सोने को बढ़ावा देने वाली सरकारी नीतियों के चलते एशियाई बाजार लंदन मेटल एक्सचेंज के मुकाबले ज्यादा अहम हो गया है। जल्द ही एशिया की कीमतें ग्लोबल गोल्ड मार्केट के लिए प्राइस बेंचमार्क हो जाएंगी।
 

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