Thursday, September 11, 2014

मोदी लहर को जोरदार और कमजोर साबित करने की कोशिश के इर्दगिर्द

उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा और एक लोकसभा सीट के उपचुनाव मुख्य रूप से मोदी लहर को जोरदार और कमजोर साबित करने की कोशिशों के इर्दगिर्द घूम रहे हैं। इस लहर के सहारे लोकसभा चुनाव में अपनी सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाली बीजेपी एक बार फिर उसी के बल पर अपना दबदबा साबित करना चाहती है। वहीं, समाजवादी पार्टी (एसपी) और कांग्रेस की नजर बीजेपी के इस सबसे बड़े हथियार की धार कुंद करके एक तीर से दो निशाने लगाने पर है।
लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत और बिहार व उत्तराखंड में हाल में हुए उपचुनाव में अनुकूल परिणाम नहीं आने के बाद अब बीजेपी का पूरा ध्यान उत्तर प्रदेश के उपचुनावों पर टिक गया है। वह लोकसभा चुनाव में परवान चढ़ चुके मोदी फैक्टर को मुख्य केंद्र बनाकर बेहद आक्रामक अंदाज में प्रचार कर रही है।

दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव में करारा झटका पा चुकी सत्तारूढ़ एसपी और कांग्रेस मोदी फैक्टर को एक छलावा मात्र साबित करने की कोशिश करते हुए इसके लिये मोदी सरकार के 100 दिन के कार्यकाल को नाकामियों से भरा बताकर मोदी लहर को भ्रमजाल करार दे रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अपने विधायकों के सांसद बनने के कारण खाली हुई सीटों को दोबारा हासिल करने के लिये बढ़-चढ़कर चुनाव प्रचार कर रही बीजेपी के लिये मोदी फैक्टर उसके मनोबल का आधार है। हालांकि यह उसके लिये शेर की सवारी करने जैसा है, क्योंकि मोदी लहर के जादू को भुनाना उसके लिये चुनौती भी है।
उपचुनाव प्रचार में खासकर बीजेपी और एसपी के बीच जबर्दस्त होड़ हो रही है। बीजेपी ने प्रचार के मैदान में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा राजनाथ सिंह समेत छह केंद्रीय मंत्रियों की अगुवाई में 39 स्टार प्रचारकों की फौज उतारी है। एसपी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उपचुनाव प्रचार की कमान खुद संभाली है। किसी उपचुनाव में सम्भवत: ऐसा पहली बार हुआ है।

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